हालाँकि, आज के इस समाज में महिला और पुरुष एक समान हैं और दोनों को बराबर का अधिकार भी प्रदान किया गया है साथ ही जिस प्रकार से हम महिला सशक्तिकरण और महिला दिवस पर बल देतें हैं ठीक उसी प्रकार से पुरुषों का सम्मान, उनके परिवार में उनका सकारात्मक योगदान के प्रति और समाज को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका का जश्न मनाने के लिए प्रति वर्ष 19 नवंबर को “अंतराष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Men’s Day)” मनाया जाता है।
यह दिवस इस बात का संकेत देता है की हमे अपने घर और समाज को आगे बढ़ाने में योगदान देने वाले पुरुष फिर वह पिता, भाई, दोस्त और रिश्तेदार आदि कोई भी हो उनके प्रति सम्मान अथवा उनके कल्याण के बारे में जागरूकता फैलाना साथ ही घर और समाज के प्रति उनके योगदान का जश्न मनाना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना। यह दिवस उन पुरुषों का भी सम्मान करता है, जो रोजमर्रा के कामकाज को ईमानदारी से करतें हैं और समाज में एक सार्थक योगदान प्रदान करतें हैं।
Antarashtriya Purush Diwas प्रति वर्ष एक विषय पर आधारित कार्य करता है, जहाँ इस बार 2023 का विषय है “शून्य पुरुष आत्महत्या (Zero Male Suicide)”, जिसका उदेश्य है की पुरुषों की आत्महत्या को रोकना और उनके मानसिक तनाव को कम करना।
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अंतराष्ट्रीय पुरुष दिवस का महत्व।
Antarashtriya Purush Diwas परिवारों, समाज, समुदाय में पुरुषों के महत्व को उजागर कर उनके लिए जश्न मनाता है, पुरुषों के जीवन में आने वाली परेशानियों और चुनौतियों से लोगों को परिचित करवाता है। यह दिन सकारात्मक रोल मॉडल को उजागर कर पुरुषों की भलाई के बारे में जागरूकता को बढ़वा देने का एक मंच है। यह पुरुषों के स्वास्थ्य, कल्याण और लिंग के आधार पर उनके सामने आने वाली असमानताओं और कानून में पुरुषों के खिलाफ भेदभाव को उजागर करके महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने का अवसर प्रदान करता है।
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अंतराष्ट्रीय पुरुष दिवस का इतिहास।
Antarashtriya Purush Diwas पहली बार 1999 में मनाया गया था, जिसका अवलोकन त्रिनिदाद और टोबैगो में वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉक्टर जीनोम टीलूकसिंघ ने अपने पिता के जन्मदिन के स्मृति में किया था। उन्होंने आगे इस दिन को सभी पुरुषों को प्रभावित करने से सम्बंधित मुद्दों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दिवस को अंतराष्टीय महिला दिवस के प्रतिकूल संयुक्त राष्ट्र के द्वारा मान्यता नहीं प्रदान की गयी है।