भारत में दहेज़ प्रथा। (Dowry System in India.)

taking dowry from bride

आज मैं आप सब से “दहेज़ (Dowry)” के सम्बन्ध में समाज की वह वास्तविक सोच आप सब के साथ साझा करूँगा, जिसके कारण इस समाज से दहेज़ प्रथा समाप्त ही नहीं हो रहा है। हम सब समाज में दहेज़ के विरोध में बातें करते हैं लेकिन जब समय आता है तो अधिकतर लोग अपना असली चेहरा समाज के सामने प्रकट कर देतें हैं। दहेज़ हमारे समाज की एक ऐसी कुप्रथा है जिसने कितनी बेटियों की ज़िन्दगी बर्बाद कर दी है, जिसने कितनी बेटियों की जान ले ली है, जिसने कितने ही माँ-बाप के अरमानो को कुचल कर रख दिया, जिसने कितने माँ-बाप को खून के आसूँ रोने के लिए मजबूर कर दिया इन सब के बावजूद समाज में आज भी दहेज़ लेने का प्रचलन को लोग अपनी शान समझतें हैं

हमारे समाज में दहेज़ लेने वालों की सोच इस हद तक गिर गयी है की वह अधिकतम दहेज़ की मांग को अपनी शान समझतें हैं, लेकिन यहाँ मैं गुजारिस करूँगा उनसे जो दहेज़ लेना अपनी शान समझतें हैं की वह खुद एक बाप के नाते यह सोच कर देखे  बेटी के पिता ने अपनी पूरी ज़िन्दगी की कमाई, अपने घर की किलकारी और अपने घर का रौनक ही तुम्हे सौंप रहा हो, यह सोच कर की उसकी बेटी अब तुम्हारे घर को रौनक करे और तुम्हारे घर के वंश को आगे बढ़ाये तो तुम ऐसे पिता से दहेज़ की क्या मांग करते हो जो तुम्हे अपने घर की सारी खुशियां ही दे रहा हो

भारत में गरीबी। (Poverty in India.)

poverty in society

दोस्तों आज मैं आप सब के साथ चर्चा करूँगा हमारे समाज के सबसे बड़े वर्ग “गरीबी (Poverty)” के बारे में, “भारत में गरीबी (Poverty in India)” तिस करोड़ से भी ज्यादा है और जिसे समाज के द्वारा भी नज़रअंदाज़ किया जाता है। दोस्तों ‘गरीबी’ एक ऐसा दर्द है जो दुखता तो है लेकिन उससे कभी आह नहीं निकलती, ‘गरीबी’ एक ऐसी मासूमियत है जहाँ एक मासूम से मन के पीछे अनगिनत चाह हैं, ‘गरीबी’ हमारे समाज के द्वारा उत्पन्न किया गया वह एहसाँस है जहाँ एक गरीब इस समाज को देखने के बाद सोचता है की वह अपने माँ के कोख में ही अच्छा था।

डिप्रेशन :ए साइलेंट थ्रेट इन सोसाइटी। (Depression: A Silent Threat in Society.)

person suffering from depression in society

यह एक ऐसी अवस्था है जब व्यक्ति का मन और दिमाग नैगिटिविटी, चिंता, तनाव और उदासी से घिर जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता खत्म हो जाती है और वह धीरे-धीरे खोखला होने लगता है। क्योंकि यह एक मानसिक रोग है इसलिए इसमें रोगी को देखकर अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता परंतु यदि लक्षणों पर गौर करें तो इसका पता चल सकता है।

भारतीय पुलिस और प्रशासन। (Indian Police and Administration in Hindi.)

indian police and administration

मैं आज आपसे बात करने जा रहाँ हूँ हमारे प्रशासन प्रणाली को संभालने वाले उन सेवकों को के बारे में जो हमारे समाज और देश के आंतरिक मामलों को बनाये रखना ही अपना कर्तव्य समझतें हैं और अपना फर्ज भी जिसके लिए उन्हें नियुक्त किया जाता है, जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ “पुलिस और प्रशासन(Police and Administration)” के बारे में जो अपने सेवा भाव के लिए जानी जाती है।

