राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, खाद्य सामग्री मनुष्य स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है खाद्य सुरक्षा एवं खाने की गुणवत्ता, जो की एक मनुष्य के बेहतर और निरोग स्वास्थ्य की सुनिश्चितत्ता का प्रमाण देता है। हमारे “भारत में खाद्य सुरक्षा का महत्व (Importance of Food Safety in India)” एवं उसकी गुणवत्ता की भूमिका आज के इस युग में कितना आवश्यक है, उसके बारे में चर्चा करेंगे क्यूंकि आज के समय मनुष्य को यह जानना अति आवश्यक है की वह जिस भोजन का सेवन कर रहा है वह कितना सुरक्षित है।
खाद्य सुरक्षा एवं उसकी गुणवत्ता की जानकारी के अभाव और लापरवाही के कारण आज पुरे विश्व में खाद्य जनित बिमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बनते जा रही है क्यूंकि खाद्य असुरक्षा से अक्सर लोगों में एनीमिया (खून की कमी), कुपोषण, स्टंटिंग, वेस्टिंग, कम वजन होना जैसी बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं, जो भविष्य में किसी भी बड़ी बिमारी में तब्दील हो सकती है। ‘राष्ट्रिय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5′ 2019-20 के द्वारा यह पाया गया की:-
- पांच साल से कम उम्र के बच्चों में पोषण की स्तिथि ख़राब है।
- कुपोषण से ग्रसित बच्चों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
- स्टंटिंग के मामले (उम्र के हिसाब से कम ऊंचाई) में भी वृद्धि हुई है, अविकसित और कमजोर वर्ग के बच्चे बीमारियों की चपेट में अधिक जल्दी आतें हैं।
- कम वजन (उम्र के हिसाब से कम वजन) के बच्चों का अनुपात भी बढ़ा है।
Table of Contents
खाद्य सुरक्षा का क्या अर्थ है? (What is Food Safety?)
खाद्य सुरक्षा (Food Safety) से यह तात्पर्य है की, मनुष्य के लिए पर्याप्त मात्रा में खाने की उपलब्धता और जो भी खाने का सेवन मनुष्य के द्वारा किया जा रहा है वह उसके स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ और पौष्टिकता से भरपूर हो और वह खाना मानव के शरीर को स्वीकार्य हो।
खाद्य सुरक्षा एवं उसकी गुणवत्ता को बरक़रार रखने के लिए, खाद्य सामग्री की उपलब्धता कराना, उसे लोगों की पहुँच तक सुलभ बनाना, किफायती मूल्य पर बेचना और भोजन की पौष्टिकता को सुनिश्चित करना अनिवार्य है और इसके लिए भारत सरकार ने 2011 में ‘खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (ऍफ़ एस एस आई)‘ की स्थापना की, जिसका कार्य भारत में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता की निगरानी और साथ-ही-साथ खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
भारत में खाद्य सुरक्षा का महत्व। (Importance of Food Safety in India.)
भारत में खाद्य सुरक्षा एवं उसके गुणवत्ता की महत्ता आज के इस युग में बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्यूंकि भोजन से पैदा होने वाली बिमारी बड़े स्तर पर सामने निकल कर आ रही है, जैसे कोरोनावायरस, डाईरिया, खसरा, रोटावायरस, कवक (फंगस), टाइफाइड, इन सभी बिमारियों के कारण मनुष्य के लिए स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करना अति महत्वपूर्ण है ताकि इसे रोका जा सके।
हमारे भारत में अधिकतर लोगों के लिए केवल पेट भरने के लिए भोजन करना आवश्यक होता है लेकिन पेट भरने के साथ-साथ हमे यह भी ध्यान रखना चाहिए की जिस भोजन का सेवन मानव कर रहा है क्या उसमे उचित मात्रा में ‘पोषण, कैल्शियम, विटामिन’ है, जो उसके स्वास्थ्य को स्वस्थ और सक्रीय बनाएगा और उसके पाचन तंत्र को भी मजबूत करेगा। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा 7 जून को ‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस‘ लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के प्रति ध्यान आकर्षित करने और खाद्य जनित जोखिमों को रोकने, पता लगाने और प्रबंधित करने के लिए मनाया जाता है।
भारत में घरेलु खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता महत्वपूर्ण है लेकिन बड़े पैमाने पर तैयार किया गया खाद्य उत्पादन और उसकी प्रसंस्करण और भी अधिक महत्वपूर्ण है क्यूंकि प्रौधौगिकी में प्रगति, लोगों का जीवन स्तर बेहतर होना, बेहतर क्रय शक्ति, बढ़ती उपभोगता की मांग ने विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का निर्माण किया है, जिसकी सुरक्षा का आकलन करना आवश्यक है क्यूंकि भारत में बीतें कुछ वर्षों में खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता से सम्बंधित मामले बड़ी मात्रा में सामने निकल कर आएं हैं, जिसके निम्नलिखित कारण हैं:-
- लोगों की बदलती जीवन शैली और खान-पान की आदतों ने लोगों को घर से बहार खाना खाने के लिए मजबूर कर रही है, जहाँ बड़ी मात्रा में भोजन तैयार किया जाता है और भोजन के बचने पर वही बासी भोजन दूसरे दिन भी उपयोग किया जाता है ऐसी परिस्तिथि में भोजन दूषित होने की संभावना अधिक होती है।
- जैसे, कई जगह ऐसा पाया गया है की भोजन में या पेय पदार्थ में छिपकली और मेंढक जैसे मृत जिव मिले हैं, जो की खाद्य सुरक्षा एवं उसकी गुणवत्ता के प्रति चिंता को और भी गहरा करतें हैं।
- आज के समय बाजार में कितने ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिसमे मिलावट किया जाता है, जिसे महीनो पहले पैक कर दिया जाता है बिना किसी चिंता के की वह खाद्य पदार्थ शुद्धता के मानक को प्राप्त कर रही है या नहीं।
- वातावरण इतना प्रदूषित हो गया है की इसका असर खाद्य पदार्थों की शुद्धता और पौष्टिकता पर भी हो रहा है क्यूंकि वातावरण में प्रदुषण, मिटटी और पानी भी प्रदूषित और किसानो के द्वारा भी उपयोग किया जाने वाले कीटनाशक और उर्वरक भी खाद्य सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रहें हैं।
- खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट और रंगीन बनाने के लिए परिरक्षक (Presarvatives) और अन्य रसायनिक एजेंट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके कारण फ़ूड पोइशनिंग जैसे मामले देखने को मिल रहें हैं।
इन सभी उपरोक्त कारणों की वजह से खाद्य सुरक्षा एवं उसकी गुणवत्ता के प्रति चिंता बढ़ रही है, इसलिए भारत में खाद्य सुरक्षा एवं उसकी गुणवत्ता को पहले प्राथमिकता देना अति आवश्यक है। खाद्य सुरक्षा की महत्ता भारत को संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित ‘सतत विकास लक्ष्य-2′ को प्राप्त करने में भी मदद करेगा, जो की भुखमरी, कुपोषण को खत्म करने की बात करता है।
भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए चुनौतियां। (Challenges for Food Safety in India.)
