राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों “भारत में लोकतंत्र (Democracy in India)” पूरी दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहाँ लोकतंत्र की ऐसी खुशबु है, ऐसी मिठास है, ऐसा रंग है, ऐसी आज़ादी है, ऐसा अपनापन है, जिसका आनंद दुनिया का हर व्यक्ति एक बार लेना चाहता है और लोकतांत्रिक देशों के मामले में भारत के लिए यह मिसाल दी जाती है की “भारतीय लोकतंत्र सभी देशों की जननी है और सभी लोकतांत्रिक देश उसके बच्चे हैं”।
भारतीय लोकतंत्र एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है, जहाँ विविधता में भी एकता है, जहाँ संविधान एक सर्वोच्च भूमिका निभाता है-जिसे दुनिया के किसी भी व्यक्ति को समझने के लिए हमारे भारत का प्रस्तावना ही काफी है, जहाँ विभिन्न प्रकार के धर्म और विभिन्न संस्कृतियां वास करती हैं, जहाँ नागरिकों के साथ-साथ पर्यटकों को भी स्वतंत्रता दी गयी है और उनके मूल अधिकारों की भी रक्षा की जाती है।
लोकतांत्रिक देश में जनता राज करती है, जनता के मुताबिक और जनता के हित में नियम और कानून बनाये जातें हैं मतलब सरकार जनता को केंद्र बिंदु मानकर पूरी तरह से उनके कल्याण के लिए काम करती है।
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*लोकतंत्र क्या है?
लोकतंत्र (Democracy) का मतलब जहाँ जनता के द्वारा शासन, जनता का शासन, जनता के लिए शासन, जहाँ के लोगों को सामान अधिकार, जहाँ भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जहाँ न्याय की सामान पहुँच, जहाँ मतदाता अपने मत का प्रयोग स्वतंत्र रूप से कर सके और अपनी ज़िन्दगी को बिना किसी दबाव के स्वतंत्र तरीके से व्यतीत कर सके, उसे हम लोकतंत्र कहतें हैं।
पूरी तरह से लोकतांत्रिक कही जाने वाली देश की कुछ विषेशताएं भी होती हैं, जिसके आधार पर हम किसी देश का आकलन लोकतंत्र के रूप में कर सकतें हैं, जैसे:-
-> भारत में लोकतंत्र की विशेषतायें
- एक देश का अपना संविधान होना चाहिए और देश का संविधान सर्वोच्च होना चाहिए।
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, जिसमे जनता द्वारा चुनी गयी सरकार सत्ता में आये और पराजित दल सत्ता छोड़ दे।
- एक बहुदलीय प्रणाली वाला देश।
- एक निर्वाचित सरकार के पास निर्दिष्ट कार्यकाल सिमा होनी चाहिए।
- एक निर्वाचित सरकार संवैधानिक कानून और नागरिकों के अधिकारों द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर नियमों के अनुसार काम करेगी।
- स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली, जो प्रत्येक नागरिक को सामान न्याय प्रदान करती है।
इन सब के अलावा भारतीय लोकतंत्र संघवाद के निति को भी अपना कर चलती है, जहाँ केंद्र को राज्यों से अधिक शक्तियां प्रदान की गयी हैं, इसलिए भारत को राज्यों का संघ भी कहा जाता है।
*भारत में लोकतंत्र का इतिहास।
1857 की क्रांति के बाद हमारे देश में लोग कहीं-न-कहीं ‘स्वतंत्रता(Independence) और लोकतंत्र(Democracy)’ की ओर अपना कदम बढ़ा चुके थें, जिसके कारण:-
क) 1885 में ‘भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस‘ दल का गठन हुआ, इस दल के सदस्यों के प्रयाश से ही हमारा देश एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश बनने के प्रति अग्रसर होने लगा।
ख) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन होने के बाद देश में लगातार बहुत से महत्वपूर्ण मुद्दों पर सत्र होना शुरू हो गया जो भारत में स्वतंत्र और लोकतंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित करने लगा।
ग) 1909 में पहली बार मोर्ले-मिंटो रिफॉर्म्स के द्वारा भारत में ‘पृथक निर्वाचक मंडल‘ को पारित किया गया।
घ) 1924 में पहली बार हमारे देश में महिलाओं को अपना मताधिकार मिला और अब महियलायें भी अपने मत का प्रयोग कर सकती थीं।
