स्वयं सहायता समूह। (Self Help Groups in Hindi.)

bharat mein swayam sahayata samuh

भारत में स्वयं सहायता समूह का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इसकी सकारात्मकता देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपना प्रभाव स्थापित कर रही है। ‘स्वयं सहायता समूह (Swayam Sahayata Samuh)’ समाज की एक ऐसी व्यवस्था बनती जा रही है, जो की बैंकिंग व्यवस्था के बाद गिनी जाएगी, जिसका समर्थन सरकार के द्वारा भी किया जा रहा है, यह ख़ास तौर पर महिलाओं को सशक्त, गरीबी को कम करने और स्व-रोज़गार को प्रोत्साहित करने के लिए स्वयं सहायता के विचार पर भरोसा करती हैं।

भारत में लैंगिक असमानता। (Gender Inequality in India in Hindi.)

bharat mein laingik asamanta

लैंगिक असमानता स्त्री-पुरुष के मध्य एक ऐसी परम्परावादी नाकारात्मक सोच है, जिसका अंश आज भी समाज के कई हिस्सों में देखने को मिलता है। ईश्वर ने स्त्री-पुरुष की रचना करते वक़्त किसी भी प्रकार का अंतर चिन्हित नहीं किया केवल लिंग को पारस्परिक तरीके से अलग बनाया, जिससे पृथ्वी पर जीवन आगे बढ़ सके, लेकिन सामाजिक लोगों ने केवल लैंगिक अंतर को विभिन्न प्रकार की धारणाओं से जोड़कर स्त्री और पुरुष के मध्य एक बहुत बड़ी असमानता की दिवार खड़ी कर दी। हालाँकि, भारत भी इस परम्परावादी सोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण था लेकिन अब “भारत में लैंगिक असमानता (Bharat mein Laingik Asamanta)” का प्रचलन धीरे-धीरे कम हो रहा है फिर भी इसका अंश आज भी समाज के लोगों के दिमागों में बैठा है, जिसे दूर करना चुनौती भरा कार्य है।

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में इसरो की भूमिका। (Role of ISRO in Indian Space Programme in Hindi.)

bhartiya antariksh karyakram ISRO

अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने कल्पनाओं और सपनों को साकार करते हुए आज हमारा भारत पूरी दुनिया में एक अलग ही दृष्टि से अवलोकित किया जाता है, अंतरिक्ष अनुसंधान और कार्यक्रम में भारत ने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है, जो की हमारे भारत को श्रेष्ठ कोटि की अंतरिक्ष तकनीक वाले विकसित देशों की श्रेणी के कतार में खड़ा करता है और इन उपलब्धियों को हासिल करने का श्रेय हमारे देश का गौरव “भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (ISRO)” के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और लगन को समर्पित है। ‘भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में इसरो की भूमिका (Role of ISRO in Indian Space Programme)’ सराहनीय है क्यूंकि एक ऐसा देश जिसे दूसरे देशों ने कई बार लूटा है और आज़ादी के बाद जिसके पास ढंग से खाने तक के पैसे नहीं थे वह देश अंतरिक्ष और चाँद में जाने के बारे में क्या सोचेगा?

भारत में ‘G-20 शिखर सम्मलेन, 2023’ का महत्व। (Importance of ‘G-20 Summit, 2023’ in India in Hindi.)

bharat mein G-20 shikhar sammelan

’18वीं G-20 Shikhar Sammelan, 2023′ की मेजबानी और अध्यक्षता भारत करने वाला है, जिसका थीम भारत ने “वसुधैव कुटुंबकम अथवा वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” रखा है। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा की “ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी (G-20)” की अध्यक्षता और मेजबानी भारत करेगा साथ ही यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है की इस बदलते युग के वैश्विक समीकरण में जब भारत वैश्विक मंच पर एक नेतृत्वकर्ता और महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। “भारत में G-20 शिखर सम्मलेन, 2023 का महत्व (Importance of ‘G-20 Summit, 2023’ in India)” भारत को विभिन्न प्रकार से लाभान्वित करेगा।

गणतंत्र दिवस पर लेख। (Article on Republic Day in Hindi.)

gantantra diwas par nibandh

‘गणतंत्र’ एक बहुत ही सात्विक और एकता का भाव उत्पन्न करने वाला शब्द है, जहाँ ‘गण’ देश की जनता के लिए है और ‘तंत्र’ उस देश की सत्ता के लिए, मतलब ऐसा राष्ट्र जिसकी सत्ता जनसाधारण पर निहित होती है। हमारा प्यारा भारत अपनी गणतंत्र का जश्न प्रति वर्ष बड़े उत्सुकता और सम्मान के साथ मनाता है और हमारा “गणतंत्र दिवस (Republic Day)” भारत का राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, Gantantra Diwas के इस त्यौहार को ख़ास तौर पर भारत के सभी विद्यालयों और सरकारी विभागों में बड़े गर्व के साथ मनातें हैं।

