राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों हमारा भारत संत-महात्माओं, पुरोहितों, मौलवियों, ज्ञानियों और महापुरुषों का देश है, जिस देश में बच्चों को शिक्षा का अध्यन गुरुकुल में दिया जाता है, जिस गुरुकुल की संस्कृति का प्रचलन केवल भारत में प्रसिद्ध है और जहाँ संविधान और शास्त्र (फिर वह किसी भी धर्म का हो) को सर्वोपरि माना जाता है और उसका पालन भी बखूबी किया जाता है लेकिन फिर भी भारत में अपराध की संख्या आयेदिन बढ़ते ही जा रही है। इन सब के बावजूद अगर अपराध की श्रेणी में “भारत में किशोर अपराध (Bharat mein Kishor Apradh)” को भी शामिल कर लिया जाये तो यह हमारे भारत के गौरव पर प्रश्नचिन्ह लगा देती है क्यूंकि आज के आधुनिक समाज में किशोरों और बच्चों के द्वारा भी बढ़-चढ़ कर अपराध किया जा रहा है।

Bharat mein Kishor Apradh एक गंभीर सच्चाई है, जिस घिनौने बढ़ते अपराध की वजह से हमारे भारत की प्रतिष्ठित छवि को भी नुक्सान पहुँचा है और भारत में अपराध की दर में भी वृद्धि हुई है, जिसके कारण भारत के बच्चों में स्वभाविक रूप से संस्कार एवं शिस्टाचार खत्म होते जा रहें हैं और बच्चों के अंदर बुराइयां उत्पन्न होतें जा रहीं हैं, इसी मामले की हम संक्षिप्त रूप से आगे चर्चा करेंगे।
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किशोर अपराध क्या है?
जब किसी नाबालिग बच्चे के द्वारा जो की 18 वर्ष की आयु से कम है वह किशोर कहलाता है और जब उसके द्वारा किसी भी प्रकार का ऐसा अपराध किया जाता है, जिस आपराधिक गतिविधियों को वयस्कों के द्वारा किया जाता है, जैसे; हत्या, सामूहिक बलात्कार, डकैती, आतंकवादी हमले। एक युवा अपराधी का जिक्र करते समय किशोर शब्द का प्रयोग किया जाता है लेकिन भारत में एक किशोर को अपराधी घोसित करने के लिए उसका 14 वर्ष का होना आवश्यक है और आज के समाज में किशोर इन सभी आपराधिक मामलों में बड़ी संख्या में शामिल होते साबित हुएँ हैं।
भारत में सामान्य रूप से छोटे-मोटे अपराध और विशेष रूप से जघन्य अपराध बच्चों द्वारा नियमित रूप से किए जा रहे हैं और दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस तरह के सभी अपराध 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा किए जा रहे हैं, जहाँ ‘राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2010-2014 के बीच Kishor Apradh की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है, 2015-16 के बीच किशोर अपराधों में 7.2% की वृद्धि हुई है। एक और, चौंकाने वाला तथ्य यह है कि, किशोरों द्वारा किए गए सभी अपराधों में से 50% से अधिक महिलाओं के खिलाफ थे और इस तरह के अपराध 2012 और 2014 के बीच पूरे भारत में 92% बढ़े।
भारत में किशोर अपराध के कारण।