ङ्ग) 1934 में सर ऍम.एन रॉय के द्वारा पहली बार भारत में संविधान सभा का विचार प्रदान किया गया, जिसे लोकतांत्रिक देश का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।
च) भारत 15 अगस्त 1947 को पूरी तरह से स्वतंत्र घोसित कर दिया गया और 9 सितम्बर 1947 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई, जो की भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाने में बहुत बड़ा योगदान देती है।
छ) हमारा भारत स्वतंत्र होने के बाद कुल 17 प्रान्त और 565 रियाशतों में बटी हुई थी और इन सभी रियाशतों के एकीकरण का कार्यभार ‘श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल‘ जी को सौंपी गयी थी और इसलिए उन्हें ‘बिस्मार्क ऑफ़ इंडिया’ भी कहा जाता है।
ज) 26 जनवरी 1950 में हमारे देश के संविधान को लागू कर दिया गया और संविधान के अनुसमर्थन के साथ भारत को पूरी तरह से संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राज्य घोसित कर दिया गया।
फिर 26 जनवरी 1950 से हमारा देश पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक देश बन गया, जो भारतीय नागरिकों को अपनी मत का प्रयोग करने और अपनी सरकार चुनने की शक्ति प्रदान करता है।
*भारत में लोकतंत्र का महत्व।
भारत पुरे विश्व में एक सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, जहाँ सभी देशों की तुलना में सबसे अधिक विभिन्न प्रकार के धर्म, जाती, संस्कृति, पंथ, विचारधारा के लोग रहतें हैं, तो उस देश में लोकतंत्र का महत्व सर्वश्रेष्ठ हो जाता है।
आज के समय में भारत में लोकतंत्र की महत्ता को और बड़े पैमाने पर महसूस किया जा सकता है क्यूंकि भारतियों के लिए लोकतंत्र जीवन जीने का तरीका है, जहाँ मूल रूप से कोई भी नागरिक पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं है, लोग अपनी-अपनी विचारधाराओं को बढ़ावा दे सकतें हैं, अपने जीवन को अपने स्तर से जी सकतें हैं और जहाँ नागरिक स्वतंत्र रूप से अपनी बातें और तर्क अपने चुने गए प्रतिनिधित्व के समक्ष अभिव्यक्त कर सकतें हैं।
- लोकतंत्र लोगों को अपने मुताबिक प्रतिनिधित्व को चुनने में मदद करता है और तानाशाह के शासन पर निरंकुश लगाता है।
- लोकतांत्रिक देश गैर-लोकतांत्रिक देश की तुलना में अधिक सामर्थ्यवान और पूरी तरह से समृद्ध होतें हैं।
- लोकतंत्र एक विकासशील देश को विकसित देश बनने में मदद करती है और स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्तर पर ध्यान देती है जिससे मानव विकास की पद्धत्ति को बढ़ावा दिया जा सके।
- लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करने का अस्वासन देती है और नागरिकों को उनके मूल अधिकारों के बारे में बताती भी है।
- लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को सामान अधिकार प्रदान करता है और सरकार की कोई भी पहल केवल मानव कल्याण के लिए होती है।
- लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को उनके मूल अधिकार के साथ कुछ मूल कर्तव्य भी प्रदान करता है, हालंकि, यह कर्तव्य नागरिकों को जबरदस्ती नहीं प्रदान किया जाता है बल्कि यह एक नागरिक की अपने देश के प्रति भावना व्यक्त करता है।
‘आधुनिक भारतीय लोकतंत्र‘ देश में नागरिकों के बिच बटवारां कर रहा है, आज़ादी के समय स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा लोकतंत्र स्थापित कर लोगों के और समाज के कल्याण के बारे में सोचा जाता था भले ही विचारधारा मेल नहीं होती थी लेकिन उद्देश्य एक था।
