भारत में जीवनशैली रोग। (Lifestyle Diseases in India.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, आज के समय समाज में लोगों की ज़िन्दगी इतनी व्यस्त हो गयी है की उनके पास खुद के लिए भी समय नहीं है, जिसके कारण समाज में ख़ास कर किशोरों और नवजवानों में ‘जीवनशैली रोग (Lifestyle Diseases)’ आमतौर पर देखने को मिलती है। “भारत में जीवनशैली रोग (Lifestyle Diseases in India)” इस तरह से प्रचलित हो चूका है की इंसान भी इसे अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा समझने लगा है।

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Lifestyle Diseases

जीवनशैली रोग समाज में लोगों के द्वारा स्वयं अपनाया गया है क्यूंकि इंसानो की आदत समाज में इतनी गन्दी हो चुकी है की वह अपने दिनचर्या में से थोड़ा समय भी अपने शरीर के लिए नहीं निकाल पाता है या फिर बहुत से लोग सुखमय और आरामदायक जीवन जीना और बाहर का फ़ास्ट फ़ूड खाना पसंद करतें हैं, जो केवल स्वादिष्ट होता है लेकिन शरीर के लिए नुकसानदेह होता है।

आज-कल के अधिकतर किशोर और नवजवान मेहनत करना और अपने शरीर से पसीना निकालना नहीं चाहतें हैं, उनकी आदत ऐसी बन गयी है की वह बिना वाहन के पैदल चल कर नहीं जा सकते हैं।

*जीवनशैली रोग क्या है?

जीवनशैली रोग (Lifestyle Diseases) को गैर संचार रोग भी कहतें हैं और यह ऐसा शारीरिक रोग होता है जो लोगों के दैनिक जीवन जीने के तरीकों से उत्पन्न होता है क्यूंकि जिस व्यक्ति के जीवन में शारीरिक गतिविधि, व्यायाम और पोषण सम्बन्धी संतुलित आहार है वह स्वस्थ है और जिस व्यक्ति के जीवन में यह सब नहीं है वह अस्वस्थ है।

शारीरिक गतिविधि, व्यायाम और पोषण सम्बन्धी इन सब के अभाव से मनुष्य को अनेकों प्रकार के जीवनशैली रोग हो सकतें हैं, जैसे ह्रदय रोग, स्ट्रोक, मोटापा, मधुमेह, फेफड़ों का कैंसर, किडनी विफलता, उच्च रक्तचाप, चिड़चिड़ापन, अवसाद, मानसिक स्वास्थ्य रोग‘, ऐसी बीमारियों का होना कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं होती है, यह व्यक्ति के शरीर पर धीरे-धीरे अपना प्रभाव डालती है, जो की लम्बे समय से अपने स्वास्थ्य की देखभाल को अनदेखा करने के कारण होती है।

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा यह बताया गया है की भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या पुरे विश्व में सबसे अधिक 50.8 मिलियन है और यह आँकड़ा 2025 तक बढ़ कर 73. 5 मिलियन हो जायेगा। भारत में 25 मिलियन लोग ह्रदय रोगों से पीड़ित हैं, जो वैश्विक आकड़ों का 60% है।

राष्ट्रिय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS)’ रिपोर्ट के अनुसार भारत में एनीमिया (खून की कमी) के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 58% से 67%, महिलाओं में 53% से 57% और पुरुषों में 22% से 25% तक बढ़ गया है।

इसके अतिरिक्त अधिक वजन वाले बच्चें, महिलाओं और पुरुषों में भी वृद्धि देखने को मिली है और बताया गया है की महिलाओं की अनुपात पुरुषों से ज्यादा है क्यूंकि महिलाएं पुरुष की तुलना में बाहर के कामो में कम संलिप्त पायीं जातीं हैं।

*जीवनशैली रोग के कारण।

भारत पुरे विश्व में सबसे अधिक जनसँख्या वाला दूसरा देश है, जहाँ अनेकों प्रकार की बीमारियां हैं लेकिन उनमे से ही कुछ बीमारियां ऐसी है जिसे मनुष्य ने अपने दैनिक आदतों के जरिये उस बिमारी को अपने शरीर में पनपने दिया और यह जीवनशैली रोग अब लगभग हर देश में मौत का एक प्रमुख कारण बन चूका है और ऐसा होने के पीछे भी अनेको कारण हैं:-

