भारतीय अर्थव्यवस्था का निजीकरण। (Privatization of Indian Economy in Hindi.)

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राधे-राधे, आदाब सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का सार है, जहाँ सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र दोनों का योगदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्यूंकि भारत में समाजवादी और पूंजीवादी दोनों अर्थव्यवस्था मौजूद है। लेकिन अभी बीते कुछ वर्षों में सरकार के द्वारा “भारतीय अर्थव्यवस्था का निजीकरण (Bhartiya Arthvyavastha ka Nijikaran) करने के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण आने वाले दशक में भारत मिश्रित से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की श्रेणी में खड़ा नज़र आएगा और हमारा भारत विकासशील से विकसित देश बन जायेगा।

bhartiya arthvyavastha ka nijikaran
Bhartiya Arthvyavastha ka Nijikaran

‘Bhartiya Arthvyavastha ka Nijikaran’ की शुरुवात सन 1991 में पि.भी. नरिश्माः राव जी के नेतृत्व में की गयी थी क्यूंकि उस वक़्त हमारे देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की अवधारणा को पेश किया गया था, जिसके कारण हम अपने देश में आर्थिक संकट से निजात मिला था।

निजीकरण क्या है?

Nijikaran से यह तात्पर्य है की जब सरकार किसी सार्वजनिक क्षेत्र, संगठन, उद्यम को निजी क्षेत्र के स्वामित्व, प्रबंधन और नियंत्रण में स्थानांतरण कर देती है और स्वयं उसके स्वामित्व के भार से मुक्त हो जाती है, तो उसे हम निजीकरण कहतें हैं।

निजीकरण को पूर्ण रूप से समझने के लिए हमे इसके प्रकार को भी समझना आवश्यक है क्यूंकि सार्वजनिक से निजी क्षेत्र में स्थानांतरित करने के दो तरीके हैं, जैसे :-

  • स्वामित्व का स्थानांतरण->  सार्वजनिक कंपनियों का स्वामित्व प्रबंधन एवं नियंत्रण का स्थानांतरणं पूर्ण रूप से या फिर 50% अधिक भाग निजी क्षेत्र को समर्पित कर देती है।
  • विनिवेश की प्रक्रिया-> सरकार सार्वजनिक कंपनियों के कुछ हिस्सों और उपकरणों को बेचकर विनिवेश के रूप में निजीकरण कर देती है, जिसके कारण सार्वजनिक क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भी भागीदारी हो जाती है, लेकिन इसमें सरकार स्वामित्व अपने पास रखती है।
    • विनिवेश का मुख्य उदेश्य वितीय स्तिथि को और मजबूत करना और उसमे सुधार करके आधुनिकरण को शामिल करना।

भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्रों की आंशिक अथवा पूर्ण रूप से निजीकरण भारत के नागरिकों एवं अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है।

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भारतीय अर्थव्यवस्था के निजीकरण के कारण।

Bhartiya Arthvyavastha ka Nijikaran के पीछे मुख्य कारण देश के सार्वजनिक क्षेत्र या सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को बेहतर परिणाम के लिए अधिक प्रभावी ढंग से काम करने के लिए प्रेरित करता है और अधिक अनुशासित श्रम शक्ति स्थापित करता है, राजनितिक लक्ष्यों से आर्थिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से अर्थव्यवस्था के विकास को दर्शाता है, सरकार के बोझ को कम करता है, जिसके कारण सरकार अपने राजनितिक एवं प्रशासनिक कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकती है, जिससे भारत का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है और साथ ही निजीकरण की प्रक्रिया भ्रस्टाचार को भी रोकती है।

Nijikaran के कारण देश अपने मौजूदा ऋणों का भुगतान करने सक्षम हो पाता है, घाटे में चल रहे सार्वजनिक उद्यमों के संचालन में मदद करता है और देश को बदतर वित्तीय संकट की स्तिथि से बाहर निकालने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सरकार यह घोसणा कर चुकी है की भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनाना है और निजीकरण देश को विकसित बनाने के लिए बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाली है और निजीकरण सभी स्तम्भों में एक स्तंभ है जिसके बल पर भारत की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी साथ ही देश के सकल घरेलु उत्पाद में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर निजीकरण का प्रभाव।

अर्थव्यवस्था के विकास के लिए Nijikaran समग्र रूप से फायदेमंद है जिसके कारण देश के सभी क्षेत्रों के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिलता है क्यूंकि जितना प्रभावी ढंग से कार्य निजी कंपनियां करती हैं उतना प्रभावी कार्य सार्वजनिक कंपनियां नहीं कर पातीं हैं क्यूंकि सार्वजनिक क्षेत्र में किसी की उचित जवाबदेही नहीं होती है और कार्यपालिका में भी आम तौर पर लचीलापन देखने को मिलता है, साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियां स्थायित्व होती है लेकिन निजी क्षेत्र की नौकरी में किसी भी प्रकार की स्थायित्व नहीं होती है।

