CAA Notification जारी: पुरे देश में लागू हुआ नागरिकता संसोधन कानून (CAA), भारत सरकार ने जारी किया आधिकारिक CAA नोटिफिकेशन।

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नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act), 2019 को केंद्र सरकार द्वारा 11 मार्च के शाम को संसद से पुरे देश में आधिकारिक तौर पर लागू कर दिया है। हालाँकि, CAA को पारित किये 5 साल हो चुके थे लेकिन आगामी चुनाव से पहले सरकार ने यह बहुत बड़ा फैसला लिया है, जो की भारत के तीन पडोसी देश ‘पकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान’ से अल्पसंख्यकों को भारत में आने के लिए नागरिकता प्रदान करेगा। यह नागरिकता कानून मुसलमानों पर लागू नहीं होगा क्यूंकि इन देशों में मुसलामानों की बहुसंख्यक आबादी है।

CAA
Citizenship Amendment Act (CAA)

Citizenship Amendment Act (CAA) कानून क्या है?

Citizenship Amendment act (CAA), भारतीय नागरिकता कानून, 1955 को संसोधित करके बनाया गया कानून है, जो की भारत के तीन पड़ोसी देश पकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से गैर-मुसलामानों हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध धर्म वाले अल्पसंख्यक लोगों को भारतीय नागरिकता का प्रावधान प्रदान करेगी।

CAA का मुख्य उदेश्य इन तीन देशों में धार्मिक उत्पीड़न से परेशान अल्पसंख्यक, जो भी 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं या शरणागति के तौर पर हैं, उन्हें अवैध प्रवासन से बचाने के लिए और उनकी भारतीय नागरिकता की स्वीकृति प्रदान करने के लिए यह नागरिकता कानून जिम्मेदार होगा।

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Citizenship Amendment Act (CAA), 2019 कानून के तहत नागरिकता कैसे प्राप्त होगी?

Citizenship Amendment Act (CAA) से सम्बंधित भारत सरकार ने वेब पोर्टल तैयार किया है, जिसपर तीनों देशों के अल्पसंख्यकों को अपना पंजीकरण करना अनिवार्य होगा और आवेदन के बाद उनकी सरकारी जांच की जाएगी और उसके पश्चात उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी, इसके अलावा अल्पसंख्यक प्रवासियों को किसी भी प्रकार के दस्तावेज को प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।

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नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को कब पारित किया गया था?

सीएए को भारत में 11 दिसंबर, 2019 को प्रस्तुत किया गया था, जो की सर्वसम्मति से संसद में पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने भी अपनी मंजूरी दे दी थी, लेकिन इस नागरिकता संसोधन अधिनियम कानून के पारित होने के बाद देश भर में हिंसा और इस कानून के विरुद्ध प्रदर्शन होने लगे जिसके कारण इसे उस वक़्त लागू नहीं किया गया।

अंततः इसे अब 2024 में चुनाव से पहले पूरी तरह से लागू कर दिया गया है, जिसे चुनावी मुद्दा का हिस्सा बताया जा रहा है, लेकिन यह उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है।

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