शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस। (World Science Day for Peace and Development in Hindi.)

visw vigyan diwas

विज्ञान की महत्ता को पुरे विश्व में उजागर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा “शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस (Visw Vigyan Diwas)” प्रति वर्ष 10 नवंबर को मनाया जाता है, पुरे विश्व में विज्ञान शांति स्थापित करने में किस प्रकार से अपना योगदान दे रहा है और साथ ही विकास के क्षेत्र में विज्ञान की भूमिका के बारे में लोगों को जागरूक करना और उससे जुडी जानकारियाँ प्रदान करना इस दिवस का महत्वपूर्ण उदेश्य है।

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस। (National Cancer Awareness Day in Hindi.)

rashtriya cancer jaagrukta diwas

कैंसर की बीमारी पुरे विश्व में मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन चूका है, जो की निजी स्तर पर हमारे राष्ट्र पर भी गंभीर असर डाल रहा है, भारत पुरे विश्व में कैंसर से सम्बंधित मामलों में शीर्ष पर आता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार भारत में कैंसर सम्बंधित मामलों की संख्या 2022 में 14.6 लाख से बढ़ कर 2025 में 15.7 लाख हो जाएगी और इन्ही बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने प्रति वर्ष 7 नवंबर को “राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day)” मनाने का निश्चय किया, जिसका उदेश्य देश में जागरूकता, रोकथाम और कैंसर का शीघ्र पता लगाकर उसका इलाज करना है, जिससे कैंसर से सम्बंधित मृत्यु दर को कम किया जा सके।

युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में पर्यावरण के शोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस। (International Day to Prevent Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict in Hindi.)

Yudh aur Shasastra sangharsh mein Paryavaran ke shoshan ko rokne ke liye antarashtriya diwas

21 वीं सदी की इस दौर में पुरे विश्व में आयेदिन कहीं-न-कहीं युद्ध, सशस्त्र संघर्ष और विभिन्न प्रकार के विनाशकारी हमले देखने को मिलते रहतें हैं, जो की मानव सभ्यता को हानि पहुँचाने के साथ-साथ पर्यावरण (जल और जंगल), जिव-जंतु को भी बुरी तरीके से प्रभावित करता है।

विश्व सुनामी जागरूकता दिवस। (World Tsunami Awareness Day in Hindi.)

visw sunami jaagrukta divas

सुनामी एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो की हमेशा देखने को नहीं मिलती है लेकिन जब यह प्राकृतिक आपदा आती है तब अत्यंत ही विनाशकारी रूप लेकर आती है। इसलिए, सुनामी से बचने और इससे निपटने के लिए पहले से ही सभी निवारक उपायों की जानकारी प्रदान करना साथ ही सुनामी के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रति वर्ष 5 नवंबर को “विश्व सुनामी जागरूकता दिवस (World Tsunami Awareness Day)” के रूप में मनाता है।

विश्व शाकाहार दिवस। (World Vegan Day in Hindi.)

visw sakahaar divas

“Visw Sakahaar Divas (World Vegan Day)” हम सबको शाकाहारी बनना सिखाता है, यह लोगों को शाकाहार जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है और साथ ही शाकाहार के प्रति जागरूकता फैलाता है। यह दिवस प्रति वर्ष 1 नवंबर को शाकाहार को अपनाने के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए मनाया जाता है, यह दिवस आमतौर पर पशुओं के उत्पादों के उपयोग से दूर रहना और जानवरों के प्रति होने वाले शोषण के लिए समर्पित है। 31 अक्टूबर को मनाया जाने वाला हेलोवीन के एक दिन बाद पशुओं पर होने वाले शोषण और उनपे लगी पाबंदी के साथ ही अन्य प्रजाति और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए प्यार को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।

स्वयं सहायता समूह। (Self Help Groups in Hindi.)

bharat mein swayam sahayata samuh

भारत में स्वयं सहायता समूह का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इसकी सकारात्मकता देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपना प्रभाव स्थापित कर रही है। ‘स्वयं सहायता समूह (Swayam Sahayata Samuh)’ समाज की एक ऐसी व्यवस्था बनती जा रही है, जो की बैंकिंग व्यवस्था के बाद गिनी जाएगी, जिसका समर्थन सरकार के द्वारा भी किया जा रहा है, यह ख़ास तौर पर महिलाओं को सशक्त, गरीबी को कम करने और स्व-रोज़गार को प्रोत्साहित करने के लिए स्वयं सहायता के विचार पर भरोसा करती हैं।

भारत में लैंगिक असमानता। (Gender Inequality in India in Hindi.)

