Paytm Payments Bank Ban, आम जनता पर कैसे पड़ेगा इसका असर और क्या अब आपके पैसे Paytm के साथ सुरक्षित है, जानिए पूरी जानकारी?

paytm payments bank

भारतीय घटनाओं के एक आश्चर्यजनक मोड़ में हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के द्वारा भारत के प्रमुख डिजिटल वित्तीय सेवा प्रदाताओं में से एक, Paytm Payments Bank पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रतिबंध के लागू होने से वित्तीय क्षेत्र को झटका लगा है, जिससे पेटीएम उपयोगकर्ताओं और आम लोगों दोनों को अनिश्चितता से जूझना पड़ रहा है। यह प्रतिबंध भारतीय नागरिकों के रोजमर्रा के जीवन को कैसे प्रभावित करेगा आइये जानते हैं।

भारत में लैंगिक असमानता। (Gender Inequality in India in Hindi.)

bharat mein laingik asamanta

लैंगिक असमानता स्त्री-पुरुष के मध्य एक ऐसी परम्परावादी नाकारात्मक सोच है, जिसका अंश आज भी समाज के कई हिस्सों में देखने को मिलता है। ईश्वर ने स्त्री-पुरुष की रचना करते वक़्त किसी भी प्रकार का अंतर चिन्हित नहीं किया केवल लिंग को पारस्परिक तरीके से अलग बनाया, जिससे पृथ्वी पर जीवन आगे बढ़ सके, लेकिन सामाजिक लोगों ने केवल लैंगिक अंतर को विभिन्न प्रकार की धारणाओं से जोड़कर स्त्री और पुरुष के मध्य एक बहुत बड़ी असमानता की दिवार खड़ी कर दी। हालाँकि, भारत भी इस परम्परावादी सोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण था लेकिन अब “भारत में लैंगिक असमानता (Bharat mein Laingik Asamanta)” का प्रचलन धीरे-धीरे कम हो रहा है फिर भी इसका अंश आज भी समाज के लोगों के दिमागों में बैठा है, जिसे दूर करना चुनौती भरा कार्य है।

भारत में काला जादू का प्रचलन। (Prevalence of Black Magic in India in Hindi.)

bharat mein kala jaadu

भारतीय समाज की सभ्यता और संस्कृति लोगों की मान्यताओं पर निर्भर करती है, जिसके कारण हमारी पौराणिक परम्पराएँ आज भी समाज में देखि जा सकती है जिसकी जड़ें हमसे जुडी हैं। लेकिन, आधुनिकता एवं पश्चिमी सभ्यताओं ने हमारे भारत की संस्कृतियों के प्रति मान्यताओं को कम किया है परन्तु आज के इस आधुनिक युग और कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) के दौर में भी “भारत में काला जादू का प्रचलन (Bharat mein Kala Jaadu ka Prachalan)” तेजी से बढ़ रहा है, आधुनिकता और पश्चिमी सभ्यता इसे कम करने में असमर्थ है क्यूंकि जब हमारी मान्यताएँ अंधविश्वास में तब्दील हो जाती है तब ये काले जादू का प्रकोप देखने को मिलता है।

भारत में धर्म परिवर्तन। (Religious Conversion in India in Hindi.)

bharat mein dharm parivartan

हमारा भारत बहुधर्मी देश है, जहाँ विभिन्न प्रकार के धर्मों की रचनाएँ एवं उनका प्रचार-प्रसार हुआ है और हमारा भारतीय संविधान भी अपने देश के नागरिकों के साथ दुनिया के अन्य किसी भी देश के नागरिक को अपने धर्म को अभ्यास करने कि मौलिक अधिकार प्रदान करता है। बहुधर्मी होने के कारण हमारे भारत में सर्वोच्च मान्यता संविधान को प्रदान की गयी है जिससे सभी धर्मों के मध्य समानता, एकता और शांति स्थापित की जा सके। लेकिन, भारत की इसी बहुधार्मिक अनुकम्पा की दृष्टि “भारत में धर्म परिवर्तन (Bharat mein Dharm Parivartan)” का मूल कारण बनकर इसे समाज में गलत तरीके से प्रेरित कर रही है।

भारतीय अर्थव्यवस्था का निजीकरण। (Privatization of Indian Economy in Hindi.)

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हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का सार है, जहाँ सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र दोनों का योगदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्यूंकि भारत में समाजवादी और पूंजीवादी दोनों अर्थव्यवस्था मौजूद है। लेकिन अभी बीते कुछ वर्षों में सरकार के द्वारा “भारतीय अर्थव्यवस्था का निजीकरण (Bhartiya Arthvyavastha ka Nijikaran)” करने के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण आने वाले दशक में भारत मिश्रित से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की श्रेणी में खड़ा नज़र आएगा और हमारा भारत विकासशील से विकसित देश बन जायेगा।

भारत में किशोर अपराध। (Juvenile Crime in India in Hindi.)

