भारत में धर्म परिवर्तन। (Religious Conversion in India in Hindi.)

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हमारा भारत बहुधर्मी देश है, जहाँ विभिन्न प्रकार के धर्मों की रचनाएँ एवं उनका प्रचार-प्रसार हुआ है और हमारा भारतीय संविधान भी अपने देश के नागरिकों के साथ दुनिया के अन्य किसी भी देश के नागरिक को अपने धर्म को अभ्यास करने कि मौलिक अधिकार प्रदान करता है। बहुधर्मी होने के कारण हमारे भारत में सर्वोच्च मान्यता संविधान को प्रदान की गयी है जिससे सभी धर्मों के मध्य समानता, एकता और शांति स्थापित की जा सके। लेकिन, भारत की इसी बहुधार्मिक अनुकम्पा की दृष्टि “भारत में धर्म परिवर्तन (Bharat mein Dharm Parivartan)” का मूल कारण बनकर इसे समाज में गलत तरीके से प्रेरित कर रही है।

स्वयं अपनी मर्जी से Dharm Parivartan करके दूसरे धर्म को अपनाना किसी भी प्रकार से गलत नहीं है ना ही इसे गुनाह माना जाएगा और हमारा भारत इसे कानूनी तौर पर अनुमति भी प्रदान करता है साथ ही संविधान भी प्रत्येक नागरिक को उसकी धार्मिक आचरणों की स्वतंत्रता प्रदान करता है। परन्तु, भारत में Dharm Parivartan समाज में दूसरे धर्मों के प्रति गन्दी धारणाओं को फैलाकर, जबरन, प्रेम सम्बन्ध बनाकर और शारीरिक आकर्षण के जरिये कराया जा रहा है, जो की पूर्ण रूप से गलत है और गुनाह की श्रेणी के अंतर्गत आता है। 

bharat mein dharm parivartan
Bharat mein Dharm Parivartan

धर्म परिवर्तन क्या है?

Dharm Parivartan अथवा धर्मांतरण एक प्रथा है जहां एक व्यक्ति अपने धर्म को त्याग कर दूसरे धर्म और उनकी मान्यताओं को अपना लेता है और फिर उस धर्म को मानने और उसका पालन करने लगता है।

हमारे भारत में धार्मिक रूपांतरणों को प्रतिबंधित या विनियमित करने के लिए कोई केंद्रीय कानून नहीं है, लेकिन वर्षों से कई राज्यों के द्वारा जबरन, धोखाधड़ी या प्रलोभन द्वारा किए गए धार्मिक रूपांतरणों को प्रतिबंधित करने के लिए ‘धर्म की स्वतंत्रता’ पर अपने अलग कानून बनाये हैं।

भारत में कुल Dharm Parivartan दर कानूनी तौर पर बहुत कम होता है, परन्तु वहीँ दूसरी तरफ गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण की संख्या भारतीय समाज में एक गंभीर समस्या और चुनौती बन चुकी है।  भारत में हिन्दू धर्म सबसे ज्यादा धर्मांतरण करने वाला धर्म है, जो की धर्म परिवर्तन के मामले का सबसे अधिक शिकार बनता है क्यूंकि भारत में सर्वाधिक संख्या हिन्दू धर्म की है, इस्लाम में नए धर्मान्तरित लोगों में से 77% हिंदू और 63% महिलाएं थीं।

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भारत में धर्मांतरण का इतिहास।

भारत में धर्म परिवर्तन का प्रचलन प्राचीन काल में इतना अधिक नहीं फैला था जितना की मुगल बादशाहों के शासनकाल में मध्ययुगीन काल में धर्म परिवर्तन ने गति पकड़ ली, जहाँ हिन्दुओं को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए धार्मिक मिशनरियों द्वारा जबरन और लालच देकर धर्मांतरण किया जाता था। आगे चल कर आधुनिक काल में भी यह Dharm Parivartan का शिलशिला युहीं बढ़ता गया, जब भारत में ब्रिटिश शासनकाल तरक्की कर रहा था, आम लोगों को जबरन अपने धर्म से ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया जाता था।

भारत धर्म परिवर्तन जैसे मामलों से गत कई शताब्दीयों से पीड़ित है और ऐसे मामले भारत के धर्मनिरपेक्षवाद की निति को बुरी तरह से प्रभावित करने के साथ उसकी महत्ता को भी कम कर रही है। भारतीय समाज में प्राचीन काल से दो तरीकों से Dharm Parivartan होतें आएं हैं :-

