शून्य भेदभाव दिवस 2024। (Zero Discrimination Day in Hindi.)

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“एक विश्व एक परिवार” की धारणा को आगे बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा पुरे विश्व से भेदभाव के सभी घिनौने आचरणों को समाप्त करने के लिए प्रति वर्ष 01 मार्च को “शून्य भेदभाव दिवस (Zero Discrimination Day)” के रूप में मनाया जाता है, जहाँ व्यक्ति की पहचान, भूमिका और पृष्ठ्भूमि की परवाह किये बिना सबकी समानता, सहिष्णुता और गरिमा को बढ़ावा देने का कार्य किया जाता है। यह दिवस विश्व से भेदभाव को पूर्ण रूप से खत्म करता है और व्यक्ति के भीतर समानता के भाव को प्रकट करने के लिए जागरूकता फैलाता है।

व्यक्तिगत स्तर पर समानता लोगों के मौलिक अधिकार से जुड़ा हुआ है क्यूंकि विश्व में धर्म, जाती, लिंग, समुदाय और रंग के आधार पर भेदभाव बड़े पैमाने पर देखा जाता है और इसलिए समानता को बढ़ावा देने के साथ भेदभाव को खत्म करना इस दिवस का मुख्य उदेश्य है।

shunya bhedbhaw diwas
Shunya Bhedbhaw Diwas

Shunya Bhedbhaw Diwas 2024 का थीम क्या है?

Shunya Bhedbhaw Diwas प्रति वर्ष एक विषय पर आधारित कार्य करता है, जहाँ इस बार 2024 में “हर किसी के स्वास्थ्य की रक्षा करना, सभी के अधिकारों की रक्षा करना (To protect everyone’s health, protect everyone’s rights)” विषय निर्धारित की गयी है, जो की 2030 तक एड्स को खत्म करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मानवाधिकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ संबंध बनाने पर जोर देती है, उसके साथ-साथ लोगों के अधिकारों के हनन पर उनकी रक्षा कर करने का आश्वासन भी देता है।

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शून्य भेदभाव दिवस का उदेश्य क्या है?

Shunya Bhedbhaw Diwas मुख्य उदेश्य समानता को बढ़ावा देना और लोगों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। वैश्विक स्तर पर समाज से इस भेदभाव की मानसिकता को पूरी तरह से खत्म करके एकता और समान दृष्टि वाले समाज का निर्माण करना, मानवाधिकारों की वकालत कर कलंक और रूढ़िवादिता का मुकाबला करना और कमजोर समूहों को सशक्त बनाना।

Shunya Bhedbhaw Diwas का महत्व।

शून्य भेदभाव दिवस की महत्ता समाज में समानता पर जोर देती है क्यूंकि समानता ही समाज में एकता को मजबूत करती है, इस दिन संयुक्त राष्ट्र के सदस्यता वाले देश अपने देश में विभिन्न प्रकार के समानता संवर्धन कार्यक्रमों का आयोजन करतें हैं, जो की भेदभाव के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता की लौ को और तेज करता है।

Shunya Bhedbhaw Diwas 2030 तक निर्धारित संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने पर भी जोर देता है, जो की समाज में भेदभाव से जुडी विभिन्न कुरीतियों को दूर करने पर अपना प्रयाश करता है।

Shunya Bhedbhaw Diwas मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो दावा करता है कि सभी व्यक्ति स्वतंत्र पैदा हुए हैं और गरिमा और अधिकारों में समान हैं।

कई हाशिए पर रहने वाले समुदायों को नस्ल, लिंग, यौन रुझान या सामाजिक आर्थिक स्थिति जैसे कारकों के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है। Shunya Bhedbhaw Diwas इन समुदायों को उनके अधिकारों की वकालत करके और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देकर सशक्त बनाने का प्रयास करता है।

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शून्य भेदभाव दिवस का इतिहास।

शून्य भेदभाव दिवस को विश्व एड्स दिवस से प्रेरित होकर 2013 में संयुक्त राष्ट्र एड्स कार्यक्रम द्वारा बनाया गया, जिसकी अवधारणा सबसे पहले यूएनएड्स के डायेरक्टर मिशेल सिदीबे द्वारा दिया गया था क्यूंकि एड्स से ग्रसित लोगों के साथ बहुत भेदभाव किया जाता था और इसी अनुचित व्यवहार को खत्म करने के लिए इस दिवस का आयोजन किया गया और इसके माध्यम से रंग, धर्म, जाति, लिंग और समुदाय के कारण हो रहे भेदभाव को भी इसी में शामिल कर लिया गया और सबसे पहले Shunya Bhedbhaw Diwas 01 मार्च, 2014 को मनाया गया। 

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