bharat mein kishor apradh

जब किसी नाबालिग बच्चे के द्वारा जो की 18 वर्ष की आयु से कम है वह किशोर कहलाता है और जब उसके द्वारा किसी भी प्रकार का ऐसा अपराध किया जाता है, जिस आपराधिक गतिविधियों को वयस्कों के द्वारा किया जाता है, जैसे; हत्या, सामूहिक बलात्कार, डकैती, आतंकवादी हमले। एक युवा अपराधी का जिक्र करते समय किशोर शब्द का प्रयोग किया जाता है लेकिन भारत में एक किशोर को अपराधी घोसित करने के लिए उसका 14 वर्ष का होना आवश्यक है और आज के समाज में किशोर इन सभी आपराधिक मामलों में बड़ी संख्या में शामिल होते साबित हुएँ हैं।

भारत में मॉब लिंचिंग। (Mob Lynching in India.)

bharat mein mob Lynching

जब किसी आरोपित व्यक्ति पर उसके किसी अपराध के लिए या फिर कोई गलत अफवाह के कारण आक्रोशित भीड़ के द्वारा हिंसक भाव से हमला किया जाता है, जिसमे दोषी व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है, उस भीड़ के द्वारा हिंसा को Mob Lynching कहतें हैं।

समाज में समलैंगिकता। (Homosexuality in Society in Hindi.)

samaj mein samlaingikta

“समलैंगिकता(Homosexuality)” हमारे देश का ऐसा मामला है जिसे देश के मीडिया चैनलों और न्यायालयों द्वारा चर्चा तो किया जा रहा है लेकिन हमारा समाज इसकी चर्चा नहीं कर रहा है, जबकि यह भी हमारे समाज का ही एक अंश है, राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों तो कैसे हो आप सब? “समलैंगिकता(Homosexuality)” हमारे देश का ऐसा मामला है जिसे देश के मीडिया चैनलों और न्यायालयों द्वारा चर्चा तो किया जा रहा है लेकिन हमारा समाज इसकी चर्चा नहीं कर रहा है, जबकि यह भी हमारे समाज का ही एक अंश है, तो मैं समाज के इस मामले पर प्रकाश डालना चाहूंगा जिसके बारे में कोई बात  नहीं करना चाहता, जिसे समाज में लोगों के द्वारा अलग दृष्टि से देखा जाता है, जिसके लिए समाज की धारणा अलग है, जिसे हमारे समाज में स्वीकार ही नहीं किया जाता है और भी ऐसी बहुत सी सामाजिक कुरीतियां हैं जिसका सामना समलैंगिकों और ट्रांसजेंडर्स को इस समाज में करना पड़ता है। इस संसार में जैसे ईश्वर ने महिला और पुरुष को बनाया है ठीक वैसे ही महिला और पुरुष के रूप में समलैंगिक और ट्रांसजेंडर्स को भी समाज में स्थान दिया है, अंतर बस इतना होता है की कुछ जीन्स में बदलाव होने के कारण उनके शरीर मे बदलाव आता है, उनकी भावनाओ में भी बदलाव देखने मिलता है (अगर वह पुरुष है तो महिला जैसे भाव और महिला है तो पुरुष जैसे भाव) लेकिन इस बदलाव में उनकी क्या गलती होती है वह कोई जान-बुझ कर ऐसा तो नहीं करते हैं बल्कि कुछ ऐसे आनुवंशिकी कारक(genetic factors) होतें हैं जो की प्राकृतिक रूप से उनके अंदर होतें हैं, जिसके कारण हमे उनका स्वभाव आम लोगों की तुलना में अलग देखने को मिलता है।

भारतीय राजनीती में मुफ्तखोरी। (Freebies in Indian Politics in Hindi.)

rajniti mein muftkhori

जैसा की हम सब जानते हैं की हमारे देश में जनता को मुफ्त की चीजें बहुत अधिक प्रिय होती है लेकिन हमे यह नहीं पता होता है की उस मुफ्त की वस्तु की कीमत पहले ही हमसे वसूल ली गयी है, ठीक इसी प्रकार “भारतीय राजनीती में मुफ्तखोरी (Bhartiya rajniti mein muftkhori)” का प्रचलन जनता को क्षणिक भर का ख़ुशी तो प्रदान करता है लेकिन, यह देश की अर्थव्यवस्था पर आर्थिक संकट भी पैदा कर सकता है, जिसका प्रभाव जनता की क्षणिक भर की ख़ुशी की तुलना में बहुत ही नाकारात्मक हो सकता है।

नशे की लत :युवाओं के भविष्य का खतरा।(Drug Addiction: The Menace of Youth’s Future.)

drug addiction among youth

हमारे देश के भारतीय युवाओं में बढ़ रही नशीली दवाओं की लत आज के समय में नशे के प्रचलन को बहुत ही तेजी से बढ़ा रही है “नशे की लत :युवाओं के भविष्य का खतरा है (Drug Addiction: The Menace of Youth’s Future)” लेकिन युवाओं के द्वारा ऐसा माना जाता है की नशा करना आज के समाज का फैशन और ट्रेंड है और ऐसा करते केवल युवाओं में ही नहीं पाया गया है बल्कि स्कूल के छात्र में और 18 साल से कम आयु के बच्चों में भी नशाखोरी देखि गयी है।