भारत में इ-कचरा प्रबंधन। (E-Waste Management in India.)

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आज के आधुनिक डिजिटल युग में मानव द्वारा उत्पन्न किया गया कचरा सभी जीवित प्राणियों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनते जा रही है और कचरों में भी बात करें तो ‘इ-कचरा (इलेक्ट्रॉनिक कचरा)’ जिसमे दिन-प्रतिदिन तेजी से वृद्धि होते जा रही है, जिसका मुख्य कारण है भारत में अग्रिम डिजिटल प्रौधौगिकी का समावेश, पुरे ब्रह्माण्ड में अंतरिक्ष से लेकर समुद्र के निचली सतह तक कोई भी ऐसी जगह नहीं बची है जहाँ मानव ने इ-कचरा (e-Waste) ना फैलाया हो, इससे यह बात स्पष्ट हो जाता है की हम जितना आगे बढ़ रहें हैं उतना ही अपने पीछे अपने लिए समस्या छोड़तें जा रहें हैं। इसलिए “भारत में इ-कचरा प्रबंधन (e-Waste management in India) मानव, सभी जीवित प्राणियों, पर्यावरण के हित के लिए अति आवश्यक हो जाता है।

e-waste management
E-Waste Management in India

भारत में इ-कचरे को प्रबंधित करना और उसे विगठित करना एक चुनौती भरा कार्य है क्यूंकि ‘केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड’ के अनुसार भारत में 2019-20 में 10 लाख टन से भी अधिक इ-कचरा उत्पन्न किया है, जो की 2017-18 की तुलना में 3 लाख टन से भी अधिक है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों ने जैसे; फ़ोन, फ्रीज, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर, कैमरा, चार्जर, हैडफ़ोन इत्यादि ने जितना हमारे जीवन को आसान बना दिया है, उससे कई ज्यादा मुसीबत आज इन्ही ख़राब होने वाली इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अम्बार ने इ-कचरे के रूप में एक नयी समस्या को जन्म दे दी है।

इ-कचरा प्रबंधन क्या है? (What is meant by E-Waste?)

इ-कचरा (e-Waste) जिसे हम इ-अपशिष्ट भी कहतें हैं इसका मतलब जब मानवों द्वारा इ-उपकरणों का उपयोग किया जाता है (टेलीविज़न, सेलफोन, चार्जिंग तार, कैमरा, कंप्यूटर) और वही उपयोग की गयी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं में यदि कोई तकनिकी खराबी हो जाती है, तो वह उपकरण अपना कार्य करना बंद कर देता है फिर वह बेकार हो जाता है और उसे फेंक दिया जाता है, जिसे हम इ-कचरा कहतें हैं। इ-कचरा प्रबंधन से यह तात्पर्य है की पर्यावरण में फेके उस बेकार इलेक्ट्रॉनिक वस्तु का पुनः उपयोग कर लिया जाये या उसका नवीनीकरण कर दिया जाये या उसे पूरी तरह से पर्यावरण से विगठित कर दिया जाये।

इ-कचरे को दो श्रेणियों के अंतर्गत 21 प्रकार से विगठित किया गया है:-

  • सुचना प्रौधौगिकी और संचार उपकरण, जिसमे सेल फ़ोन, स्मार्ट फ़ोन, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप्स, सर्किट बोर्ड, जैसे उपकरण शामिल हैं।
  • उपभोगता इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक वस्तु, जैसे टेलीविज़न, एयर कंडीशन, बिजली के तार, स्मार्ट लाइट, स्मार्ट वाच, सोलर आदि जैसे उपकरण।

भारत में इ-कचरा प्रबंधन का महत्व। (Importance of E-Waste Management in India.)

