भारतीय किसान: हमारे अन्नदेवता। (Indian Farmers: The Feeding God.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्री अकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों तो, कैसे हो आप सब? दोस्तों मैं, आप और हमसब या ये पूरी दुनिया को खिलाने वाले जितने भी ‘भारतीय किसान(Indian Farmers)’ भाई-बहने हैं, वो हमारे अन्नदेवता हैं जिनके कारण ही हमसब अन्न अपने शरीर में ग्रहण कर पातें हैं, तो आपके मन में ऐसा सवाल उठ भी सकता है की अन्न तो हम खरीद कर लातें हैं, तो दोस्तों किसान अन्न उत्पन्न करतें हैं तभी तो हमारे द्वारा उसे ख़रीद कर लाया जाता है न और सभी किसान बन नहीं सकतें न ही हम ऐसा सोचतें हैं की बड़े होकर किसान बनेंगे।

farmers performing their farming activity
Farmers of India

किसान एक ऐसा शब्द है जिसके नाम में ही खुद शान शब्द झलकती है, लेकिन वो खुद कितने समस्याओं का सामना करके अपने मेहनत और पसीने से बिना थके अपने देश के लिए अन्न उत्पन्न करता है, तो ऐसे किसान तो देवता ही हुए न, जो अपने शरीर के खून-पसीने से हमसब के लिए अन्न पैदा करता है, इसलिए हमे कभी अन्न की बर्बादी नहीं करनी चाहिए”। किसान को विभिन्न प्रकार से समस्या का सामना करना पड़ता है, फिर हम वो इंसान से हो, मौसम से हो या इस धरती से, सच कहूँ दोस्तों मन बहुत दुखी होता है, जब कभी उनकी आत्महत्या के बारे में खबर आती है तो रूह काँप उठती है, विचार आता है की ये क्या हो रहा है जिसने कभी हमे भूखा रहने नहीं दिया वहीं हमसे दूर जा रहें हैं।

दोस्तों मैं एक सुझाव देना चाहता हूँ, की हमारे समाज, देश,दुनिया के लिए कोई भी व्यक्ति जब भी कुछ अच्छा करता है तो वो हमेशा सराहनीय होता है क्यूंकि उसने अपने लिए नहीं हमसब के बारे मैं सोचा है, तो हम कम से कम उन्हें ‘सम्मान’ तो दे ही सकतें हैं, हाँ दोस्तों हम अबसे कहीं भी किसी भारतीय किसान भाई-बहन को देखे तो उनका सम्मान जरूर करें या फिर उनका धन्यवाद करें ऐसा करने से वो अपने काम के प्रति प्रेरित होंगे और जिससे उनकी उत्साह भी बढ़ेगी। दोस्तों मैं ऐसा इसलिए बोल रहाँ हूँ क्यूंकि हम एक आम नागरिक हैं  जितना हो सकता है वो तो हम कर ही सकतें हैं और कहीं न कहीं हमारे ऐसा करने से सोचो उन्हें कितनी ख़ुशी मिलेगी।

लॉकडाउन में भारतीय किसानों का महत्व।

दोस्तों कोई भी संकट हो लेकिन हमारे अन्नदाता अपना काम निरंतर करतें रहतें हैं और इसका सबसे बड़ा उदहारण है ये महामारी इस महासंकट के समय भी जब पुरे देश में लॉकडाउन लगी थी तब हम सब घरो में बैठे थे उस वक़्त भी हमारे देश में अन्नदाता(किसानो) ने अन्न की कोई भी कमी नहीं होने दी और तो घर में बैठे लोग जिन्हे रोजमर्रा के लिए अनाज, दूध, फल, सब्जी आदि चीजों की आपूर्ति करने के लिए भारतीय किसान कीमतें बढ़ाने के बजाये सामान्य कीमत ही रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। अन्न भंडार देश के सरकार के पास पूर्ण से भी कई गुना ज्यादा भरा पड़ा था, अपने देश में तो अन्न की किसी प्रकार से कमी नहीं थी और साथ ही साथ किसानो की अच्छी मेहनत के कारण हमारे देश के सरकार ने अन्न और दूसरे देशों में भी भेजा जहाँ अन्न की कमी हो गयी थी।