लेकिन, आज के लोकतंत्र में राजनेताओं के द्वारा नागरिकों के कल्याण के बारे में कम सोचकर अपने-अपने सत्ता को कायम रखने पर ज्यादा ध्यान दे रहें हैं, जो कि एक लोकतांत्रिक देश के नागरिकों के कल्याण के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है। हालाँकि, एक लोकतांत्रिक देश में एक विरोधी दल होना आवश्यक है जो सरकार के सही-गलत निर्णय पर प्रश्न कर सके लेकिन सभी का उद्देश्य एक ही होना चाहिए, देश के नागरिकों का कल्याण।
“दी इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट, 2020” के अनुसार ‘डेमोक्रेसी इंडेक्स’ भारत का स्थान 167 देशों में 53वां हो गया है, जहाँ भारत पिछले वर्ष की तुलना में दो पायदान निचे आ गया है और भारत को अभी एक पूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में ना रखकर, एक त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र के रूप में किया गया है। लोकतंत्र के वैश्विक स्तिथि 2021 की रिपोर्ट के अनुसार भारत 10 सबसे पीछे खिसकने वाले लोकतंत्र में से एक था।
*भारतीय लोकतंत्र के लिए चुनौतियां।
ऐसी बहुत सी चुनौतियां सरकार के सामने है, जो सरकार को भारत के लोकतंत्र को बचा कर रखने के लिए पूरी करनी होगी, जैसे:-
- भ्रस्टाचार-> जब तक हमारे देश से यह भ्रस्टाचार खत्म नहीं होगा, भारत को विकसित देश होने में उतना ही अधिक समय लगेगा और भ्रस्टाचार का असर अमीरों पर कम और माध्यम वर्गीय-गरीबों पर ज्यादा होता है, जो कि देश में समानता को कम करता है।
- सुशासन-> राजनितिक दलों के द्वारा सुशासन के अर्थ को सत्ताधारी बनाकर केवल जनता पर शासन करना और लोक कल्याण के बारे में ना सोचकर केवल अपनी सत्ता कायम करना है। इसलिए यह जरुरी है की हमारे देश में सरकार लोकहित के लिए काम करे और अपने राजीनीतिक झगड़ों को दरकिनार करे।
- आतंकवाद-> हालाँकि, लोकतंत्र की प्रतिष्ठा और मान बनाये रखने के लिए सरकार की यह एक बहुत बड़ी चिंता है, जिसे समाप्त करने के लिए हमारे देश के सेना और सरकार दोनों अपना पूरा प्रयाश कर रही है, जिससे देश से आतंकवाद को खत्म किया जा सके। आतंकवाद एक लोकतांत्रिक देश में अस्थिरता का बहुत बड़ा कारण होता है।
- साइबर सुरक्षा-> जिस गति से दुनिया प्रौधौगिकीकरण के विकास की ओर बढ़ रहा है हमे भी इसके साथ-साथ अपनी साइबर सुरक्षा नेटवर्क को और मजबूत बनाना होगा ताकि हैकर हमारे देश की साइबर सुरक्षा को नियंत्रण ना कर सकें, जिससे हमारे देश की संप्रभुता बनी रहे।
- अप्रवासी-> भारतीय लोकतंत्र को अप्रवासियों से भी खतरा है क्यूंकि सरकार ने अभी हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान, पकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक अप्रवासियों को भारत में नागरिकता प्रदान करने की घोसणा की, तो सरकार को यह अच्छी तरह से सुनिश्चित करनी चाहिए की उन अप्रवासियों में कोई गैर तो नहीं है।
- शरणार्थी-> भारत के पडोसी देशों के कारण शरणार्थियों की संख्या बड़ी मात्रा में देखि जाती है, जिसके कारण भारत के राज्यों में अस्थिरता देखने को मिलती है, तो एक लोकतांत्रिक देश होने की वजह से सरकार को इसके प्रति भी सोचना पड़ेगा।
- मजबूत संघवाद-> हमारा भारत राज्यों का संघ है, तो केंद्र सरकार को सभी राज्यों के साथ एक जैसा बर्ताव करना चाहिए और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए संघवाद के ढाँचे को भी मजबूत करना जरुरी है।
- विस्तारवाद-> भारत एक लोकतांत्रिक देश है और भारतीय सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए की उनके पडोसी मुल्क लोकतंत्र नहीं हैं, जो विस्तारवाद की निति में माहिर हैं और विस्तारवाद को एक लोकतांत्रिक देश बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
“भेद-भाव, जात-पात, धर्म-अधर्म का ना हो तंत्र, एक राष्ट्र हो, श्रेष्ठ राष्ट्र हो, यही है लोकतंत्र”
दोस्तों, आप अपने देश की आज के लोकतंत्र की प्रक्रिया के बारे में क्या सोचतें हैं, आप अपनी राय भी हमारे साथ निचे कमेंट करके जरूर साझा कीजिये।