भारत में ही नहीं इ-कचरे के प्रबंधन के सुविधा सभी देशों के लिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि जो इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं होती हैं उनमे अनेको प्रकार के जहरीले पदार्थ और धातुएं शामिल होतीं हैं बहुत से ऐसे तत्व होतें हैं, जैसे कैडमियम, पारा, सीसा जो की मिट्टी गुणवत्ता को खत्म कर देतें हैं, हवा और जल को दूषित करके मिट्टी में मिल जाते हैं, जिसका नकारात्मक प्रभाव सभी प्रकार के जीवित प्राणियों में देखने को मिल जाता है। इ-कचरे की महत्ता निम्नलिखित प्रकार से भी है, जैसे :-

  • इलेक्ट्रॉनिक कचरे का प्रबंधन जरुरी है क्यूंकि यह अप्रत्यक्ष रूप से मानव के स्वास्थ्य को बुरी तरह से नुक्सान पहुँचाता है ऐसा इसलिए होता है, जब मानव इ-कचरे को पर्यावरण में फेक देता है, जिसमे अन्य कई प्रकार के जहरीले और रसायनिक पदार्थ एवं धातु का मिश्रण होता है और जब वह इ-कचरा गलने-सड़ने के बाद मिट्टी में मिल जाता है या फिर मछलियां उसे खा लेतीं हैं तो फिर वही दूषित मिट्टी की उपजाऊ सब्जियां और दूषित मछलियों को मानव खाता है, जिससे वह जहरीले पदार्थ मानव के शरीर में भी पहुंच जाता है और उनके तंत्रिका तंत्र और रक्त को भी प्रभावित करता है।
  • इ-कचरे के प्रबंधन से हम उसे पुनः उपयोग में ला सकतें हैं या उसका नवीनीकरण कर उसे दूसरे अन्य उपकरण में तब्दील कर सकतें हैं क्यूंकि बहुत से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण 100 % रीसायकलेबल होतें हैं।
  • इ-कचरे के रीसाइक्लिंग प्रक्रिया के वक़्त मूल्यवान धातु (सोना, चाँदी) को पुनः प्राप्त किया जा सकता है, जिससे कच्चे सामान की आयात में कमी आएगी।
  • इ-कचरे को जमींन से बाहर रखना महत्वपूर्ण है नहीं तो यह पर्यावरण के स्वच्छ हवा, भूजल और जलमार्गों को भी दूषित कर देगा क्यूंकि वर्षा का पानी जमीन के निचे दबे इ-कचरे के जहरीले और रसायनिक पदार्थ को भूजल और जलमार्ग से मिला देगा।
  • इ-कचरा के प्रबंधन से देश को ‘सतत विकास लक्ष्यों’ को भी पूरा करने में मदद मिलेगा, जो की 2030 तक प्राप्त करने के लिए लक्षित है, इ-कचरे के प्रबंधन से:-
    • लक्ष्य 3, जो की अच्छे स्वास्थ्य के बारे में बात करता है।
    • लक्ष्य 8, जो की अच्छा काम और आर्थिक विकास के बारे में बात करता है।
    • लक्ष्य 12, जो की जिम्मेदारी से खपत और उत्पादन के बारे में बात करता है।
    • लक्ष्य 13, जो की जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करता है।
    • लक्ष्य 14, जो की पानी के निचे जीवन के बारे में बात करता है।
    • लक्ष्य 15, जो की जमीन पर पर रहने वाले जीवन के बारे में बात करता है।

इन सभी लक्ष्यों को पूरा करने में इ-कचरा प्रबंधन अपना योगदान दे सकता है।

भारत में इ-कचरे का प्रभाव। (Impact of E-Waste in India.)

भारत में इ-कचरे का प्रभाव पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े नकारात्मक चीजों को बढ़ावा देता है, जिसके कारण पर्यावरण पूरी तरह से दूषित हो जाता है और मानव स्वास्थ्य से सम्बंधित खतरनाक बीमारियां भी उत्पन्न होती हैं, पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2022′ में भारत का स्थान 180 है जो की सबसे निम्नतम है और अगर बात करें की भारतीय अपनी ज़िन्दगी का औसतन कितना जीवन जीतें हैं तो इसका अनुपात है केवल 69.7 साल, जबकी पुरे विश्व की औसत जीवन प्रत्याशा अनुपात 72 साल है लेकिन भारत के लोग पुरे विश्व के लोगों की तुलना में भी कम जीवन जीतें हैं।

भारत पुरे विश्व में इ-कचरा उत्पन्न करने में अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद पाँचवें स्थान पर स्थित है, साथ-ही-साथ भारत खुद का इ-कचरा तो उत्पन्न करता ही है और दुनिया भर के अन्य देशों से भारी मात्रा में इ-कचरा आयात भी करता है, जैसे अमेरिका अपने एक साल में उत्पन्न किये इ-कचरे का 80% इ-कचरा भारत को निर्यात करता है। इससे यह बात तो स्पष्ट हो जाता है की भारत में इ-कचरा का प्रभाव एक गंभीर मुद्दा है, जिसके कारण:-