  • स्वैछिक रूप से-> अगर कोई व्यक्ति स्वयं अपनी इच्छा से अपने निज धर्म का त्याग कर किसी दूसरे धर्म को अपनाता है और उसका अनुयायी बन जाता है, तो वह उसका निजी अधिकार है जो की हमारे संविधान का ‘अन्नुछेद-25’ उसे प्रदान करता है। 
  • जबरन-> अगर किसी व्यक्ति को किसी अन्य धर्म के व्यक्ति अथवा धार्मिक मिशनरियों द्वारा जबरन, धोखा-धड़ी से, बहला-फुसला कर, प्रेम सम्बन्ध बना कर और शारीरिक शोषण करके उसके अपने निज धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करता है, तो इसे गुनाह माना जायेगा।

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भारत में धर्म परिवर्तन के कारण।

Dharm Parivartan के प्रति भारत में विभिन्न सामाजिक कारण अस्तित्व में नज़र आतें हैं, जो की आमतौर पर समाज में व्यक्तिगत (स्वेच्छा) और जबरन दो रूपों में दिखाई पड़ते हैं और इन दोनों के भी अपने-अपने कारण हैं।

स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के कारण।

  • धर्म की गहरी रूढ़िवादी सोच > आज भी बहुत से धर्मों में गहरी रूढ़िवादी सोच पाई जाती है, जिनकी परम्पराएँ एवं रीती-रिवाज आज की समाज के साथ मेल नहीं खाती है, जिसके कारण युवक-युवतियां दूसरे धर्मों को अपनाना पसंद करतें हैं।
  • हिंदू धर्म में वर्ण व्यवस्था, मुसलमानों में शिया और सुन्नी जैसे विभिन्न धर्मों में भेदभावपूर्ण विचार प्रक्रिया-> कई धर्मों में भेदभाव जैसी प्रक्रिया देखने को मिलती है, धर्मों के अंतर्गत भी उप धर्म शामिल होतें हैं। इसके कारण युवाओं में गलत संदेश पहुँचता है की हमारे निज धर्म में भी हम एक नहीं होकर बटे हुएँ हैं तत्पश्चात वह स्वेच्छा से अपने अनुकूल साधारण और सरल धर्म में परिवर्तित होने की सोचता है और इसके लिए समाज भी जिम्मेदार होती है।
    • समाज की धार्मिक कुरीतियां और स्वयं के धर्मों में छोटी जातियों के प्रति हिन् भावना भी समाज में स्वैच्छिक Dharm Parivartan को बढ़ावा देती है। 
  • आज का युवा सरल और मानव हितैषी धर्म चाहता है-> आज का युवा धर्मों को अपने अनुकूल बनाना चाहता है और ऐसा करने से जब समाज उसे रोकती है या उसका विरोध करती है तो वह अपनि अनुकूलता के प्रति दूसरे धर्म में धर्मांतरण हो जाता है।

जबरन धर्म परिवर्तन के कारण।

  • धर्म को बढ़ावा देने के लिए प्रजनन दर में वृद्धि करना-> कोई भी विशेष धर्म का अनुयायी अपने धर्म का विस्तार करना चाहता है और विस्तार करने के लिए वह या तो अधिक बच्चे पैदा करेगा या बहुविवाह करेगा या फिर व्यक्ति के मनोचित को ऐसे परिवर्तित करदेगा जिससे वह उसका Dharm Parivartan करवा सके जिससे उसके धर्म के लोगों की संख्या अन्य धर्मों की तुलना में अधिक हो जाए, ऐसा करना गुनाह माना जाता है, जैसे; लव-जिहाद, झूठा प्रेम सम्बन्ध। 
  • विशेष धर्म का वर्चस्व धर्म परिवर्तन की ओर ले जाता है-> यदि किसी देश में या किसी समाज में कोई विशेष धर्म का वर्चस्व होता है और कोई अन्य धर्म का व्यक्ति अल्पसंख्या में है तो बहुसंख्यक धर्म के लोग उस अल्पसंख्यक धर्म के लोगों की जबरन Dharm Parivartan कर देतें हैं। 
  • अपने धर्म के बारे में जानकारी का अभाव-> आज के समय में आमतौर पर अभिभावक अपने बच्चों को उनके धर्म के बारे में, उनकी संस्कृति के बारे में पूर्ण रूप से नहीं बतातें हैं, इसलिए अपने धर्म के प्रति जानकारी के अभाव के कारण वह युवा सरलता से किसी अन्य धर्म के प्रति आकर्षक हो जाता है या उसे आकर्षित कर लिया जाता है।
  • आतंकवाद को बढ़ावा देना-> भारत में बहुत से ऐसे आतंकवादी समूह के अनुयायी हैं, जो की आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए दूसरे धर्मों के युवाओं एवं युवतियों के मष्तिष्क में नाकारात्मक छवि उत्पन्न करके उनका धर्म परिवर्तित कर देतें हैं और फिर उनका गलत उपयोग करतें हैं।

