भारत में मिसाइल प्रौधौगिकी का महत्व। | Importance of Missile Technology in India.

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों “भारत में मिसाइल प्रौधौगिकी का महत्व(Bharat mein Missile Praudhaugiki ka Mahatva)” हमारे देश की तीनो सेनाओं के लिए ब्रह्मास्त्र है, जो की भारत को विश्व स्तर पर एक शक्तिशाली देशों की सूचि में शामिल करता है और इससे भारत की सुरक्षा की सुनिश्चितता और सुदृढ़ होती है। Bharat mein Missile Praudhaugiki की महत्ता और उसके अस्तित्व को उजागर करने वाले हमारे देश के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘मिसाइल मैन ऑफ़ इंडिया डॉक्टर ए.पि.जे अब्दुल कलाम’ जी के द्वारा इसकी संरचना पर ध्यान दिया गया था।

हालाँकि, मिसाइल प्रौधौगिकी पुरे विश्व में इस नवयुग की एक ऐसी संरचना है, जो की स्वयं मानव अस्त्तित्व के साथ-साथ पुरे सृष्टि के लिए खतरा है, जो की प्रकृति के विरुद्ध रचा गया एक विनाशकारी यंत्र है लेकिन समय की मांग को पूरा करने के लिए यह अतिआवश्यक है क्यूंकि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इससे हमारे देश की सुरक्षा, सम्प्रभुता, अखंडता को खतरा हो सकता है।

bharat mein missile praudhaugiki
Bharat mein Missile Praudhaugiki

Bharat mein Missile Praudhaugiki का दूसरे दुश्मन देश लोहा मानते हैं, जिसके कारण भारत के दो सबसे बड़े पडोसी दुश्मन ‘पाकिस्तान और चीन’ भी भारत के प्रति आक्रामक रवैया दिखाने से घबरातें हैं। Missile Praudhaugiki के क्षेत्र में भारत का नाम उन नौ देशों (अमेरिका, रूस, चीन, पकिस्तान, फ्रांस, यु.के, इजराइल, उत्तर कोरिया) के साथ आता है जिनके पास परमाणु मिसाइल्स हैं और भारत के परमाणु सक्षम देश बनने का श्रेय हमारे देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘डा. होमी जहांगीर भाभा’ को जाता है, जिन्हे भारत में परमाणु हथियार का जनक भी कहा जाता है।

Bharat mein Missile Praudhaugiki की महत्ता, भारत के सुरक्षा, सम्प्रभुता, अखंडता को सर्वोच्च वरीयता देती है और साथ ही हमारे देश के सेनाओं को और मजबूत बनाती है।

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भारत में मिसाइल प्रौधौगिकी का इतिहास।

भारत में मिसाइल्स का प्रयोग हज़ारों साल पहले प्राचीन काल के समय से  शुरू कर दिया गया था अंतर बस इतना था की उस वक़्त मिसाइलों को अस्त्र कहा करते थें और उन अस्त्रों को मन्त्रों के द्वारा नियंत्रित या प्रहार किया जाता था और इसका वर्णन हमारे शास्त्रों में भी किया गया है लेकिन वहीँ आज के मिसाइलस को नियंत्रित या प्रहार करने के लिए सॉफ्टवेअरस कण्ट्रोल का उपयोग किया करतें हैं।

दुनिया में जब सभी देश प्रौद्यगिकीकरण के प्रति अग्रसर होने लगे तब बढ़ती प्रौधौगिकीकरण ने देशों के नेतृत्वकर्ता की विचारधारा को बदल दिया और फिर प्रौधौगिकीकरण के बल पर विभिन्न देशों के नेतृत्वकर्ता के बिच प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हो गया की कौन सा देश प्रौधौगिकीकरण के क्षेत्र में दुनिया पर हावी होगा। इस प्रकार से विभिन्न देशों ने अपनी सर्वोचत्ता दुनिया पर कायम करने के लिए प्रौधौगिकी प्रतिस्पर्धा में ‘मिसाइल प्रौधौगिकी का नवाचार’ किया और इसी चलन ने भारत को भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया और ऐसा करके भारत ने यह सिद्ध किया की वह भी वैश्विक स्तर पर किसी से कम नहीं है।