इस लॉकडाउन और कोरोना महामारी से प्रत्येक व्यक्ति को ये समझ आ गया होगा की हमारे भारतीय किसान (Indian Farmers) किसी महानायक से कम नहीं हैं जिन्होंने अपने देश के साथ-साथ दूसरे देश के लोगों का भी पेट भरा। बड़े और आलीशान बंगलो में रहने वाले लोग, बहार जाकर रेस्टॉरेंट में खाने वाले लोग आज एक मामूली किसान द्वारा उगाये गए मुट्ठी भर अनाज के सामने बहुत छोटी नज़र आ रही थी। छोटी-बड़ी इन सुख-सुविधाओं के बिना जीवन जिया जा सकता है लेकिन बिना अन्न के जीवन जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, और उस अन्न को उत्पादित करने वाला और कोई नहीं बल्कि अपनी मेहनत और खून-पसीने को एक करने वाले हमारे अन्नदाता भारतीय किसान हैं।

भारतीय किसान आंदोलन।

भारतीय किसान आंदोलन जिसकी चर्चा पुरे विश्व में हो रही है और ये सुन कर भी बहुत ख़राब लगता है की ऐसी कौन सी दिक्कत आ गयी जो हमारे अन्नदाता को ऐसी आंदोलन करनी पड़ रही है जिसके लिए सरकार भी कोई निष्कर्ष पर नहीं आ रही थी, लेकिन अब सरकार ने यह निर्णय लिया की उनके द्वारा लाये गए तीनो कृषि कानूनों को निरश्त कर दिया जायेगा, जो की भारतीय किसानो के लिए बहुत ख़ुशी की बात है।

सरकार के द्वारा लाये गए नए 3 कृषि कानून जो की भारतीय किसान भाइयों के हित में बात करती थी, ताकि उनकी आमदनी और बढ़ाई जा सके, जिसे कुछ किसानो के द्वारा अच्छा बताया जा रहा था, तो वहीं अधिकतर किसान इसे वापिस लेने की मांग कर रहें थें, जबकि सरकार के द्वारा इसे अब वापिस लेने की घोसणा कर दी गयी है, जिसके परिणामस्वरूप हमे ये आंदोलन देखने मिल रहा था, जो की हमारे किसान भाई-बहनो के द्वारा शुरू किया गया था, और कहीं न कहीं इस कानून के पीछे सरकार की यह भी मनसा थी की उनके द्वारा जो लक्ष्य तय किया गया है की हमारे भारतीय किसानो की आय को 2022 तक दोगुनी करनी है, जो की अच्छी बात है लेकिन फिर इस कानून का मतलब ही क्या जब मानने वाले इसका इतना विरोध कर रहें हो।

जो कानून हमारे सरकार के द्वारा लायी गयी थी मानता हु की वो हमारे भारतीय किसानो के भलाई के लिए थी लेकिन जब किसान खुद उस कानून का विरोध कर रहें हैं, उसे मानाने को तैयार नहीं हैं जिसके कारण वो कई महीनो से गर्मी, सर्दी, बरसात और इस महामारी में भी इतनी तकलीफ करके आंदोलन कर रहें हैं, सरकार ने भी यह सोच कर माफ़ी मांगी और कहा की हमारे अन्नदाता की ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी है, इसलिए सरकार के द्वारा तीनो कानूनों को वापिस लिया जा रहा है क्यूंकि जिसकी ख़ुशी के लिए वो कानून बनाई गयी है वह उस कानून से खुश ही नहीं है, तो ऐसे कानून का कोई मतलब ही नहीं है।

हमारे सरकार ने हमेशा भारतीय किसानो के हित और उनकी भलाई की बात की है, इतिहास भी इसका प्रमाण देता है फिर वो “हरित क्रांति” ही क्यों न हो, हमारे देश का नौजवान जो आज के समय में कृषि छेत्र में नहीं जाना चाहता है और जो कुछ जाना चाहते हैं वो भी भारतीय किसानो की ऐसी हालत देख कर नहीं जाना चाहेंगे, इसलिए सरकार को अपनी इतिहास की गरिमा को बनाये रखने के लिए किसानो के हित में काम करना चाहिए।

क्यों जरुरी है भारतीय कृषि और किसानो की सहायता करना।

हमारा देश कृषि प्रधान देश कहलाता है जिसमे 70फीसदी आबादी किसान की है, उसके बावजूद हमारी जीवन की अति महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हमारे भारतीय किसान ना स्वयं सक्षम हैं ना तो किसी रूप में समृद्ध, सबकी थाली में अन्न पहुंचाने वाला खुद कभी दो वक़्त की रोटी को तरस जाता है।

