विश्व सुनामी जागरूकता दिवस। (World Tsunami Awareness Day in Hindi.)

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सुनामी एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो की हमेशा देखने को नहीं मिलती है लेकिन जब यह प्राकृतिक आपदा आती है तब अत्यंत ही विनाशकारी रूप लेकर आती है। इसलिए, सुनामी से बचने और इससे निपटने के लिए पहले से ही सभी निवारक उपायों की जानकारी प्रदान करना साथ ही सुनामी के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रति वर्ष 5 नवंबर को “Visw Sunami Jaagrukta Divas (World Tsunami Awareness Day)” के रूप में मनाता है।

सुनामी शब्द की उत्पति जापान से हुई है, जहाँ ‘सु का मतलब समुद्र’ और ‘नामी का मतलब लहर’ होता है। जब समुद्र के निचे भूकंप की वजह से ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगती है, जो समुद्र के तटों पर आकर कई किलोमीटर ऊँची हो जाती है, तब समुद्री लहरें सुनामी का रूप ले लेती है।

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विश्व सुनामी जागरूकता दिवस

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस का उदेश्य।

इस दिन दुनिया भर के लोगों को ख़ास कर तटीय क्षेत्र वाले देशों में सुनामी से होने वाले खतरों को कम करने के बारे में जन जागरूकता को बढ़ावा दिया जाता है, सुनामी से बचने के उपाय और सुनामी आने पर क्या सावधानियां बरतनी हैं यह समझाया जाता है।

सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा का सबसे अधिक सामना करने वाला देश जापान है, जहाँ के लोग आयेदिन सुनामी का सामना करते हैं।

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस, 2023 का थीम।

Visw Sunami Jaagrukta Divas, 2023 की थीम “लचीले भविष्य के लिए असमानता से लड़ना (Fighting Inequality for a Resilient Future)”, जो की अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस की थीम को प्रतिबिंबित करता है। इसका मतलब यह है की किस प्रकार से सुनामी के परिणाम लोगों को गरीबी की ओर अग्रसर करता है और समाज में असमानता को बढ़ावा देता है क्यूंकि सुनामी का कहर लोगों के सबकुछ बर्बाद कर देता है। इसलिए, सुनामी के कारण होने वाली सामाजिक असमानता से लड़ने के लिए और सुनामी से पीड़ित लोगों के भविष्य को फिर से सुनहरा बनाने के लिए यह थीम का चयन किया गया है, जिसपर संयुक्त राष्ट्र पुरे वर्ष कार्य करेगी।

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस का इतिहास।

संयुक्त राष्ट्र के द्वारा इस दिवस को 5 नवंबर, 2016 से मनाना शुरू किया गया था लेकिन भारत के लिए सुनामी का सबसे भयावह दृश्य दिसंबर 2004 था, जब हिन्द महासागर में सुनामी आयी थी, जिससे इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत और थाईलैंड के अतिरिक्त 14 देश प्रभावित हुए थे और जिसके कारण 2 लाख से भी जयादा मौतें हुई थीं।

सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से केवल बचा जा सकता है इसे रोका नहीं जा सकता है, इसके खतरों से निपटने के लिए सामुदायिक भागीदारी होना आवश्यक है।

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