कृत्रिम बुद्धिमता मानव सभ्यता के लिए वरदान या अभिशाप। (Artificial Intelligence a Boon or a Curse for Human Civilization in Hindi.)

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Kritrim Buddhimata एक ऐसा आविष्कार है, जो की प्रौधौगिकी की परिभाषा को पूर्ण करता है क्यूंकि मानव ने स्वयं अपने जैसी रचना रोबोट्स के रूप में कृत्रिम बुद्धिमता के जरिये कर दी है। कृत्रिम बुद्धिमता मानव के परिकल्पना से कई गुना आगे है और यह भविष्य में एक अलग दुनिया की स्थापना करने वाला है, जहाँ मानव और मशीन के बिच एक सम्बन्ध स्थापित हो जायेगा क्यूंकि मानव इस हद तक कृत्रिम बुद्धिमता पर अपनी निर्भरता बना चूका है और आने वाले समय में यह निर्भरता इतनी बढ़ चुकी होगी की बिना कृत्रिम बुद्धि के मानव जीवन असंभव सा प्रतीत होगा। भविष्य में सामाजिक जीवन पर कृत्रिम बुद्धिमता का महत्व इतना अधिक बढ़ जायेगा की कहीं-न-कहीं मानव के लिए यह उपयोगी के साथ-साथ खतरा भी बन जायेगा, जो की प्राकृतिक रूप से भी मानव सभ्यता के प्रतिकूल होगा। इसलिए, आज हम चर्चा करेंगे की क्या “कृत्रिम बुद्धिमता मानव सभ्यता के लिए वरदान या अभिशाप (Kritrim Buddhimata Manav Sabhyata ke liye Vardaan ya Abhishap) ” है।  

kritrim buddhimata
Kritrim Buddhimata Vardaan ya Abhishap

यद्यपि, संतुलित प्रकार से किसी भी वस्तु का उपयोग मनुष्य के लिए लाभदायक साबित होता है, जैसा की हम वर्त्तमान के समय में देख रहें हैं की किस प्रकार से कृत्रिम बुद्धि मानव के दैनिक जीवन में उपयोगी और मददगार साबित हो रहा है। Kritrim Buddhimata मनुष्य के सभी कार्यों को सरल बनाने के साथ जीवन को भी सुखद बना देगा और संभवतः दुनिया के सभी संकटों को खत्म कर देगा। रोबोटिक्स एवं आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस देश के हर क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के साथ उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहा है, जिसके बिना किसी भी क्षेत्रों की उन्नत प्रौधौगिकी संभव नहीं है।

कृत्रिम बुद्धिमता क्या है?

Kritrim Buddhimata (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) एक प्रकार की मानव द्वारा निर्मित (बनावटी) बौद्धिक क्षमता है, जहाँ सॉफ्टवेयर के जरिये मानव मस्तिष्क की तरह सोचने और कार्य करने की क्षमता कम्प्यूटर्स एवं रोबोटिक्स में विकसित कर दी जाती है। जिसके आधार पर एक मशीन अपनी इंटेलिजेंस के जरिये किसी भी समस्या का समाधान कर मानव के सोचने एवं कार्य करने की गतिविधि को आसान बना देता है, फिर चाहे वह मानसिक रूप से, शारीरिक रूप से, भावनात्मक रूप से कैसी भी समस्या क्यों ना हो। 

Kritrim Buddhimata को मानव के द्वारा इतना विकसित बना दिया गया है की मानव के मस्तिष्क से सौ गुना अधिक तेजी से और सटीक कार्य सुपर कम्प्यूटर्स एवं रोबोट्स के द्वारा कर दिए जातें हैं यानी दक्षता के साथ सटीकता।

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कृत्रिम बुद्धिमता का इतिहास।

Kritrim Buddhimata आज के युग में एक नयी तकनीक है, लेकिन अतीत में इससे सम्बंधित अंश हमे ग्रीक की पौराणिक कथाओं में प्राप्त होती है, जहाँ कृत्रिम बुद्धिमता की अवधारणाओं का उपयोग किया जाता था। हालाँकि, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) शब्द का प्रयोग पहली बार 1956 में ‘जॉन मैकार्थी’ के द्वारा किया गया था, जिन्हे कृत्रिम बुद्धिमता का जनक भी कहा जाता है।

निःसंदेह हम यह कह सकतें हैं की आने वाले भविष्य में Kritrim Buddhimata की तकनीक इस दुनिया पर राज करेगी, जो की मानव जीवन को बदल कर रख देगी और यह मानवता पर सकारात्मक अथवा नाकारात्मक दोनों प्रकार से लाभ-हानि पहुँचाएगी।