भारत में महिला सशक्तिकरण। (Women Empowerment in India.)

women empowerment

अगर इस सृस्टि पर महिलायें न होती तो क्या होता, कैसे ये सृस्टि आगे बढ़ती और कैसे कोई ज़िन्दगी जन्म लेती, वैसे तो ये सब एक काल्पनिक बातें हैं क्यूंकि एक महिला के बिना संसार का आगे बढ़ना असंभव है। ईश्वर ने सृस्टि को आगे बढ़ाने के लिए महिला और पुरुष इन दो लोगों को भेजा है और दोनों के द्वारा समाज में अहम् भूमिका भी निभाई जाती है, ईश्वर ने दोनों में कोई अंतर नहीं किया है, तो फिर हमारी क्या औकात हम क्यों भेद-भाव करतें हैं

भारत में भ्रस्टाचार। (Corruption in India.)

corruption

भ्र्स्ट मतलब ‘ख़राब या गंदा’ और आचार मतलब ‘विचार या व्यवहार’, इसका मतलब जिस व्यक्ति के विचार अपने समाज के प्रति ख़राब हो जाएँ, भ्र्स्टाचार एक ऐसा दीमक है, जो पुरे विश्व में फैला हुआ है। भ्र्स्टाचार किसी व्यक्ति विशेष या फिर कोई निजी अथवा सरकारी संगठन द्वारा किया गया अनैतिक और अनुचित व्यवहार होता है जो की आपराधिक श्रेणी में आता है। ये भ्र्स्टाचार वो शक्ति प्राप्त अधिकारी अथवा संगठन अपना अवैध लाभ करने के लिए उस शक्ति का दुरूपयोग करता है।

भारतीय किसान: हमारे अन्नदेवता। (Indian Farmers: The Feeding God.)

farmers performing their farming activity

दोस्तों मैं, आप और हमसब या ये पूरी दुनिया को खिलाने वाले जितने भी ‘भारतीय किसान(Indian Farmers)’ भाई-बहने हैं, वो हमारे अन्नदेवता हैं जिनके कारण ही हमसब अन्न अपने शरीर में ग्रहण कर पातें हैं, तो आपके मन में ऐसा सवाल उठ भी सकता है की अन्न तो हम खरीद कर लातें हैं, तो दोस्तों किसान अन्न उत्पन्न करतें हैं तभी तो हमारे द्वारा उसे ख़रीद कर लाया जाता है न और सभी किसान बन नहीं सकतें न ही हम ऐसा सोचतें हैं की बड़े होकर किसान बनेंगे।

भारत में स्वास्थ्य और शिक्षा। (Health and Education in India.)

health and education

दोस्तों अगर मै आपसे कहता हूँ की सिर्फ कुछ पल के लिए सोचो की किसी व्यक्ति के पास “स्वास्थय और शिक्षा (Health and Education)” ये दो चीज उसके जीवन में न हो तो कैसा होगा उसका जीवन, और आज के दौर में तो इनकी अहमियता मानो जैसे अतुलनीय है, जैसा की दोस्तों मुझे बताने की जरुरत नहीं है ये महामारी हमे हमारी स्वास्थय और स्वास्थय व्यवस्था दोनों से परिचित करवा रहा है।

भारत में पितृसत्तात्मक समाज। (Patriarchal Society in India.)

patriarchy

पितृसत्तातमक समाज वो समाज है जहाँ पुरुष प्रमुख होतें हैं जिस घर में केवल पुरुष को ही प्राथमिकता दी जाती है, कोई भी फैसला लेने का विशेषाधिकार बस पुरुष को ही होता है किसी महिला को नहीं, अगर महिला के द्वारा कुछ किया भी जा रहा है तो वो घर के पुरुष से अनुमति लेकर ही कर सकती है, जहाँ पे महिला केवल घरो के काम के लिए ही होती हैं और पुरुष केवल बाहरी कामों के लिए, तो ऐसे रूढ़िवादी सोच को हम पितृसत्तातमक समाज कहते हैं।