राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, भारत की इस बढ़ती अर्थव्यवस्था में आज के समय युवाओं के पास अपनी एक नई पहचान बनाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प स्टार्टअप्स को माना जा रहा है क्यूंकि भारत अभी आर्थिक विस्तार की स्तिथि में है और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। इसलिए, विश्व बैंक एवं अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के द्वारा भी भविष्यवाणी करके यह बताया गया है की, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी, जिसके कारण “स्टार्टअप्स भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ (Startups Backbone of Indian Economy)“ के रूप में सामने निकल कर आ रहें हैं।
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‘स्टार्टअप्स‘ क्या है? (What is Startups?)
स्टार्टअप्स किसी भी क्षेत्र में रोजगार के रोजगार के इरादे से एक ऐसी शुरुवात या पहल है, जो देश के युवाओं को नए विचारों के साथ रोजगार का सृजन करने के लिए प्रेरित करता है और साथ-ही-साथ रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करता है।
अभी हाल ही में भारत स्टार्टअप्स के क्षेत्र में बहुत ही चर्चा में था क्यूंकि भारत दुनिया में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम के मामले में अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा देश है जिसके पास सौ से अधिक ‘युनिकॉर्न्स स्टार्टअप्स‘ है। युनिकॉर्न्स स्टार्टअप्स इकोसिस्टम एक निजी स्वामित्व वाली फर्म है, जिसे युनिकॉर्न का दर्जा देश में तब दिया जाता है जब उसके बाज़ार का पूंजीकरण 7500 करोड़ रूपए (1बिलियन डॉलर) से अधिक हो जाये। भारत में युनिकॉर्न्स विभिन्न क्षेत्रों में सक्रीय है, जैसे; इ-कॉमर्स, ऑनलाइन मार्केटिंग, शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, सॉफ्टवेयर तकनीक अन्य शामिल हैं।
भारत ने स्टार्टअप्स इकोसिस्टम के क्षेत्र में यह उपलब्धि युहीं नहीं हासिल की है, इसे स्थापित करने के लिए ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना अहम् मानी जाती है, जिस ‘स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया’ योजना को भारत सरकार द्वारा 2016 में लांच किया गया था, जिसका उदेश्य एक ऐसा पारिस्तिथिकी तंत्र का निर्माण करना था जो विभिन्न क्षेत्रों को स्टार्टअप्स और नए विचारों को बैंको के द्वारा वित् प्रदान करके युवाओं को उद्यमी एवं उद्योगपति बनाने में सहायता करे और साथ-ही-साथ देश में रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सके, जिससे देश का आर्थिक विकास हो।
भारत में स्टार्टअप्स का महत्व। (Importance of Startups in India.)
भारत में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम देश के आर्थिक विकास एवं रोजगार के सृजन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त और समृद्ध बनाता है। इसकी महत्ता देश के हर क्षेत्र को नए सिरे से बुलंदी पर पहुंचाने में मदद कर रही है क्यूंकि महामारी के समय भी भारत में रिकॉर्ड तोड़ 44 युनिकॉर्न्स स्थापित किये।
स्टार्टअप्स भारत के हर क्षेत्र में एक नए अंदाज़ में उभर कर आ रहा है, भारत में नए स्टार्टअप्स की शुरुवात देश में अनेको प्रकार से सकारात्मकता का प्रभाव डाल रही है, जैसे:-
- भारत में विदेशी मुद्रा का समावेश, जिससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है।
- स्टार्टअप्स के क्षेत्र ने भारत की अंतराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को और बेहतर बनाया है, जिसके कारण भारत में विदेशी कंपनियों का निवेश बढ़ा है।
- भारत में रोजगार के अवसर पैदा हो रहें हैं और बेरोजगारी दर में कमी आ रही है।
- स्टार्टअप्स ने देश की आर्थिक स्तिथि बेहतर बनाने के साथ-साथ भारत के आर्थिक विकास दर में भी वृद्धि कर रही है।
- आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया ने भी देश के युवाओं को स्टार्टअप्स स्थापित करने के लिए बढ़ावा दिया है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत में सबसे अधिक स्टार्टअप्स की संख्या “सुचना प्रौधौगिकी सेवाओं के क्षेत्र में स्थापित की गयी है, जिसके बाद स्वास्थ्य सेवा और जीवन विज्ञान फर्म के क्षेत्र में स्थापित है और तीसरे स्थान पर शिक्षा का क्षेत्र और अंत में कृषि उद्योग क्षेत्र आतें हैं।
भारत में स्टार्टअप्स के सामने चुनौतियां। (Challenges before Startups in India.)
