भारत में प्राकृतिक आपदा। (Natural Disaster in India Essay in Hindi.)

Share & Help Each Other

राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों “भारत में प्राकृतिक आपदा (Bharat mein Prakritik Aapda)” जो की हमारे प्रकृति का एक विनाशकाल भयंकर रूप है, जिसकी विनाश की परिकल्पना हम नहीं कर सकतें हैं, जिससे केवल बचा जा सकता है।

प्राकृतिक आपदा स्वयं प्रकृति के द्वारा रचा गया एक ऐसा चक्र है, जिसमे प्रकृति खुद को संतुलित रखने के साथ-साथ समय-समय पर अपने आप को समायोजित भी करता रहता है क्यूंकि यह प्रकृति का नियम है।

Prakritik Aapda वैदिक काल के समय बहुत ही दुर्लभ प्रक्रिया मानी जाती थी क्यूंकि उस समय प्रकृति और मनुष्यों के बिच बन्धुत्व मनोवृति बहुत अधिक देखने को मिलती थी, जिससे यह सिद्ध होता है प्राकृतिक आपदाएं प्रकृति खुद के समायोजन और संतुलित प्रक्रिया को बनाये रखने के लिए तो उत्पन्न होती ही थी।

bharat mein prakritik aapda
Bharat mein Prakritik Aapda

लेकिन, वहीँ आज के इस आधुनिक औधोगिकीकरण के युग में मनुष्यों की मनोवृति प्रकृति के विषय में बिलकुल विपरीत हो गयी है, जिसके परिणामस्वरूप हमे विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक आपदायें अकस्मात् तरीके से देखने को मिलती रहती है क्यूंकि आज मनुष्यों द्वारा की जा रहीं गतिविधियां और गैरजिम्मेदाराना हरकतों की वजह से prakritik aapda आकस्मिक रूप से उत्पन्न हो रही हैं।

प्राकृतिक आपदा किसे कहतें हैं?

प्राकृतिक आपदा प्रकृति मर उत्पन्न हुई एक ऐसी स्तिथि है, जहाँ प्रकृति स्वयं के संसाधनों (पानी, हवा, जमीन, आग, बादल, वन) का उपयोग करके धरती पर अस्थिरता और तबाही पैदा करती है, जिसपर मानव का कोई नियंत्रण नहीं होता है और मानव केवल उसका निवारण और उससे बच सकता है।

Prakritik Aapda एक छोटा सा शब्द है जिसके अनेकों रूप हैं और भारत में प्राकृतिक आपदा के उन सभी रूपों को देखा जा सकता है क्यूंकि पुरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जो सभी प्रकार के प्राकृतिक आपदा से निपटता है।

और पढ़ें:- भारत में अक्षय ऊर्जा का महत्व।

भारत में प्राकृतिक आपदा के प्रकार।

  • बाढ़-> मानसून के समय भारत में बाढ़ की स्तिथि उत्पन्न होना बहुत ही आम बात है और यह प्रक्रिया आमतौर नदियों वाले क्षेत्रों में ज्यादातर देखने को मिलता है, जैसे गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिन वाला क्षेत्र।
  • भूकंप-> भूकंप की स्तिथि आमतौर पर दो बड़े भूभागों के बिच उनके टकराने या सब्डक्शन की प्रक्रिया के कारण होती है और यह उत्तर भारत के हिमालय क्षेत्र में प्रायः उत्पन्न होती हैं और इसके झटके की तिवृत्ता को दूर तक महसूस किया जा सकता है।
  • चक्रवात-> चक्रवात प्रकृति की एक ऐसी प्रक्रिया ही जो अक्सर महासागरों में निम्न वायु दाब के कारण उत्पन्न होती है , जिसका विनाशकारी रूप धरती की स्तह पर भारी तबाही मचाता है और इससे अक्सर तटीय क्षेत्र ज्यादा प्रभावित होतें हैं, जैसे भारत में चक्रवात बंगाल की खाड़ी और अरब महासागर में प्रायः देखने  जाती है।
  • बर्फीला तूफान-> यह तूफान प्रायः उत्तर भारत के उत्तरी क्षोर में उत्पन्न होती है, जिसका मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) हवाएँ हैं, हालाँकि, उस  कम  यह लोगों को कम नुक्सान पहुँचाती ही।
  • भूस्खलन-> भूस्खलन अक्सर पर्वतीय क्षेत्रों वाले इलाके में देखने को मिलती है जिसमे जमीन खिसकना, मिटटी का पहाड़ से बहना, पत्थर का गिरना जैसी घटनायें शामिल हैं। जिसका उत्पन्न होने का कारण है पर्वतों से वनों की कटाई करना, भारी बारिश होना, मानवीय कार्य करना।
  • ज्वालामुखी फटना-> भारत में इससे सम्बंधित घटना केवल भारत के केंद्र शाषित प्रदेश अंडमान वाले क्षेत्र में देखने को मिलता है, जो की बहुत ही दुर्लभ है क्यूंकि इसमें जब धरती की निचली स्तह कोर में मैग्मा गर्म होता है तो वह लावा के रूप में ज्वालामुखी से बाहर निकल कर आता है।
  • बादल फटना-> यह दुर्घटना भी आमतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून के समय देखने को मिलती है, जब बारिश का बादल भारी मात्रा में पानी संग्रहित कर लेता है, तब अचानक से बादल फट जाता है, जिससे बादल में सारा संग्रहित पानी एक स्थान पर गिर जाता है।
  • जंगल में आग लगना-> जंगल में आग लगना भारत में एक सामान्य बात हो गयी है क्यूंकि इसके लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हैं जैसे; हीट वेव, जलवायु परिवर्तन, जंगल की सुखी लकड़ियों में आग का खुद लगना, मानव गतिविधियां शामिल हैं।
  • सूखा पड़ना-> यह परिस्तिथि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पन्न हो जाती है, जिसका एक मुख्य कारण है भूजल में कमी होना, जो की आमतौर पर मानसून के समय कम वर्षा होने पर होती है।

