वर्टीकल फार्मिंग: भारतीय कृषि में क्रांतिकारी कदम। (Vertical Farming: Revolutionary Step in Indian Agriculture.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, आज हम बात करेंगे कृषि क्षेत्र की एक तकनीक ‘वर्टीकल फार्मिंग (खड़ी खेती)’ के बारे में, जो भविष्य में पुरे विश्व के लोगों के लिए भोजन की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम होगा। “वर्टीकल फार्मिंग को भारतीय कृषि में क्रांतिकारी कदम (Vertical Farming Revolutionary Step in Indian Agriculture)” माना जा रहा है क्यूंकि अगर किसान इस तकनीक का प्रयोग करतें हैं तो वह अपने देश के साथ-साथ विश्व के सभी लोगों को भोजन प्रदान कर सकतें हैं और खाद्य सम्बन्धी समस्या को समाप्त भी कर सकतें हैं, जैसे; खाद्य संकट की समस्या, भोजन में पोषण तत्वों की कमी, भुखमरी।

vertical farming in india
Vertical Farming in Indian Agriculture

पुरे विश्व में जनसँख्या का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है और संयुक्त राष्ट्र के प्रक्षेपण के मुताबिक पुरे विश्व की जनसँख्या 2030 तक बढ़ कर 860 करोड़ (8.6 बिलियन) जाएगी और 2050 तक विश्व की जनसँख्या बढ़ कर 980 करोड़ (9.6 बिलियन) होने की संभावना है, जहाँ भारत की जनसँख्या पुरे विश्व में सबसे अधिक होगी।

इस बढ़ती जनसँख्या के प्रति ध्यान देते हुए अगर भविष्य में कोई वस्तु सबसे अधिक आवश्यक होगी तो वह है ‘भोजन’ क्यूंकि आज 780 करोड़ जनसँख्या होने के बावजूद भी कितने देश ऐसे हैं जो गंभीर रूप से खाद्य संकट एवं भुखमरी का सामना बड़े स्तर पर महसूस कर रहें है।

‘वर्टीकल फार्मिंग’ क्या होता है? (What is Vertical Farming?)

वर्टीकल फार्मिंग (Vertical Farming) जिसे हम खड़ी खेती भी बोलतें हैं, यह खेती पारम्परिक तरीकों से जमीन पर ना करके खड़ी दीवारों पर या फिर दीवारों पर निचे से ऊपर बने परतों में फसलों को उगाया जाता है और इस खेती में फसलों को उगाने के लिए मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाता है।

वर्टीकल फार्मिंग विशेष रूप से तीन प्रकार के होतें हैं:-

  • हीड्रोपोनिक्स तकनीक-> इस तकनीक में पौधों की जड़ों को पोषक तत्वों के घोल में डाल कर रखतें हैं, जिसमे कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटासियम, नाइट्रोजन मिले होतें हैं, जो पौधों के विकास में मदद करते हैं।
  • एरोपोनिक्स तकनीक-> यह एक ऐसी तकनीक है जिसमे पौधों के जड़ों को हवा में लटका कर रखते हैं और हवा में पोषक तत्वों के घोल का छिड़काव किया जाता है, जहाँ पौधें की जड़ें अपना विकास करने के लिए हवा से पोषक तत्व अवशोषित करते हैं।
    • यह तकनीक किसानो को ग्रीनहाउस में करनी पड़ती है, जहाँ उन्हें आद्रता तापमान पि एच स्तर और जल चालकता को नियंत्रित रखनी पड़ती है। इस तकनीक में ना तो पानी की आवश्यकता होती है ना तो मिट्टी की आवश्यकता होती है।
  • एक्वापोनिक्स तकनीक-> यह तकनीक बहुत ही रोचक है, इसमें पौधों की जड़ों को पानी में डाल कर रखते हैं और उन जड़ों के पानी को मछलियों के कंटेनर से जोड़ दिया जाता है और ऐसा करने से जो मछलियों द्वारा पानी में मल किया जाता है वह पौधों के लिए उर्वरक का काम करती है और फिर पौधों के द्वारा उसी पानी को साफ़ कर दिया जाता है जो मछलियों तक पहुंच जाता है और ऐसे ही चक्र चलता जाता है।
    • इस तकनीक की मदद से किसान फसल के साथ-साथ मछलीपालन भी कर सकतें हैं।

इन सभी कृषि तकनीकों को वर्टीकल फार्मिंग के रूप में भविष्य के लिए एक क्रांतिकारी तकनीक माना गया है क्यूंकि बढ़ती हुई जनसँख्या के साथ-साथ कृषि योग्य जमीन भी कम होते जा रही है, जो विश्व के सामने खाद्य सम्बन्धी एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर देगा परन्तु खाद्य मांगों की इस चुनौती को पूरा करने के लिए खड़ी खेती का उपयोग किया जा सकता है।

भारतीय कृषि में वर्टीकल फार्मिंग का महत्व। (Importance of Vertical Farming in Indian Agriculture.)

