राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, “भारत में जनजातीय समुदाय (Tribal Communities in India.)“ हमारे देश के विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिक है, जिसकी महत्ता हमे हमारे पौराणिक इतिहास के संस्कृति से जोड़ती और परिचित करवाती है। भारतीय जनजाति समुदाय देश के लिए एक अमूल्य धरोहर है और इसलिए इनकी संरक्षण का उल्लेख ख़ास तौर पर हमारे संविधान के अन्नुछेद-338(ए) में भी किया गया है क्यूंकि इनके संरक्षण से ही देश के वन-उपवन और प्रकृति जीवित है।
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जनजातीय समुदाय किसे कहतें हैं? (What is meant by Tribal Community?)
जनजातीय समुदाय एक ऐसा समुदाय है, जो अपने जीवन के दिनचर्या को पारम्परिक तरीके से व्यतीत करतें हैं उन्हें आधुनिक जीवन शैली से किसी प्रकार का मतलब नहीं होता है। जनजातीय समुदाय ख़ास तौर पर एक विशेष भू-भाग पर रहतें हैं, जो वनों से जुड़ा होता है क्यूंकि वनों एवं जनजातियों के बिच एक गहरा अटूट सम्बन्ध होता है।
जनजातीय समुदाय की अपनी अलग भाषा होती है, अपने रीती-रिवाज़ होतें हैं, अपनी संस्कृति होती है और वह केवल अपने समुदाय में ही विवाह करतें हैं, आमतौर पर इन्हे आदिवासी एवं वनवासी भी कहतें हैं।
जनजातीय समुदाय की विशेषतायें। (Characteristics of Tribal Communities.)
- इन समुदायों में एकता की भावना बड़े स्तर पर पाई जाती है, जो की अक्सर परिवारों के समूह, वंसज और कबीले के रूप में रहती है।
- जनजातीय समुदाय सबसे अधिक महत्व प्रकृति और वनों को देतें हैं क्यूंकि आदिवासियों के जीवन की निर्भरता प्रकृति पूरा करती है और प्रकृति में ही इनका निवास स्थान भी होता है।
- प्रत्येक जनजातीय समुदाय का एक अलग नाम और पहचान होता है जो उनके संस्कृति को दर्शाता है और उन्हें उनके इतिहास से भी जोड़ता है। प्रत्येक जनजातीय की विशिष्टता उनके नाम में ही परिलक्षित होती है।
- सभी जनजातीय समुदाय अपनी एक अलग भाषा का प्रयोग करती है जो की अन्य जनजातीय समुदाय से भिन्न होती है।
- सभी जनजातियों और आदिवासियों का अपना अलग रीती-रिवाज़ और संस्कृति होता है, जिसका अनुसरण समुदाय के प्रत्येक लोगों को करना पड़ता है और साथ ही जो समुदाय के लोग इसका अनुसरण नहीं करतें हैं या इसके खिलाफ करतें हैं तो उसे दण्डित भी समुदाय के भीतर ही किया जाता है।
- सभी जनजातीय समुदाय का अपना रजनीतिक संगठन होता है, अपनी राजनितिक व्यवस्था नियम व कानून उनके द्वारा स्वयं बनाई जाती है, जहाँ कुछ मुख्य लोगों का गुट समुदाय के परंपरागत पंचायत को स्थापित करती है।
भारत में आज भी कुल 500 से अधिक लगभग 645 ऐसी विशिष्ट जनजातीय समुदाय है, जिसे संविधान के ‘अन्नुछेद 342′ के तहत अधिसूचित किया गया है, जिनके द्वारा देश की जनसँख्या में 8.6% का योगदान दिया जाता है।
इन जनजातीय समुदाय के अलावा भी भारत में “विशेष रूप से कमजोर जनजातिय समूह” की सूचि है, जिसमे कुल 75 ऐसे समूह हैं, बिलकुल भी विकसित नहीं हैं और दुनिया से बिलकुल अलग-थलग रहतें हैं, जिनकी आबादी बहुत छोटी होती है और उनमे लिखित भाषा की अनुपस्तिथि होती है, जैसे अंडमान में रहने वाले सेंटीनलिस जनजातीय।
भारत में जनजातीय समुदाय का महत्व। (Importance of Tribal Communities in India.)