और पढ़ें:- भारतीय कृषि में वर्टीकल फार्मिंग का महत्व।

भारत में प्राकृतिक आपदा उत्पन्न होने के कारण।

हालाँकि, प्राकृतिक आपदायें ऐसी घटनायें हैं जो खुद-ब-खुद उत्पन्न होती हैं क्यूंकि बदलाव प्रकृति का नियम है और जो चीज नियमबद्ध होती है उसका कोई कारण नहीं होता क्यूंकि वह होकर ही रहेगी उसे कोई रोक नहीं सकता।

परन्तु, प्राकृतिक आपदा के विभिन्न प्रकार के घटनाओं को बढ़ावा देने के लिए आज के इस युग में कुछ ऐसे कारक अवश्य हैं, जो प्रकृति को अपने नियम के विरुद्ध जाने के लिए मजबूर करतें हैं, जिसके कारण आयेदिन हमे bharat mein prakritik aapda जैसी घटनायें सुनने को मिलती है, वह कारक निम्नलिखित प्रकार से है:-

  • मानवजनित गतिविधियां, प्रकृति पर इस प्रकार से हावी हो गयी है, जो की प्रकृति को विभिन्न प्रकार से नुक्सान पहुंचाने का काम कर रही और मानवजनित गतिविधियों के कारण ही प्रकृति का अस्तित्व खतरे में है।
    • मानव के द्वारा बड़े स्तर पर वनो की कटाई की जा रही है, ताकि वह जमीन पर बड़ी मात्रा में खेती कर सके, बड़े-बड़े उद्योग स्थापित कर सके, जिसके कारण भूस्खलन और सूखा पड़ना जैसी प्राकृतिक आपदा उत्पन्न होती है।
    • जंगल में आग मानव के द्वारा कई बार जान-बुझ कर लगाई जाती है ताकि वह जानवरों को पकड़ सके और कई बार जलती हुई बीड़ी-सिगरेट फेकने के कारण भी जंगलो में आग लग जाती है।
    • मानव प्रकृति में ऐसे निर्माण कर रहा है जो प्रकृति के अनुकूल नहीं है जैसे पहाड़ों पर सड़कें बनाना, सुरंगे बना कर रास्तें तैयार करना।
    • प्रदुषण, प्राकृतिक आपदा को बढ़ावा देने में बहुत ही अहम् भूमिका निभाता है, जिसके कारण हमे हीट वेव, बाढ़, चक्रवात, विभिन्न जैविक रोग जैसी आपदायें देखने को मिलती है।
  • जलवायु परिवर्तन, भारत में प्राकृतिक आपदा को और सक्रीय बनाता है। जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया आयेदिन भारत में चक्रवात, बाढ़ सूखा इन सब जैसी परिस्थितियों को अकस्मात रूप से उत्पन्न करता है।

भारत में प्राकृतिक आपदा के प्रभाव।

प्राकृतिक आपदा परिवर्तन शील स्वाभाव के साथ-साथ विनाशकारी भी होता है, जिसका दुष्प्रभाव सभी मानव समाज और जिव-जंतुओं पर पड़ता है। प्राकृतिक आपदाओं से मनुष्यों और जानवरों की जान-माल की हानि होती है बहुत से घर छतिग्रस्त हो जातें हैं, आर्थिक नुक्सान और बुनियदी ढांचे की बर्बादी भी बड़े स्तर पर होती है।

भारतीय इतिहास में सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली हानियाँ।

