“नहीं कम हैं किसी से, जल में वर्षों बितातें हैं, समुद्र के शेर हैं हमारी भारतीय नौसेना, वक्त आने पर शौर्य दिखातें हैं”, हमारे भारत को तीनों ओर से सुरक्षा प्रदान करने वाली हमारी भारतीय नौसेना शौर्य, पराकर्म, समर्पण और वीरता का एक संपूर्ण उदारहण है। भारतीय नौसेना की वीरता का बखान करने, उनकी शौर्य की गाथा पुरे भारत वर्ष को सुनाने और वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण करने के लिए प्रति वर्ष भारत 04 दिसंबर को “भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day)” के रूप में मनाता है, साथ ही इस दिन भारतीय नौसेना के उत्कृष्ट कार्यों को सम्मानित भी किया जाता है।
Bhartiya Nausena Diwas का मुख्य उद्देश्य देश की शान में शहीद होने वाले वीर सपूतों को स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना, वीर जवानों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित करना और 1971 में होने वाले भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान की हार और अपनी अविस्मरणीय जीत के जश्न के रूप में मनाती है।
Bhartiya Nausena Diwas प्रतिवर्ष एक निर्धारित विषय के तहत मनाई जाती है और इस वर्ष 2023 में “भारतीय नौसेना: युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य में सुरक्षित रहने वाली (Indian Navy: Combat Ready, Credible, Cohesive and Future Proof)”, इस विषय के अंतर्गत मनाई जा रही है।
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भारतीय नौसेना दिवस का महत्व।
भारतीय नौसेना विश्व की सबसे बड़ी नौसेनाओं में से एक है और यह विश्व की सबसे बड़ी लोकतंत्र भारत की रक्षा के लिए निहित है, जिसके कारण इसकी महत्ता बढ़ जाती है।
- यह दिवस भारत के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर शहीदों को याद कर उनके परिजनों को गौरवान्वित महसूस करवाना है, जिसके बलिदान को अमर बनाने के लिए उसे देश के सामने सम्मानित किया जाता है।
- यह दिवस उन सभी नौजवानों को प्रोत्साहन प्रदान करती है और उनके लिए प्रेरणा का कार्य करती हैं ताकि उन्हें भी देश के लिए सेवा करने का मौका मिले।
- यह दिवस देश के सभी नागरिकों को हमारे भारत की नौसेना के शौर्य और समर्पण की गाथा का सन्देश देता है।
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भारतीय नौसेना दिवस का इतिहास।
भारतीय नौसेना दिवस की ऐतिहासिक गाथा 1971 की भारत-पाकिस्तान के युद्ध से सम्बंधित है, जहाँ भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ लांच किया था और पकिस्तान की बर्बरता को देखते हुए भारतीय नौसेना ने पकिस्तान के पि एन एस खैबर सहित चार पनडुब्बियों को जलमग्न कर दिया था और अपनी जित का परचम लहराया था। यह जित भारत ने 04 दिसंबर को हासिल की थी, जिसकी जित और शहीदों की शौर्य प्रदर्शन को सदैव जीवित रखने के लिए Bhartiya Nausena Diwas मनाया जाता है और इसकी शुरुवात 04 दिसंबर, 1972 से की गयी थी।