राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों तो कैसे हो आप सब? आज मैं आप सब से हमारे समाज, दुनिया में बढ़ते “जलवायु परिवर्तन (Climate Change)” पर बातें करने जा रहां हूँ जो की आज पूरी दुनिया का एक सबसे अहम् मुद्दा बना हुआ है, वैश्विक लीडर्स के द्वारा अपने देशों में इस मुद्दे पे नीतियां भी बनाई जा रहीं हैं, सभी वैश्विक मंच पर ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को रोकने की भी बात की जा रही है, पुरे विश्व में अनेको विश्व संगठन, सामाजिक संस्थाओं, गैर सरकारी संस्था इन सभी के द्वारा अपने-अपने स्तर पर काम किया जा रहा है।
Table of Contents
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन क्या है?
‘जलवायु परिवर्तन(Climate Change) और ग्लोबल वार्मिंग’ जैसी परिस्तिथियाँ पृथ्वी का स्वभाव है, पृथ्वी अपने आप को समय के प्रकार से बदलते रहती है और यह बदलाव का कारण होता है अन्य प्रकार के गैसों का मिश्रण कार्बनडाईऑक्साइड, नाइट्रसऑक्साइड, मीथेन, सल्फरडाईऑक्साइड यह गैस पृथ्वी के चारो ओर फैली हुई रहती है, जो सूर्य के ऊर्जा को ग्रहण करती है, जिससे वह ऊर्जा पृथ्वी पर फैलती है।
लेकिन अभी कुछ मानव गतिविधियों और बढ़ते औधोगिकीकरण के कारण यह गैस की परतें और मोटी होते जा रही है, जो पृथ्वी को और अधिक गर्म कर रही है क्यूंकि यह गैस गर्म होती है और इनकी परत मोटी होने की वजह से यह और अधिक मात्रा में सूर्य की ऊर्जा ग्रहण कर रही है, इसे कहतें हैं जलवायु परिवर्तन(Climate Change)।
लेकिन क्या इतने प्रयासों के बाद भी हमे उसका परिणाम दिखाई दे रहा है, तो ऐसा बिलकुल नहीं है बल्कि पहले की तुलना में चीजें और तेजी से बढ़ती दिखाई दे रही है और जलवायु परिवर्तन(Climate Change) होने के कारण पूरी देश-दुनिया में इसका प्रभाव आपदा के रूप में दिखाई दे रहा है, जिससे हम और आप जैसे आम लोग प्रभावित हो रहें हैं, जैसे:-
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव।
क) ग्लोबल वार्मिंग के कारण बड़े-बड़े बर्फ के चट्टान पिघल रहें हैं और बर्फ के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ता जा रहा है, जिससे तटीय क्षेत्र और द्वीपों में रहने वाले लोगों को अपने स्थान को छोड़ कर जाना पड़ रहा है।
ख) जलवायु परिवर्तन(Climate Change) के कारन आकस्मिक बदल का फटना, असमय बारिश का होना जिसकी वजह से बड़े विकसित शहरी क्षेत्रों में भी बाढ़ जैसे हालात पैदा होना।
ग) जलवायु परिवर्तन(Climate Change) होने के कारण किसी एक स्थान पे अधिक बारिश होने से भूस्खलन जैसी आपदा का आना।
घ) ग्लोबल वार्मिंग के कारण जंगलों में अपने आप आग का लगना, जो की हमे हाल ही में ऐसी घटनाएं देखने मिली (ब्राज़ील में अमेज़न के जंगलों में आग, ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग, भारत में उत्तराखंड के जंगलों में आग, टर्की के जंगलों में आग)
ङ्ग) ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र के अंदर का तापमान भी बढ़ता जा रहा है और बढ़ता तापमान इस बात का प्रमाण है की हम अक्सर चक्रवात जैसी भी आपदा देखतें हैं।
इन सभी जलवायु परिवर्तन(Climate Change) से होने वाली आपदाओं से हमे हमारे समाज और दुनिया में आम लोगों के बीच जो इससे प्रभावित हुए हैं उनमे अस्थिरता देखने को मिल रही है जिसे हम “जलवायु शरणार्थी” कहतें हैं, ऐसा बताया जा रहा है की भारत में जलवायु से प्रभावित प्रति वर्ष शरणार्थी की संख्या लगभग 1.5 मिलियन है और वैश्विक तौर पर यह संख्या 19.3 मिलियन प्रति वर्ष है।
