समाधान उन्मुख व्यक्ति कैसे बनें? [How to Become a Solution Oriented Person?]
इस संसार मे जिस मानव ने जनम लिया है वो अपने साथ अपनी सुख और दुःख दोनों लेकर आया है अंतर बस इतना है की इंसान सुख प्राप्त होता है तो उसे वो अच्छा लगता है और जब दुःख प्राप्त होता है तो उसे वो ख़राब लगता है लेकिन सच्चाई यही है की दुःख भी मनुस्य की ज़िन्दगी के साथ चलने वाला है इसलिए मनुस्य को इसे या तो स्वीकार करना चाहिये, या तो इसका समाधान करना चाहिए, या फिर इसे नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ना चाहिए क्यूंकि दुःख या फिर समस्या हमे हमारी ज़िन्दगी मे ये सिखाने आती है की आगे ज़िन्दगी मे और और कठीनाइयाँ आएंगे उसे कैसे हमे पार करना है और समसयाओ को अपनी ज़िन्दगी की चुनौती समझ कर धीरे-धीरे उसपे विजय विजय प्राप्त कर लेनी चाहिए,