  • केरल में बाढ़ (2018)-> केरल राज्य में यह अभी तक का सबसे खतरनाक बाढ़ था, जिसमे लगभग 400 लोगों की जान गयी और करीब 281000 लोगों को विस्थापित किया गया।
  • कश्मीर बाढ़ आपदा (2014)-> लगातार बारिश होने की वजह से कश्मीर में बाढ़ की स्तिथि उत्पन्न हो गयी, जिसमे 500 से अधिक लोगों की जान गयी और पुरे राज्य में 500 से अधिल पुल छतिग्रस्त हो गएँ।
  • उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा (2013)-> उत्तराखंड में बादल फटने की वजह से अचानक बाढ़ आ गयी और लगातार बारिश के कारण भूस्खलन देखने को मिला जिमसे 5700 लोगों की जान गयी और हज़ारों लोग लापता हो गएँ।
  • हिन्द महासागर सुनामी (2004)-> यह सुनामी एक बड़े तीव्रता वाले भूकंप से उत्पन्न हुई, जिसने भारत के साथ उनके पडोसी देश श्रीलंका और इंडोनेशिया को भी भारी नुक्सान पहुंचाया। रिपोर्ट्स में यह बताया जाता है की यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था, जिसमे 2 लाख से अधिक लोग मारे गए।
  • गुजरात भूकंप (2001)-> 26 जनवरी की सुबह भारत अपना गणतंत्र दिवस मना रहा था और उसी वक़्त गुजरात में एक बड़ी तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसने 20000 से अधिक लोगों की जान ले ली और लगभग 40000 लोग बेघर हो गएँ।
  • ओडिशा चक्रवात (1999)-> ओडिशा में घातक चक्रवात जिसे सुपर साईक्लोन 05B भी कहा जाता है, इसने राज्य में 10000 से अधिक लोगों की जान ली और 275000 से अधिक घर नष्ट हो गए।

इन घातक प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जान-माल की हानि को कम करने और रोकने के लिए सरकार ने 2006 में ‘राष्ट्रिय आपदा प्रतिक्रिया बल (एन डी आर एफ)’ का गठन वैधानिक रूप से किया। एन डी आर एफ किसी भी प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं के लिए सक्रीय रहती है और साथही-साथ बचाव एवं राहत कार्य के लिए अपनी तत्पर्ता का प्रदर्शन करती है।

निष्कर्ष एवं प्राकृतिक आपदा से बचने के उपाय।

प्राकृतिक आपदायें प्रकृति के परिवर्तन का एक आधार है, जिसकी उपस्तिथि को हम देश-दुनिया से कम कर सकतें हैं लेकिन उसे खत्म नहीं कर सकतें हैं। Prakritik Aapda से बचने के लिए हम कुछ निवारक उपाय का उपयोग कर सकतें हैं, जैसे:-

  • बाढ़ आने पर किसी सुरक्षित ऊँचे स्थान पर चलें जाएँ साथ में जरुरत का सामान भी ले जाएँ (पानी, टॉर्च, डंडा, खाने की सुखी चीजें) और जो जरुरी वस्तुएं हैं उन्हें भी किसी सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करें।
  • भूकंप की परिस्थिति में स्वयं के साथ अपने परिवार वालों को भी खुली स्थान पर लेकर जाएँ अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो किसी मेज के निचे छिपने की कोशिश करें।
  • चक्रवात जैसी घटनाओं से बचने के लिए स्वयं को समुद्र तट से दूर किसी सुरक्षित स्थान पर रखने की तैयारी कर लें, जिससे तूफ़ान आने से पहले आपके पास बचने का सही विकल्प हो और मौसम विभाग की जानकारी को आप ध्यान पूर्वक सुनते रहें।
  • सूखे और आकाल की समस्या से बचने के लिए वर्षा के जल को संचय करके रखना चाहिए, जहाँ अधिक मात्रा में लोग सूखे जैसी परिस्थितियों का सामना करतें हैं वहां अधिक से अधिक पेड़-पौधों का रोपण करना चाहिए।
  • भूस्खलन की घटना के वक़्त आप जितनी जल्दी हो सके अपने वहां से बाहर निकलने की कोशिश करें और सेफ्टी किट भी अपने साथ रखें। अगर आपका घर पहाड़ी क्षेत्र में है तो अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें जिससे भूस्खलन जैसी परिस्थिति उत्पन्न ना हो।

तो कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखते हुए हम अपने आप को और दूसरों को किसी भी prakritik aapda के खतरे से बचा सकतें हैं और साथ-ही-साथ यह भी ध्यान रखें की प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए यह निवारक उपाय आप दूसरों को भी बताएं।

दोस्तों, आज का आर्टिकल भारत में प्राकृतिक आपदा के बारे में चर्चा करके आपको कैसा लगा आप भी अपनी राय निचे कमेंट करके अवश्य बताएं।

दोस्तों, अगर आप समाज और देश से जुड़े ऐसे आर्टिकल्स और भी पढ़ना चाहतें हैं, तो यहाँ क्लिक करके पढ़ सकतें हैं। 


Share & Help Each Other