कृत्रिम बुद्धिमता की सामाजिक भूमिका।

Kritrim Buddhimata की विकासशील शैली का प्रभाव सबसे अधिक मानव के सामाजिक जीवन पर होने वाला है, जो की मानव की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक क्रिया को अपने वश में कर लेगा, जिसका परिणाम समाज के लोगों पर सकारात्मक एवं नाकारात्मक दोनों रूपों में देखने को मिलेगा। कृत्रिम बुद्धिमता मानव सभ्यता के लिए वरदान और अभिशाप दों रूपों में उभर कर आया है, जैसे:-

कृत्रिम बुद्धिमता से फायदे।

  • Kritrim Buddhimata मनुष्यों की रोजमर्रा के जीवन को और आसान बनाने के साथ-साथ उनके कार्यों को फुर्ती से हल कर रहा है।
  • Kritrim Buddhimata व्यापार, उद्योग, खेती, चिकित्सा, सशस्त्र सेनाएँ, स्वास्थ्य और शिक्षा, खेल, अंतरिक्ष, अनुसंधान और विकास इन सभी क्षेत्रों में भिन्न प्रकार से अपनी भूमिका समाज और देश के हित में निभा रही है।
    • व्यापार में कृत्रिम बुद्धिमता का उपयोग ऑनलाइन भुगतान के जरिये, अन्य ऑनलाइन स्टार्टअप्स की शुरुवात करके, मानव संसाधनों को कम करके किया जा रहा है।
    • उद्योग के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता एक क्रांति है क्यूंकि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, रोबोटिक्स के जरिये उद्योग में अधिकतर कार्य मशीनों के द्वारा किया जा रहा है, जिसके कारण उद्योगों की उत्पादकता की लागत में कमी देखने को मिलेगी।
    • खेती करने में कृत्रिम बुद्धिमता का उपयोग बड़े स्तर पर मशीनों के जरिये, ड्रोन के जरिये किट नाशक उर्वरक का छिड़काव करके जिससे उर्वरक किसानो के स्वास्थ्य को प्रभावित ना कर सके।
    • चिकित्सा के क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता मानवता के लिए एक बहुत बड़ी खोज है क्यूंकि नैनो टेक्नोलॉजी और नैनो रोबोट्स की मदद से चिकित्सक बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज बिलकुल सटीक तरीके से दवा देकर कर पाएंगे, जो की पहले संभव नहीं था और भी अन्य प्रकार से आर्टिफीसियल टेलिजेंस का उपयोग चिकित्सा में किया जा सकता है।
    • सशस्त्र सेनाओं के अंतर्गत भी कृत्रिम बुद्धिमता की भूमिका का प्रदर्शन युद्ध क्षेत्र में रोबोट्स, अत्याधुनिक मिसाइल्स, लड़ाकू विमान के जरिये देश एवं समाज की सेवा के लिए उपयोग किये जातें हैं।
    • कृत्रिम बुद्धिमता स्वास्थ्य और शिक्षा से सम्बंधित क्षेत्रों में भी अपना परचम लहरा रहा है, ड्रोन के जरिये आपातकाल दवाएँ प्रदान करना, चैट जी पि टी एवं चैट बॉट जैसे सॉफ्टवेयर का विकास करना जिससे शिक्षा व्यवस्था को और सुगम किया जा सके।
    • अंतरिक्ष की दुनिया में कृत्रिम बुद्धिमता की मदद से वैज्ञानिक अपने अनुसंधानों के कार्यों को गति प्रदान करने के साथ और अधिक अग्रिम स्तर की खोज करने में सफलता हासिल कर पा रहें हैं।
    • कृत्रिम बुद्धिमता के कारण अनुसंधान और विकास के कार्य भी आसानी से समाज के लोगों को लाभ पंहुचा रहें हैं, जैसे; स्मार्ट शहर, स्वच्छता अभियान, चेहरा पहचान तकनीक, साइबर सुरक्षा, बैंकिंग सुविधा, स्मार्टकार्ड प्रणाली, सौर पैनल और पवनचक्की के माध्यम से हरित ऊर्जा उत्पादन करना।

इस प्रकार Kritrim Buddhimata मानव के जीवन से ऐसे जुड़ गया है मानो जैसे उसका साथी हो क्यूंकि आज की दुनिया में कोई व्यक्ति इसके प्रभाव से अछूत नहीं है।   

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कृत्रिम बुद्धिमता से नुक्सान।