भारत में जनजातीय समुदाय विशेष रूप से पर्यावरण और प्रकृति के हित में अपना योगदान देती है और उनके संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, हमारे पारम्परिक और ऐतिहासिक संस्कृतियों को संजो कर रखना ही जनजातीय समुदाय की अहमियता को दर्शाता है क्यूंकि हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान बताती है, भारत में जनजातिय समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका निम्नलिखित प्रकार से है:-
- जनजातीय समुदाय हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है, जो हमारे देश की संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर को जिन्दा रखती है क्यूंकि इनके द्वारा निरंतर पारम्परिक संस्कृतियों का अभ्यास किया जाता है, जिसके कारण हमारी संस्कृतियां जीवित रहती है।
- जनजातीय समुदाय हमारे देश में प्रकृति और वनों के संरक्षण में बहुत अहम् भूमिका निभाती है क्यूंकि वनों के साथ आदिवासियों का ताल-मेल इस प्रकार से जुड़ा होता है की उनके द्वारा वनों को ही अपना निवास स्थान चुन लिया जाता है।
- जनजातीय समुदाय के द्वारा बहुत से ऐसे वन उपकरण, खिलौने, बर्तन और सजावट के सामान तैयार किये जाते हैं जो पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से बने होतें हैं। ऐसी प्राकृतिक उपकरण, खिलौने, बर्तन और सजावट के सामान उनके अलावा और कोई नहीं बना सकता है, जो की वंशानुगत उनमे स्थानांतरण होतें हैं।
- जनजातीय समुदाय के द्वारा ही देश के आमलोगों को प्रकृति की खूबसूरती से जोड़ने का काम किया जाता है क्यूंकि उनके अलावा प्रकृति को इतने करीब से कोई नहीं समझ सकता जितना आदिवासी समझतें हैं।
- पारम्परिक लकड़ी और पत्थर के गहने आज के समाज और युवाओं का चलन और फैशन बन रहा है, जो की जनजातीय समुदाय के द्वारा पहने और बनाये जातें हैं। आधुनिक समाज के लोग पुराने ज़माने के और पारम्परिक पहनावे में दिलचस्पी दिखा रहें हैं, जिसकी वजह जनजातीय समुदाय के लोग हैं।
- जैविक कला, पारम्परिक बुनाई कला, पेड़ के पत्ते पर पारम्परिक कला और बहुत कुछ आदिवासियों द्वारा इतिहास में पहले विकसित किया गया था, लेकिन यह आज की पीढ़ी की पहली पसंद है, जो विभिन्न जनजातीय समुदाय के कारण ही संभव है।
भारत में जनजातीय समुदाय की समस्या। (Problems of Tribal Communities In India.)
जनजातिय समुदाय भले ही हमारे समाज का एक अभिन्न अंग है और उन्हें दुनिया-दारी में क्या हो रहा है उससे भी कोई मतलब नहीं है, वह अपना एक सामान्य सा जीवन व्यतीत करतें हैं, जो की आधुनिक समाज से बिलकुल भिन्न है लेकिन फिर भी उन्हें अनेकों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे:-
- अधिकांश जनजातीय घुमन्तु वाला जीवन व्यतीत करतें हैं, जिसमे वह एक स्थान के संसाधन को खत्म करके दूसरे स्थान पर चले जातें हैं, जिसके कारण उनके बच्चों को औपचारिक शिक्षा नहीं मिल पाती है और इसी प्रकार उनका जीवन निरंतर चलता है।
- जनजातीय समुदाय अक्सर शुरुवात से ही अपने अपने जमीं और अपने स्थान के प्रति विरोध करते आएं हैं और यह आज भी इनके लिए सबसे गंभीर समस्या है क्यूंकि बड़े-बड़े उद्योगों को स्थापित करने के लिए खुली जगह की तलाश की जाती है, जिसके लिए आदिवासियों को उनके स्थान जंगलों से उन्हें पुनर्वास करके दूसरी स्थान पर भेजा जाता है, जहाँ उनका जीवन यापन करना कठिन हो जाता है।
- स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव आमतौर पर जनजातीय समुदाय में देख जाता है क्यूंकि आदिवासी जो जंगलों में रहना पसंद करतें हैं और आम लोगों के क्षेत्र को खुद से दूर रखतें हैं, वह अपने लिए बेहतर चिकित्सा और शिक्षा की क्या आशा कर सकतें हैं हालाँकि, वह खुद भी सामान्य बिमारियों का इलाज करने में सक्षम होतें हैं।
यदि सरकार इन सभी समस्याओं के प्रति अपने दृष्टिकोण को थोड़ा मजबूत कर लेती है तो इन समस्याओं का निवारण संभव हो सकता है क्यूंकि सरकार के पहल के बिना जनजातीय समुदाय का कल्याण असंभव है।
निष्कर्ष। (Conclusion)
जनजातीय समुदाय हमारे समाज और देश के लिए गौरव है, जिसकी विभिन्न संस्कृतियां हमारे भारत का प्रतिक है, जनजातीय समुदाय और हमारी संस्कृतियों का संरक्षण सरकार भली-भांति कर रही है लेकिन कुछ कमियों-खामियों पर सरकार को थोड़ी ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे:-
- जनजातीय समुदाय के आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करना होगा, जिसके लिए सरकार आदिवासियों के ‘आदिम ललित कला, पारम्परिक कला एवं लघु वनोपज’ के उत्पादन को बढ़ावा दे सकती है और मोबाइल परिवहनों की मदद से उन्हें उनकी कला का प्रशिक्षण उनके निवास स्थान वनों में जा-जा कर प्रदान कर सकती है, इस प्रकार उनकी कला को शहरी क्षेत्र में लाकर बेचा जा सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्तिथि में सुधार आएगी।
- सरकार को जनजातीय समूह एवं आदिवासियों तक अपनी पहुँच सुनिश्चित करने के लिए समूह के प्रमुख से संपर्क करना चाहिए, जिससे सरकार उनकी मदद कर सके।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से से निपटने के लिए सरकार आदिवासी क्षेत्रों तक चिकित्सा एवं कुछ महत्वपूर्ण दवाइयों और विटामिन-कैल्शियम की गोलियों का प्रबंध मोबाइल परिवहन के द्वारा उपलब्ध करवा सकती है।