राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों,आज मैं आप सबसे हमारे समाज में होने वाली “बाल भिक्षावृति(Child Begging)” जैसे घिनौने अपराध के बारे में कुछ बातें साझा करूँगा, यह एक घिनौना अपराध इसलिए है क्यूंकि यह एक मासूम बच्चे से उसकी हसने-खेलने वाली उम्र छीन लेता है और उसे अपने बहुत से हक से वंचित कर देता है, जिसके बारे हम सभी जानते हैं लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं जिसे हम नज़रअंदाज़ करते हैं और हमारा ऐसा करना ही समाज में इन सब चीजों को बढ़ावा देता है।
दोस्तों आप ही बताइए क्या भिक्षावृति (भीख माँगना) सही है, हालाँकि भीख माँगना किसी-किसी की मज़बूरी होती है लेकिन मैं यहाँ यह बता दूँ की बहुत कम ही ऐसे होतें हैं जिनकी मज़बूरी होती है वरना अधिकतर को तो जबरदस्ती भीख मंगवाया जाता है और कितनो की तो यह आदत ही बन चुकी है।
हम हमेशा अपने आस-पास समाज में ऐसा देखतें हैं की इस भिक्षावृति में बहुत से बच्चे भी शामिल होतें हैं, जो खुद एक बच्चा होते हुए भीं अपने गोद में एक छोटे बच्चे को लेकर सड़कों और गलियों में भीख माँगता और जरा सोचिये की यह कितनी दुःख की बात है की यह बच्चे जो कल की भविष्य हैं, जो कल की संपत्ति हैं वह अपने इस सुन्दर से मासूम बचपन को गुलामी करके खो देतें हैं।
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*बाल भिक्षावृति क्या है?
ऐसे आसान भाषा में हम कह सकतें हैं की जब किसी बच्चे के द्वारा भीख माँगा जाता है तो उसे हम बाल भिक्षावृति कहतें हैं लेकिन आज के समाज में ऐसा नहीं है क्यूंकि बाल भिक्षावृति (Child Begging) आज के समय में व्यवसाय बन चूका है, जिसे कुछ बड़ी ताकतों द्वारा इस फलते-फूलते व्यवसाय को एक आकर दिया जा सके और जो की मुख्य रूप से लोगों की भावना और सहानुभूति पर कार्य करता है।
*भारत में बाल भिक्षावृति के कारण और प्रभाव।
हमारे देश में शिक्षा बच्चों के लिए एक मौलिक अधिकार है, जहाँ आज भी कितने बच्चे अपनी शिक्षा से वंचित रह जातें हैं जिसका मूल कारण गरीबी है। गरीबी और शिक्षा का अभाव यह दो ऐसे मूल कारक हैं जो बच्चों को भीख माँगने पर विवश कर देतें हैं। बच्चों के इस भीख मांगने की हरकत ने उन हज़ारों बच्चों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
इन दो मूल कारकों के अलावा और भी ऐसे कारक हैं जो की सही मायने में भिक्षावृति को बढ़ा रहें हैं, देश में माफिआओं के द्वारा कुछ रैकेट्स भी चलाएं जातें हैं जो बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करतें हैं, जहाँ बच्चों को गुमराह करके और उनके साथ दुर्व्यवहार करतें हैं और बच्चों को बतातें हैं की उन्हें कैसे भीख मांगनी है कैसे लोगों में भावनात्मक सहानुभूति पैदा करनी है ताकि लोग पैसे देने के लिए मजबूर हो जाएँ।
विकलांग बच्चों को अक्सर भीख मांगने के लिए इस्तेमाल किया जाता है या इस उद्देश्य से उन्हें जान भूझकर विकलांग बना दिया जाता है, जिससे लोगों में सहानुभूति पैदा होती है और लोगों को उसपर दया आने लगती है।
ऐसे रैकेट्स चलाने वाले लोगों के द्वारा हर एक बच्चे को प्रतिदिन कुछ आय सिमा बतलाई जाती है, जिसे उस बच्चे को भीख मांग कर पूरा करना होता है और आय सिमा पूरा ना करके लाने पर उनके द्वारा बच्चों को शारीरिक रूप से कष्ट पहुंचाया जाता है।
दोस्तों, इसलिए आपने अक्सर एक बात गौर की है की अगर किसी बच्चे को या किसी भीख मांगने वाले को आप कुछ खाने की वस्तु देते हो तो वह नहीं लेता है क्यूंकि उसे पैसे चाहिए होतें हैं और अगर आप उन्हें 2 या 5 रुपये पैसे देते भी हो तो वह वापस कर देता है क्यूंकि उन्हें ज्यादा पैसे चाहिए जिससे उनकी आय सिमा पूरी हो सके।