हमने जलवायु परिवर्तन(Climate Change) से प्रभावित लोगों को कितनी समस्यां का सामना करना पड़ता है यह तो देखा और कितने लोग इससे प्रभावित होतें हैं यह भी हमे पता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन से कितने जिव-जंतु प्रभावित होतें हैं इसके बारे में कोई बात ही नहीं करता है, जब इंसानो के प्रभावित होने की संख्या इतनी है तो जिव-जन्तुओ की कितनी होगी यह आप भी अनुमान लगा सकतें हैं।
आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाएं हमारे समाज और दुनिया को नष्ट करने का एक सबसे बड़ा कारण बनेगी, जिसके जिम्मेदार इस समाज में रहने वाले मनुष्य स्वयं ही होंगे जिसकी शुरुवात हो चुकी है क्यूंकि पौराणिक काल के बारे में हम सबने केवल “प्राकृतिक आपदाओं” के बारे में ही पढ़ा है लेकिन आज के इस आधुनिक समाज में हम सबने प्राकृतिक के साथ-साथ “मानव निर्मित आपदा” भी देखा है।
‘मानव निर्मित आपदा‘ वह आपदा है जो की मानव द्वारा बनाये वस्तु का दुरूपयोग करना, लापरवाही करना या फिर किसी प्रकार से मानव द्वारा प्रकृति के चक्र को नष्ट करना। यह देखना बहुत ही चिंता जनक है की मानव प्रेरित गतिविधियों की वजह से मानव का विनाश हो रहा है।
इसलिए आपने देखा होगा की पुरे विश्व में समाज से ऐसे बहुत “जलवायु कार्यकर्ता” सामने निकल कर आएं (ग्रेटा थुनबर्ग, लिकप्रिया कँगुजम, रिद्धिमा पांडेय) जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के लिए आवाज़ उठाई।
जलवायु परिवर्तन को प्रभावित करने वाली मानव गतिविधियाँ।
ऐसी अनगिनत मानव गतिविधियां है जो की विश्व में होने वाले जलवायु परिवर्तन(Climate Change) में सहायक का काम करती हैं, जिसे मानव नज़रअंदाज़ कर कर अपनी जरूरतों को पूरा करने में लगा रहता है:-
क) पृथ्वी के संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करना, बड़ी मात्रा में वनों की कटाई करना, भारी मात्रा में कोयले का उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन करना।
ख) भारी मात्रा में अनुपयोगी प्लास्टिक के बने थैले का उपयोग करना, जो की वातावरण के साथ जिव-जन्तुओं को भी नुकशान पहुँचाता है और प्लास्टिक का जीवन चक्र सालों-साल तक रहता है।
ग) मानव के द्वारा उपयोग किये जाने वाले एयर कंडीशनर, फ्रीज, ईंधन वाली गाड़ियां यह सब हमारे पृथ्वी के तापमान को बढाती है, जिसका सीधा असर जलवायु परिवर्तन में देखने को मिलता है।
घ) बड़े-बड़े उद्योगों और कारखानों में से जहरीली गैस का उत्सर्जन होना और जहरीली रसायन से जल का दूषित होना।
ङ्ग) जंगलों को साफ़ करके शहरीकरण करना और गलत तरीके से ईमारत का निर्माण करना ईमारत के गिरने का खतरा रहना।
च) मानव द्वारा जानवरों को मारकर उनकी तस्करी करना जो की हमारे खाद्य चक्र को नष्ट करता है।
छ) मानव द्वारा अक्षय ऊर्जा का उपयोग ना करके ईंधन का उपयोग करना।
इन सभी के बावजूद हमारे सभी प्रमुख देशों के लीडर्स भी कार्बन उत्सर्जन में पीछे नहीं हैं, जैसे चीन, अमेरिका, भारत, रूस, जापान यह पांच ऐसे प्रमुख देश हैं, जो की पुरे विश्व में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करतें हैं।
मानव गतियविधियों से यही साबित होता है की वह अपनी विनाश की तैयारी स्वयं ही कर रहा है क्यूंकि “विनाशकाले विपरीत बुद्धि” ऐसा हमारे शास्त्रों में भी लिखा है।
जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कारक।
भूवैज्ञानिक रिकार्ड्स यह बतातें हैं की पृथ्वी की जलवायु में कई बड़े बदलाव हुए हैं, जो की बहुत से प्राकृतिक कारकों के कारण से हुए हैं, जिनमे:
- सूर्य की शक्ति में बदलाव
- पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन, अक्षय झुकाव और पूर्वगामी
- महासागरीय धाराएं और कार्बनडाइऑक्साइड सामग्री
- वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा का बढ़ना
- भूमि आवरण में परिवर्तन
- प्लेटटेक्टोनिक्स और ज्वालामुखी विस्फोट