भारत में वर्टीकल फार्मिंग का चलन अभी हाल ही में शुरू हुआ है ऐसे कुछ स्टार्टअप्स हैं जिन्होंने वर्टीकल फार्मिंग के क्षेत्र में अपना कदम रखा है (आईडिया फार्म्स, यु-फार्म्स, ग्रीनपीएस, अर्बन किसान)। भारत के 70% लोग कृषि क्षेत्र पर आधारित हैं और साथ ही भारत विश्व की सबसे बड़ी जनसँख्या वाला एक देश है और भविष्य में भी रहेगा। इसलिए, भारत के लिए कृषि क्षेत्र में वर्टीकल फार्मिंग जैसी तकनीकों का महत्व बढ़ कर कई गुणा हो जाता है, क्यूंकि इससे:-

  • जल की खपत में बड़ी मात्रा में कमी आएगी क्यूंकि तीनो प्रकार के वर्टीकल फार्मिंग तकनीक पूरी तरह से जल की बचत पर आधारित है। हीड्रोपोनिक्स 70% जल की खपत को कम करता है, एरोपोनिक्स 95% जल की खपत को कम करता है और एक्वापोनिक्स शुन्य जल की खपत करता है।
  • भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा खाद्य पदाथों के कारण विभिन्न बिमारियों की चपेट में आ जाता है क्यूंकि अधिकांश फसलों में किसानो के द्वारा बड़ी मात्रा में उर्वरक एवं कीटनाशक का उपयोग किया जाता है जो की सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। इसलिए, खड़ी खेती में फसलें बिना कीटनाशकों के उपयोग के उगाई जाती है, जो की सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
  • वर्टीकल फार्मिंग देश में रोजगार के अवसर पैदा करेगा क्यूंकि खड़ी खेती में मानवीय संसाधन अति आवश्यक है और साथ-ही-साथ यह कृषि की पढाई कर रहे छात्रों को भी प्रेरित करेगा और भारत में भी अब एक किसान व्यापारी के रूप में सामने निकल कर आएगा।
  • वर्टीकल फार्मिंग देश को संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित ‘सतत विकास लक्ष्य-2’ की प्राप्ति में भी सहायता प्रदान करेगा, जो की पुरे विश्व में भुखमरी को शून्य करने की बात करता है और भारत के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि ‘वैश्विक भूख सूचकांक’ में आज भी भारत का स्थान 101वां है, जो की शोभनीय नहीं है, इसमें भी सुधार होगा।
  • वर्टीकल फार्मिंग  अपनाने से किसान की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और किसान पूर्ण रूप से समृद्ध बनेगा, जैसे- भारत में अधिकांश किसानो के पास जमीन कम होने के कारण वह ज्यादा फसलों का उत्पादन नहीं कर पातें हैं, जिसके कारण हमारे देश के किसान गरीब रह जातें हैं। लेकिन खड़ी खेती की मदद से छोटे किसान भी कम जमीन पर अधिक फसल ऊगा सकतें हैं।
  • हमारे भारत में आज भी 70% लोग कृषि क्षेत्र में संलिप्त हैं, जो की सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक है लेकिन फिर भी कृषि क्षेत्र हमारे अर्थव्यवस्था के सकल घरेलु उत्पाद में सबसे कम योगदान करता है। परन्तु, वर्टिकल फार्मिंग से कृषि क्षेत्र में संलिप्त लोगों के द्वारा सकल घरेलु उत्पाद में सकारत्मक वृद्धि देखने मिल सकती है।

भारतीय कृषि में वर्टीकल फार्मिंग के फायदे (Advantages of Vertical Farming in Indian Agriculture)