किसी भी वस्तु के दो पहलु होतें हैं, ठीक उसी प्रकार Kritrim Buddhimata का उपयोग मानवता के खिलाफ भी किया जा सकता है, जो की मानव सभ्यता के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बन सकता है और अभी हाल ही में ‘कृत्रिम बुद्धिमता के गॉडफादर कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन’ जो की एक दशक से गूगल के साथ काम कर रहे थे, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि वह दुनिया को कृत्रिम बुद्धिमता के खतरों के बारे में जागरूक कर सकें और यह बता सकें कि यह मानवता को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे:-

  • कृत्रिम बुद्धिमता के कारण लोगों में अपनेपन की भावना समाज से खत्म होते जा रही है, लोग अपनों से ज्यादा मशीनी उपकरणों के साथ समय व्यतीत करना ज्यादा पसंद करने लगें हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमता के कारण लोगों के रोजमर्रा के कार्य आसान तो हो गएँ हैं लेकिन उसके परिणाम में लोगों के भीतर आलश्य और बीमारी बढ़ने लगी है।
  • मानव संसाधन की जगह अब कृत्रिम बुद्धिमता ले चूका है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की समस्या बढ़ते जा रही है। ऑटोमेशन और प्रौधौगिकी के आने से अब बहुत सी नौकरियाँ खत्म हो रही है, उत्पादन और निर्माण के कार्य जो मनुष्यों के द्वारा किये जातें थे वह सब काम अब स्वचालित मशीने आराम से कर रहीं हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमता के कारण मनुष्य अपनी बुद्धि का इस्तेमाल ना करके पूरी तरह से कृत्रिम चैटबॉट और रोबोट्स पर आधारित हो रहें हैं, जिससे उनकी अभिनव और रचनात्मक बुद्धि छिन्न हो रही है।
  • कृत्रिम बुद्धिमता की सॉफ्टवेयर इंटेलिजेंस शक्ति इतनी प्रबल है की वह आज के समय समाज के किसी भी मनुष्य की निजी जीवन से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकती है, जिससे समाज में उस मनुष्य का एकान्तता का अधिकार का हनन होता है, जैसे; पेगासस स्पाइवेयर, मैलवेयर अन्य।      
  • कृत्रिम बुद्धिमता मानव सभ्यता के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है यदि इससे सम्बंधित जानकारी किसी भी प्रकार से आतंकियों के हाथ लग गयी तो आतंकवाद के जरिये वह दुनिया में दहशत का माहौल उत्पन्न करके मानवता का सर्वनाश कर सकतें हैं।
  • इस बात की संभावना भी विषेशज्ञों द्वारा लगाई जा रही है की यदि कृत्रिम बुद्धिमता में और अधिक उन्नत प्रौधौगिकी का प्रयोग किया जाता है तो स्वचालित रोबोट्स और मशीनें स्वयं मनुष्यों के लिए खतरा बन जाएगी और यदि उनमे सोचने समझने की स्तिथि उत्पन्न हो गयी तो वह मानव का अहित भी कर सकती है।

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निष्कर्ष।

Kritrim Buddhimata का उपयोग समाज, देश और दुनिया पर नकारात्मक अथवा सकारात्मक दोनों ही रूपों में नज़र आने वाला है लेकिन जैसा की हम देख पा रहें हैं, कृत्रिम बुद्धिमता का बढ़ता ट्रेंड मानव सभ्यता के विनाश का निमंत्रण के रूप में सामने आ रहा है क्यूंकि वैज्ञानिक जहाँ एक तरफ कृत्रिम बुद्धिमता के फायदे गिनाते हैं वहीँ दूसरी ओर इसके खतरे के बारे में भी सोचते हैं, वह भी इस बात को जानते हैं की इसका अत्यधिक उपयोग मानव सभ्यता को हानि पंहुचा सकता है, इसलिए, Kritrim Buddhimata का इस्तेमाल संतुलित आधार पर करना ही समाज के लोगों के हित में होगा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में और अधिक विकास और नवप्रवर्तन के लिए वैज्ञानिकों को नवप्रवर्तन अनुसंधान और विकास के लाभ और हानि दोनों पक्षों के बारे में सोचते हुए फिर उसपर निर्णय लेकर उसे आगे बढ़ाना चाहिए। 

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2 thoughts on “कृत्रिम बुद्धिमता मानव सभ्यता के लिए वरदान या अभिशाप। (Artificial Intelligence a Boon or a Curse for Human Civilization in Hindi.)”

  1. aaj ke yug aise articles ki bhut jarurat taaki log rachnatamakta ko apnaye aur apne buddhi ko viksit kre.
    dhanyawad is lekh ke liye.

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