हम सबने एक और बात गौर की होगी की एक छोटी लड़की के साथ या महिला के साथ एक सोता हुआ छोटा नवजात बच्चा होता है, जो प्रमुख आकर्षण होता है जिसे लोगों के द्वारा पैसे देने की संभावना अधिक होती है लेकिन उस सोते हुए बच्चे के पीछे की सच्चाई कोई जानता है वह यह है की उस बच्चे को सुबह एक ग्लास दूध दिया जाता है जिस दूध में दवा मिलाई जाती है जिससे बच्चा सारा दिन सोता रहता है ताकि छोटी लड़की या महिला चैन से भीख मांग सके।
भारत के ‘राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग’ द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट के अनुसार हर साल 40,000 बच्चों का अपहरण किया जाता है, जिससे पता चलता है की भारत में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है, जिनमे 25% से अधिक का पता ही नहीं चल पता है। हमारे देश में तीन लाख से अधिक बच्चें हैं, जो की भीख मांगने के लिए मजबूर हैं और मैं यह भी आपको बता दूँ की बाल भिखारी ऐसे तो हमे सभी जगह देखने को मिलते हैं लेकिन इनकी बड़ी संख्या व्यवसाय के रूप में अक्सर हमे बड़े शहरों में और रेलवे स्टशनों में देखने को मिलती है। तो आप समझ सकतें हैं की हमारे समाज में चीजें किस हद तक फैली हुई है।
*भारत में बाल भिक्षावृति के खिलाफ कानून।
भारत में बाल भिक्षावृति समाप्त करने के लिए सरकार और संविधान दोनों के दवरा कुछ नियम और कानूनी ढाँचे बनाये गएँ हैं जो बाल विरोधी भीख मांगने की प्रथाएं और बच्चे के कल्याण को बढ़ावा देता है।
- भारतीय दंड संहिता, 1860
इसमें धारा 363A के तहत कहा गया है की कोई भी व्यक्ति अगर भीख मंगवाने के लिए किसी बच्चे का अपहरण या उसे अपंग करता है तो उसे 10 साल की कैद होगी।
- बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ भीख अधिनियम, 1959
इसका उद्देश्य भिखारियों को भीख मांगने से रोकना है और उन्हें एक बेहतर रोजगार देना है। अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भीख मांगने के लिए बाल अधिनियम, 1969 के तहत अदालतों में भेजा जाएगा और उनकी मां को उनकी देखभाल के लिए हिरासत में लिया जाएगा।
- बाल अधिनियम, 1960
इस अधिनियम के धारा 42 में यह प्रावधान है की अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे को भीख मांगने के लिए काम पर रखता है या उसे भीख मांगने के लिए प्रेरित करता है तो वह दंडनीय होगा।
- रलवे अधिनियम, 1989
इस अधिनियम की धारा 144(2) के तहत किसी भी बच्चे और व्यक्ति को रेल में भीख मांगने से रोकती है और अगर कोई ऐसा करते पाया गया तो उसे 1 साल की कारावास दी जाएगी।
हमारे देश में बाल भिक्षावृति को रोकने और कम करने के लिए कानून तो हैं लेकिन उसका पालन अधिकारियों और प्रवर्तन विभाग (enforcement department) द्वारा उस हद तक नहीं की जाती है, जिसके कारण हमे इसमें और अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली है और कोरोना महामारी ने इस अपराध को और गति प्रदान की है क्यूंकि ना जाने इस महामारी के दौर में कितने ऐसे मासूम बच्चे बेघर हो गए, अनाथ हो गए और कितनो की तस्करी की गयी।
इसलिए सरकार को बाल भिक्षावृति को खत्म करने के लिए और शक्त कानून बनाने होंगे और साथ ही साथ देश के प्रवर्तन विभाग को और भी मजबूत करना होगा और हमे समाज में इसके प्रति लोगों के बिच जागरूकता फैलानी होगी, जहाँ हम सबके भागीदारी से बाल भिक्षावृति को खत्म करने में आसानी हो।
*बाल भिक्षावृति को कैसे रोकें और कैसे उनकी मदद करें?