क) ख़राब आहार और पोषण-> समाज में सभी खाने-पिने की चीजों में मिलावट की जाने लगी है, इसकी कोई गारण्टी नहीं है की आप जो खा रहें हैं वह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

व्यक्ति आज इतना व्यस्त हो गया है की वह अपने खाने पर भी ध्यान नहीं दे पाता है, जिसके परिणाम में वह बाहर का फ़ास्ट फ़ूड खा लेता है और आज के बच्चों, किशोरों और युवाओं को भी बाहर का खाना अत्यधिक पसंद है और अधिकतर माता-पिता भी अपने बच्चों को छोटे उम्र से ही बाहर के पैकेट्स वाले फ़ूड खिलाना शुरू कर देतें हैं, जिसका बुरा प्रभाव भविष्य में उनके शरीर के विकास पर होता है।

ख) शारीरिक गतिविधि का अभाव-> शारीरिक गतिविधियों में अभाव के कारण युवाओं और लोगों के शरीरों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां, जैसे ह्रदय रोग, कैंसर, मोटापा, जोड़ो में दर्द यह सब देखने को मिलता है। अनेकों लोग समाज में शारीरिक गतिविधियां और व्यायाम करना पसंद ही नहीं करते हैं।

आज के समाज में माता-पिता भी अपने बच्चों को किशोरावस्ता से ही वाहन प्रदान कर देतें हैं, जिसके कारण उसे शारीरिक गतिविधि करने की आदत नहीं होती है।

ग) नींद की कमी और लम्बे समय तक बैठे रहना-> इसके कारण भी हमारा शरीर सुस्त होने लगता है, जिसके आदत से हम हमेशा कमजोर महसूस करतें हैं, अवसाद के लक्षण भी देखने को मिलते हैं, मोटापा, ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप का खतरा भी होता है।

आजकल बच्चे और नवजवान पढाई और काम के दबाव के चलते ऐसा करते नज़र आतें हैं, जिससे उन्हें पता ही नहीं चलता है उनका सोना और बैठना दोनों अनियमित हो चुकें हैं।

घ) विषाक्त पदार्थों का सेवन-> नशीले पदार्थों गुटखा, पान मसाला, सिगरेट का सेवन समाज में बहुत तेजी से बढ़ रहा है, नौजवानों के साथ-साथ बच्चे और किशोर भी इसे अपनाने और इसका सेवन करने लगे हैं, जो की जीवनशैली रोग में बहुत बड़ा योगदान देतें हैं, जैसे उम्र की सिमा कम करना, पाचन समस्याएँ, पेट की बिमारी, मानसिक समस्या, कैंसर और मृत्यु भी होने का खतरा रहता है।

ङ्ग) आधुनिक जीवनशैली और समाज-> आधुनिकता वाली आज के समाज ने लोगों के रहने-खाने की जीवनशैली को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है जिसके परिणाम स्वरुप लोग बस शान-शौकत और आरामदायक जीवन जीना पसंद करतें हैं। इसलिए आज मनुष्य का शरीर किसी भी प्रकार का कष्ट सहन करने में असक्षम है।

मनुष्य को ग्रीष्म काल में एयर कंडीशन चाहिए, शीत काल में हीटर और गीजर चाहिए, सीढ़ियों के जगह एलीवेटर और लिफ्ट चाहिए, कपड़े मशीन से धुलने चाहिए, इन सभी आदतों की वजह से मनुष्य दिन-प्रतिदिन अपने शरीर को कमजोर बनाता जा रहा है।

च) मशीनीकरण और विकास-> देश में मशीनीकरण और विकास भी कहीं न कहीं जीवनशैली रोग का एक कारण है क्यूंकि मशीनीकरण मानव कार्य बल को कम करता है और विकास औधोगिकीकरण को बढ़ावा देता है, हालाँकि यह दोनों देश के बढ़ते अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरुरी है लेकिन इसके नुक्सान का विकल्प भी मानव को ही सोचना पड़ेगा।

मशीनीकरण और विकास लोगों के काम को आसान करते जा रहें हैं फिर चाहे वह कोई भी काम हो लेकिन मनुष्य को भी यह ध्यान रखना चाहिए की जो काम शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और जिसमे कुछ शारीरिक गतिविधियों का उपयोग हो रहा है उसे स्वयं करना चाहिए।

