राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, हमारे देश के भारतीय युवाओं में बढ़ रही नशीली दवाओं की लत आज के समय में नशे के प्रचलन को बहुत ही तेजी से बढ़ा रही है “नशे की लत :युवाओं के भविष्य का खतरा है (Drug Addiction: The Menace of Youth’s Future)” लेकिन युवाओं के द्वारा ऐसा माना जाता है की नशा करना आज के समाज का फैशन और ट्रेंड है और ऐसा करते केवल युवाओं में ही नहीं पाया गया है बल्कि स्कूल के छात्र में और 18 साल से कम आयु के बच्चों में भी नशाखोरी देखि गयी है।
भारतीय युवाओं में बढ़ रही नशीली दवाओं की लत युवाओं के मन में नशे के प्रति उच्च श्रेणी की स्तिथि उत्पन्न करता है क्यूंकि किशोर और बच्चे जैसा अपने समाज में देखेंगे वैसा ही सीखेंगे, जैसे:-
क) हमारे देश में शराब और गुटखा का विज्ञापन बड़े-बड़े फिल्म अभिनेता के द्वारा किया जाता है जिससे आम लोगों में यह सन्देश जाता है की अभिनेता के द्वारा बोला जा रहा है तो सही होगा।
ख) टेलीविज़न पर प्रकाशित होने वाले अधिकतर गानों में नशीली पदार्थों का सेवन करते दिखाया जाता है, जिसका सीधा असर हमारे समाज के बच्चों और युवाओं पर पड़ता है।
ग) हालाँकि समाज में अक्सर यह भी देखा जाता है की किसी भी ख़ुशी के अवसर में, त्यौहार में लोग नशीली पदार्थ का सेवन करतें हैं, इसका भी असर हमारे समाज के युवा पर साफ़ देखा जा सकता है।
इसके अलावा भी कुछ कारण हैं जिससे नशे में वृद्धि देखने को मिलती है अगर कोई अवसाद और चिंता में हो तो, अगर किसी के रिलेशनशिप में समस्या हो तो, इसलिए अक्सर ऐसा होने पे युवा उसे नशा करके भूलने की कोशिश करतें हैं लेकिन ऐसा होता नहीं है क्यूंकि किसी चीज को भूलने की वजह से नशा करना धीरे-धीरे उनकी आदत बन जाती है।
Table of Contents
नशा क्या है? (What is Intoxication?)
नशीली पदार्थों का लगातार सेवन करते रहना (शराब, तम्बाकू, नशीली दवाएँ, हेरोइन, चरस, गांजा, ओपियम) जिसकी वजह से नशा जीवन की आदत बन जाती है, जिसके सेवन करने से व्यक्ति के मस्तिष्क पर क्षणिक देर के लिए आनंद का प्रभाव होता है।
नशे की लत (Drug Addiction) में ऐसा भी देखा गया है की अगर कोई व्यक्ति या युवा नशा नहीं कर पाता है तो उसका व्यवहार सबसे अलग हो जाता है और फिर वह नशा करने के लिए पागल हो जाता है।
बिहार में ऐसा घटना हुआ जहाँ शराब बेचना अवैध है तो शराब पिने के आदि लोग किसी भी तरह के शराब पिने के लिए तैयार हो गए, जिससे बहुत सी मौतें देखने को मिली और इसे ‘बिहार हूच त्रासदी’ बतया गया।
भारत में नशीली पदार्थों की लत का खतरा। (Risk of Drug Addiction in India.)
भारत में नशीली पदार्थों की लत युवाओं और किशोरों में एक घातक लत सामने निकल कर आ रही है, जो की भारत में बहुत तेजी से फ़ैल रही है और भारत के भविष्य को मानवीय संसाधन में बुरी तरह से प्रभावित करने वाली है क्यूंकि भारत पुरे विश्व में सबसे अधिक युवाओं वाला देश है।
इससे भी खतरनाक बात यह है की जब नशीली पदार्थों के दुरूपयोग का खतरा बच्चों और किशोरों में देखने को मिलता है, जहाँ कई सड़क पर रहने वाले बच्चे गरीबी के जीवन से बचने के लिए यौन, शारीरिक और मानसिक शोषण के दैनिक चक्र से निपटने के लिए या मनोरंजन के रूप में सस्ती दवाएँ जैसे हेरोइन, अफीम, शराब, व्हाइटनर, तम्बाकू इन सबका दुरूपयोग करतें हैं।
भारत में हर साल करीब 2 करोड़ बच्चे और करीब 55 हजार बच्चे एक दिन में तम्बाकू की लत में फस जातें हैं। यह संख्या अमेरिका की तुलना में 18 गुना से भी ज्यादा है, जहाँ प्रतिदिन 3 हजार बच्चे तम्बाकू की लत में फसते हैं।
भारत के लिए एक और खतरे की बात यह है की भारत दुनिया के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों के बिच स्थित है, जहाँ एक तरफ ‘गोल्डन ट्रायंगल‘ देश जिसमे थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, लाओस शामिल हैं और दूसरी तरफ ‘गोल्डन क्रिसेंट‘ देश जिसमे पकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान शामिल हैं।
इसलिए यह भी भारत के लिए एक बड़ी चिंता का कारण है क्यूंकि पकिस्तान के जरिये भारत में अवैध रूप से नशीले पदार्थ की तस्करी की जाती है।
भारत में शराब सबसे अधिक दुरूपयोग किया जाने वाला पदार्थ है और सर्वेक्षण के समय 2018 में लगभग 5 करोड़ भारतियों ने भांग और ओपिऑइड्स का उपयोग करने की सुचना दी थी और अनुमान लगया जाता है की 5 से 8 लाख लोग ड्रग्स का इंजेक्शन लगातें हैं।
‘राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ के अनुसार भारत में 2017-2019 से ड्रग ओवरडोज़ के कारण 2300 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जिसमे 30-45 वर्ष के आयु वर्ग में इस तरह की सबसे अधिक मौतें दर्ज की गयी है।
भारत के लिए यह बहुत बड़ा चिंता का कारण है की देश का युवा जो कल का भविष्य है वह नशे की लत में बर्बाद हो रहा है।
भारत में नशीली पदार्थों के लत का प्रभाव। (Impact of Drug Addiction in India.)