भारत में खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता को कायम रखने के लिए सरकार के आगे ऐसी बहुत सारी हैं, जिसे खत्म करना होगा, जैसे:-
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार आज भी भारत में 195मिलियन लोग ऐसे हैं जो की कुपोषित हैं और यह पुरे विश्व का एक-चौथाई है।
- लगभग, 43% बच्चे भारत में लम्बे समय से कुपोषण का शिकार हैं, जिसके लिए सरकार को अपने कार्यक्रम को अच्छे तरीके से कार्यान्यवित करना होगा।
- दो देशों के बिच हो रही युद्ध भी, सरकार के लिए खाद्य सुरक्षा के प्रति एक चुनौती है क्यूंकि युद्ध से वैश्विक व्यापार प्रभावित होता है।
- ख़राब मौसम की स्तिथि भी खाद्य पदार्थ की उपज को कम कर देती है, जिसका प्रभाव खाद्य सुरक्षा एवं उसकी गुणवत्ता पर पड़ता है।
- ‘वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक’ में भारत का स्थान 113 देशों में 71वां हैं, जो की यह दर्शाता है की भारत खाद्य सुरक्षा के मामले में आज भी पीछे है, जिसे सरकार को और बेहतर बनाने का प्रयाश करना है।
- भारत में रेढ़ीवाले, फेरीवाले, छोटे खाद्य सामग्री निर्माता बहुत अधिक मात्रा में पाए जातें हैं, जो की असंगठित खाद्य क्षेत्रों में अपना बहुत बड़ा योगदान देतें हैं और देश की अधिकांश आबादी इन क्षेत्रों में भोजन करती है, इसलिए यह भी खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता पर बड़े सवाल खड़े करती है क्यूंकि इस असंगठित खाद्य क्षेत्रों को ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ से दूर रखा गया है।
- भारत में खाद्य सुरक्षा एवं उसके गुणवत्ता के जांच के लिए प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की कमी है। हालंकि, निजी प्रयोगशालायें हैं लेकिन सरकारी स्तर पर खाद्य प्रशिक्षण प्रयोगशाला बहुत कम है, जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है।
इन उपरोक्त चुनौतियों में सरकार को प्रभावी कार्य करने की जरुरत है।
निष्कर्ष। (Conclusion)
भारत में खाद्य सुरक्षा एवं उसकी गुणवत्ता की अनिश्चितत्ता लोगों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है क्यूंकि भोजन की गुणवत्ता ही स्वस्थ शरीर के विकास की पुष्टि करता है, सरकार इस मुद्दे के प्रति अपना कार्य कर रही है लेकिन साथ-ही-साथ हम लोगों को भी कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे:-
- कोशिश करें की बाहर के खाने से परहेज करें, अगर आपके साथ मज़बूरी है की आपको बाहर का खाना ही लेना है, तो पहले चेक करें की बना हुआ खाना सही प्रकार से बना है, फिर खाएं।
- अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक उचित आहार योजना बनाने का प्रयाश करें क्यूंकि आहार योजना आपको उचित मात्रा में पोषण, कैल्शियम, और विटामिन प्रदान करती है, जिसकी आपके शरीर को आवश्यकता होती है।
- अपने किचन में खाने की चीजों को हमेशा ढक कर रखें क्यूंकि खुला खाना चूहों, छिपकिलियों, तिलचट्टों को निमंत्रण देता है और यही बीमारियों का कारण बनता है।
- लोगों को उपभोग योग्य खाद्य पदार्थ लेते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए की भोजन ताजा और स्वच्छ हो और समाप्ति की तारीख भी जांच लें जो अप्रत्यक्ष रूप से बीमारी को रोकने में आपकी मदद करती है।
- देश के जागरूक नागरिक होने के नाते अगर आपको कहीं खाने में मिलावट देखने को मिलता है या फिर बाहर किसी रेस्टोरेंट और होटल में दूषित भोजन प्राप्त होता है तो आप अवश्य उपभोगता अदालत में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करायें, जिससे वह अगली बार से इस बात का ध्यान रखे।
दोस्तों, खाद्य सुरक्षा एवं उसके गुणवत्ता के प्रति शुद्धता जरुरी है या नहीं आप इसके बारे में क्या सोचतें हैं, अपनी राय निचे कमेंट करके अवश्य बतायें।