भारत में हीट वेव की समस्या। (The Problem of Heat Wave in India.)

Share & Help Each Other

राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों “भारत में हीट वेव की समस्या (The Problem of Heat Wave in India) पर्यावरण में रहने वाले समस्त प्राणियों और पेड़-पौधों के लिए एक मूक आपदा है। हीट वेव की समस्या भारत में प्रति वर्ष बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण सूर्य का तापमान सामान्य स्तर से अधिक होता जा रहा है और इसका संकट का प्रभाव इतना खतरनाक होता है, जो मनुष्य की जान तक ले सकता है।

problem of heat wave in cities
Heat Wave in India

भारत में हीट वेव की समस्या से पीड़ित मनुष्य, पशु-पक्षी और पेड़-पौधें और इससे होने वाले घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं मानव गतिविधियां जिम्मेदार है, जो की जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है और पर्यावरण के तापमान में वृद्धि इसका एक कारक है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से ‘ऊष्मा तरंगे (Heat Wave)’ उत्पन्न होती है।

हीट वेव क्या होता है?

जब वातावरण में तापमान सामान्य स्तर से अधिक हो जाता है तब हीट वेव यानि ऊष्मा तरंगे वातावरण में अपना असर दिखाना शुरू कर देती है और तापमान सामान्य से अधिक होने के कारण गर्म हवा का प्रवाह भी बढ़ जाता है, जिसे हीट वेव (Heat Wave) कहतें हैं।

भारत में हीट वेव की समस्या का घोसणा भारतीय मौसम विभाग के द्वारा किया जाता है, जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है और निरंतर 2 दिनों तक तापमान सामान्य से अधिक ही रहता है, तब हीट वेव की घोसणा कर दी जाती है। हीट वेव का संकट आम तौर पर उत्तरी भारत में मार्च से जुलाई महीने के बिच में देखने को मिलता है।

हालाँकि, ऐसा बिलकुल भी नहीं है की हीट वेव की समस्या केवल भारत में ही स्थित है, यह विश्व भर के विभिन्न क्षेत्रों में भी उत्पन्न होती है। हीट वेव के अनुकूल वातावरण आम तौर पर रेगिस्तान, शुष्क क्षेत्र, अर्ध-शुष्क क्षेत्र और भूमध्य रेखा से गुजरने वाले देशों में भी देखा जा सकता है।

हीट वेव को दुनिया भर के अलग क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के स्थानीय नामो से जाना जाता ही, जिसे हम गर्म लहर भी बोलतें हैं:-

  • उत्तरी भारत और पाकिस्तान के क्षेत्रों में इसे लू (Loo) बोलतें हैं।
  • यूरोप में स्थित ऐल्प्स की पहाड़ियों में इसे फोहेन (Foehn) बोलतें हैं।
  • उत्तरी अमेरिका (अमेरिका और कनाडा) में इसे चिनूक (Chinook) कहतें हैं।
  • उत्तरी अफ्रीका के देशों में उत्पन्न हुए सहारा मरुस्थल में इसे सिरोको Sirocco) बोलतें हैं।
  • उत्तरी अफ्रीका के सहारा मरुस्थल में इसे हर्माटॉन (Harmatton) के नाम से भी बोलतें हैं।

भारत में हीट वेव के क्या कारण है?

भारत में हीट वेव या ऊष्मा तरंगे उत्पन्न होने की स्तिथि गर्मी के मौसम में होती है जिसके पीछे मानव गतिविधियों से जुड़े कारक भी जिम्मेदार हैं, जैसे;-

