भारत में लैंगिक असमानता। (Gender Inequality in India in Hindi.)

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लैंगिक असमानता स्त्री-पुरुष के मध्य एक ऐसी परम्परावादी नाकारात्मक सोच है, जिसका अंश आज भी समाज के कई हिस्सों में देखने को मिलता है। ईश्वर ने स्त्री-पुरुष की रचना करते वक़्त किसी भी प्रकार का अंतर चिन्हित नहीं किया केवल लिंग को पारस्परिक तरीके से अलग बनाया, जिससे पृथ्वी पर जीवन आगे बढ़ सके, लेकिन सामाजिक लोगों ने केवल लैंगिक अंतर को विभिन्न प्रकार की धारणाओं से जोड़कर स्त्री और पुरुष के मध्य एक बहुत बड़ी असमानता की दिवार खड़ी कर दी। हालाँकि, भारत भी इस परम्परावादी सोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण था लेकिन अब “भारत में लैंगिक असमानता (Bharat mein Laingik Asamanta)” का प्रचलन धीरे-धीरे कम हो रहा है फिर भी इसका अंश आज भी समाज के लोगों के दिमागों में बैठा है, जिसे दूर करना चुनौती भरा कार्य है।

Laingik Asamanta का सामना सबसे अधिक समाज में महिलाओं, स्त्रियों, बच्चियों को करना पड़ता है, समाज इन्हे निर्बल, गैरजिम्मेदार, असहाय और कुछ पुरुष वर्ग इन्हे अपने अधीनस्थ समझतें हैं। इसलिए, भारतीय समाज के इस परम्परावादी माहौल में आज भी लड़के के जन्म की जितनी खुशियां मनाई जाती हैं वह एक लड़की के जन्म लेने से शांत हो जाती है, समाज के इस रूढ़िवादी पराकाष्टा की स्तिथि को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्तर पर 17 सतत विकास लक्ष्यों में से लक्ष्य सँख्या पाँच ‘लैंगिक समानता’ को पूर्ण रूप से स्थापित करने के लिए 2030 का लक्ष्य सुनिश्चित किया है।

स्त्री-पुरुष है एक समान,

नहीं इसमें तू कोई भेद-भाव को मान।

दोनों के बिना पृथ्वी पर जीवन चक्र अधूरा है,

दोनों के मिलन से ही होता यह जीवन पूरा है।

bharat mein laingik asamanta
Laingik Asamanta

लैंगिक असमानता क्या है?

लैंगिक समानता का तात्पर्य इससे नहीं है की समाज का हर व्यक्ति एक लिंग का हो जाएँ बल्कि समानता का मतलब है, समाज में महिला और पुरुष वर्ग को सामान अधिकार, दायित्व, रोजगार और सम्मान से जीने का स्वाधिकार, जो ख़ास कर महिला वर्ग को ना प्राप्त होने से Laingik Asamanta को जन्म देता है। लैंगिक असमानता समाज में महिलाओं को निचा दिखाने, उनका शोषण करने के लिए अक्सर पुरुष वर्गों द्वारा किया जाने वाला एक ऐसा अभ्यास है, जो हमारे समाज के पिछड़ेपन और रूढ़िवादी सोच को संजो कर रखता है और समाज के प्रगति में बाधक का काम करता है।

एक प्रगतिशील समाज को आगे बढ़ने और तरक्की करने के लिए हमेशा बिना महिला और पुरुष के बिच भेद-भाव के केवल उनकी काबिलियत पर ध्यान देना चाहिए, जिससे एक प्रभावी परिणाम सामने निकल कर आ सके क्यूंकि सबके साथ से ही घर और समाज की उन्नति होती है।

लैंगिक असमानता के प्रकार।

Laingik Asamanta का विभिन्न रूप हमारे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिलता है, जैसे:-

