भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में इसरो की भूमिका। (Role of ISRO in Indian Space Programme in Hindi.)

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अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने कल्पनाओं और सपनों को साकार करते हुए आज हमारा भारत पूरी दुनिया में एक अलग ही दृष्टि से अवलोकित किया जाता है, अंतरिक्ष अनुसंधान और कार्यक्रम में भारत ने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है, जो की हमारे भारत को श्रेष्ठ कोटि की अंतरिक्ष तकनीक वाले विकसित देशों की श्रेणी के कतार में खड़ा करता है और इन उपलब्धियों को हासिल करने का श्रेय हमारे देश का गौरव “भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (ISRO)” के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और लगन को समर्पित है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में इसरो की भूमिका (Role of ISRO in Indian Space Programme) सराहनीय है क्यूंकि एक ऐसा देश जिसे दूसरे देशों ने कई बार लूटा है और आज़ादी के बाद जिसके पास ढंग से खाने तक के पैसे नहीं थे वह देश अंतरिक्ष और चाँद में जाने के बारे में क्या सोचेगा?

जब करि थी शुरुवात भारत ने अंतरिक्ष पर जाने की,

संसाधनों की थी कमी पर फिर भी हौसले थें बुलंद भारत के लिए कुछ कर जाने की,

आँखों में थें सपने दूसरे ग्रहों को समझ पाने की,

जब करि थी शुरुवात भारत ने अंतरिक्ष पर जाने की।

उड़ा रहें थें मजाक अन्य देश भारत के अंतरिक्ष की कल्पना को पाने की,

तभी भारत के वैज्ञानिकों ने भी निश्चय किया मंगल और चाँद पर अपने पाँव ज़माने की,

पहली प्रयाश ने ही दिलाई भारत को उसकी कल्पना से सफलता को बदलवाने की,

जब करि थी शुरुवात भारत ने अंतरिक्ष पर जाने की।

आज पूरा विश्व कर रहा गुणगान भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में परचम लहराने की,

यहीं खत्म नहीं होता है अभी यह शिलशिला, कितने अधूरे सपने बाकी हैं पुरे करने अभी,

जब करि थी शुरुवात भारत ने अंतरिक्ष पर जाने की।

यह कविता समर्पित है भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के वैज्ञानिकों को

लेकिन वह कहतें हैं ना “किसी चीज को अगर पूरी सिद्दत से चाहो तो थोड़ा समय लग सकता है लेकिन वह मिलती जरूर है” ठीक उसी प्रकार आधुनिक Bhartiya Antariksh Karyakram के जनक और उसे बढ़ावा देने वाले ‘डॉ विक्रम साराभाई’ ने अंतरिक्ष के प्राथमिकता के महत्व को आगे बढ़ने का काम किया। भारत ने जब अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों की शुरुवात की थी तब सभी विकसित देशों ने भारत का मजाक बनाया था क्यूंकि जब भारत ने अपनी पहली राकेट ‘नाइक अपाचे’ का प्रक्षेपण थुम्बा, थिरुवनंतपुरम से 1963 को किया था, तब विक्रम साराभाई और उनके अन्य साथियों के द्वारा राकेट को प्रक्षेपण साइट पर साइकिल और बैलगाड़ी से ले जाया गया था। हालाँकि, कम बजट होने के बावजूद भी भारत आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में उन अग्रणी देशों की सूचि में शामिल है।

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कम बजट में भी किसी अंतरिक्ष अथवा दूसरे ग्रह के मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करना यह हमारे देश के इसरो की एक ख़ास बात है, ऐसे कई मिशनस हैं जिसमे इसरो ने कम बजट में सफलता हासिल की है (मिशन मंगल, चंद्रयान-1, एंटी सैटेलाइट मिशन) और साथ ही इसरो की प्रक्षेपण लागत भी अन्य विकसित देशों से कम है, इसलिए, अन्य दूसरे देश भी अपने उपग्रह इसरो के प्रक्षेपण यान के द्वारा भेजतें हैं।

bhartiya antariksh karyakram (ISRO)
Bhartiya Antariksh Karyakram

Bhartiya Antariksh Karyakram में यदि इसरो की भूमिका की बात करें तो, इसरो ने कई ऐसी बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं जिसे केवल भारत ने ही नहीं बल्कि पुरे विश्व ने सराहा है, जिसने अमेरिका और रूस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया, जैसे;

