भारत में महिला सशक्तिकरण। (Women Empowerment in India.)

Share & Help Each Other

राधे-राधे, आदाब, सत्यश्री आकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों तो कैसे हो आप सब? दोस्तों, “भारत में महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment in India.)” आज 21 वीं सदी में भी हमे समाज में देखने को नहीं मिलती है लेकिन “महिला सशक्तिकरण राष्ट्र को सशक्त बनाने का स्त्रोत है, यह बात आज भी देश में बहुत से लोगों को पता नहीं है, जैसे अगर इस सृस्टि पर महिलायें न होती तो क्या होता, कैसे ये सृस्टि आगे बढ़ती और कैसे कोई ज़िन्दगी जन्म लेती, वैसे तो यह सब एक काल्पनिक बातें हैं क्यूंकि एक महिला के बिना संसार का आगे बढ़ना असंभव है।

ईश्वर ने सृस्टि को आगे बढ़ाने के लिए महिला और पुरुष इन दो लोगों को भेजा है और दोनों के द्वारा समाज में अहम् भूमिका भी निभाई जाती है, ईश्वर ने दोनों में कोई अंतर नहीं किया है, तो फिर हमारी क्या औकात हम क्यों भेद-भाव करतें हैं और जिस प्रकार ये समाज कहती है की पुरुष महान है तो इस मामले में समाज गलत सोचता है क्यूंकि महिलाएं महान हैं, हालाँकि मैं किसी में भेद-भाव नहीं करना चाहता लेकिन ये समाज करने पर मजबूर करती है।

अगर कोई पूछे की महिलाएं कैसे महान है, तो मैं बताना चाहूंगा की आज के समय में या पौराणिक काल में भी ऐसी कौन सी काम बाकि बची थी जो पुरुष कर सकता था और महिलाएं नहीं (वो अलग बात है की पुरुष महिला को करने नहीं देतें) या फिर आज के समय की ही बात कर लेतें हैं ऐसी कोई भी कार्य है जो महिला नहीं कर सकती और वो पुरुष कर सकतें हैं, मेरे ख्याल से तो कुछ भी नहीं है यहाँ तक की पुरुष जो कपडे पहन सकतें हैं वो भी एक महिला पहन सकती है। महिला को हर काम में हमारे समाज ने पीछे रखा है नहीं तो वो एक पुरुष से काफी बेहतर करके दिखा सकती है, और वो दिखा भी रहीं हैं। आपने भी महिलाओं की सफलता और सौर्य के अनेको उद्धारहण सुने और देखें भी होंगे और आज के इस युग में तो कहना ही क्या वो किसी से भी पीछे नहीं है।

women empowerment in india
women empowerment

भारत में महिला सशक्तिकरण की क्यों आवश्यकता है?

आज भी हमारे देश में महिलाओं को लेकर भेद-भाव, पुरुष-महिला में समानता का अभाव देखने को मिलता है, महिला को सशक्त बनाना केवल इसलिए जरुरी नहीं की वो धन अर्जित कर सके बल्कि उनको सभी स्तर पर ‘आध्यात्मिक, राजनितिक, शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक, प्रसाशनिक’ इन सभी में सशक्त बनाना है। भारत सरकार ने 2001 में महिला सशक्तिकरण (women empowerment) वर्ष घोसित किया लेकिन सरकार के द्वारा बनाई गई इतनी योजनाएं और जागरूक करने वाले अभियान न तो देश में महिलाओं की स्तिथि बदल पाएं हैं और न आगे बदल पाएंगे क्यूंकि इस समाज में जबतक ‘सामाजिक, पारिवारिक और वैचारिक’ व्यवहार में बदलाव नहीं आएंगे महिलाओं की समस्याएं कम नहीं होंगी जैसे :-

क) महिलाओं की राजनीति में भागीदारी अगर हो भी जाती है, महिला अगर सरपंच या विधायक बन भी जाती है तो उनके राजनितिक निर्णय और फैसले उस महिला के घरवाले करतें हैं।

ख) महिला को तो यह भी अधिकार नहीं है की उसके गर्भ में पल रहे बेटी को वो जन्म दे सकती है या नहीं, इसके लिए भी उसे कोई अनुमति देता है।

ग) देश के संविधान में भी समानता एक मौलिक अधिकार है लेकिन फिर भी सामान्य कार्य के लिए भी वेतन में महिलाओं के साथ भेद-भाव होता है।

