इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले सभी मानवों के अधिकार भी उसके साथ इस पृथ्वी पर आ जाती है अंतर बस इतना होता है की बहुत लोगों को उनके अधिकारों के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं होता है, जो की किसी भी मानव को आगे बढ़ने के लिए बाधित कर सकती है। मानव के अधिकारों को स्मरण करवाने और उनकी गरिमा, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर उन्हें जानकारी देने की मनसा से प्रति वर्ष 10 दिसंबर को “मानव अधिकार दिवस (Human Rights Day)” के रूप में मनाया जाता है।
Maanav Adhikaar Diwas का मुख्य उद्देश्य मानव के समानता, न्याय, स्वतंत्रता, गरिमा और शांति को बढ़ावा प्रदान करना साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को जाती, लिंग, समुदाय, रंग, भाषा इन सभी से ऊपर उठकर मानव अधिकार का हकदार बनाना।
Maanav Adhikaar Diwas प्रति वर्ष एक विषय पर आधारित कार्य करती है, जहाँ इस बार 2023 का विषय “मानवाधिकार संस्कृति को भविष्य में समेकित और कायम रखना (Consolidating and sustaining the human rights culture in the future)” है, जिसका मतलब वैश्विक स्तर पर मानव अधिकारों के संस्कृति को कायम रखने के लिए समेकित प्रयाश करना।
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मानव अधिकार दिवस का महत्व।
- हर किसी को अपने अधिकार को जानने और जरुरत पड़ने पर उसका उपयोग करने का पूरा हक़ है क्यूंकि अधिकार हमे स्वतंत्र होकर जीने, अपनी भावनाओं को व्यक्त करने, प्रतिक्रिया की अभिव्यक्ति और एक गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करता है।
- मानव अधिकार लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक सभी क्षेत्रों में सशक्त बनाने के साथ उन्हें अपने देश के नागरिक होने की महत्ता बताता है।
- Maanav Adhikaar Diwas लोगों को उनके अधिकारों और उनकी जिम्मेदारियों की जानकारी प्रदान कर उन्हें शिक्षित और जागरूक बनाता है साथ ही यह समानता, न्याय और कानून के शासन जैसे विषयों पर चर्चा को प्रोत्साहित करता है।
- यह दिवस मानव अधिकारों के उल्लंघन को सम्बोधित करता है साथ ही सामाजिक न्याय की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। यह व्यक्ति, सरकार और संगठनों को मानव अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए प्रेरित करता है।
- यह दिवस मानव अधिकारों के उल्लंघन होने पर सरकार और संगठनों को जवाबदेह बनाता है और अधिकारों का हनन होने पर उसकी वकालत भी करता है। यह न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता को प्रोत्साहित करता है।
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मानव अधिकार दिवस का इतिहास।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 10 दिसंबर, 1948 को मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोसणा को आधिकारिक रूप में अपनाया, जिसमे नागरिक वास्तविक रूप से सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक और सांस्कृतिक इन सब के स्वाभाविक हकदार होंगे।
इसी दिन को यादगार बनाने के लिए 10 दिसंबर को Maanav Adhikaar Diwas के रूप में स्थापित किया गया, जिसे अब प्रतिवर्ष मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए मनाया जाता है।