  • 22 अक्टूबर, 2008 को इसरो ने भारत का ‘पहला चंद्रयान मिशन’ भेजा था, जिसने चन्द्रमा में पानी के उपलब्ध होने का पता लगाया था और पुरे विश्व को इसके बारे में बताया था।
  • 5 नवंबर, 2013 को इसरो ने भारत का मंगलयान मिशन मंगल ग्रह के लिए भेजा, जो की सफलतापूर्वक 14 सितम्बर, 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर गया और इसकी महत्ता इसी बात से पता चलती है की भारत विश्व का पहला ऐसा देश बन चूका था जिसने पहले प्रयाश में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर लिया था और साथ ही अन्य देशों के मुकाबले सबसे कम बजट में मंगल मिशन को सफल बनाया।
  • अगस्त 2016 में इसरो ने स्क्रैमजेट इंजन की सफलतापूर्वक प्रशिक्षण की, इस तकनीक से यह इंजन हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में प्रयोग करेगा और वायुमंडल से ऑक्सीजन को ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग करेगा। इसके पहले यह तकनीक भारत को अमेरिका से प्राप्त करनी पड़ती थी।
  • इसरो ने फरवरी 2017 में पोलर सैटेलाइट प्रक्षेपण यान (पि एस एल वि)के जरिये एक साथ 104 सैटेलाइट को लॉन्च कर पुरे विश्व में एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया।
  • अप्रैल 2017 को इसरो के द्वारा नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गय, जिसके प्रक्षेपण से भारत के पास भी अब अमेरिका के GPS की तरह स्वयं का नेविगेशन सिस्टम है, जिसका नाम नेविगेशन विथ इंडियन कॉंस्टीलेशन (नाविक) रखा गया है।
  • भारत भी उन गिने-चुने देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जिनके पास स्वयं के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में नष्ट करने का तकनीक है। मार्च 2019 को मिशन शक्तिसे एंटी सैटेलाइट (A-SAT) के जरिये इसरो ने अंतरिक्ष में एक सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। इससे यह पता चलता है की अगर भारत पर किसी भी प्रकार का कोई भी खतरा अंतरिक्ष से आता दिखाई देगा तो इसरो उसे अंतरिक्ष में ही समाप्त कर सकता है।
  • 2023 में इसरो ने यह निश्चित किया है की वह भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन “गगनयान मिशन” भेजेगा, जहाँ तीन मानव को पृथ्वी से 300 से 400 किलोमीटर दूर निम्न पृथ्वी कक्षा पर 5-7 दिनों के लिए भेजा जायेगा।
  • जुलाई 2023 में इसरो ने सफ़लतापूर्वक चंद्रयान-3′ का प्रक्षेपण किया, इस मिशन के जरिये भारत पहली बार चाँद की दक्षिण सतह पर अपना लैंडर और रोवर उतारेगा, जो की चाँद की सतह पर चल कर जानकारियां प्राप्त करेगा।
  • अगस्त 2023 में इसरो के द्वारा एक ऐतिहासिक मिशन आदित्य एल-1′ का प्रक्षेपण किया जायेगा, जो की सूर्य के समीप लैंगरेज़ियन बिंदु-1 पर भेजा जायेगा, जिसके द्वारा सूर्य के कोरोना (बाहरी सतह) के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी।
  • इसरो के द्वारा वीनस पर भी मिशन भेजने की योजना बनाई जा रही है, जिसे शुक्रयान मिशन कहा जा रहा है।
  • भारत 2030 तक खुद का भारतीय स्पेस स्टेशन प्रमोचित करने की योजना बना रहा है, जिससे भारत भी अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी, जापान जैसे देशों की श्रेणी में अपना नाम अंकित करवा लेगा।

भारत के लिए यह सभी उपलब्धियां केवल इसरो और उनके वैज्ञानिकों की सच्चि मेहनत, लगन और देश भक्ति के बल पर पूरी हुई है, इसलिए इसरो हमारे देश के लिए अंतरिक्ष की दुनिया में एक स्वर्ण संगठन है। 

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इसरो का इतिहास क्या है?