  • उद्योगों में अत्यधिक मात्रा में कोयले का उपयोग करना, प्रकृति के अनुकूल वाहनों का उपयोग न करना, जिससे कार्बन उत्सर्जन बड़ी मात्रा में हो रही है और इससे कार्बन उत्सर्जन हो रहा है।
  • बड़ी मात्रा में पेड़ों और वनो की कटाई करना, जिससे वातावरण में उत्सर्जित कार्बन पूरी तरह से नष्ट नहीं हो पाता और पेड़ कार्बन को सोखने का काम करता है और पेड़ों के कम होने से वातावरण गर्म होने लगता है।
  • घरेलु उपकरण जैसे एयर कंडीशन, फ्रीज के उपयोग में वृद्धि होना, जिसके कारण वातावरण गर्म होता है।

हालाँकि, यह मानवीय कारक पूर्ण रूप से हीट वेव के उत्पन्न होने में अपना योगदान नहीं देती है बल्कि यह हीट वेव की समस्या को और अधिक बढ़ा देती है। हीट वेव या ऊष्मा तरंगे एक प्रकार से प्राकृतिक घटना है जिसे पर्यावरण में उत्पन्न होने के लिए उसके अनुकूल स्तिथि का होना आवश्यक है , जैसे:-

  • एक क्षेत्र में गर्म शुष्क हवा का बहाव।
  • ऊपरी वायुमंडल में नमी का अभाव।
  • क्षेत्र में बड़े आयाम वाले एंटी-साइक्लोनिक प्रवाह।
  • आकाश पूरी तरह से साफ़ और बादलों का उपस्थित ना होना।

यह प्राकृतिक गतिविधि हीट वेव को तो उत्पन्न करती है लेकिन मानव गतिविधियां इस हीट वेव के तापमान को और अधिक बढ़ा देती है, जिससे ओजोन की परत पतली हो जाती है और सूर्य की किरणे सीधी धरती पर पड़ती है, जो की हीट वेव के प्रभाव को और खतरनाक बनाती है।

भारत में हीट वेव का प्रभाव।

भारत में हीट वेव के संकट से होने वाले प्रभाव बहुत ही संगीन हैं, जिसका असर हर क्षेत्र में देखा जा सकता है, जो की निम्नलिखित प्रकार से है:-

  • मानव शरीर पर प्रभाव-> हीट वेव या ऊष्मा तरंगे मानव शरीर को बुरी तरह प्रभावित करती है, जिससे मानव के त्वचा में रैशेस और जलन होने लगती है, हीट स्ट्रोक्स आने लगतें हैं क्यूंकि मानव का शरीर उस तापमान को बर्दाश्त नहीं कर पाता है। इसका असर वरिष्ठ नागरिक और बच्चों पर जल्दी होता है और बहुत से घर जिसमे एयर कंडीशन नहीं होतें हैं वहां तापमान में वृद्धि होने से अचानक मृत्यु होने की संभावना भी होती है।
  • जानवरों और पक्षियों पर प्रभाव-> इस मूक खतरे का शिकार बेचारे नादान जानवरों और पक्षियों को भी भुगतना पड़ता है, तापमान में वृद्धि होने से और जल के अभाव से उनकी मृत्यु हो जाती है, ऐसे कितने ही पशु और पक्षी की प्रतिदिन मृत्यु होती होगी जिसकी कोई चर्चा ही नहीं करता।
  • कृषि क्षेत्र पर प्रभाव-> कृषि और वनस्पति क्षेत्र में इसका प्रभाव भली भातिं देखा जा सकता है और किसानो को भी इससे नुकसान होता है क्यूंकि बढ़ती हीट वेव से तापमान बढ़ती है और वह कृषि को प्रदान करने के तापमान से अधिक होती है, जिसके कारण फसल सुख जाती है, बदलों का बनना भी कम हो जाता है और वर्षा भी सामान्य से कम या फिर नहीं होती है।
  • जंगलों और वनो में आग-> हीट वेव का सबसे खतरनाक प्रभाव हमे जंगलो में लगने वाली आग से देखने को मिलता है क्यूंकि तापमान से सामान्य से इतना अधिक हो जाता है, जिससे जंगल की सुखी लकड़ियां स्वयं ही जलने लगतें हैं और इस प्रकार पुरे जंगल में आग फ़ैल जाती है।
  • बिजली से सम्बन्धी समस्या-> बढ़ती तापमान से हीट वेव के कारण बिजली घर में आग लगने की संभावना बढ़ जाती है और साथ-ही-साथ बिजली की मांग पर दबाव बढ़ने के कारण आपूर्ति में कमी हो जाती है।