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भारत में धर्म परिवर्तन का प्रभाव।

भारत में धर्म परिवर्तन के मामलें व्यक्ति के निजी जीवन के साथ-साथ समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। हालाँकि, Dharm Parivartan के खिलाफ किसी भी प्रकार का कानून केंद्र सरकार के द्वारा बनाया नहीं गया है लेकिन फिर भी धर्मांतरण के खिलाफ पारिवारिक एवं बाह्य सामाजिक दबाव तीव्र हो जातें हैं। परिवार के सदस्य परिवर्तित होने वालों को अस्वीकार कर सकते हैं और स्थानीय समाज के लोग उन्हें बहिष्कृत कर सकते हैं।

धार्मिक परिवर्तन समाज में अस्थिरता जैसे; दंगा, हिंसक झड़प और धर्मांतरित लोगों को भी बाह्य हिंसा का सामना करना पड़ सकता है। परिणामस्वरुप, भारत में एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित होना कठिन और भयावह हो सकता है।

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भारत में धर्म परिवर्तन से कैसे बचें।

भारत एक धर्मनिरपेक्षवाद देश है और हमारे देश में सभी अपने-अपने धर्मों से बहुत प्यार करतें हैं और अपने धर्मों के साथ अन्य धर्मों का भी सम्मान करतें हैं। इसलिए, आज के इस समाज में स्वैच्छिकता से Dharm Parivartan के मामलें बहुत कम हो गएँ हैं लेकिन वहीँ दूसरी ओर गलत तरीके से धर्मांतरण के मामलें में वृद्धि हो गयी है और हमे इसी चीज पर विचार करने एवं जागरूकता फ़ैलाने की जरुरत है की किस प्रकार से हम अपने नयी युवा पीढ़ी को इस घिनौने जाल में शिकार होने से बचा सकतें हैं:-

  • अभिभावक को शुरुवात से ही अपने बच्चों को धार्मिकशिक्षा प्रदान करनी चाहिए एवं अपने धार्मिक शास्त्रों, वेद, कुरान, ग्रन्थों अथवा बच्चों को उनकी संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों के बारे में जागरूक कराना चाहिए, जिससे उन्हें कोई अन्य धर्म का अनुयायी गलत तरीके से अपने धर्म में परिवर्तित ना कर सके। इसलिए, अभिभावकों को विशेष कर इस बात को ध्यान में रखना है।
  • समाज भी धार्मिक परिवर्तन जैसे इस घिनौने अपराध में अपना योगदान दे सकता है, सामाजिक जागरूकता अभियान चला कर गली, शहर, मोहल्ले में रैलियाँ करवा कर। सभी धर्मों के धार्मिक समूहों को अपने-अपने धर्मों का प्रचार युवाओं को जागरूक करने के लिए करनी चाहिए ताकि हमारे युवा को किसी दूसरे धर्म के अनुयायी भटका नहीं सके।
  • सभी स्कूलों और कॉलेजों में धर्म का प्रचार करने वाले किसी भी संदिग्ध व्यक्ति अथवा युवा पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे कोई दुबारा ऐसा करने की हिम्मत ना कर सके।
  • केंद्र सरकार को गलत तरीके से अथवा जबरन धर्मांतरण करने के खिलाफ एक सख्त कानून लाने की आवश्यकता है और यह कानून पूरी तरह से तटस्थ हो किसी भी प्रकार से लोगों के मौलिक अधिकारों पर अंकुश न लगाएं या राष्ट्रीय एकता को बाधित न करें।

इस धर्मांतरण को रोकने की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अभिभावकों को निभानी पड़ेगी क्यूंकि हम कितनी भी मेहनत क्यों ना कर लें वृक्ष फल कैसा देगा उसका निर्णय मिट्टी की गुणवत्ता तय करता है।

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