भारतीय नागरिक के मौलिक कर्त्तव्य। (Fundamental Duties of Indian Citizen in Hindi.)

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किसी ज्ञानवान पुरुष द्वारा यह कहा गया है की “महान शक्तियों के साथ ही बड़ी जिम्मेदारियाँ भी आती हैं”, इसी प्रकार से हमारे भारत के संविधान के द्वारा जैसे अपने नागरिकों को मौलिक अधिकार (आम नागरिक के हाथों में स्वतंत्रता और सशक्तता की शक्तियाँ प्रदान करना) प्रदान की गयी है ठीक वैसे ही संविधान ने उन्हें मौलिक कर्त्तव्य (आम नागरिकों की अपने राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियाँ) भी प्रदान कियें हैं, जो की संविधान में “भारतीय नागरिक के मौलिक कर्त्तव्य (Bhartiya Nagrik ke Maulik Kartavya)” के नाम से अंकित है।

भारतीय नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य सहसंबद्ध और अविभाज्य हैं क्यूंकि अधिकार स्वयं कर्तव्यों की श्रृंखला का सृजन करता है। जिस प्रकार से हम अपने देश में अधिकारों का उपयोग करतें हैं ठीक उसी प्रकार हमे अपने देश के प्रति कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। 

bhartiya nagrik ke maulik kartavya
Bhartiya Nagrik ke Maulik Kartavya

मूलतः संविधान के निर्माताओं ने मौलिक कर्त्तव्य को संविधान में अंकित नहीं किए थें क्योंकि उन्होंने इसकी आवश्यकता नहीं समझी लेकिन 1975-77 में आतंरिक आपातकाल के दौरान सरकार ने इसकी महत्ता को समझने के लिए एक समिति का गठन किया, जिसका नाम ‘स्वर्ण सिंह समिति’ था और इसी समिति के द्वारा मौलिक कर्तव्यों के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें दी गयी और इस समिति ने इस बात पर जोर दिया कि नागरिकों को जागरूक होना चाहिए कि अधिकारों के आनंद के अलावा, उनके कुछ कर्तव्यों का भी पालन करना है।

सरकार ने स्वर्ण सिंह समिति की मौलिक कर्तव्यों के प्रति सिफारिशें जानने के बाद, Maulik Kartavya को संविधान का हिस्सा बनाने के लिए सन 1976 में 42वां संविधान संशोधन अधिनियमित किया और इस संसोधन ने संविधान में एक नए भाग ‘भाग IV ए’ को जोड़ा, जहाँ ‘अन्नुछेद 51ए’ के भीतर भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य को वृस्तृत किया गया है।

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मौलिक कर्त्तव्य क्या होतें है?

भारतीय Maulik Kartavya नागरिकों को अपने देश, समाज, संविधान, सम्प्रभुत्ता, एकता, राष्ट्रगान, राष्ट्रध्वज, स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान का ज्ञात करवाती है और नागरिकों के भीतर अपने देश के प्रति देशभक्ति का सृजन करती है। मौलिक कर्त्तव्य देश के सभी नागरिकों को माननी चाहिए क्यूंकि हमारी पहचान हमारे देश से है और हमारा कर्त्तव्य ही हमारे भारत को महान बनाता है और साथ ही देश के लिए हमारे भीतर समर्पण की भावना भी उत्पन्न करता है।

संविधान में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ने की प्रेरणा भारत ने यु.एस.एस.आर (रूस) के संविधान से ली है और भारतीय संविधान में Maulik Kartavya ‘भाग IVए के अन्नुछेद 51ए’ में वृस्तृत किये गएँ हैं, जो की निम्नलिखित हैं:-