घ) अगर कोई महिला गर्भवती है और वह काम पर नहीं जा सकती तो ऐसी हालत में भी उनकी वेतन काट ली जाती है, इसलिए बहुत सी जगह पर महिलाओं को काम ही नहीं देते हैं क्यूंकि उन्हें पता है की  गर्भवती होने के बाद इन्हे छुट्टी के साथ-साथ वेतन भी देना पड़ेगा। (निजी कार्यों के क्षेत्र में)

ङ्ग) हमारा देश ‘वैश्विक लिंग अंतर सूचकांक’ 2021 में 140 वें स्थान पर है वह भी कुल 156 देशों में, जो की पिछले वर्ष से 28 पायदान निचे चला गया है, यह सूचकांक जो की ‘विश्व आर्थिक मंच’ द्वारा प्रकाशित की जाती है, यह बतलाती है की देश में पुरुष महिला में असमानता कितनी तेजी से बढ़ रही है।

च) हमारे देश में महिला के प्रति अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहें हैं। ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ के मुताबिक पुरे देश में प्रतिदिन 87 रेप के केसेस आतें हैं और महिलाओं के प्रति अपराध में पिछले वर्ष के मुकाबले 7.3% की वृद्धि हुई है। यह आकड़ा दर्ज मामलों पर निर्धारित है और ऐसे कई मामलें हैं जो दर्ज नहीं किये जातें हैं।

छ) अपने देश में महिलाओं की ‘साक्षरता दर‘ आज के समय में भी पुरुषों के मुकाबले बहुत कम है, इस आधुनिक युग में भी जहाँ पुरुष साक्षरता दर 82.14 % है तो वहीँ महिलाओं की साक्षरता दर केवल 65.48% है।

इसलिए हमारे देश में महिला को सशक्त बनाने की आवश्यकता है, हमारे समाज में आस-पास तो बहुत से बदलाव हो रहें हैं लेकिन महिलाएं आज के समय में भी सुरक्षित है इसकी गारंटी कोई नहीं ले सकता। कुछ इन्ही इरादों के साथ की महिला को सशक्त बनाना है, जिसके लिए पुरे विश्व में ‘अंतरास्ट्रीय महिला दिवस’ 8 मार्च को प्रतिवर्ष मनाया जाता है जिसका इस वर्ष 2021 का विषय था “चुनौती देना चुने”। तो दोस्तों जबतक हमारे समाज के विचार में बदलाव नहीं आ जाता, तबतक महिला सशक्तिकरण (women empowerment) का नारा बस एक खेल बन कर ही रह जायेगा।

लेकिन दोस्तों मैं यहाँ ये बता सकता हूँ की वो पुरुष जो भी अपने आप को महिला से महान समझतें हैं या तुलना करतें हैं तो वो महान नहीं समाज के सबसे बड़े मंदबुद्धि वाले व्यक्ति है क्यूंकि उस महान व्यक्ति को यह बताने की जरुरत है की जो काम वह कर सकता है वह तो महिला कर ही सकती है साथ ही साथ वह जो काम नहीं कर सकता वह भी महिला करती है, जो महिलाओं को छोड़ कर और कोई भी व्यक्ति करने की सोच भी नहीं सकता। जिस तरह माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में रखती है और फिर उस बच्चे को जन्म देती है क्या कोई पुरुष यह कर सकता है, ऐसा कहतें हैं की बच्चे को जन्म देतें समय माँ का दूसरा जन्म होता है क्यूंकि एक महिला को बच्चे को जन्म देने के समय इतना कष्ट होता है वह हम और आप अनुभव भी नहीं कर सकतें हैं और पुरुष अपने आप को महान और हिम्मतवाला समझते हैं।

महिला जिन्हे कुछ पुरुष कमजोर समझतें हैं उन्हें प्रति माह कष्ट होता है क्या यह कोई पुरुष समझता है, जो महिला अपने अंदर इतना शक्ति रखती है की वो एक वंसज को आगे बढ़ा सकती है, तो फिर क्यों इस समाज में उस महिला के साथ ही अत्याचार होतें हैं, उन्हें ही सब सहन करना पड़ता है, अरे हमे कुछ नहीं तो कम से कम इसके विपरीत इनकी रक्षा और इनका सम्मान तो करना ही चाहिए।