भारत में हीट वेव की बढ़ती समस्या बीते 50 वर्षों में 17000 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है, जो की एक चिंता का विषय है। इस विषय को नज़रअंदाज़ करना हमारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए इससे बचने और निवारण के उपाय हमे अपनाने चाहियें।

हीट वेव की समस्या से बचने के उपाय।

हीट वेव और बढ़ते तापमान की समस्या से बचने के अनेकों उपाय हैं, जिसका उपयोग करके हम खुद को भी बचा सकतें हैं और दूसरे जिव-जंतुओं को भी और साथ-ही-साथ सरकार चाहे तो अपने स्तर पर भी निम्नलिखित कामो को कर सकती है:-

क) व्यक्तिगत स्तर पर।

  • गर्मी में खुद को पानी से हाइड्रेटेड रखें और भीतर के शरीर को ठंडा रखने के लिए आप दही, सत्तू और आम के पन्ना का सेवन कर सकतें हैं, जिससे लू लगने की संभावना कम हो जाती है।
  • गर्मी में बहार जाते समय सुरक्षा उपाय करें, जैसे गहरे रंग के कपड़े और टाइट कपडे न पहने, अपने साथ पानी की बोतल जरूर रखें और कोशिश करें दोपहर के समय बाहर ना जाने की।
  • व्यायाम को अपनी हर दिन का दिनचर्या बना लें। 
  • शराब, चाय, कॉफी का सेवन कम करें क्यूंकि यह आपके शरीर को डीहाइड्रेट कर देती है।
  • अपने घर के बाहर जानवरों के लिए और पक्षियों के लिए अपने छत पर पानी रखना ना भूलें।
  • प्रकृति के अनुकूल वाहनों का प्रयोग करने की कोशिश करें या फिर सार्वजनिक वाहन का उपयोग करें।
  • पौधा रोपण करें, अपने घर के आस पास छोटे पौधे भी आप लगा सकतें हैं, जो आपके घर के वातावरण को ठंडा रखेगी।
  • सतह और छतों को रिफ्लेक्टिव रंग करवाएं, जिससे सूर्य के किरणों की तापमान क सर आपके घर पर न हो और ऐसा आप अपने घर को हल्का रंग करवा कर कर सकतें हैं।

ख) सरकारी स्तर पर।

  • लोगों के बिच जागरूकता पैदा करना और यह सूचित करना की हीट वेव का परिणाम कितना अधिक खतरनाक हो सकता है।
  • पिने के पानी की आसान पहुंच के लिए राजमार्गों और शुष्क क्षेत्रों में जगह-जगह पर पानी की बूथ बनवाना।
  • राजमार्गों के दोनों ओर पौधा रोपण करना।
  • इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना।
  • रोपण के लिए सार्वजनिक रूप से पौधों का वितरण करना।
  • झुग्गी-झोपडी के क्षेत्रों में सामुदायिक कूलर और छाँव के लिए बड़े शेड्स की व्यवस्था करवाना, जिसे गरीबों को सहर के गर्मी से राहत दिया जा सके।

हीट वेव की इस संकट से हम व्यक्तिगत स्तर पर और सरकार अपने स्तर पर इन बिंदुओं को ध्यान में रखकर काम कर सकतें हैं क्यूंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हीट वेव की समस्या आने वाले सालों में और बढ़ सकती ही जिससे बचने के लिए लोग इन उपायों का उपयोग बड़ी मात्रा में करते नज़र आएंगे।

दोस्तों, अगर आप अपने देश और समाज के बारे में और अधिक जानना चाहतें हैं तो यहाँ क्लिक करके देख सकतें हैं। 


Share & Help Each Other