  • पुरे विश्व में प्रथम राकेट का प्रयोग 18वीं शताब्दी में टिपूसुल्तान के द्वारा एंग्लो-मैसूर के युद्ध में अंग्रज़ों के खिलाफ किया गया था, जो की बांस और स्टील के भाले से बने थें और जिसमे बारूद के रूप में गन पाउडर का उपयोग किया गया था।
  • भारत में स्वतंत्रता हासिल करने के बाद सन 1960 में ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डी आर डी एल)’, हैदराबाद में स्थापित किया, जहाँ भेदी मिसाइल और साउंडिंग राकेट के कार्य की शुरुवात की गयी।
  • वर्ष 1969 के दौरान भारतीय वायु सेना के द्वारा रूस के SA-75 SAM (धरती से वायु में मार करने वाला मिसाइल) को पुनः तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया गया क्यूंकि रूस मिसाइल के कल-पुर्जों की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं कर पा रहा था और इस प्रोजेक्ट का नाम ‘प्रोजेक्ट डेविल’ रखा गया था लेकिन भारत इस प्रोजेक्ट में नाकाम रहा परन्तु इस प्रोजेक्ट की मदद से हमारे ‘डी आर डी एल’ बहुत सारी मिसाइल से सम्बंधित तकनिकी ज्ञान अर्जित किया जिसके परिणामस्वरूप भारत ने ‘आकाश मिसाइल’ देश को समर्पित किया।
  • वर्ष 1982-83 में स्वदेशी मिसाइल का विकास कार्य शुरू हुआ जिसे ‘एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (आई जी एम् डी पि)’ नाम दिया गया और इसके अध्यक्षता का भार देश के वैज्ञानिक ‘डॉक्टर ए पि जे अब्दुल कलाम’ साहब को सौपा गया और इस कार्यक्रम का मुख्य उदेश्य स्वदेशी क्षमतायुक्त बैलिस्टिक मिसाइल्स और प्रक्षेपण वाहन तकनीक (लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी) का स्वयं निर्माण करना था।
  • भारत ने सबसे पहले वर्ष 1988 में पृथ्वी मिसाइल और वर्ष 1989 में अग्नि मिसाइल का प्रक्षेपण किया, जो की ‘आई जी एम् डी पि’ के अंतर्गत निर्माण किया गया।
  • Bharat mein Missile Praudhaugiki के क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तकनीक, सामग्रियां, अवलोकन केंद्र विकसित करने के लिए देश में अनुसंधान प्रयोगशाला और सार्वजनिक कंपनियां स्थापित की गयी।
  • मिसाइल प्रौधौगिकी के क्षेत्र में भारत ने बैलिस्टिक मिसाइल की शुरुवात पृथिवी, अग्नि और धनुष के साथ की, जहाँ अग्नि मिसाइल की श्रेणी में ‘अंतर-महाद्वीप बैलिस्टिक मिसाइल’ भी शामिल है, जो की दूसरे द्वीप के देशों पर हमला करने में सक्षम है।
  • भारत ने एंटी-बैलिस्टिक मिसाइलस के निर्माण की शुरुवात भी ‘भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल विकास कार्यक्रम (आई बी एम् डी पि)’ के साथ की, जिसमे पृथ्वी एयर डिफेन्स और एडवांस एयर डिफेन्स जैसी मिसाइल विकसित की गयी। जिसका कार्य दूसरे द्वीप से हमला किये गए मिसाइलों को आकाश में ही मारकर ध्वस्त करने की क्षमता है।  
  • मिसाइल प्रौधौगिकी की क्षेत्र में भारत ने एक कदम और आगे बढ़ाया है, जहाँ भारत की रक्षा अनुसंधान एजेंसी और रूस की रक्षा अनुसंधान एजेंसी के द्वारा मिलकर ‘क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल’ का निर्माण किया गया है, जिसकी गति ध्वनि से भी तेज है।

हालाँकि, भारत ने अपने Missile Praudhaugiki कार्यक्रम के क्षेत्र में तो महारथ हासिल प्राप्त तो किया ही साथ ही वर्ष 1974 में भारत के द्वारा पोखरण, राजस्थान में ‘ऑपरेशन इसमाईलिंग बुद्धा’ के अंतर्गत न्यूक्लियर का सफल परिक्षण भी कर लिया गया, जिसे मिसाइलस में स्थापित किया जा सकता है।