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए योजनाएं।

क) बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ –> यह योजना कन्या भ्रूण हत्या और कन्या शिक्षा को ध्यान में रखकर बनायी गयी है। इसके अंतर्गत लड़कियों के बेहतरी के लिए योजना बनाकर और उन्हें आर्थिक सहायता देकर उनके परिवार में फैली भ्रांति लड़की एक बोझ है की सोच को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।

ख) वन स्टॉप सेंटर योजना –> ऐसी व्यवस्था जहाँ हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला सभी तरह की मदद एक ही छत के निचे एक साथ पा सकती है। इन सेंटर्स को अस्पतालों में चलाया जाता है।

ग) महिला हेल्पलाइन योजना –> इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को 24 घंटे इमरजेंसी सहायता सेवा प्रदान की जाती है, महिलाएँ अपने विरुद्ध होने वाली किसी तरह की भी हिंसा या अपराध की शिकायत इस योजना के तहत निर्धारित नंबर पर कर सकती हैं। इस योजना के तहत पूरे देश भर में 181 नंबर को डायल करके महिलाएँ अपनी शिकायतें दर्ज करा सकती हैं।

घ) उज्जवला योजना –> अवैध व्यापार के रोकथाम और वाणिज्यिक यौन शोषण के पीड़ित के बचाओ, पुनर्वास और पुनः एकीकरण के लिए एक व्यापक योजना।

ङ्ग) स्वाधार गृह –> कठिन परिस्तिथियों में महिलाओं के लिए आश्रय, भोजन, वस्त्र, चिकित्सा उपचार और संकटग्रस्त महिलाओं की देखभाल की प्राथमिक आवश्यकता को पूरा करना।

च) निर्भया योजना –> यह योजना के अंतर्गत निर्भया फण्ड के दुष्कर्म के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के योजना की निर्माण की पुनरीक्षा करती है।

छ) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप) –> स्टेप योजना के अंतर्गत महिलाओं के कौशल को निखारने का कार्य किया जाता है ताकि उन्हें भी रोजगार मिल सके या फिर वह स्वंय का रोजगार शुरु कर सके। इस कार्यक्रम के अंतर्गत कई सारे क्षेत्रों के कार्य जैसे कि कृषि, बागवानी, हथकरघा, सिलाई और मछली पालन आदि के विषयों में महिलाओं को शिक्षित किया जाता है।

ज) महिला शक्ति केंद्र –> यह योजना समुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत छात्रों और पेशेवर व्यक्तियों जैसे सामुदायिक स्वयंसेवक ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते है।

भारत में महिला सशक्तिकरण में आने वाली बाधाएं।

अगर बात की जाये बाधाओं के बारे में तो वो हमारे समाज में अनगिनत हैं क्यूंकि पौराणिक काल से चली आयी महिलाओं के विरुद्ध कुछ प्रथा उन्हें आगे बढ़ने से बाधित करती है और आपको तो पता होगा की हमारे देश में शुरू से पुरुष प्रधान समाज’ चलता आ रहा है जो की आज भी बहुत जगह पे कायम है जिसकी वजह हमारे समाज के ‘रूढ़िवादी सोच’ रखने वाले लोग हैं, जो लड़कियों को समाज में आगे बढ़ने से रोकतें हैं, उन्हें पूरी तरह से शिक्षित होने नहीं देतें हैं और इसका मुख्य कारण ‘बालविवाह’ है, जो आज भी समाज में प्रचलित है, ऐसा इसलिए क्यूंकि बहुत से रूढ़िवादी लोगो का यह मानना होता है की बेटी को पढ़ा कर क्या होगा वो तो ऐसे भी दूसरे के घर जाएगी।

हमारे देश में भ्रूणहत्या, जन्म से पहले लिंग जांच करवाना यह सब भी एक मुख्य कारण है, जो की बेटियों को इस दुनिया में आने ही नहीं देते तो वह आगे कैसे बढ़ेगी। सभी को माँ, बहु और पत्नी तो चाहिए लेकिन बहन और बेटी नहीं, परन्तु मूर्खों यह तो सोचो की तुमहारी माँ भी किसी की बेटी है, बहु भी किसी की बेटी या बहन है और तुम्हारी पत्नी भी जो तुम्हारे वंश को आगे बढ़ाएगी वह भी किसी की बहन या बेटी ही है।

