राजनीति का अपराधीकरण। (Criminalization of Politics.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों तो कैसे हो आप सब? पुरे विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश भारत, जिसकी “राजनीति का अपराधीकरण(Criminalization of Politics)” बहुत बड़े स्तर पर देखने को मिलती है, अगर बात करें आज़ादी के समय की तो उस वक़्त हमारे देश के राजनीति में बहुत से ऐसे राजनेता थे जिनके भीतर अपने देश और लोगों के प्रति सत्यनिष्ठा और समर्पण की भावना थी, हालाँकि उस वक़्त भी कुछ राजनेता उदारवादी और उग्रवादी विचार के थे लेकिन उनकी भावना एक ही थी।

criminalization of politics in india
Criminalization of Politics

राजनीति का अपराधीकरण का क्या मतलब है?

राजनीति के अपराधीकरण (Criminalization of Politics) का अर्थ है की राजनीतियों में अपराधियों की भगीदारी होना, जिसमे अपराधी संसद या विधायिका का चुनाव लड़ भी सकतें हैं और सदस्य के रूप में चुने भी जाते हैं और अपराधियों का राजनेताओं के रूप में राजनीति में आना यह सब मुख्य रूप से राजनेताओं और अपराधियों के बिच सांठ-गाँठ के कारण होता है।

लेकिन आज के समय की राजनीति में राजनेताओं की विचारधारा बस अपने राजनैतिक दलों तक सिमित होकर रह गयी है, जहाँ किसी भी राजनेता के द्वारा राजनीति करने के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है और उन्ही में से एक है राजनीति में अपराधीकरण जिसकी वृद्धि लोकतान्त्रिक देश की राजनीतियों में बखूबी देखि जा सकती है, जिसके सबसे बड़े जिम्मेदार इस लोकतान्त्रिक देश के मतदाता हैं।

हमने ही अपना कीमती मत चुनाव के दौरान उस अपराधी को देकर एक राजनेता के रूप में चुना है, जो की अब आम जनता के लिए संसद या फिर विधानसभा में बैठ कर नियम और क़ानून बनाएगा और चिंता की बात तो यह है की अब कानून तोड़ने वाले ही अब कानून बनाने वाले बन जायेंगे जिसके बनाये कानून समज की आम जनता पर लागू होगी।

राजनीति में अपराधीकरण के कारण ही हमे हमारे समाज में आये दिन राजनेताओं के काले करतूतों के बारे में पता चलता है, जिसके कारण हमे अपने समाज में भ्रस्टाचार, कमजोरों पर अत्याचार जैसे मामलें में वृद्धि देखने को मिलती हैं।

हमे अपने देश में हर लोकसभा चुनाव के बाद राजनीति के अपराधीकरण मे बढ़ोतरी ही देखने को मिली है, जैसे “2014 के लोकसभा चुनाव में 24% सदस्यों पर आपराधिक मामलें दर्ज थें, फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़ कर 30% हो गए, 2014 के लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़ कर 34% हो गयी और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़ कर सबसे अधिक 43% हो गया। इसका मतलब साफ़ है की हम अपने देश को अपराधियों के हाथो में सौंप रहें हैं, जिनके द्वारा वर्तमान में और भविष्य में समाज के लोगों के लिए नीतियां बनाई जाएँगी।

आज़ादी के समय हमारे देश के राजनेताओं में लोगों के प्रति साहानुभूति थी, प्यार था लेकिन आज यह सब केवल एक दिखावा बन कर रह गया है। हालाँकि अपने देश में सभी राजनेता ऐसे नहीं हैं बल्कि सिर्फ कुछ राजनेताओं के कारण पूरी राजनीति बदनाम हो रही है।

भारत में राजनीति का अपराधीकरण का इतिहास।

आज़ादी के बाद हमारे देश में कुछ गिनती के ही राजनितिक दाल थे लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ धर्म के नाम पर, भाषा के नाम पर, जाती और समुदाय के नाम पर, क्षेत्र के नाम पर, विचारधाराओं के नाम पर बहुत सी राजनितिक दलों का गठन होने लगा और ऐसा होने के बाद सभी दलें अपनी-अपनी सत्ता कायम करना चाहती थी, जहाँ सत्ता कायम करने के लिए उन्हें चुनाव जितना था और चुनाव जितने के लिए उन्हें आम जनता का समर्थन चाहिए था।

तो बहुत से राजनितिक दलों के उम्मीदवारों ने सभी जनता का समर्थन पाने की कोशिश करने लगे और जो उस दाल का समर्थन करता वो तो ठीक था लेकिन जो जनता समर्थन नहीं करती थी उसके साथ उम्मीदवार के गुंडे-बदमाश जोर-जबरदस्ती करके आम जनता को डरा धमका कर उनका मत प्राप्त कर लेते थें।

