भारत में जातिवाद। (Casteism in India.)

how casteism prevail in india

“भारत में जातिवाद (Casteism in India)” एक ऐसा सामाजिक बुराई है, जो की हज़ारों वर्षों पहले से चलती आ रही है लेकिन इस बुराई को आज भी समाज में पूरी तरह से खत्म नहीं किय जा सका है, जिसके पीछे का कारण है प्राचीन रूढ़िवादी सोच और यह सोच आज भी हमारे समाज को कहीं-न-कहीं आगे बढ़ने से रोकता है, आज भी कुछ ऐसे लोग हैं समाज में जो की यह समझतें ही नहीं हैं की ईश्वर ने हम सबको एक जैसा शरीर प्रदान किया है, हम सब इंसान इस दुनिया में एक प्रकार से जन्म लेते हैं और एक प्रकार से मरते भी हैं लेकिन सब कुछ एक जैसा होने के बावजूद हमे समाज के द्वारा इतनी जातियों में बाट दिया गया है की हम यह भूलने लगतें हैं की हम सब एक ही हैं।

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता। (Freedom of Press in India.)

freedom of press

एक लोकतान्त्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता का बहुत अधिक महत्त्व होता है क्यूंकि प्रेस किसी भी देश को पूर्ण रूप से लोकतंत्र बनाने के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करती है इसलिए, “भारत में प्रेस की स्वतंत्रता (Freedom of Press in India)” को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है, जिसके कारण लोगों को अपने देश की पल-पल की खबर होती है, लोगों में जागरूकता पैदा होती है लोग अपने हक़ के बारे जान पातें हैं, समाज में हो रहें अच्छाइ और बुराई को समझ पाते हैं और प्रेस लोगों की चौमुखी विकास करने में बहुत बड़ा योगदान देता है।

भारत में बेरोजगारी।(Unemployment in India.)

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“भारत में बेरोजगारी (Unemployment in India)” आज के युवाओं के सामने एक बहुत बड़ी समस्या बनते जा रही है क्यूंकि भारतीय युवा दिन-रात मेहनत करतें हैं ताकि उन्हें अपने देश में काबिलियत और शिक्षा के आधार पर एक अच्छा रोजगार मिल सकें लेकिन ऐसा नहीं देखने को मिलता है जिससे आज भारत में ऐसे करोड़ों युवाएँ और युवतियाँ हैं जिनके पास कोई रोजगार नहीं है।

भारत में सड़क दुर्घटना। (Road Accidents in India in Hindi.)

road accidents in india

‘विश्व सड़क सांख्यिकी 2018’ के रिपोर्ट के अनुसार भारत पूरी दुनिया में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या में पहले स्थान पर है और ‘विश्व बैंक’ के रिपोर्ट के अनुसार भारत सड़क दुर्घटनाओं के मामले में भी सबसे ऊपर है और भारत के पास विश्व की केवल 1 प्रतिसत वाहन हैं लेकिन सड़क दुर्घटना में भारत में पुरे विश्व की 11 प्रतिसत मौतें होती हैं, जो की सभी देशों से अधिक है।

भारत में जीवनशैली रोग। (Lifestyle Diseases in India.)

lifestle diseases in india

आज के समय समाज में लोगों की ज़िन्दगी इतनी व्यस्त हो गयी है की उनके पास खुद के लिए भी समय नहीं है, जिसके कारण समाज में ख़ास कर किशोरों और नवजवानों में ‘जीवनशैली रोग (Lifestyle Diseases)’ आमतौर पर देखने को मिलती है। “भारत में जीवनशैली रोग (Lifestyle Diseases in India)” इस तरह से प्रचलित हो चूका है की इंसान भी इसे अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा समझने लगा है।

भारत में आरक्षण।(Reservation in India.)

reservation in india

राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, आज हम सब अपने देश के आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ मनाने जा रहें हैं, जिस स्वर्णिम अवसर को पूरा देश ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मना रहा है लेकिन आज़ादी के 75 साल के बाद भी हम अपने देश में पिछड़े वर्ग और दलित समाज को समान अवसर नहीं प्रदान कर पाएं हैं, जिसके कारण आज भी हमे पिछड़े वर्ग और दलित समाज को बराबरी का हक़ प्रदान करने के लिए “भारत में आरक्षण (Reservation in India)” जैसी बैसाखी का उपयोग करतें हैं।

अल्पसंख्यकों पर अत्याचार :- विश्व परिदृश्य।(Attrocities on Minorities :-World Sceneario.)

attrocities on minorities in world

“अल्पसंख्यकों पर अत्याचार :विश्व परिदृश्य(Attrocities on Minorities: World Sceneario)” के बारे में बताना चाहूँगा, हमे अपने समाज में, देश में और पुरे विश्व में सभी जगह अल्पसंख्यक देखने को मिलते हैं और आज के समय कोई समाज या कोई देश नहीं है, जहाँ ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार’ नहीं होता हो, अधिकतर देशों में अल्पसंख्यक समुदाय को दूसरे समुदायों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है।

बाल भिक्षावृति :भारतीय परिदृश्य।(Child Begging :The Indian Sceneario.)

child begging in india

राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों,आज मैं आप सबसे हमारे समाज में होने वाली “बाल भिक्षावृति(Child Begging)” जैसे घिनौने अपराध के बारे में कुछ बातें साझा करूँगा, यह एक घिनौना अपराध इसलिए है क्यूंकि यह एक मासूम बच्चे से उसकी हसने-खेलने वाली उम्र छीन लेता है और उसे अपने बहुत से हक से वंचित कर देता है, जिसके बारे हम सभी जानते हैं लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं जिसे हम नज़रअंदाज़ करते हैं और हमारा ऐसा करना ही समाज में इन सब चीजों को बढ़ावा देता है।

राजनीति का अपराधीकरण। (Criminalization of Politics.)

criminalisation of politics in india

राजनीति के अपराधीकरण का अर्थ है की राजनीतियों में अपराधियों की भगीदारी होना, जिसमे अपराधी संसद या विधायिका का चुनाव लड़ भी सकतें हैं और सदस्य के रूप में चुने भी जाते हैं और अपराधियों का राजनेताओं के रूप में राजनीति में आना यह सब मुख्य रूप से राजनेताओं और अपराधियों के बिच सांठ-गाँठ के कारण होता है।

भारत में फेक न्यूज़ की समस्या। (Problem of Fake News in India.)

fake news in india

हमारे भारत में “फेक न्यूज़ (Fake News)” का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है, जो की हमारे समाज में होने वाले ‘हिंसा और अस्थिरता’ का मुख्या कारण है। फेक न्यूज़ को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से (व्हाट्सप्प, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम) फैलाया जाता है, हालाँकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इस उद्देश्य बिलकुल भी नहीं बनाया गया था, लेकिन हमारे समाज के कुछ लोगों के द्वारा इसका इस्तेमाल बहुत सी गलत मतलब के लिए किया जाता है, जिनमे फेक न्यूज़ भारत के लिए एक गंभीर समस्या है इसलिए “फेक न्यूज़ को सोशल मीडिया का हथियार भी कहा जा रहा है”।