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भारत में मिसाइल्स के प्रकार।

भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के मिसाइल प्रौधौगिकी का उपयोग किया जाता है, जिसके आधार पर हमारे देश में मिसाइल्स के श्रेणियां बटीं हुईं हैं, जैसे:- 

बैलिस्टिक मिसाइल्स

  • बैलिस्टिक मिसाइल्स वह मिसाइल्स है जो अपने लक्ष्य को भेदने के लिए प्रारंभिक उड़ान में वायुमंडल को पार करके ऊंचाई पर जाती है और फिर आर्क की आकृति बनाकर मुक्त रूप से अपने लक्ष्य को मारती है।
  • बैलिस्टिक मिसाइल के प्रक्षेपण (Launching) के बाद इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है क्यूंकि यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ की निति को अपनाकर चलती है, जो सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को साधती है।
  • बैलिस्टिक मिसाइल्स का प्रक्षेपण (Launching) स्थल अथवा जल कहीं से भी किया जा सकता है।
  • बैलिस्टिक मिसाइल्स के विकास के लिए ‘पि, ए, टी, एन,ए (पटना)’ कार्यक्रम, जो की एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम का अंश है, इसके अंतर्गत विकसित किया जा रहा है, जिसमे:-
    • पृथ्वी मिसाइल (पि), जो की सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है।
    • अग्नि मिसाइल (ए), इस मिसाइल की छः श्रेणियां हैं, जो की सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है।
    • त्रिशूल (टी), यह मिसाइल सतह से आकाश पर मार करने में सक्षम है।
    • नाग मिसाइल (एन), यह मिसाइल एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है।
    • आकाश मिसाइल (ए), यह मिसाइल सतह से वायु में मार करने सक्षम में सक्षम है।
    • प्रहार मिसाइल, यह मिसाइल भी एक बैलिस्टिक मिसाइल है, जो की सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है।
    • धनुष मिसाइल, भारतीय नौसेना का संस्करण है, जो की सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है।
    • सागरिका के मिसाइल, यह एक पनडुब्बी प्रक्षेपित (Submarine Launched) बैलिस्टिक मिसाइल है, जो की जल से मार करने में सक्षम है।

क्रूज मिसाइलस

  • क्रूज मिसाइलस निर्देशित मिसाइल होती हैं, जो की वायुमंडल के अंदर रह कर ही अपने लक्ष्य को मारती है और यह स्थलिय लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए उपयोग की जाती है।
  • क्रूज मिसाइल्स का प्रक्षेपण हवा, पानी, सतह कहीं से भी किया जा सकता है।
  • क्रूज मिसाइल्स की गति का आकलन ध्वनि की गति से किया जाता है, जिसे हम ‘मैक’ कहतें हैं।
    • ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है और इसे भारत और रूस के द्वारा बनाया जा रहा है।
    • निर्भय क्रूज मिसाइल, यह मिसाइल भी सतह से सतह पर मार कर सकती है।
  • क्रूज मिसाइल्स को तीन श्रेणियों में गति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:-
    • सबसोनिक क्रूज मिसाइल-> इस मिसाइल की गति ध्वनि की गति से कम होती है, जो की 1मैक से कम है। उद्धारहण- निर्भय
    • सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल-> इस मिसाइल की गति ध्वनि से तेज होती है, जो की 2 से 3मैक होती है। उद्धारहण- ब्रह्मोस
    • हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल-> यह मिसाइल ध्वनि की गति से भी 5 गुना अधिक तेजी से चलती है, जिसकी गति 5 मैक से अधिक होती है। उदारहण- ब्रह्मोस II

भारत की मिसाइल परियोजना आज और भी मजबूत हो गयी है, जहाँ ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अंतर्गत भारत बड़े स्तर पर मिसाइल्स का निर्माण कर रहा है और साथ ही दूसरे देश भारत की मिसाइल्स पर अपनी रूचि दिखा रहें हैं, जहाँ भारत ‘मेड इन इंडिया’ मिसाइल्स निर्यात करेगा। 

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मिसाइल प्रौधौगिकी सृष्टि और मानव अस्तित्व के लिए खतरा।