- उल्कापिंड का प्रभाव
वैश्विक जलवायु परिवर्तन(Global Climate Change) आमतौर पर हज़ारों या लाखों वर्षों में बहुत धीरे-धीरे होता है, हालाँकि अनुसंधान से यह पता चलता है की वर्तमान जलवायु भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में दिखाए गए की तुलना में अधिक तेजी से बदलाव हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ तथ्य।
क) जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ता है, हमारे समाजों को इससे होने वाले परिवर्तनों के अनुकूल होना कठिन होगा, और कुछ प्रजातियों के विलुप्त होने की संभावना अधिक है।
ख) 1870 के बाद से, वैश्विक समुद्र का स्तर लगभग 8 इंच बढ़ गया है।
ग) ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाली गर्मी की लहरें गर्मी से संबंधित बीमारी और मृत्यु का अधिक जोखिम पेश करती हैं, जो अक्सर उन लोगों में होती हैं जिन्हें मधुमेह है जो बुजुर्ग हैं या बहुत छोटे हैं।
घ) जलवायु परिवर्तन से 1 मिलियन से अधिक प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वर्तमान में पौधों और जानवरों की दर्जनों प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं, प्राकृतिक दर से लगभग 1,000 गुना। सदी के मध्य तक, पृथ्वी पर पाई जाने वाली कुल प्रजातियों में से 30 से 50 प्रतिशत तक विलुप्त हो चुकी होंगी।
ङ्ग) 2019 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक अवधि से 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक था, WMO के अनुसार, 2019 रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे गर्म वर्ष था, जो असाधारण वैश्विक गर्मी, पीछे हटने वाली बर्फ और मानव द्वारा उत्पादित ग्रीनहाउस गैसों द्वारा संचालित समुद्र के स्तर को रिकॉर्ड करने वाला दूसरा सबसे गर्म वर्ष था।
जलवायु परिवर्तन को कम करने में लोगों का योगदान।
आम इंसान के द्वारा ऐसे बहुत से कार्य किया जा सकतें हैं, जिससे हम अपना योगदान जलवायु परिवर्तन(Climate Change) को कम करने में दे सकतें हैं, जैसे:
क) लोगों को कोशिश करनी चाहिए की जितना हो सके कम से कम एयर कंडीशन का उपयोग करें और नहीं तो एयर कंडीशन के तापमान को हमेशा 26 डिग्री के ऊपर रख कर ही चलाएं, जिससे वातावरण में कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
ख) लोगों को हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए की प्रकृति के अनुकूल चीजों का उपयोग करें अगर हमे कहीं पास में जाना है तो साइकिल का उपयोग करें नहीं तो हम बिजली से चलने वाले वाहन का उपयोग भी कर सकतें हैं।
ग) जितना कम से कम हो सके प्लास्टिक थैले का उपयोग करें या तो कागज़ का थैला नहीं तो कपडे का बना थैला ही उपयोग करें।
घ) हमेशा पानी की बचत करें और कोशिश करें वर्षा के जल को संचय करने की।
ङ्ग) अपने घरों के साथ-साथ समाज को भी साफ़ रखने की जिम्मेदारी हमारी है।
च) कोशिश करें की अपने हाथों से एक पौधा या पेड़ अवश्य लगाएं, जिसकी आने वाले समय में अहम् भूमिका होने वाली है।
ऐसे छोटे-छोटे कामों पर ध्यान देकर अगर समाज का हर व्यक्ति यह सोचे, तो हम सब एक साथ मिल कर ऐसी अनेको मानव गतिविधियों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कम कर सकतें हैं, लेकिन अधिकतर व्यक्तिओं के द्वारा यही सोचा जाता है की समाज में मेरे सिर्फ करने से क्या बदलने वाला है।
जलवायु परिवर्तन के लिए भारत की पहल और योजनाएं।
हमारे भारत देश के द्वारा भी जलवायु परिवर्तन को नियंत्रण करने के लिए बहुत से कदम उठायें गएँ हैं जिसका असर हम “जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2021” में भारत ने कुल 57 देशों में 10 वां स्थान प्राप्त किया है।