‘भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (ISRO)’ की सफलता के पीछे हमारे देश के विख्यात Bhartiya Antariksh Karyakram के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मुख्य भूमिका है, जिनके अथक प्रयाश से सन 1969 में इसरो की स्थापना हुई। यह भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है और स्पेस डिपार्टमेंट के अंतर्गत कार्य करती है, जिसके प्रमुख देश के प्रधानमंत्री होतें हैं।

भारत के लिए इसरो का महत्व।

भारत के विकास में और Bhartiya Antariksh Karyakram को आगे बढ़ाने में इसरो की भूमिका प्रशंशनीय रही है , इसरो का मुख्य उदेश्य राष्ट्रहित के लिए अंतरिक्ष तकनीकों एवं उनके अनुप्रयोगों का उपयोग कर भारत के कल्याण और मानव सभ्यता की मदद करना है। इसरो की स्थापना के बाद इसने देश और समाज के लिए ऐसे अनगिनत कार्य किए हैं, जिसके कारण देश आज अपनी प्रगति की खुशियां मना रहा है। इसरो ने अपना योगदान देश के सभी क्षेत्रों में दिया है, फिर चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कृषि हो, भारतीय सेनाएँ हो, जलवायु परिवर्तन हो, आपदा प्रबंधन हो, संचार व्यवस्था हो या नेविगेशन प्रणाली हो इन सभी जगहों पर इसरो की उपस्तिथि है, जैसे:-

  • विभिन्न संचार उपग्रहों (इनसैट और जीसैट) के माध्यम से आज भारत में दूरसंचार, ब्रॉडबैंड, टेलीविज़न, टेलीमेडिसिन, आपदा प्रबंधन, खोज और बचाव अभियान, इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम है।
  • भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली, जिसे नाविक भी कहतें हैं, इसके जरिये भारत का अपना क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली है, जो की अभी केवल भारतीय सेनाओं के लिए उपलब्ध है।
  • इसरो के द्वारा बहुत से ऐसे कार्यक्रम चलाएँ जातें हैं जो की शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान को बढ़ावा देती है, जिसमे युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम (युविका), भुवन एप्लीकेशन जैसे विभिन्न नाम शामिल है।
  • कृषि के क्षेत्र में इसरो की भूमिका अहम् है क्यूंकि ‘भू-पर्यवेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellite)’ के जरिये किसान बड़ी आसानी से मौसम के बारे में पूर्वानुमान लगा सकतें हैं और अपने फसलों को नुक्सान होने से बचा भी सकतें हैं।
  • भारत में आपदा प्रबंधन के बारे में पूर्व सूचना, मौसम पूर्वानुमान, संसाधानों की मैपिंग करके भू-पर्यवेक्षण (Earth Observation) के जरिये नियोजन करना, आपदा प्रबंधन से पहले बचाव कार्य की शुरुवात करना, इन सभी में उपग्रहों की भूमिका अहम् हो जाती है।
  • भारतीय वनों का सर्वेक्षण करना और सभी वनों के संदर्भ में सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने का काम भी इसरो का उपग्रह ही करता है।

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निष्कर्ष।

भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (ISRO), की क्षमता को और बढ़ाया जा सकता है क्यूंकि भारत के वैज्ञानिकों की महत्वाकांक्षाएं Bhartiya Antariksh Karyakram के बारे में बहुत अधिक है, इसके लिए भारत सरकार को इसरो के बजट आवंटन में वृद्धि करने की आवश्यकता है, जिससे इसरो अपने अनुसंधान और विकास के कार्यों को और प्रभावी रूप से कर सकेगा। भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान से सम्बंधित निजी कंपनियों को भी अवसर प्रदान करके उनका हौसला बढ़ाना चाहिए, इसरो स्वयं निजी कंपनियों की मदद करके भारत के महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकता है।

जिस प्रकार से भारतीय स्काईरुट एरोस्पेस के द्वारा देश का पहला निजी प्रक्षेपण यान अंतरिक्ष में भेजा गया ठीक उसी प्रकार निजी स्पेस कंपनियों के साथ मिलकर काम करने से भारत अंतरिक्ष के जगत में और तरक्की कर सकता है, जिससे भारत में भी स्पेस-एक्स और ब्लू ओरिजिन जैसी विशालकाय अंतरिक्ष कंपनियां का उद्गम हो सके।

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