नशीली पदार्थों की लत तो नशा करने वाले व्यक्ति को कुछ देर के लिए सुखमय आनंद देता है लेकिन वही नशा बहुत अधिक नुकसानदेह भी होता है, जिसका प्रभाव स्वयं उस व्यक्ति पर होता है या फिर समाज के लोगों पर होता है।
नशीली पदार्थों के सेवन के बहुत से दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं:-
- घरेलु हिंसा-> नशे की लत के कारण आयेदिन नशा करने वाला व्यक्ति अपने परिवार वालों के साथ हिंसा करता है और इसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं को झेलना पड़ता है, जहाँ मारपीट और अभद्र भाषा का उपयोग किया जाता है और जिसका असर घर के बच्चों पर होता है।
- दुर्घटना के मामले-> हमारे देश में नशा करके वाहन चलाना आज के युवाओं में फैशन है और इसके अलावा भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो नशा करते हुए वाहन चलाते हैं, जिससे दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है और दुर्घटना से सामने वाले को भी इसका खामयाजा भुगतना पड़ता है। ड्रग्स का दुरूपयोग करने वाले किशोरों में कार दुर्घटना से सम्बंधित चोट या मृत्यु की संभावना अधिक शामिल है।
- रोग और आत्महत्या की प्रवृति-> नशे की लत व्यक्ति के शरीर को अंदर से खोखला बना देती है, जिसका प्रभाव उसके शरीर पर धीरे-धीरे होता है और जिससे उत्पन्न होती है ‘दिल की बिमारी, फेफड़ों की बिमारी, कैंसर, एड्स, हेपेटाइटिस’ जिसके कारण व्यक्ति की उम्र सीमा कम हो जाती है। बहुत से मामलों में यह पाय गया है की अधिकतर युवा जो नशा करतें हैं उनके दिमाग में आत्महत्या करने की सोच औरों के मुकाबले ज्यादा विकसित होती है और उनके द्वारा या तो आत्महत्या करने की कोशिश की जाती है या फिर आत्महत्या कर ली जाती है।
- दिवालिया होने के मामले-> हालाँकि हमारे देश में मध्यम वर्गीय लोग ज्यादा देखने को मिलते हैं और नशे के आदि मध्यम वर्ग और गरीब लोग नशे की लत में जुआ खेलते हैं, जहाँ वह पैसे खर्च करतें हैं और कई बार पैसे खत्म हो जाने पर अपनी जमीन, मकान, घर की सम्पत्ति तक बेच देतें हैं, जिससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बदतर हो जाती है।
- मानव पूंजी को कम करता है-> नशा की लत से व्यक्ति के दिमाग पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति और युवा के सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है, वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है, उसे क्या करना है ज्ञात नहीं होता, वह अपनी रूचि और जिम्मेदारियों से विमुख हो जाता है। ऐसा होने पर वह समाज और देश के लिए बस एक भार बन जाता है क्यूंकि वह अपना योगदान देश और समाज में देने के काबिल नहीं रहता है।
- महिला सुरक्षा कम करता है-> नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगों के साथ बुरा व्यवहार करता है, महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़खानी, उनके साथ बलात्कार या बलत्कार करने की भावना उत्पन्न होना, असुरक्षित यौन सम्बन्ध जैसे अपराध नशीले पदार्थों के सेवन के बाद होतें हैं।
ऐसे घिनौने प्रभाव नशे की लत से हमारे समाज में देखने को मिलते हैं लेकिन इसके बावजूद भी नशा करने में लोगों की वृद्धि होते जा रही है, आपने अक्सर एक चीज गौर की होगी हमारे देश में जो लोग नशा करतें हैं वह अपनी मौत खुद लम्बी कतार में खड़े होकर खरीद रहे होतें हैं।
नशीली दवाओं की लत से निपटने के लिए सरकार की पहल। (Government initiative to combat Drug Addiction.)