मैं इन ‘बाधाओं में स्वयं महिलाओं को भी शामिल करना चाहूंगा’ क्यूंकि उन्हें स्वयं को सशक्त बनाने के लिए आगे आना होगा, स्वयं पे हुए अतयाचार के खिलाफ लड़ना होगा, उनकी बर्दाश्त करने की छमता उनको सशक्त होने में बाधा बन रही है। समाज में भेद-भाव इस हद तक पहुंच गया है की स्वयं महिला के द्वारा एक महिला का शोषण किया जाता है (दहेज़ प्रथा, वैश्यावृति, स्त्री व्यापार, विधवा), एक महिला का शोषण करने के लिए वह दूसरी महिला भी समाज अथवा परिवार के पुरुषों का साथ देती हैं, आज भी महिलाओं के द्वारा रूढ़िवादी सोच रखने वाले लोगो का साथ दिया जाता है।

निष्कर्ष।

दोस्तों महिला जिसकी छवि समाज में अतुलनीय (किसी से तुलना करने योग्य नहीं है) आज के समाज में उस महिला का भी अत्याचार और उसके साथ गलत होने पर भी बर्दाश्त करते रहना उसके हिम्मत वाले छवि को शोभा नहीं देती, जो की दूसरा जन्म ले सकती है। दोस्तों अगर कोई महिला भी मेरे इस लेखन को पढ़ रही हो तो मेरी ये सलाह उन्हें अच्छी लगे तो आप जरूर करना, आज के समाज में महिलाओं को या लड़कियों को शिक्षित करने के साथ-साथ उनको अपनी रक्षा कैसे करनी है वह भी सिखानी चाहिए, एक नारी के भीतर बहुत हिम्मत होती है यह हमे उनको बताना चाहिए क्यूंकि “जिस प्रकार बजरंगबली जी कितने शक्तिशाली थे यह उनको ज्ञात नहीं था वो खुद नहीं जानते थे की उनके भीतर कितनी शक्ति है, तब उन्हें उनकी शक्ति से परिचित करवाया गया”, ठीक उसी प्रकार नारी शक्ति भी नारी के भीतर बहुत होती है हमे उनको ये ज्ञात करवाना होगा। नारी सशक्तिकरण सिर्फ कहने से नहीं होगा नारी को सशक्त बनाना भी होगा और सृस्टि में ईश्वर के दिए इस वरदान को हम सबको बराबर का अधिकार भी देना होगा।

दोस्तों जिस प्रकार से हमारे समाज में पौराणिक काल से ये विचारधारा बनी हुई है की महिलायें पुरुष की तुलना में कमजोर है, हमे यह विचार को उत्पन्न होने वाले व्यवहार को ख़त्म करना होगा, हमे अपने देश में शुरुवात से ही लड़कियों को शिक्षा के साथ उनको अपनी आत्मरक्षा की कला भी सीखानी होगी उन्हें समाज के हर बुराइयों के प्रति मजबूत और निडर शुरू से बनाना होगा, जिसके लिए सरकार को आगे आकर एक ऐसा कानून बनाना चाहिए जिसमे लड़कियों को अपने आत्मरक्षा की कला को सीखना अनिवार्य हो। तब जाकर सही मायने में महिला और लडकियां सशक्त बनेंगी।

दोस्तों, आप महिला सशक्तिकरण(women empowerment) के बारे में क्या सोचतें हैं अपनी राय जरुरु कमेंट करके बताएं।

“छोड़ो यह श्रृंगार, अब शस्त्र उठाओ तुम मर्द बने इन नासमझों को मर्दानी दिखलाओ तुम”

दोस्तों, अगर आप समाज और देश से जुड़े आर्टिकल्स के बारे में और पढ़ना चाहतें हैं तो यहाँ क्लिक करके पढ़ सकतें हैं।


Share & Help Each Other

2 thoughts on “भारत में महिला सशक्तिकरण। (Women Empowerment in India.)”

  1. Thankq for bringing this topic in consideration, really it’s a fight that every woman have to battle on their own, there is no one to stand by us.
    Radhe radhe🙏

  2. राधे राधे मोर मुकुट बंशी वाले की प्रेरणा से आज का ये आर्टिकल अतिसुंदर है खासकर इसके अंदर सारे कानूनों को समझाना दिल झकझोर कर रख दिया मै बंशी वाले से प्रार्थना करता हूं कि आप ऐसे ऐसे लेख लिखकर समाज को गलत राह में जाने से रोके राधे राधे

Comments are closed.