छ) पर्यावरणीय कारक-> पर्यावरण मनुष्य के जीवनशैली रोग में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है क्यूंकि जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण में हो रहे बदलाव का मूल कारण है, जिसमे वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ग्लोबल वार्मिंग, मिटटी की उर्वरक क्षमता यह सब दूषित हो गयी है, जिसका सीधा प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर हो रहा है।

*जीवनशैली रोग के रोकथाम और नियंत्रण करने के सुझाव।

जीवनशैली रोग आज हमारे देश में और पुरे विश्व में एक अहम् मुद्दा है, जिससे पुरे विश्व में सबसे अधिक लोग पीड़ित हैं और सबसे अधिक जानें भी इन्ही बीमारियों से होती है, अगर मनुष्य चाहे तो इन रोगों से बच सकता है लेकिन इसके लिए मनुष्य को अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में बदलाव करने पड़ेंगे, जैसे:-

क) व्यायाम और योग-> मनुष्य को अपने जीवन में व्यायाम या योग करने की आदत बनानी पड़ेगी, जिससे उनका शरीर हमेशा शक्रिय रहे और दिमाग भी शांत रहे, जिससे उनकी सोचने और समझने की क्षमता भी बढ़ेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह बताया गया है की मनुष्य को पुरे दिन में कम से कम 30 मिनट व्यायाम करना चाहिए या फिर पुरे सप्ताह में 150 मिनट का व्यायाम मनुष्य के नए जीवनशैली की शुरुवात कर सकता है।

इस आदत से मनुष्य हमेशा शरीर से स्वस्थ रहेगा और उसके सहनशक्ति में भी वृद्धि होगी। जैसे हमारे देश के भारतीय सेना वह हमेशा स्वस्थ ही रहतें हैं, जिसका बस एक ही कारण है प्रतिदिन निरंतर शारीरिक गतिविधियां करना।

ख) पौष्टिक भोजन का सेवन बढ़ाएं-> यह ऐसी आदत है जो एक माता-पिता को अपने बच्चों में शुरुवात से डालनी होती है, लेकिन आज के माता-पिता बच्चों को सबसे ज्यादा पैकेट फूड्स और चॉकलेट्स की आदत डलवाते हैं, जिससे भविष्य में बच्चे का पाचन तंत्र (Immune System) कमजोर हो जाता है।

इसलिए, माता-पिता अपने बच्चे को कम से कम जन्म के 6 महीने तक माँ का गाढ़ा पीला दूध ही पिलायें, जिससे बच्चे के शरीर का विकास अच्छा होता है, उसके बाद भी माता-पिता अपने बच्चे को पौष्टिक आहार का ही सेवन करवायें।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार बच्चों और किशोरों में स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से कम ऊंचाई), वेस्टिंग (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन), और अंडरवेट (उम्र के हिसाब से कम वजन) के मामले, कुपोषण के संकेत हैं, जो बच्चों में प्रचलित है।

ग) फ़ास्ट फ़ूड और तैलिये खाद्य पदार्थों के सेवन पर नियंत्रण-> आज समाज में फ़ास्ट फ़ूड और तैलिये खाद्य पदार्थों के सेवन का प्रचलन सभी लोगों में देखने को मिल रहा है लेकिन अंतर बस इतना है की कुछ लोगों ने इसे अपनी आदत बना ली है और कुछ लोग नियंत्रित तरीके से खातें हैं।

हालाँकि, चाइनीज फ़ास्ट फूड्स, समुद्री भोजन, मांस यह सब का अधिक मात्रा में सेवन शरीर के लिए हानिकारक होता है, इसलिए, मनुष्य फ़ास्ट फ़ूड और तैलिये खाद्य पदार्थ का सेवन अगर संतुलित तरीके से करता है या कम करता है तो वह जीवनशैली रोग से बच सकता है।

घ) नशीलें पदार्थों के सेवन पर नियंत्रण-> नशीले पदार्थों के सेवन का बढ़ता प्रचलन देश में चिंता का विषय है और साथ ही साथ यह अन्य जीवनशैली रोग को भी उत्पन्न करता है, जैसे ‘ह्रदय रोग, पेट की बिमारी, अवसाद, सांस की तकलीफ, कैंसर’ लेकिन अगर मनुष्य अपने धूम्रपान, शराब की सेवन और अन्य नशीली चीजों पर काबू कर उसका नियंत्रित और संतुलित प्रकार से कम सेवन करेगा तो वह इन बीमारियों से  तक बच सकता है नहीं तो भविष्य में मनुष्य को इसका खामयाजा भुगतना पड़ता है।