  • वर्टीकल फार्मिंग की मदद से हम कम जमीन पर भी सामान्य से 70-80 गुणा अधिक फसल की पैदावार कर सकतें हैं और साथ-साथ विभिन्न प्रकार के फसल ऊगा सकतें हैं।
  • वर्टीकल फार्मिंग में पानी की खपत 70% से 100% तक कम हो जाती है और मिट्टी की खपत भी शून्य हो जाती है, खड़ी खेती में कभी-कभी नमी को बरक़रार रखने के लिए ‘नारियल की भूसी का उपयोग किया जाता है।
  • वर्टीकल फर्मिंग पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल होता है क्यूंकि इसे अभ्यास करते समय किसी भी प्रकार के कीटनाशक दवाओं या रासायनिक खादों का उपयोग नहीं किया जाता है, जिसके कारण मिटटी और भूजल दोनों दूषित नहीं होतें हैं।
  • वर्टीकल फार्मिंग देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है और शहरी क्षेत्र में हरियाली को बढ़ावा देने के साथ तापमान को भी कम करता है।
  • वर्टीकल फार्मिंग विशेष रूप से गरीब किसानो की आय में वृद्धि करेगा और साथ-साथ किसानो के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा।

भारतीय कृषि में वर्टीकल फार्मिंग के नुक्सान (Disadvantages of Vertical Farming in Indian Agriculture)

  • सबसे पहली और प्रमुख समस्या यह की इसको स्थापित करने के लिए उच्च लागत की आवश्यकता होती है और इसको स्थापित करने के लिए हमारे देश के किसान इतने सामर्थ्यवान नहीं हैं।
  • वर्टीकल फार्मिंग के लिए नियंत्रित वातावरण तैयार किया जाता है, जिसे कृत्रिम रौशनी की आवश्यकता होती है और इसके कारण ऊर्जा की खपत में भारी मात्रा में वृद्धि होती है।
  • वर्टीकल फार्मिंग में अधिक श्रम शक्ति की आवश्यकता होती है क्यूंकि इसके रखरखाव में जरा सी भी चूक नहीं होनी चाहिए, जिसके कारण यह श्रम गहन और पूंजी प्रधान भी है। इसलिए यह खड़ी खेती पारम्परिक खेती से महँगी है।
  • खड़ी खेती की उच्च लागत की प्रवृति ग्रामीण क्षेत्र के गरीब किसानो को गंभीर रूप से नुक्सान पहुंचा सकता है क्यूंकि गरीब किसानो की इस खेती के प्रति अक्षमता उनके लिए एक चुनौती होगी।
  • वर्टीकल फार्मिंग के क्षेत्र में कुशल एवं प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता अनिवार्य होती है।

निष्कर्ष। (Conclusion.)

खड़ी खेती भारतीय किसानो के लिए एक वरदान साबित हो सकता है, हालाँकि किसान अपनी सहभागिता इस कृषि तकनीक के प्रति दिखातें हैं तो यह भारत के किसानो की हर समस्या का हल कर सकता है।

खड़ी खेती की सबसे रोचक बात है की यह पानी की खपत को 95% तक कम या फिर शून्य कर देता है, जिसके लिए भारतीय किसान सबसे अधिक परेशान रहतें हैं और साथ-ही-साथ यह भारतीय कृषि की मौसम पर निर्भरता को भी कम करेगी।

वर्टीकल फार्मिंग की योग्यता भविष्य और वर्त्तमान में होने वाली या हो रही जलवायु परिवर्तन के लिए प्रभावी रूप से कारगर है। हालाँकि, इसको स्थापित करने के लिए उच्च लागत गरीब और छोटे किसानो के सामने सबसे बड़ी समस्या है, जिसके लिए सरकार को आगे आकर किसानो और स्टार्टअप्स की मदद करनी होगी और नहीं तो उच्च लागत की बोझ को कम करने के लिए सभी छोटे किसान मिल कर ‘सामुदायिक खेती’ को बढ़ावा दे सकतें हैं।

दोस्तों, आप कृषि क्षेत्र के इस क्रांतिकारी कदम के बारे में क्या सोचतें हैं, क्या यह अपने देश के किसानो के लिए अच्छा होगा या फिर पारम्परिक खेती ही हमारे देश के किसानो के लिए अच्छी है, निचे कमेंट करके जरूर बताएँ।

दोस्तों, अगर आप समाज और देश से जुड़े और भी ऐसे मामलों के बारे में पढ़ना चाहतें हैं तो यहाँ क्लिक करके पढ़ सकतें हैं। 


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