डिजिटल इंडिया का महत्व। (Importance of Digital India in Hindi.)

digital india ka mahatva

भारत वर्त्तमान और भविष्य की जरूरतों को महसूस करते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को मैनुअल से डिजिटल अर्थव्यवस्था में स्थानांतरित कर रहा है क्यूंकि वैश्विक समीकरण बहुत तेजी से बदल रहें है और दुनिया खुद को डिजिटल दुनिया की ओर अग्रसर कर रही है। “डिजिटल इंडिया का महत्व (Importance of Digital India)” समाज में आग की तरह फ़ैल रहा है क्यूंकि इसके उपयोग को भारत सरकार ने अपने नागरिकों के अनुकूल बना दिया है। डिजिटल दुनिया के मामले में भारत वर्त्तमान में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहा है क्यूंकि डिजिटलीकरण से सम्बंधित भारत ने विशेष रूप से ‘Digital India Mission’ की शुरुवात की है।

भारतीय नागरिक के मौलिक कर्त्तव्य। (Fundamental Duties of Indian Citizen in Hindi.)

bhartiya nagrik ke maulik kartavya

किसी ज्ञानवान पुरुष द्वारा यह कहा गया है की “महान शक्तियों के साथ ही बड़ी जिम्मेदारियाँ भी आती हैं”, इसी प्रकार से हमारे भारत के संविधान के द्वारा जैसे अपने नागरिकों को मौलिक अधिकार (आम नागरिक के हाथों में स्वतंत्रता और सशक्तता की शक्तियाँ प्रदान करना) प्रदान की गयी है ठीक वैसे ही संविधान ने उन्हें मौलिक कर्त्तव्य (आम नागरिकों की अपने राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियाँ) भी प्रदान कियें हैं, जो की संविधान में “भारतीय नागरिक के मौलिक कर्त्तव्य (Bhartiya Nagrik ke Maulik Kartavya)” के नाम से अंकित है।

भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकार। (Fundamental Rights of Indian Citizen in Hindi.)

bhartiya naagrik ke maulik adhikaar

संविधान में, “भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकार (Bhartiya Naagrik ke Maulik Adhikaar)” भारत को एक संप्रभु, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाते हैं क्योंकि मौलिक अधिकार विविधता में एकता बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और भारतीय समाज के प्रत्येक समुदाय को गरिमापूर्ण जीवन के साथ उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करते हैं। मौलिक अधिकार एक लोकतांत्रिक देश की जनता का वह अंग है जिसके बिना जनता अपाहिज है क्यूंकि एक लोकतांत्रिक देश में भारतीय नागरिक के Maulik Adhikaar ही उसे गरिमाशाली जीवन जीने का हक प्रदान करती है।

भारतीय सेनाएँ : देश का गौरव। (Indian Armed Forces : Pride of the Nation in Hindi.)

Bhartiya Senayen Desh ka Gaurav

भारतीय सेनाएँ हमारे देश की सम्प्रभुत्ता, शौर्य और करोड़ों लोगों के मर्यादाओं की रक्षा करने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए हमारी “भारतीय सेनाएँ :देश का गौरव (Bhartiya Senayen : Desh ka Gaurav)” कहलातें हैं क्यूंकि वह भारत के ऐसे वीर सपूत हैं, जिन्होंने अपना जीवन अपने राष्ट्र को समर्पित किया है, वह ऐसे वीरयोद्धा हैं जो की अमर होने के लिए जीतें हैं, अपने देश की आन-बान-शान के लिए अपने सर पर कफ़न बाँध कर चलते हैं और जिनकी देश भक्ति अपने भारत माता की सेवा कर अपने लहू को समर्पित करके सिद्ध होती है।

भारतीय संस्कृति पर सिनेमा का प्रभाव। (Influence of Cinema on Indian Culture in Hindi.)

cinema ka bhartiya sanskriti par prabhav

हमारा भारत विभिन्न प्रकार की परम्पराओं एवं संस्कृतियों का एक अनमोल संगम है, जिसकी चर्चा पुरे विश्व में की जाती है और जिसके कारण हमारे भारत को ‘संस्कृति समृद्ध राष्ट्र’ भी कहा जाता है। जहाँ ‘कोष-कोष पर बदले पानी और सवा कोष पर वाणी’, ऐसा संस्कृति समृद्ध राष्ट्र पुरे विश्व में नहीं है और ‘सर मार्टिन लूथर किंग’ के द्वारा भी एक बहुत ही सुन्दर बात कही गयी है की “मैं अन्य देशों में एक पर्यटक के रूप में जा सकता हूं, लेकिन भारत में मैं एक तीर्थयात्री के रूप में आता हूं”, जो की हमारे भारतीय संस्कृति की ओर इशारा करता है ।