  • वायु गुणवत्ता पर प्रभाव-> इ-कचरे का अनुचित प्रकार से डंपिंग करना, उसे खुली वातावरण में जलाना या पिघलाना, जिससे निकलने वाले विषाक्त पदार्थ और धूल के कण पर्यावरण में जहरीले प्रदुषण का कारण बनते हैं और यह प्रदुषण हज़ारों मिल तक यात्रा कर सकतें हैं।
  • मिटटी पर प्रभाव-> जब इ-कचरे को अनौपचारिक ढंग से लैंड फील किया जाता है, जिसमे अनेकों प्रकार के धातु, जहरीले रसायनिक पदार्थ वर्षा होने से मिटटी में मिल कर उसे दूषित बना देतें हैं, जिसके कारण उपजाऊ मिटटी कमजोर हो जाती है और फसलें भी सदूषित होकर की बीमारियों का कारण बनती है।
  • पानी पर प्रभाव-> मिटटी को दूषित करने के बाद इ-कचरा भूजल और नदियों-तालाबों को दूषित करता है क्यूंकि इन्ही रास्तों से होकर पानी नदियों-तालाबों और समुद्र में जाकर मिलती है, जिसके कारण पानी में अम्लीकरण और विषक्तता पैदा हो जाती है।
  • मनुष्यों पर प्रभाव-> इ-कचरे का सबसे खतरनाक प्रभाव तो मनुष्यों के स्वास्थ्य पर होता है क्यूंकि इ-कचरे में शामिल जहरीले घटक जैसे; पारा, कैडमियम, लिथियम यह सब मानव तंत्रिका और रक्त परिवाहिका बुरी तरह हानि पहुँचाता है।

भारत में इ-कचरे को प्रबंधित करने के लिए सुझाव। (Suggestions for Managing E-Waste in India.)

भारत में इ-कचरे को प्रबंधित करना सरकार के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है क्यूंकि प्रौधौगीकी और डिजिटलीकरण में भारत तरक्की करते जा रहा है और साथ-ही-साथ भारत दुनिया की एक सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, इसलिए भविष्य में इ-कचरे से सम्बंधित समस्या बढ़ने की संभावना और अधिक है, इसलिए इ-कचरे के निपटान के लिए:-

  • इ-कचरे के प्रबंधन के बारे में लोगों को जागरूक करना महत्वपूर्ण है क्यूंकि जानकारी के अभाव के कारण लोग बेकार इ-कचरे को वातावरण में फेंक देतें हैं।
  • सरकार इ-कचरे के प्रबंधन के लिए एक उच्च स्तर के कमिटी का गठन करें, जिसकी सिफारिस का अनुपालन सरकार अपने स्तर से लोगों के हित में करे।
  • भारत में अधिकांश इ-कचरे का संग्रह अनौपचारिक क्षेत्रों के द्वारा किया जाता है और असंगठित रूप में इसका प्रबंधन पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, जिसके लिए सरकार सभी अनौपचारिक क्षेत्रों को औपचारिक क्षेत्रों के साथ एकीकृत करने का कार्य करे।
  • इ-कचरे के प्रबंधन के लिए पर्यावरणों के अनुकूल चल रहे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना और दूसरे देशों में चलाये जाने वाले इ-कचरा प्रबंधन अपने देश में कार्यान्वित करने की जरुरत है।
  • पर्यावरण में इ-कचरा जलाने वालों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए और सात-ही-साथ हर जिले में सरकारी इ-कचरा संग्रह केंद्र स्थापित किया जाना चाहिए, जिसे इ-कचरा संगठित कर उसे आसानी से प्रबंधित किया जा सके।

इ-कचरा केवल भारत के लिए ही नहीं पुरे विश्व के पर्यावरण के लिए एक बहुत भयंकर खतरा है और आने वाले समय में यह और बढ़ने ही वाला है, इसलिए इ-कचरा प्रबंधन समस्त संसार के लिए अति आवश्यक है।

दोस्तों, इ-कचरे से सम्बंधित होने वाली समस्या समाज के लिए खतरा है या नहीं आप इसके बारे में क्या सोचतें हैं अपनी राय कमेंट करके अवश्य बताएं।

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