  • सभी भारतीय नागरिकों को संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों और संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए।
  • स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों के महान आदर्शों को संजोना और उनका पालन करना हर एक नागरिक का कर्त्तव्य है।
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करना और उसकी रक्षा करने के लिए तत्पर रहना।
  • अपने देश की रक्षा करना और ऐसा करने के लिए बुलाए जाने पर राष्ट्रीय सेवाएं प्रदान करने में अपने भागीदारी देना।
  • भारत के सभी लोगों के बीच धार्मिक, भाषाई और क्षेत्रीय या अनुभागीय या विविधताओं के बीच सद्भाव और सामान्य भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना और महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं का त्याग करना।
  • भारत की समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देना और संरक्षित करना भी सभी भारतीय नागरिक के कर्त्तव्य हैं।
  • वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखना देश के नागरिकों के कर्त्तव्य के साथ नैतिकता की भावना को दर्शाता है।
  • भारत में वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद, पूछताछ और सुधार की भावना विकसित करना।
  • देश की सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और हिंसा को समाप्त करना भी नागरिकों का परम कर्त्तव्य है। 
  • व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में प्रयास करना ताकि राष्ट्र लगातार प्रयास और उपलब्धि के उच्च स्तर की ओर बढ़ता जाए।

मूलतः संविधान में Maulik Kartavya को जोड़ते वक़्त केवल 10 कर्त्तव्य ही भारत के नागरिकों को सौपें गएँ थें लेकिन सन 2002 में 86वां संविधान संसोधन अधिनियम के जरिये मौलिक कर्तव्यों में 11वां कर्तव्य को जोड़ा गया।

  • भारत नागरिक अथवा अभिभावक अपने छह से चौदह वर्ष की आयु के बच्चे या प्रतिपाल्य को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करें।

हमारे संविधान के द्वारा प्रदान किये गए इन सभी मौलिक कर्तव्यों के प्रति देश के हर एक नागरिक को निष्ठावान और ईमानदार रहना चाहिए क्यूंकि अगर हम अपने मूल अधिकारों के लिए लड़ सकतें हैं तो देश के लिए अपने कर्तव्यों को निभाने में भी पीछे नहीं हटना है। हमे देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना होगा क्यूंकि भारत में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हे देश के नागरिक होने के बावजूद उन्हें अपने देश के प्रति कर्तव्यों के बारे में पता नहीं होता है।

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मौलिक कर्तव्यों का महत्व।

भारतीय संविधान में मूलतः मौलिक कर्त्तव्यों को संविधान निर्माणकर्ताओं द्वारा शामिल नहीं किया गया था क्यूंकि उन्होंने इसकी जरुरत को महसूस नहीं किया लेकिन तीन दसक के बाद सरकार ने इसके महत्व को समझने के लिए समिति का गठन किया, जिसके बाद सरकार ने समिति की सिफारिशों पर मौलिक कर्त्तव्यों को भारतीय नागरिकों को सौंपना महत्त्वपूर्ण समझा। इसकी महत्व समस्त देशवासियों के मन में देशप्रेम को और बढ़ाएगा।

  • Maulik Kartavya समस्त नागरिकों को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करती है और उन्हें उनके कर्तव्यों का स्मरण करवाती है।
  • Maulik Kartavya नागरिकों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में काम करती हैं और उनमें अनुशासन, भाईचारा और प्रतिबद्धता की भावना को बढाती हैं।
  • Maulik Kartavya भारत की प्रतिष्ठा की सुरक्षा को बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने आदि जैसी राष्ट्रविरोधी और असामाजिक गतिविधियों के खिलाफ चेतावनी के रूप में कार्य करती हैं।
  • Maulik Kartavya कानून द्वारा प्रवर्तनीय हैं। इसलिए संसद उनमें से किसी को भी पूरा करने में विफलता के लिए उचित जुर्माना या दंड लगाने का प्रावधान कर सकती है।

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निष्कर्ष।

हमे गर्व करना चाहिए की हम भारत जैसे देश के नागरिक हैं, जहाँ कर्त्तव्य को श्रेष्ठ माना जाता है और गीता के श्लोक भी हमे हमारे कर्तव्यों पर ध्यान देने की बात करतें हैं जिसमे लिखा है की ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, अगर हम अपने कर्तव्यों को पूरा करेंगे तभी हम अपने अधिकारों को प्राप्त करने के काबिल हैं।

ऐसे ही हमारे देश के संविधान ने भी अपने नागरिकों को मूल अधिकारों के साथ कुछ कर्तव्यों का भी निष्पादन करने की आशा की है कयुँकि हमारा देश हमारे कर्तव्यों से समृद्ध राष्ट्र बनता है। इसलिए, देश के प्रति हर एक नागरिक अपनी देशभक्ति का प्रमाण अपने मूल कर्तव्यों को निभाकर दे सकता है।

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