अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस। (International Migrants Day in Hindi.)

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प्रवास मानव सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है, जो की अनेक कारकों के द्वारा संचालित किया जाता है, जैसे; आर्थिक कारक, राजनितिक कारक, शिक्षा, गृह युद्ध और जलवायु परिवर्तन। इन कारकों को पूर्ण रूप से ध्यान में रखकर प्रवासियों के मध्य आने वाले संकट और चुनौतियों के बारे में जागरूकता फैलाना अथवा प्रवासन और वैश्विक विकास के बिच अंतर्संबंध को उजागर कर सभी प्रवासियों के अधिकारों को बनाये रखने के लिए प्रति वर्ष 18 दिसंबर को “अंतराष्ट्रीय प्रवासी दिवस (International Migrants Day)” के रूप में मनाया जाता है।

Antarashtriya Pravasi Diwas का मुख्य उदेश्य प्रवासियों को प्रवास के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों से निपटने के लिए उनका समर्थन करना साथ ही उसके प्रति लोगों में जागरूकता और सहानुभूति प्रकट करना। 

antarashtriya pravasi diwas
Antarashtriya Pravasi Diwas

Antarashtriya Pravasi Diwas के द्वारा प्रति वर्ष एक विषय पर आधारित कार्य किया जाता है, जहाँ 2023 में “सुरक्षित प्रवासन को बढ़ावा देना (Promoting Safe Migration)” है, यह विषय प्रवासी और विस्थापित व्यक्तियों के मध्य अक्सर आने वाली असुरक्षा और चुनौतियों को रेखांकित करता है।

अंतराष्ट्रीय प्रवासी दिवस का महत्व।

यह दिवस विभिन्न प्रकार से अपनी महत्ता का बखान सभी क्षेत्रों में करता है, जैसे:-

  • प्रवासी देश की आर्थिक स्तिथि में अपना योगदान देतें हैं फिर चाहे वह वित्तीय हो, शिक्षा के माध्यम से हो, राजनितिक हो किसी न किसी प्रकार से वह देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देतें हैं।
  • Antarashtriya Pravasi Diwas प्रति वर्ष अपने विषय पर कार्य करते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्य 10 को प्राप्त करने में अपनी सक्रीय भूमिका निभा रहा है।
  • Antarashtriya Pravasi Diwas देश के सॉफ्ट पावर को बढ़ाने के साथ-साथ देश को वैश्विक लीडर की ओर अग्रसर करता है।
  • यह दिवस प्रवासियों के मध्य आने वाली चुनौतियों के समाधान अथवा प्रवासन के मुद्दों को लेकर अच्छी व्यवस्था की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है और उसके टिकाऊ समाधान के लिए प्रयाश करता है।
  • यह दिवस प्रवासियों के अधिकारों के पक्ष में वकालत करता है और इनके अधिकारों से सम्बंधित हनन की देख रेख में कार्य करता है।

अंतराष्ट्रीय प्रवासी दिवस का इतिहास।

अंतराष्ट्रीय प्रवास एक वैश्विक बढ़ती हुई घटना है और इसका समाधान करना चुनौती भरा कार्य था लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अवसर की भातिं देखते हुए निष्कर्ष निकाला की यह प्रवास मूल देशों अथवा गंतव्य देशों में विकास में सकारात्मक योगदान दे सकता है, बसर्ते इन्हे सही नीतियों द्वारा संचालित किया जाना चाहिए, जिसके लिए हमे प्रवास करने वाले लोगों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान करना होगा। तब जाकर 04 दिसंबर,2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रवासी की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए 18 दिसंबर को “Antarashtriya Pravasi Diwas” मनाने की घोसणा की गयी।

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