भारत में आम नागरिकों को सरकार के अर्थव्यवस्था का निजीकरण करने का यह फैसला पूर्ण रूप से पसंद नहीं आया है लेकिन सरकार को नागरिकों के व्यक्तिगत हित को नज़रअंदाज़ करके देशहित में कार्य करने की आवश्यकता है, जिसके कारण निजीकरण का प्रभाव ‘गुण और दोष’ के रूप में अपने अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलता है।

निजीकरण के फायदे।

  • देश में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करती है क्यूंकि बहुत से निवेशकों का पैसा अर्थव्यवस्था में निवेश होता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि होती है क्यूंकि देश में बाहर के उद्योगों के द्वारा भी निवेश किया जाता है क्यूंकि निजीकरण करने के लिए सरकार अपने नीतियों को निजी कंपनियों के तर्कसंगत बनाती है।
  • देश के सकल घरेलू उत्पाद में भी वृद्धि करता है क्यूंकि जब देश में विनिर्माण और बुनियादी ढांचे का विकास होता है तब सकल घरेलु उत्पाद स्वयं बढ़ जाता है।
  • यह अर्थव्यवस्था में एक प्रतिस्पर्धी माहौल का संचार करता है जिसके परिणामस्वरूप वस्तुओं और सेवाओं का उचित मूल्य निर्धारण होता है।
  • निजी कंपनियां से ग्राहकों की रुचि के अनुसार कार्य करती हैं और वस्तुओं की गुणवत्ता का भी अच्छे से ध्यान रखा जाता है, जिसके कारण बाज़ार में उचित प्रतिस्पर्धा का माहौल उत्पन्न होता है।  
  • निजी क्षेत्र द्वारा संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाता है क्योंकि वे जवाबदेह होते हैं।
  • निजीकरण की मदद से सरकार अपने कर्ज को भी कम करने में सक्षम हो पाती है।
  • निजीकरण बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था से भ्रस्टाचार को खत्म करने में अपनी भूमिका अदा करता है।
  • अर्थव्यवस्था के निजीकरण से भारत में नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार होता है, लोग और बेहतर जीवन यापन करतें हैं।

निजीकरण के नुक्सान।

  • निजी क्षेत्र केवल लाभ के उद्देश्य से काम करता है न की सामाजिक उद्देश्य के लिए काम करता है जो स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए फायदेमंद नहीं है।
  • निजी क्षेत्र श्रमिकों को उनकी नौकरी की गारंटी नहीं देता है क्योंकि निजी नौकरियां सुरक्षित नहीं हैं निजी क्षेत्र हमेशा और बेहतर ढूंढ़ने का प्रयाश करतें हैं और बेहतर प्राप्त करने से वह अपने मौजूदा कर्मचारी को हटा देतें हैं।
  • निजीकरण राजनीतिक रूप से प्रेरित हो सकता है और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के एक सुसंगत हिस्से के बजाय विभिन्न हित समूहों के निहित स्वार्थों के लिए अपनाया जा सकता है।
  • निजीकरण से देश में वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है, चीजें पहले के मुकाबले महँगी हो जाती है, लोगों का निर्वाह खर्च बढ़ जाता है क्यूंकि निजी क्षेत्र में उद्योगों का स्थानांतरण होने से वह केवल अपने फायदे के बारे में सोचतें हैं।

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निष्कर्ष।

Bhartiya Arthvyavastha ka Nijikaran सरकार को पर्याप्त उपायों के साथ किया जाना चाहिए क्यूंकि देश की आर्थिक स्तिथि की डोर निजी क्षेत्रों के हाथों में सौपीं जाएगी, और साथ ही देश के आम नागरिकों को भी सरकार के इस पहल का साथ देना चाहिए , सरकार को यह भी सुनिश्चित करना जरुरी है की वह देश की महत्वपूर्ण क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में रखे, जिसके बल पर भारत भविष्य में एक विकसित देश बन सके।

हमे अपने देश की जनसँख्या का प्रभावी रूप से उपयोग करना होगा, जिसमे निजी क्षेत्र एक बड़ी भूमिका निभा सकतें हैं क्यूंकि आज भी अपने देश में बेहतर तनख्वाह और भत्ता ना मिलने की वजह से दूसरे विकसित देशों द्वारा हमारे मानवीय संसाधन का उपयोग किया जाता है, जिसपर हमे विचार करने की जरुरत है की आखिर क्यों हम अपने नागरिकों को विकसित देशों की तरह व्यवस्था और बुनियादी ढांचे की वीकास की सुविधा नहीं उपलब्ध करवा पा रहें हैं, जिसका मुख्य कारण है भारत में सार्वजनिक क्षेत्रों का वर्चस्व।

इसलिए, भारत की अर्थव्यवस्था का निजीकरण करना देश की विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जिसका प्रत्यक्ष उदहारण हम पश्चिमी देशों और जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में देख सकतें हैं। 

दोस्तों, भारतीय अर्थव्यवस्था के निजीकरण के बारे में आप अपनी व्यक्तिगत राय निचे कमेंट करके जरूर बताएं।

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