अगर दुनिया में हमे शांति बना कर रखनी है, तो उसके लिए हमे स्वयं को तैयार करना है, शांति प्राप्त करने के लिए हथियार और बड़े-बड़े मिसाइलस की जरुरत नहीं है।”

आज के समय पूरी दुनिया की राजनितिक विचारधारा बदल चुकी है क्यूंकि सभी देश केवल अपनी व्यक्तिगत हित को वरीयता देतें हैं, जिसके कारण विश्व में अस्थिरता का माहौल देखने को मिलते रहता है और यही कारण है शांति स्थापित नहीं हो पा रही है।

पुरे विश्व में लगभग सभी बड़े और विकसित देशों के पास मिसाइल्स जैसे आधुनिक खतरनाक हथियार हैं, जिसे सभी देश अपनी आत्मरक्षा करने के लिए रखतें हैं लेकिन मिसाइल्स जैसे बड़े हथियार सृष्टि, मानव अस्तित्व और सभी जीवित प्राणियों के लिए एक खतरा है, जैसे:-

  • मिसाइल के मार से प्रकृति को नुक्सान पहुँचता है और मानव के जान-माल की हानि भी होती है और अगर मिसाइल पर न्यूक्लियर लगा कर प्रक्षेपण किया जाए तो उस स्तिथि में उस न्यूक्लियर का असर उस स्थान पर कई सालों तक रहता है, जो की मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।
  • मिसाइल की मार से बहुत सारे पशु प्राणीयों की जान चली जाती है, जिसकी कोई परवाह ही नहीं करता है और यह अहिंसा की नैतिकता के खिलाफ भी है।
  • Missile Praudhaugiki के क्षेत्र में विकास करने से ‘सतत विकास लक्ष्यों के लक्ष्य-16’, जो की विश्व में शांति स्थापित करने के बारे में बात करती है, उसे प्राप्त करना असंभव हो जायेगा, जिसे स्वयं संयुक्त राष्ट्र द्वारा मिलकर निर्धारित किया गया है।  
  • मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास से मिसाइलों की मिस फायर होती है, अगर इसे उचित निगरानी और प्रशिक्षित कर्मियों के अधीन नहीं रखा गया तो।
  • मिसाइलों के विकास का फॉर्मूला, अगर गलती से आतंकवादियों को पता चल गया तो बड़े स्तर पर विनाश होना निश्चित है, उसे कोई नहीं रोक सकता और इस प्रकार से मानवता का अंत हो जायेगा।
    • उदारहण के लिए-> 1945 का हिरोशिमा और नागाशाकी में अमेरिका द्वारा न्यूक्लियर मिसाइल से हमला करना, 1982 हार्पून मिसाइल मिस फायर घटना, 2022 भारत के द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल मिस फायर घटना, यूक्रेन-रूस युद्ध में मिसाइल्स का प्रयोग। 

निष्कर्ष।

Bharat mein Missile Praudhaugiki कार्यक्रम पुरे विश्व में सबसे सुरक्षित मानी जाती है क्यूंकि भारत को एक जिम्मेदार देश समझा जाता है और भारत ने अपने पास मिसाइल्स केवल अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए रखा है क्यूंकि भारत भी एक वैश्विक शक्ति है और अगर भारत की सम्प्रभुता और अखंडता पर जरा सी भी आंच आती है तो भारत भी इन मिसाइल्स को उपयोग करने में पीछे नहीं हटेगा।

भारत को मिसाइल्स के उपयोग के लिए एक जिम्मेद्दार देश इसलिए माना जाता है क्यूंकि भारत नो फर्स्ट यूज़की निति को मान कर चलता है, जिसका मतलब है जब कोई देश पहले भारत के ऊपर मिसाइल फायर करेगा तब भारत उसका प्रतिशोध लेने के लिए अपने मिसाइल्स लांच करेगा।

हमारा देश बस समय की मांग को पूरा करने के लिए मिसाइल प्रौद्यागिकी के क्षेत्र में काम कर रहा है क्यूंकि समय सबसे बलवान होता है और समय के साथ कदम मिला कर चलने वाला कभी पीछे नहीं रहता है।

“भारत शांतिप्रिय देश था, शांतिप्रिय देश है और शांतिप्रिय देश बनकर रहना चाहता है”

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