  • सामाजिक क्षेत्र में, महिलाओं के साथ अक्सर घरों में उन्हें केवल घरेलु काम-काज तक ही सिमित रखा जाता है, उन्हें घर के किसी भी महत्वपूर्ण मामले में संलिप्त नहीं किया जाता है और ना ही उनकी राय लेना कोई जरुरी समझता है।
  • राजनितिक क्षेत्र में, महिलाओं की पूर्ण भागीदारी नहीं देखने को मिलती है, ना ही महिला प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए दल का टिकट प्रदान करतें हैं और अगर महिलाओं की भागीदारी राजनीति में होती भी है तो उस महिला के प्रतिनिधि के रूप में उसके पिता या पति सभी अहम् मुद्दों पर निर्णय लेते हैं।
  • मनोरंजन के क्षेत्र में, महिलाओं को बहुत से गलत एवं अनैतिक व्यवहारों का सामना करना पड़ता है, अभिनेत्रियों को एक गलत अंदाज़ में लोगों के सामने पेश किया जाता है साथ ही अभिनेत्रियों को पारिश्रमिक शुल्क भी अभिनेताओं के तुलना में कम दिया जाता है।
  • आर्थिक क्षेत्र में, महिलाओं को पारिश्रमिक पुरुषों की तुलना में कम प्राप्त होता हैं साथ ही विभिन्न रोजगारों में उनके साथ भेद-भाव किया जाता है और इतना ही नहीं पुरुषों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है।
  • खेल के क्षेत्र में, पुरुषों के खेलों का प्रशारण बड़े स्तर पर किया जाता है वहीँ दूसरी तरफ महिलाओं के खेलों का प्रशारण कम किया जाता है, महिलाओं के खेल में उत्तम प्रदर्शन करने के बावजूद भी उन्हें कम प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। 

लैंगिक असमानता के कारण।

भारतीय समाज में महिलाओं और लड़कियों के प्रति भेद-भाव की मानसिकता पहले की तुलना में कम हुई है लेकिन आज भी कई ऐसे कारक हैं जो समाज से Laingik Asamanta को खत्म होने से रोक रहें है, जैसे:-

  • महिलाओं के प्रति समाज में अभी भी रूढ़िवादी सोच मौजूद है, जो उन्हें आगे बढ़ने और कुछ अच्छा करने से रोकती है, जिसका एक प्रमुख अंश है पितृसत्तात्मक मानसिकता जो उन्हें अपने जीवन में कम अवसरों को चयन करने का मौका देती है।
  • पिछड़े क्षेत्रों में महिलाओं को अभी भी उनके बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा की उचित सुविधा नहीं मिल पाती है, इन पिछड़े क्षेत्रों में आज भी लडकियां किशोर अवस्था में प्रवेश करते ही घर के काम काज में लग जाती है और इसी रवैये के कारण आज भी  कई ऐसे पिछड़े क्षेत्र हैं जहां लड़कियों का साक्षरता अनुपात दर 50% से कम है।
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा फिर चाहे वह सामाजिक हो, घरेलू हो या कार्यस्थल पर हो, अन्य रूपों में उन्हें कहीं न कहीं हिंसात्मक पीड़ा का शिकार होना पड़ता है और महिलाओं के प्रति ऐसा बर्ताव समाज में लैंगिक असमानता को और प्रबल बनाती है। 
  • महिलाओं के संबंध में स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ, हमारे समाज में आम तौर पर महिलाओं एवं लड़कियों को विशेष रूप से स्वास्थ्य सम्बंधित चिंताओं से गुजरना पड़ता है, जो की एक प्रकार की प्राकृतिक अवधारणा की देन है। महिलाओं में मासिक धर्म के कारण खून की कमी, कुपोषण, गाँठ और भी विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य सम्बन्धी चिनताएँ होने के कारण उन्हें लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है।
  • केंद्र और राज्य स्तर पर कम राजनीतिक भागीदारी को महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण का मूल कारण माना जाता है क्यूंकि जबतक एक महिला नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर कर सामने नहीं आएगी समाज से लैंगिक असमानता कैसे खत्म होगा। एक महिला ही महिला के दर्द और समस्याओं को समझ सकती है ना की पुरुष वर्ग।

लैंगिक असमानता के प्रभाव।

Laingik Asamanta का प्रभाव हमारे समाज की महिलाओं, लड़कियों, बच्चियों और मूल रूप से कहें तो लड़की के जन्म के पहले से ही उसपर पड़ने लगता है क्यूंकि एक लड़की को अपने जीवन के हर चरण में भेद-भाव का शिकार होना पड़ता है, जैसे:-