भारत जैसे महान देश में भी धीरे-धीरे नैतिकता का पतन हो रहा है, जिसका नाकारात्मक असर बच्चों पर साफ़ देखा जा सकता है क्यूंकि बच्चे किसी भी देश का भविष्य होतें हैं और उनके बेहतर भविष्य के लिए जिम्मेदार उनके अभिभावक, माता-पिता, शिक्षक, दोस्त और समाज होतें हैं क्यूंकि बच्चों और किशोर के प्रभावी जीवन के लिए और उन्हें सकारात्मक सामाजिक वातावरण प्रदान करना भी इन सबका कर्त्तव्य होता है।
भारतीय समाज के बच्चे अक्सर शिष्टाचारी, गुणकारी और आज्ञाकारी होतें हैं, जो दूसरों का सम्मान करना जानते हैं लेकिन आज के किशोरों में यह सब नहीं देखने को मिलता है, जिसका मुख्य कारण हमारे समाज की कुछ ऐसीं कुरीतियां हैं, जिसे हम अक्सर देख कर भी अनदेखा कर देतें हैं, जिसकी वजह से Bharat mein Kishor Apradh की संख्या में वृद्धि हो रही है:-
- बच्चों के जीवन में अभिभावकों का ना होना-> जब किसी बच्चे के जीवन में अभिभावक या माता-पिता नहीं होते हैं अथवा उनकी भूमिका उस बच्चे के जीवन में उतना प्रभाव नहीं डाल पाती है या फिर कोई बच्चा अनाथ हो जाता है, तो ऐसी परिस्तिथि में उस बच्चे की गलत राह पर जाने और अपराध करने की संभावना बढ़ जाती है।
- गरीबी-> गरीबी पुरे विश्व की ऐसी कड़वी दवा है जिसे नहीं चाह कर भी खानी पड़ती है ठीक वैसे ही गरीबी के हालात बच्चों और किशोरों को अपराध और गलत काम करने के लिए मजबूर कर देती है, जिसे नहीं चाह कर भी उन्हें करनी पड़ती है।
- मित्र मंडली का प्रभाव-> जैसे-जैसे बच्चे अपनी किशोरा अवस्था में जाते हैं, वैसे वह अपने लिए अपनी संगत, दोस्तों और किसी समूह का चयन कर लेता है और यदि अगर वह किसी अपराधी प्रवृति के समूह का चयन कर लेता है, तो वह निश्चित रूप से अपराधी प्रवृति का बन जाता है और अध्ययनों के अनुसार, अपराधी व्यवहार समूहों में किए जाते हैं।
- बाल भिक्षावृति-> जो बालक भिक्षावृति में शामिल होतें हैं, उनके अपराधी बनने की संभावना बढ़ जाती है और उनके द्वारा अपराध करवाया जाता है।
- नशीले पदार्थ-> किशोरों के बिच नशीले पदार्थ के सेवन का बढ़ता प्रचलन ही कई बालकों को अपराध करने की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
- आभासी दुनिया और सोशल मीडिया का प्रभाव-> आज के युग में सोशल मीडिया और आभासी दुनिया का गहरा प्रभाव बच्चों पर देखने को मिलता है, टेलीविज़न, समाचार, अश्लीलता, गेम इन सब का लगातार संपर्क भी Kishor Apradh को बढ़ावा देता है क्यूंकि किशोरावस्था में बच्चें का मन कोमल होता है और इसलिए वह बचपन में जैसा देखतें हैं वैसा ही सीखतें हैं।
कोई भी जन्म से अपराधी नहीं होता, परिस्थितियाँ और हालात उसे ऐसा बनने के लिए मजबूर कर देती हैं। घर के अंदर और बाहर सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण, किसी के जीवन और समग्र व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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भारत में किशोर अपराध को कैसे रोकें?
