इस पृथ्वी पर महिला, ईश्वर की रचना की गयी एक चमत्कार है, जिसे बच्चे को जन्म देने का वरदान प्राप्त है, इसलिए हमारे देश में महिलाओं को ‘मातृशक्ति’ के रूप में वर्णित किया जाता है, लेकिन आज भी हमारे देश में एक बच्चे के जन्म के दौरान कितनी माताओं की मृत्यु हो जाती है और गर्भावस्था और गर्भावस्था के बाद भी उन्हें उचित देखभाल और पोषक तत्व ढंग से प्राप्त नहीं हो पता। इसलिए, मातृ स्वास्थ्य के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने और बच्चे के प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रति वर्ष 11 अप्रैल को “राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (National Safe Motherhood Day)” के रूप में मनाया जाता है।
Rashtriya Surakshit Maatritva Diwas सभी महिलाओं के लिए सुरक्षित प्रसव अनुभव सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है, साथ ही मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा में सुलभ स्वास्थ्य देखभाल की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।
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Rashtriya Surakshit Maatritva Diwas 2024 का थीम।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस प्रति वर्ष एक विषय पर आधारित कार्य करता है, जहाँ इस बार 2024 में “थीम की मंत्रालय द्वारा घोषणा की जानी बाकी है” निर्धारित की गयी है, जो की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलता है।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का उदेश्य क्या है?
Rashtriya Surakshit Maatritva Diwas का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रसव अथवा प्रसव के बाद होने वाली जटिलताओं से मृत्यु दर को कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना और साथ ही स्तनपान कराने वाली महिलाओं के प्रति भी विशेष ध्यान रखना।
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Rashtriya Surakshit Maatritva Diwas का महत्व।
- राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को दुनिया में विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में माताओं के लिए मुफ्त शिविर कार्यक्रम का आयोजन करके किया जाता है साथ ही सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को बेहतर मातृत्व स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करके, हम न केवल मातृ मृत्यु को रोकते हैं, बल्कि बीमारी और गरीबी का बोझ भी कम करते हैं, लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हैं और भावी पीढ़ियों की संभावनाओं को बढ़ाते हैं, जो की अप्रत्यक्ष तौर पर सतत विकास लक्ष्य को पूरा करने में मदद करता है।
- यह दिवस बालिका विवाह को कम करने के प्रति भी जागरूकता फैलाती है, जो की मातृत्व मृत्यु दर का मुख्य कारण है।
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास।
Rashtriya Surakshit Maatritva Diwas की अवधारणा की शुरुवात सन 1991 में व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (WRAI) ने मातृत्व स्वास्थ्य सेवा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और माताओं एवं बच्चों के कल्याण के लिए वकालत करने की एक पहल को बढ़ावा दिया था। 11 अप्रैल, 2003 में भारत सरकार ने इसे महात्मा गाँधी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी, जो की महिला सशक्तिकरण की प्रमुख थी उनकी जयंती से जोड़ कर इसे आधिकारिक तौर पर Rashtriya Surakshit Maatritva Diwas के रूप में घोसित किया। तब से यह दिवस गर्भवती और स्तनपान महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए कार्य करती है।