“समलैंगिकता(Homosexuality)” हमारे देश का ऐसा मामला है जिसे देश के मीडिया चैनलों और न्यायालयों द्वारा चर्चा तो किया जा रहा है लेकिन हमारा समाज इसकी चर्चा नहीं कर रहा है, जबकि यह भी हमारे समाज का ही एक अंश है, राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों तो कैसे हो आप सब? “समलैंगिकता(Homosexuality)” हमारे देश का ऐसा मामला है जिसे देश के मीडिया चैनलों और न्यायालयों द्वारा चर्चा तो किया जा रहा है लेकिन हमारा समाज इसकी चर्चा नहीं कर रहा है, जबकि यह भी हमारे समाज का ही एक अंश है, तो मैं समाज के इस मामले पर प्रकाश डालना चाहूंगा जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता, जिसे समाज में लोगों के द्वारा अलग दृष्टि से देखा जाता है, जिसके लिए समाज की धारणा अलग है, जिसे हमारे समाज में स्वीकार ही नहीं किया जाता है और भी ऐसी बहुत सी सामाजिक कुरीतियां हैं जिसका सामना समलैंगिकों और ट्रांसजेंडर्स को इस समाज में करना पड़ता है। इस संसार में जैसे ईश्वर ने महिला और पुरुष को बनाया है ठीक वैसे ही महिला और पुरुष के रूप में समलैंगिक और ट्रांसजेंडर्स को भी समाज में स्थान दिया है, अंतर बस इतना होता है की कुछ जीन्स में बदलाव होने के कारण उनके शरीर मे बदलाव आता है, उनकी भावनाओ में भी बदलाव देखने मिलता है (अगर वह पुरुष है तो महिला जैसे भाव और महिला है तो पुरुष जैसे भाव) लेकिन इस बदलाव में उनकी क्या गलती होती है वह कोई जान-बुझ कर ऐसा तो नहीं करते हैं बल्कि कुछ ऐसे आनुवंशिकी कारक(genetic factors) होतें हैं जो की प्राकृतिक रूप से उनके अंदर होतें हैं, जिसके कारण हमे उनका स्वभाव आम लोगों की तुलना में अलग देखने को मिलता है।