हालाँकि, बहुत कम मनुष्य ही ऐसे होतें हैं, जो नशे की आदत को छोड़तें हैं लेकिन कम से कम मनुष्य अपनी आदत में बदलाव करके इसे कम तो कर ही सकता है।

ङ्ग) घर से जुड़ें काम खुद करने की कोशिश करें-> मनुष्य अपनी दैनिक आदतों में भी छोटे-छोटे बदलाव करके भी इन जीवनशैली रोग से दूर रह सकता है, जैसे मनुष्य को अपने घर के कामों को स्वयं करने चाहिए फिर चाहे वह ‘बागीचे में बागबानी हो, साइकिलिंग करके कहीं से कुछ सामान लाना हो, घर की सफाई करनी हो, रसोईं में खाना बनाना हो, पैदल चलना हो’ यह सब छोटे बदलाव भी मनुष्य के शरीर में लाभदायक बदलाव करतें हैं।

च) पर्यावरण कारकों के सम्बन्ध में निवारक उपायों का पालन करें-> जैसा की हम सभी जानते हैं की ‘जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण’, यह सब पर्यावरणीय कारक हैं जो हमारे शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालतें हैं जिसका हमे पता नहीं चलता लेकिन यह कहीं न कहीं जीवनशैली रोग को बढ़ावा देती है, तो हमे भी समय के अनुरूप बदलाव करना आवश्यक है, जैसे प्रदुषण से बचने के लिए हमेशा मास्क का उपयोग करें, वातावरण को संतुलित करने के लिए वृक्षारोपण करें, बाहर से आने के बाद अपने हाथ-पाँव को अच्छे से साफ़ करें और अपने साथ-साथ बच्चों के साफ़-सफाई पर भी विशेष ध्यान रखें।

अगर मनुष्य अपने दैनिक जीवन में इन सभी बातों का ध्यान रखकर उन्हें गंभीरता पूर्वक अपनी ज़िन्दगी में अपनाता है, तो मनुष्य का शरीर इन जीवनशैली रोग के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी लड़ने में सक्षम हो जायेगा।

इन सभी बातों के अनुसार अगर मनुष्य अपनी जीवनशैली में बदलाव लाता है, तो वह अपनी उम्र की सिमा को भी बढ़ा सकता है और वह एक रोग मुक्त जीवन का अनुभव कर सकता है।

इन बातों को अपने जीवन में अपनाने के लिए मनुष्य को एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखना पड़ेगा की उसे ‘निरंतर अनुशासित जीवनशैली’ जीना पड़ेगा।

*निष्कर्ष।

इन सभी बातों का निष्कर्ष यही निकलता है की यदि मनुष्य अपने जीवनशैली को एक संतुलित तरीके से नहीं जियेगा तो उसे भविष्य में इन जीवनशैली रोग का सामना करना पड़ेगा और आने वाले समय में समाज में इससे भी खतरनाक बीमारियों का विस्तार होता दिखेगा और भारत में इसका विस्तार और तेजी से होगा क्यूंकि बताया जाता है, भारत आने वाले समय में (2027) विश्व की सबसे अधिक जनसँख्या वाला प्रथम देश बन जायेगा।

इसलिए, आज देश में समय की यही मांग है की हम सब मिल कर और सरकार भी इस जीवनशैली रोग के प्रति जागरूकता फैलाए क्यूंकि जागरूकता से ही लोग समझेंगे और सीखेंगे भी।

दोस्तों, एक किताब है “लाइफस्टाइल डिजीज: बॉडी बर्डन (Lifestyle Disease: Body Burden)” जिसे पढ़ कर आप और अच्छे से समझ पाएंगे की किस तरह से यह जीवनशैली बीमारियां हमारे जीवन को बर्बाद कर रही हैं।

दोस्तों, आप समाज में इस जीवनशैली बीमारियां के बढ़ते मामले के बारे में क्या सोचतें हैं निचे कमेंट करके जरूर बताएं क्यूंकि आप भी समाज का ही एक हिस्सा हैं।

दोस्तों, अगर आप समाज और देश से जुड़े ऐसे और आर्टिकल्स पढ़ना चाहतें हैं तो यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकतें हैं।


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1 thought on “भारत में जीवनशैली रोग। (Lifestyle Diseases in India.)”

  1. Lifestyle disease is really a serious problem which is going to increase in the nearby future
    Very nicely explained along with the proper suggestion and prevention for the control of the disease is remarkable.

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