bharat mein laingik asamanta

लैंगिक असमानता स्त्री-पुरुष के मध्य एक ऐसी परम्परावादी नाकारात्मक सोच है, जिसका अंश आज भी समाज के कई हिस्सों में देखने को मिलता है। ईश्वर ने स्त्री-पुरुष की रचना करते वक़्त किसी भी प्रकार का अंतर चिन्हित नहीं किया केवल लिंग को पारस्परिक तरीके से अलग बनाया, जिससे पृथ्वी पर जीवन आगे बढ़ सके, लेकिन सामाजिक लोगों ने केवल लैंगिक अंतर को विभिन्न प्रकार की धारणाओं से जोड़कर स्त्री और पुरुष के मध्य एक बहुत बड़ी असमानता की दिवार खड़ी कर दी। हालाँकि, भारत भी इस परम्परावादी सोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण था लेकिन अब “भारत में लैंगिक असमानता (Bharat mein Laingik Asamanta)” का प्रचलन धीरे-धीरे कम हो रहा है फिर भी इसका अंश आज भी समाज के लोगों के दिमागों में बैठा है, जिसे दूर करना चुनौती भरा कार्य है।

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में इसरो की भूमिका। (Role of ISRO in Indian Space Programme in Hindi.)

bhartiya antariksh karyakram ISRO

अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने कल्पनाओं और सपनों को साकार करते हुए आज हमारा भारत पूरी दुनिया में एक अलग ही दृष्टि से अवलोकित किया जाता है, अंतरिक्ष अनुसंधान और कार्यक्रम में भारत ने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है, जो की हमारे भारत को श्रेष्ठ कोटि की अंतरिक्ष तकनीक वाले विकसित देशों की श्रेणी के कतार में खड़ा करता है और इन उपलब्धियों को हासिल करने का श्रेय हमारे देश का गौरव “भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (ISRO)” के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और लगन को समर्पित है। ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में इसरो की भूमिका (Role of ISRO in Indian Space Programme)’ सराहनीय है क्यूंकि एक ऐसा देश जिसे दूसरे देशों ने कई बार लूटा है और आज़ादी के बाद जिसके पास ढंग से खाने तक के पैसे नहीं थे वह देश अंतरिक्ष और चाँद में जाने के बारे में क्या सोचेगा?

कृत्रिम बुद्धिमता मानव सभ्यता के लिए वरदान या अभिशाप। (Artificial Intelligence a Boon or a Curse for Human Civilization in Hindi.)

kritrim buddhimata

Kritrim Buddhimata एक ऐसा आविष्कार है, जो की प्रौधौगिकी की परिभाषा को पूर्ण करता है क्यूंकि मानव ने स्वयं अपने जैसी रचना रोबोट्स के रूप में कृत्रिम बुद्धिमता के जरिये कर दी है। कृत्रिम बुद्धिमता मानव के परिकल्पना से कई गुना आगे है और यह भविष्य में एक अलग दुनिया की स्थापना करने वाला है, जहाँ मानव और मशीन के बिच एक सम्बन्ध स्थापित हो जायेगा क्यूंकि मानव इस हद तक कृत्रिम बुद्धिमता पर अपनी निर्भरता बना चूका है और आने वाले समय में यह निर्भरता इतनी बढ़ चुकी होगी की बिना कृत्रिम बुद्धि के मानव जीवन असंभव सा प्रतीत होगा। भविष्य में सामाजिक जीवन पर कृत्रिम बुद्धिमता का महत्व इतना अधिक बढ़ जायेगा की कहीं-न-कहीं मानव के लिए यह उपयोगी के साथ-साथ खतरा भी बन जायेगा, जो की प्राकृतिक रूप से भी मानव सभ्यता के प्रतिकूल होगा।

भारत में काला जादू का प्रचलन। (Prevalence of Black Magic in India in Hindi.)

bharat mein kala jaadu

भारतीय समाज की सभ्यता और संस्कृति लोगों की मान्यताओं पर निर्भर करती है, जिसके कारण हमारी पौराणिक परम्पराएँ आज भी समाज में देखि जा सकती है जिसकी जड़ें हमसे जुडी हैं। लेकिन, आधुनिकता एवं पश्चिमी सभ्यताओं ने हमारे भारत की संस्कृतियों के प्रति मान्यताओं को कम किया है परन्तु आज के इस आधुनिक युग और कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) के दौर में भी “भारत में काला जादू का प्रचलन (Bharat mein Kala Jaadu ka Prachalan)” तेजी से बढ़ रहा है, आधुनिकता और पश्चिमी सभ्यता इसे कम करने में असमर्थ है क्यूंकि जब हमारी मान्यताएँ अंधविश्वास में तब्दील हो जाती है तब ये काले जादू का प्रकोप देखने को मिलता है।