भारत को विश्व में मधुमेह की राजधानी के रूप में जाना जाता है, लैंसेट के एक रिपोर्ट के जरिये यह पता चला है की भारत में मधुमेह से ग्रसित 101 मिलियन से ज्यादा लोग हैं, इसका मतलब दस लोगों के समूह में एक व्यक्ति मधुमेह से ग्रसित है। मधुमेह एक प्रकार की गैर संचारी रोग है, जिसका जोखिम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और इसे ही नियंत्रित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 नवंबर को “विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day)” एक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान के रूप में मनाया जाता है।
यह दिवस 14 नवंबर को फ्रेडरिक बेंटिंग के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने चार्ल्स बेस्ट के सहयोग से सन 1922 में इन्सुलिन की खोज की थी।
Visw Madhumeh Diwas का उद्देश्य पुरे विश्व के लोगों में जागरूकता फैलाना, मधुमेह से निवारक उक्तियों के बारे में लोगों को शिक्षित करना और महत्वपूर्ण जगहों पर जागरूकता एवं मधुमेह जांच शिविरों का आयोजन करना।
Visw Madhumeh Diwas इस वर्ष 2023 में “मधुमेह देखभाल तक पहुँच (Access to Diabetes Care)” विषय पर कार्य करेगा, जो की समय पर उपचार एवं प्रबंधन सुनिश्चित कर सही जानकारी प्रदान करना पर केंद्रित करेगा।
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विश्व मधुमेह दिवस का महत्व।
- अंतराष्ट्रीय मधुमेह संस्था के द्वारा यह बताया गया है की मधुमेह के कारण 2021 में 67 लाख लोगों की मौत हुई साथ ही यह अनुमान भी लगाया गया है की यह संख्या बढ़कर 2030 में 64.3 करोड़ और 2045 तक 78.3 करोड़।
- उचित जानकारी, निवारक उपाय और सही मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए ताकि लोग इसके संकेत और लक्षणों के प्रति शीघ्र निदान पा सकें।
- विश्व मधुमेह दिवस भारत के साथ विश्व के सभी देशों को सतत विकास लक्ष्य 3 को पूरा करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
विश्व मधुमेह दिवस का इतिहास।
Visw Madhumeh Diwas की स्थापना सन 1991 में अंतराष्ट्रीय मधुमेह संस्था और विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा मिलकर की गयी थी और इसे पूरी तरह से आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र के द्वारा मान्यता सन 2006 में प्रदान की गयी।
इस दिवस को सर फ्रेडरिक बेंटिंग जिन्होंने चार्ल्स बेस्ट के सहयोग से इन्सुलिन की खोज की थी तो उनके जन्मदिन और उनके खोज को बरकरार रखने के लिए इसे 14 नवंबर को मनातें हैं।