  • गर्भधारण के दौरान भ्रूणहत्या का सामना करना पड़ता है।
  • शिशु अवस्था के दौरान शिशु मृत्यु दर, स्तनपान, स्वास्थ्य देखभाल में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
  • बाल्यवस्था के दौरान बच्चे को कुपोषण, एनीमिया, स्कूल छोड़ना, बाल श्रम, यौन शोषण का सामना करना पड़ता है।
  • किशोरावस्था के दौरान एनीमिया, तस्करी, व्यावसायिक यौन कार्य का सामना करना पड़ता है।
  • वयस्क महिलाओं को घरेलू हिंसा, गर्भपात, एनीमिया, अवैतनिक घरेलू काम का सामना करना पड़ता है।
    • एक श्रमिक के रूप में महिला को कार्यस्थल पर यौन शोषण, वेतन भेदभाव, सुरक्षा, महिला अनुकूल उपकरणों की अनुपस्थिति का सामना करना पड़ता है।
    • पत्नी के रूप में दहेज उत्पीड़न, बहुविवाह, तलाक।का सामना करना पड़ता है।
  • वृद्ध महिलाओं को खराब स्वास्थ्य, विधवापन, गरीबी, भिक्षावृत्ति का सामना करना पड़ता है।

इन सभी मापदंडों का नाकारात्मक प्रभाव वैश्विक स्तर पर भारत को लैंगिक समानता की सूचि में पीछे कर देता है क्यूंकि विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी वैश्विक लिंग अंतर रिपोर्ट, 2023के अनुसार, भारत 146 देशों में से लैंगिक समानता में 127वें स्थान पर है और भूटान, श्रीलंका, नेपाल जैसे अन्य देश भारत की रैंकिंग की तुलना में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए समाधान।

Laingik Asamanta को खत्म करने के लिए ऐसी बहुत सी योजनाएँ एवं पहल भारत और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रहे है लेकिन किसी का भी कार्यानव्यन पूर्ण रूप से परिणाम स्थापित करने में असमर्थ है क्यूंकि किसी भी अधिकारी की कहीं कोई भी जवाबदेही नहीं है, अगर किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि होती है तो उसकी जवाबदेही बहुत कम देखने मिलती है,

  • सबसे महत्वपूर्ण बात समाज में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा और सम्मान जो किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • महिलाओं को उनके स्टार्टअप और नवाचार के लिए लखपति दीदियों की तरह बेहतर प्रोत्साहन प्रदान करके उनकी आर्थिक भागीदारी और उनके लिए अवसर बढ़ाएँ।
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 2023 में महिला साक्षरता दर 70.3% है, इसे उचित शैक्षिक उपलब्धि प्रदान करके 90% से ऊपर बढ़ाया जाना चाहिए।
  • राज्य सरकार की मदद से प्रत्येक ब्लॉक स्तर के प्रशासन में उचित महिला स्वास्थ्य देखभाल और उत्तरजीविता प्रणाली स्थापित करें और किसी भी कदाचार के लिए जवाबदेही भी सुनिश्चित करें।
  • लोकसभा और विधान सभा की राजनीति में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को कम से कम 33% आरक्षित करके बढ़ाएं, जो महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण को दर्शाता है।
  • निजी कंपनियों और असंगठित क्षेत्र में पूर्ण वेतन के भुगतान के साथ मातृ अवकाश और मासिक धर्म अवकाश सुनिश्चित करें।
  • स्कूल की शिक्षा में लैंगिक समानता से संबंधित अध्याय शामिल करना आवश्यक है।
  • समाज की मानसिकता को बदलने के लिए सभी महिलाओं को अर्थव्यवस्था, सरकारी विभागों, महत्वपूर्ण एजेंसियों में भागीदारी सुनिश्चित करके उन्हें नियुक्‍त करना चाहिए।

भारत की सामाजिक, आर्थिक अथवा राजनितिक विकास के लिए हमे देश से Laingik Asamanta को खत्म करना होगा स्त्री और पुरुष को समानता प्रदान करनी होगी।

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