किशोरों के द्वारा किये गए अपराध को रोकने के लिए भारत सरकार भी अपना अथक प्रयाश कर रही है, जिससे उनके देश की गरिमा पर प्रश्नचिन्ह ना लग सके क्यूंकि भारत में पुरे विश्व की सबसे अधिक किशोर एवं युवा शक्ति का वास है, जिसे भारत को प्रभावी रूप से इस्तेमाल करने पर केंद्रित करनी चाहिए और किशोरों के द्वारा किये गए ऐसे घिनौने अपराधों पर सख्ती से पेश आना चाहिए।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000, जहाँ भारत सरकार के द्वारा किशोरों का कानून के साथ टकराव होने पर उन्हें किशोर न्याय बोर्ड दवरा नियंत्रित किया जायेगा ना की उन्हें कारावास में सजा दी जाएगी।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2006, जहाँ भारत सरकार के द्वारा इस अधिनियम में बच्चों की देखभाल, सुरक्षा, उपचार और पुनर्वास के लिए कानूनी प्रणाली और ढांचा तैयार किया गया है, जिससे बच्चों का भविष्य बर्बाद ना हो उन्हें सुधरने का मौका दिया जा सके।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015, इस अधिनियम में भारत सरकार समाज में बढ़ते किशोरों के द्वारा अपराध को सख्त करते हुए 16-18 आयु वर्ग के किशोरों को जघन्य अपराध करने पर वयस्कों के रूप में माना गया है।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2021, यह अधिनियम भारत सरकार के द्वारा छोटे शिशु और बच्चों की सुरक्षा के लिए लायी गयी है, जिसके तहत छोटे बच्चों को गोद लेने के प्रावधान को और मजबूत और कारगर बनाने का प्रयाश किया गया है।
इन सभी सरकारी अधिनियम और प्रावधानों के अलावा अभिभावक, माता-पिता, शिक्षक और समाज भी कुछ अपनी जिम्मेदारियों को समझ कर उसका पालन कर सकती है क्यूंकि गीली मिटटी को शुरुवात में ही आकार दिया जा सकता है उसके सूखने के बाद उसे बदला नहीं जा सकता ठीक वैसे हीं बच्चें की बेहतर भविष्य की संरचना उसके किशोरावस्था में ही हो जाती है, जिसका प्रभाव बच्चे पर पूरी ज़िन्दगी रह जाता है। किशोरों के द्वारा किये जाने वाले अपराध की रोकथाम के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे:-
- अभिभावक, शिक्षक को अपने बच्चों पर ध्यान देते हुए उनसे मित्रता का भाव रखना चाहिए और आस-पास की सामाजिक गतिविधियां उनके बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव दाल रही है यह सुनिश्चित करना चाहिए, जो की बच्चों में नैतिकता और संस्कार की भावना पैदा कर सकें।
- गरीबी, बाल भिक्षावृति के कारण कोई भी किशोर किसी भी प्रकार से आपराधिक गतिविधि में शामिल ना हो, इसकी सुनिश्चितता करने की जिम्मेदारी सभी राज्यों के नगर पालिका और ग्राम पंचायतों को सौंपा जाना चाहिए।
- माता-पिता और अभिभावक अपने बच्चों के संगती और उनके मित्र मंडली पर ध्यान रखे ताकि उनका बच्चा किसी भी प्रकार से कोई गलत संगत में पड़ कर कोई आपराधिक गतिविधि में संलिप्त ना हो क्यूंकि अक्सर किशोर आपराधिक गतिविधियां अपने मित्रों के बहकावे में ही करतें हैं।
- आज के युग में बच्चों और किशोरों में सोशल मीडिया, आभासी गेम, टेलीविज़न और अश्लीलता के प्रति पागलपंती इस हद तक पहुंच चुकी है की वह जैसा देखतें है ठीक वैसा ही करने और बनने की कोशिश करतें हैं और केवल माता-पिता ही इसकी सुनिश्चितता कर सकतें हैं की उनका बच्चा सोशल मीडिया पर किन गतिविधियों में शामिल है अगर वह किन्ही नाकारत्मक गतिविधि में संलिप्त है तो इसका पता लगा कर उसे रोका जा सकता है।
- सरकार को किशोर गृहों, सुधार गृहों की स्थिति में सुधार के लिए नियमित निरीक्षण, पर्याप्त धनराशि तथा कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के उपाय किए जाने चाहिए।
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निष्कर्ष।
Bharat mein Kishor Apradh हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है, जिसके कारण सरकार के साथ-साथ अभिभावक और माता-पिता को व्यक्तिगत स्तर पर अपने बच्चों की देखभाल करना जरुरी है, तब जाकर कहीं बच्चों के द्वारा किये जाने वाले अपराधों को नियंत्रित किया जा सकता है।
दोस्तों, देश में बच्चों के द्वारा किये जाने वाले अपराध के बारे में आपकी क्या राय है, आप निचे कमेंट करके बता सकतें हैं।