- समाज में रह रहे हर नागरिक का यह कर्तव्य होता है की वह समाज में हो रहे गलत कामों को देख कर भी नज़रअंदाज़ ना करे और खास तौर पर तब जब कोई भारतीय के भावनाओं और सहानुभूति के साथ खिलवाड़ करने लगे और बाल भिक्षावृति में हमारे भावनाओं के साथ खिलवाड़ ही तो होता है क्यूंकि हम किसी मासूम बच्चे को देख कर जिसके द्वारा भीख माँगा जा रहा हो उसे पैसे निकाल कर दे देतें हैं और हमारे ऐसा करने से हम सोचतें हैं की हमने उसकी मदद कर दी लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है क्यूंकि हमने पैसे देकर उस बाल भिक्षावृति रैकेट्स चलाने वाले माफिया को और प्रोत्साहन दिया है ताकि वह इसे और बड़े स्तर पर कर सके।
- अगर हमे किसी भीख मांगने वाले बच्चे की मदद करनी भी है तो उन्हें पैसे देने की जगह पर कुछ खाने की वस्तु दे सकतें हैं क्यूंकि वह पैसे का उपयोग नशा करने के लिए भी कर सकता है।
- अगर आपको लगता है की किसी बच्चे के द्वारा भीख माँगा जा रहा है और वह परेशान भी है तो सबसे पहले आप पुलिस और रेलवे विभाग अधिकारियों को रिपोर्ट कर सकतें हैं क्यूंकि वह उनकी जान बचा सकतें हैं।
- अगर कोई संदिग्ध बच्चा है जो की भीख मांग रहा हो तो आप उसकी मदद “चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर:1098″ पर कॉल करके बता सकतें हैं।
- अगर आप किसी चाइल्ड केयर और वेलफेयर एन.जी.ओ को जानते हैं तो उनसे संपर्क करके उस मासूम बच्चे की मदद कर सकतें हैं।
बाल भिक्षावृति जैसी ऐसी घिनौनी अपराध को हम सबको मिल कर खत्म करना होगा हमे अपने आप को और दुसरो को भी जागरूक करना होगा क्यूंकि वह बच्चे कहीं न कहीं हमारे समाज से ही होतें हैं और हमारी उन भीख मांगने वाले बच्चों के प्रति छोटी सी कोशिश उनकी पूरी ज़िन्दगी बदल सकती है क्यूंकि यह केवल सरकार का काम नहीं है बल्कि ऐसे बच्चें जो आने वाले समय में देश का भविष्य हैं उनकी रक्षा करना और उनका कल्याण करना भी एक भारतीय की ज़िम्मेदारी है।
‘कैलाश सत्यार्थी’ जैसे लोग, जिन्होंने अपने बचपन बचाओ आंदोलन द्वारा गरीब बच्चों को बचाने और उनकी मदद करने के लिए नोबेल पुरस्कार जीता, या ‘जे राम चंद्र सरथ बाबू’ जिन्होंने कई बच्चों को भीख मांगने से बचाया है। हमारी प्रेरणा होनी चाहिए। अगर हम इस बात से सहमत हो सकते हैं कि भारत में बाल भीख मांगना एक गंभीर समस्या है, तो हम भी उनके साथ सहानुभूति रख सकते हैं और बदलाव लाने के लिए काम करना शुरू कर सकते हैं। चूंकि इस क्षेत्र में अत्यधिक अंधेरा है, आशा की एक किरण बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है।
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आज के इस दौर में वाकई बाल भिक्षा एक जटिल समस्या है जो कि आज समाज के लोगों को सोचना चाहिए ताकि इसको कम कर सके ये बच्चे ना तो समाज के लिए कुछ अच्छा करते है और ना तो अपने लिए राधे राधे