हमारा भारत “अंतराष्ट्रीय सौर गठबंधन” का संस्थापक सदस्य भी है, जो की कुल 121 देशों का गठबंधन है, जिसकी घोसना पहली बार भारत के प्रधानमंत्री जी के द्वारा नवंबर 2015 में प्रस्तावित किया गया था और जिसका मुख्यालय भी भारत के गुरुग्राम, हरियाणा में स्थित है।
क) जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी), 2008:
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन
- बढ़ी हुई ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन
- हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन
- “हरित भारत” के लिए राष्ट्रीय मिशन
- राष्ट्रीय जल मिशन
- जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान मंच पर राष्ट्रीय मिशन
- सतत कृषि जलवायु के लिए राष्ट्रीय मिशन
ख) पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए)
ग) प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई)
घ) ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी), 2017
ङ्ग) एकीकृत आवास मूल्यांकन के लिए हरित रेटिंग (गृह)
च) सभी के लिए अफोर्डेबल लाइटिंग द्वारा उन्नत ज्योति (उजाला)
छ) अक्षय ऊर्जा विकास
ज) सौर शहर
झ) अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क
यं) राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति
ट) नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (एनईएमएमपी)
ठ) हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और निर्माण करना(FAME)
ड) कार्बन टैक्स
ढ) ग्रीन बांड
जलवायु परिवर्तन के लिए अंतराष्ट्रीय पहल और समझौते।
पुरे विश्व में अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत से संगठनों द्वारा कार्य किये जा रहें हैं, जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाये कुल “17 सतत विकाश लक्ष्यों” में सतत विकाश लक्ष्य 13, 14, 15 भी जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करती है, जिसे हासिल करने का लक्ष्य वर्ष 2030 रखा गया है।
क) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)
ख) इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी)
ग) रामसर कन्वेंशन (1971)
घ) CITES (जंगली वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन, 1973)
ङ्ग) वियना कन्वेंशन (1985)
च) क्योटो प्रोटोकॉल (1997)
छ) जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) 1992
ज) मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD), 1994
झ) किगाली समझौता (2016)
यं) पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता, 2015
निष्कर्ष।
हमारे समाज देश और दुनिया के द्वारा बहुत सी ऐसी नीतियां और समझौते किये गएँ हैं जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए लेकिन जिस स्तर पर उनपे काम करना चाहिए था वह कहीं-न-कहीं मानव प्रेरित गतिविधियों जो की जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देती है उसकी तुलना में कम है, हालाँकि राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह से कोशिश की जा रही है, लेकिन इन सब में समाज को भी आगे निकल कर आना पड़ेगा क्यूंकि लोगों की भागीदारी भी जलवायु परिवर्तन(Climate Change) में अहम् भूमिका निभाती है।
“सम्भालों अपनी आदतों को, यह जलवायु का तांडव है, अब भी ना संभले तो विनाश निश्चित है”
Climate change is a vital factor. Very informative article about climate change👏👏👍👍
इस आर्टिकल से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें अपने आप के साथ लोगों को अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाने की बहुत सख्त कार्रवाई करनी होगी जो अपने जीवन के साथ प्राकृति को भी बदलने से रोक सकते हैं हम सुधरेंगे तो देश भी अच्छा होगा