यही कारण है की राजनितिक दलों के उम्मीदवार अपनी सत्ता कायम करने के लिए गुंडे-बदमाश का साथ लिया करते थे, जिससे उनका भी कुछ फायदा हो जाता था।

राजनितिक दलों के उम्मीदवार और गुंडे-बदमाश के बिच यही सांठ-गाँठ आगे चल कर गुंडे-बदमाश की चाह को सत्ता के प्रति प्रेरित करने लगा जहाँ उनके द्वारा यह सोचा जाने लगा की जिस प्रकार हम चुनाव जितने में किसी दाल के उम्मीदवार का साथ देतें हैं, तो क्यों न हम उनका साथ ना देकर खुद ही राजनितिक दल के उम्मीदवार बन जाएँ और चुनाव लड़े।

तो गुंडे-बदमाश की सत्ता के इसी चाह ने हमारे लोकतान्त्रिक देश में राजनीती के अपराधीकरण का शुरुवात करती है, जिसे हम अपने समाज में आज देख रहें हैं।

भारत में राजनीति का अपराधीकरण के कारण।

  • मतदाताओं में राजनेताओं के प्रति जानकारी की कमी:- चुनाव के दौरान मतदाताओं को लालच देकर उन्हें अपने प्रति लुभा कर उनकी वोट प्राप्त करतें हैं, जबकि मतदता को उस राजनेता के पृष्ठ्भूमि की पूरी जानकारी भी नहीं होती है की वह अतीत में कौन था, कैसा था, उसकी विचारधारा समाज और लोगों के प्रति कैसी है यह सब कुछ भी आम जानत को प्रचारित ही नहीं किया जाता है।
  • कड़े कानून बनाने के लिए राजनितिक इच्छाशक्ति की कमी:- ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम’ में संसोधन के लीए उचित उपाय करने के बावजूद राजनितिक दलों के के बिच एक ऐसी समझ बानी हुई है जो संसद को राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए मजबूत कानून बनाने से रोकता है।
  • शक्ति और धन का उपयोग करना:- बहुत से गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड के बावजूद उम्मीदवार चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते दिखतें हैं क्यूंकि उनके द्वारा अपनी शक्ति और धन का गलत उपयोग किया जाता है और वह मुख्य रूप से स्वयं के चुनाव को वित्तपोषित(finance) करने की और अपने सम्बंधित दलों के लिए पर्याप्त संसाधन देने की क्षमता रखतें हैं।
  • सुशाशन का अभाव:- पहले के मुकाबले अब हमारे देश में सुशाशन की कमी देखने को मिलती है, जो की राजनीती के अपराधीकरण की समस्या का एक मूल कारण है।
  • राजनीति में भाई-भतीजावाद, जाती या धर्म जैसे सामुदायिक हितों को बढ़ावा देना:- राजनीति के अपरधिकरण के लिए वंशानुगत संबंध(hereditary relations), भाई-भतिजवाद और जाती या धर्म जैसे सामुदायिक हितों को ध्यान में रख कर राजनितिक दलों द्वारा खड़े किये गए उम्मीदवार समाज के लोगों के संकीर्ण सोच को बहुत प्रभावित करता है, जो मतदाताओं को अपना मत उनको देने के लिए प्रेरित करता है।

भारत में राजनीति का अपराधीकरण का प्रभाव।

जब हमारे देश में राजनीति को बढ़ावा देने के इतने कारण हो सकतें हैं तो हमारे देश और समाज में इसका प्रभाव भी कुछ इसी स्तर पर है, जैसे :-

  • देश की सभी मुख्य राजनितिक दलों का सम्बन्ध किसी न किसी धार्मिक संस्था या फिर गैर सरकारी संगठनों के साथ अवश्य देखने को मिलता है, जो की एक लोकतान्त्रिक देश के और धर्म निरपेक्ष देश के खिलाफ है।
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत के खिलाफ है, जो की एक उपयुक्त उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए मतदाताओं की पसंद को सिमित करता है।
  • यह हमारे देश की सुशासन और कानून व्यवस्था को बुरे तरीके से प्रभावित करती है क्यूंकि कानून तोड़ने वाले अब कानून बनाने वाले बन जातें हैं, जिससे सुशासन देने में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की प्रभावशीलता प्रभावित होती है।
  • राजनीति के अपराधीकरण से हमारे समाज में भ्रस्टाचार और आम जानत की परेशानी और उनपर अत्याचार और बढ़ जाती है।
  • यह समाज में चुनाव के दौरान आम जानत में अस्थिरता कायम कर देता है, जिससे अच्छे राजनेता की छवि भी समाज के लोगों के विश्वास को अपने तरफ आकर्षित नहीं कर पाती है।
  • यह समाज में हिंसा की संस्कृति का परिचय देता है और युवाओं के अनुशरण के लिए एक बुरी मिसाल कायम करता है और शासन प्रणाली लोकतंत्र में लोगों के विश्वास को कम करता है।