स्टार्टअप्स किसी भी क्षेत्र में एक तरह का पूंजी निवेश करना है, जहाँ आम तौर पर बहुत सी चुनैतियों का सामना करना पड़ता है और उन सभी चुनौतियों को पार करके अंत में कोई स्टार्टअप सफलतापूर्वक अर्तव्यवस्था में अपनी पहचान बना पाता है, स्टार्टअप्स से सम्बंधित चुनौतियां निम्नलिखित प्रकार से है:-
- वित्तीय चुनौती-> किसी भी स्टार्टअप को स्थापित करने से पहले पूंजी की आवश्यकता होती है, जो की स्टार्टअप्स के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आती है।
- धैर्य की कमी-> इस प्रतिस्पर्धा से भरे अर्थव्यवस्था में धैर्य रखकर अपने प्रतियोगियों को टक्कर देते हुए स्थायी रूप से डटे रहना भी एक चुनौती है।
- नियामक बाधाएं-> व्यवसाय स्थापित करने से पहले ऐसी बहुत सारी सरकारी विभागों से अनुमतियों की मंजूरी लेना और कागजी कार्य कराना आज भी एक सबसे बड़ी चुनौती है।
- डिजिटल डिवाइड-> स्टार्टअप्स के क्षेत्र में डिजिटलाइज़शन एक सबसे बड़ी चुनौती है अधिकांश स्टार्टअप्स डिजिटल के क्षेत्र से ही सम्बंधित है, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग इन नए स्टार्टअप्स से अनजान रह जातें हैं।
- व्यवहार में परिवर्तन-> स्टार्टअप्स को उपभोगता के व्यवहार में परिवर्तन करना उन्हें नए तकनीकों से परिचित करवाना और उपभोगता की दिलचस्पी पूरी तरह से बनाये रखना एक बड़ी चुनौती है।
- भारतीय निवेशक जोखिम लेने को तैयार नहीं-> स्टार्टअप्स के साथ यह एक बड़ी चुनौती होती है की मालिक को उसकी योजना में निवेश करने के लिए अक्सर विदेशी निवेशक अपनी रूचि दिखातें हैं लेकिन वहीँ भारतीय निवेशक बहुत कम हैं जो नए स्टार्टअप्स के प्रति निवेश करके जोखिम नहीं लेना चाहतें।
निष्कर्ष। (Conclusion.)
भारत में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है जिसके साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित ‘सतत विकास लक्ष्य-आठवां‘ भी पूरा हो रहा है, जो की ‘अच्छा काम और आर्थिक विकास‘ के बारे में बात करता है। इसलिए, देश में स्टार्टअप्स को और बढ़ावा देने की जरुरत है और जो कमियां है उन्हें दूर करते हुए स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, जिससे भारतीय अर्तव्यवस्था अपने विस्तार की स्तिथि को और आगे बढ़ा सके।
- भारतीय जनसँख्या पूरी विश्व की सबसे बड़ी जनसँख्या है, इसलिए इसका फायदा उठाते हुए स्टार्टअप्स को अपने पैर भारतीय बाज़ारों पर जमा लेने चाहियें और शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों तक भी अपनी पहुँच बनानी चाहिए क्यूंकि भारत की आधी से अधिक आबादी आज भी गाँव में बस्ती है।
- स्टार्टअप्स अपने योजना के तहत भारतीय पूंजीपतियों को निवेश करने के लिए आकर्षित करें और निवेशकों को यह भरोसा दिला सकें की उन्हें किसी प्रकार का नुक्सान नहीं होगा और ऐसा करने से अपने देश का पैसा एवं लाभ अपने देश में ही रहेगा।
- स्टार्टअप्स अपनी अच्छी ब्रांडिंग और उपभोगता अधिग्रहण रणनीति का कार्यान्यवयन करे, जो उधम पूंजीपतियों को निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा।
- सरकार स्टार्टअप्स से सम्बंधित रणनीतियों और कागजी कार्रवाई की मंजूरियों को स्टार्टअप्स के अनुकूल बनाये, जिससे स्वामित्वों को स्टार्टअप्स स्थापित करने में परेशानियों का सामना ना करना पड़े।