हमारे देश में सरकार की कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा नशीली पदार्थों के सेवन करने से होता है क्यूंकि नशीली पदार्थों पर सरकार अधिक कर लगाती है और इतना कर लगाने के पीछे का कारण यह बतलाती है की, ज्यादा मूल्य होने पर लोग इसका उपभोग कम करेंगे।
लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिलता है और इसके विपरीत नशीले पदार्थ का उपभोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, फिर भी सरकार इससे निपटने के लिए अपने कदम उठा रही है:-
- सरकार ने नवंबर, 2016 में नार्को-समन्वय केंद्र (एनसीओआरडी) का गठन किया और “नारकोटिक्स नियंत्रण के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता” की योजना को पुनर्जीवित किया।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2016 में ‘प्रोजेक्ट सनराइज‘ शुरू किया गया था, ताकि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में, विशेषकर ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वाले लोगों में एचआईवी के बढ़ते प्रसार से निपटा जा सके।
- सरकार ने नारकोटिक ड्रग्स में अवैध यातायात से निपटने के संबंध में किए गए खर्च को पूरा करने के लिए “नशीली दवाओं के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कोष” नामक एक कोष का गठन किया है; व्यसनियों का पुनर्वास, और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जनता को शिक्षित करना आदि।
- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट, (एनडीपीएस) 1985: यह किसी व्यक्ति को किसी भी मादक दवा या साइकोट्रोपिक पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और / या उपभोग करने से रोकता है।
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक नया सॉफ्टवेयर यानि जब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (एसआईएमएस) विकसित करने के लिए धन उपलब्ध कराया गया है जो नशीली दवाओं के अपराधों और अपराधियों का एक पूरा ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगा।
- सरकार एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रुझानों को मापने के लिए एक राष्ट्रीय नशीली दवाओं के दुरुपयोग सर्वेक्षण भी कर रही है।
- सरकार ने ‘नशा मुक्त भारत‘, या ड्रग-मुक्त भारत अभियान शुरू करने की भी घोषणा की है जो सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों पर केंद्रित है।
आर्यन खान वाले केस में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया की जो भी युवा अगर नशे की लत का शिकार है तो उसे हिरासत में लेने के बजाये नशामुक्त पुनर्वास केंद्र में भेजा जायेगा।
नशीली पदार्थों की लत से बचने के उपाय। (Ways to avoid Drug Addiction.)
नशीली पदार्थों के सेवन को रोका भी जा सकता है और किसी को लत लगी हुई है तो उसका निवारण भी किया जा सकता है, जिसके लिए कुछ अहम् बातों का ध्यान रखना होगा, जैसे:-
- अगर किसी व्यक्ति को नशा करने की आदत है तो यह ध्यान रखें की वह नशा लगातार और अधिक मात्रा में ना करे और धीरे-धीरे उसके नशे को कम करने की कोशिश करें क्यूंकि अचानक से जल्दबाजी में कुछ नहीं होता।
- ध्यान, योग और व्यायाम करके भी अगर कोई व्यक्ति ठान ले तो वह नशीले पदार्थ का सेवन करना छोड़ सकता है और अगर किसी युवा को इसकी लत लग गयी है तो वह नशामुक्ति केंद्र में भर्ती होकर अपने नशे की आदत को छोड़ सकता है।
- अगर कोई व्यक्ति, युवा या किशोर नशे की लत में फस जाता है तो उसके साथ मारपीट ना करें उसके शांत होने के बाद उसे नशे से होने वाले दुष्परिणाम और नुक्सान के बारे में बताएं और हमेशा बतातें रहें जबतक उसकी लत छूठ नहीं जाती।
- हमे अपने समाज के सोच को भी थोड़ा बदलना होगा उन्हें यह बताना होगा की नशा करने वाले अपराधी नहीं पीड़ित होतें हैं, हालाँकि नशा करने के बाद वह आपराधिक कार्य करने लग जातें हैं।
- देश में नशीली दवाओं की तस्करी पर अंकुश और कड़े करने चाहिए और पुलिस अधिकारियों को तस्करों को पकड़ने के लिए सम्मानित किया जाना चाहिए जिससे उन्हें अपने काम के प्रति सरहाना मिले।
- समाज के लोगों में बड़े स्तर में इससे होने वाले नुक्सान का प्रचार-प्रसार करना चाहिए, नशे से होने वाले बीमारियों को आम जनता के सामने लेकर आना चाहिए।
- स्कूल और कॉलेजों में ‘नशा मुक्ति’ के बारे में समय-समय पर जागरूकता अभियान होनी चाहिए और हमेशा उसके नुक्सान के बारे में बताय जाना चाहिए।
“नशे की लत छोड़ अपने जीवन के आयु को कम होने से बचाएँ”
राधे राधे ये आर्टिकल एक समझदारी वाली है जिसे पढ़ कर लोग तो सुधरेंगे ही और अपने बच्चो को भी एक नई दिशा की ओर अग्रसर करेंगे और अपने बच्चो को एक अच्छी नागरिक बना सकते हैं ताकि बच्चे समाज में ऊंची उड़ान भर सकते हैं राधे राधे
ये आर्टिकल बहुत ही अच्छी है ये नशा से लोगों को एक बार मुक्ति दिला सकती हैं