भारत पुरे विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है, जहाँ विश्व में सभी देशों की तुलना में सबसे अधिक राजनैतिक दल हैं, भारत में 2019 के आम चुनाव के अनुसार कुल “2698 राजनितिक दल पुरे देश में है, जिसमे केवल 7 राष्ट्रीय स्तर राजीनीतिक दल है और 52 राज्य स्तर राजनैतिक दल” अब इतनी बड़ी संख्या में राजनितिक दल का होना पुरे देश के लिए राजनीति में अपराधीकरण एक गंभीर मामला हो गया है, जिसका प्रभाव हम समाज में साफ़ देख सकतें हैं।

राजनीति का अपराधीकरण को रोकने के लिए सुझाव।

  • सबसे अहम् बात यह है की चुनाव आयोग को पुरे देश के मतदाताओं में यह जागरूकता फैलानी चाहिए की जनता अपने मत का इस्तेमाल करने से पहले अपने संसदीय क्षेत्र या फिर विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों की पूरी जानकारी प्राप्त करे और यह सुनिश्चित करे की अतीत या वर्तमान में उसपर किसी प्रकार के आपराधिक मामलें दर्ज ना हो और वह आरोप मुक्त हो।
  • एक स्वच्छ चुनावी प्रक्रिया के लिए एक राजनितिक दल के मामलों को विनियमित करना आवश्यक है। इसके लिए चुनाव आयोग को मजबूत करना जरुरी है।
  • चुनाव के दौरन धन, उपहार और अन्य प्रलोभन के दुरूपयोग के बारे में भी देश के मतदाता को सतर्क करने की आवश्यकता है।
  • राजनीति के अपराधीकरण और भारतीय लोकतंत्र पर इसके बढ़ते हानिकारक प्रभावों को रोकने के लिए, भरतीय अदालतों को अब गंभीर आपराधिक आरोपों वाले लोगों पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने पर गंभीरता से विचार करे।
  • राजनितिक दलों को खुद दागी उम्मीदवारों को टिकट देने से मना कर देना चाहिए।
  • आपराधिक रिकॉर्ड वाले राजनेताओं के मामलें को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट्स को निपटाना चाहिए क्यूंकि नेताओं के पास न्यायिक कार्रवाई में देरी करने के बहुत से उपाय होतें हैं और नतीजे तक पहुंचने से पहले दशकों तक सत्ता में बने रहने की शक्ति भी है। यदि आपरधिक रिकॉर्ड रखने वाले राजनेताओं का जल्दी परिक्षण होगा तो वह चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं हो सकतें हैं।
  • अपराधियों को चुनाव जितने से रोकने के लिए मतदाताओं को वोटिंग मशीन में NOTA विकल्प का चयन करना चाहिए, जिससे यह पता चल सके की कितने प्रतिशत मतदाता किसी उम्मीदवार से संतुष्ट नहीं है।

दोस्तों ऐसे राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के सुझाव तो बहुत हैं लेकिन उनका कार्यान्यवयन कितने अच्छे तरीके से होगा इसका पता नहीं है और राजनितिक दलों के द्वारा इन कानूनों को कितना स्वीकार किया जायेगा इसकी पारदर्शिता सुनिश्चित करना मुश्किल है।

“इसलिए राजनीति के अपराधीकरण को कम करने का सबसे सबसे अच्छा तरीका है स्वयं मतदाता” क्यूंकि अगर आम जनता इसके खिलाफ जागरूक, समझदार और शिक्षित हो गयी तो यह खुद कम होता नज़र आएगा और ऐसा इसलिए क्यूंकि एक मतदाता अपने मत का प्रयोग बिना कुछ सोचे समझें उस उम्मीदवार के प्रति करके आ जाता है जो उसकी बस थोड़ी सी अच्छाई जानता है या फिर वह भी नहीं जानता और उस उम्मीदवार को अगले पुरे 5 साल के लिए अपने प्रतिनिधित्व के रूप में चुन लेता है, तो इसलिए यहाँ “राजनीति के अपराधीकरण को लोकतान्त्रिक मतदाताओं की सबसे बड़ी भूल बतलाई गयी है।

“मतदान है आपका अधिकार ना जाने दे उसको बेकार करें सही उम्मीदवार का चुनाव, बदले अपने देश का हाल क्यूंकि इस अपराधीकरण के लिए हमारा मत ही है जिम्मेदार”

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1 thought on “राजनीति का अपराधीकरण। (Criminalization of Politics.)”

  1. राधे राधे अपना मत अपना अधिकार ये बहुत बड़ी बात है इसे हर किसी को सोचना और समझना चाहिए ताकि हम एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकते हैं राधे राधे

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