इसका मुख्य कारण है आज भी “हमारे देश में कृषि छेत्र को छोटे कार्यों में आकलन करना, जिससे हमारे देश के जो शिक्षित युवा हैं वो सामने इस छेत्र में कम निकल कर आतें हैं और उनके द्वारा इसे रोजगार के रूप में नहीं अपनाया जाता है”। जबकि बात की जाये और भी बड़े विकसित देशों के किसानो की जिनकी हालत भारतीय किसानो से कई अधिक गुना बेहतर है और वो कृषि को एक बड़े व्यापर के रूप में करतें हैं जो महीने के लाखों कमाते हैं जिनकी जीवन स्तर भी भारतीय किसानो के तुलना में कई गुना अच्छी है, उनके पास अच्छी कृषि संसाधन है, पानी का अभाव नहीं है, किसान शिक्षित हैं, कम लागत में अधिक आय करने की जानकारी है और भी ऐसे बहुत कारण है जिसके अभाव के चलते कृषि और किसानो की स्तिथि कभी सुदृढ़ नहीं हो पायी।

आज भी हमारा देश कृषि प्रधान होने के बावजूद कृषि को कभी शिक्षा से जोड़ा नहीं गया जिसके परिणाम स्वरुप शिक्षित व्यक्ति भी इसे रोजगार के रूप में अपनाना नहीं चाहता जबकि दूसरे अन्य देशों में कृषि को एक रोजगार समझा जाता है और भारतीय किसान आज भी अपने गांव के खेत को छोड़ कर दूसरे शहरों में अन्य रोजगार के लिए भटकता है।

इसलिए हमे अपने भारतीय किसानो और कृषि की सहायता करने के लिए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि समस्याओं का स्थायी निदान करना आवश्यक है। इसके लिए शिक्षित युवा वर्ग को स्वयं आगे आना और कृषि को रोजगार के रूप में अपनाना, फसलों को और उन्नत कैसे बनाये, मिट्टी की पूरी जानकारी, उन्नत बीज का उत्पादन, कम पानी में अच्छी फसल अगर ये सब किसान के पास पहुंचने लगे तो कृषि को रोजगार के रूप में अपनाने का रुझान भी बढ़ेगा और भारतीय किसान भी समृद्धशाली होकर विकसित देश के किसानो की पंक्ति में खड़े नज़र आएंगे जिसके परिणाम में हमारा देश फिर से कृषि प्रधान देश कहलायेगा।

अंत में मैं सरकार से भी यही कहना चाहूंगा की वो भी अपनी पूरी कोशिश करे ताकि भारतीय किसान के लिए किसी प्रकार की समस्या की उत्पत्ति ना हो सके। दोस्तों मैं आपको एक उदारहण देकर समझाना चाहता हूँ:

जिस प्रकार हमारे माता पिता अपने बच्चों के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं और हम उनको बदले में सम्मान देतें हैं और ऐसा चाहते हैं की उनको किसी भी तरह का दुःख ना हो, ठीक वैसे ही किसान भी अपने देश के बच्चों को भूखा नहीं देख सकतें हैं तो हमे भी उनको सम्मान देनी चाहिए।

दोस्तों मेरा ये सब कहने का तात्पर्य ये है की कहीं न कहीं हमे अपना नजरिया बदलना होगा तभी ये देश ये समाज बदलेगा। दोस्तों मैं जरूर जानना चाहूंगा की आप की राय क्या है हमारे देश के किसानो के बारे में और आप भी कुछ ऐसा सोचतें हैं तो कमेंट करके जरूर अपनी सोच बताएँ।

“अगर इस धरती का किसी से सबसे ज्यादा लगाव है तो वो किसान है इसलिए एक किसान हस्ता है तो धरती भी हस्ती है और एक किसान रोता है तो धरती भी रोती है”

“जय जवान-जय किसान”

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2 thoughts on “भारतीय किसान: हमारे अन्नदेवता। (Indian Farmers: The Feeding God.)”

  1. आज बहुत गहराई से समझ आया कि किसान को किसान क्यों कहते हैं. वाकई किसान हमारे देश की शान है, और यथार्थ उन्हें अन्न् देवता कहा जाता है. बहुत-बहुत धन्यवाद इस लेख के लिए.
    राधे राधे😇

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