भारत में भाई-भतीजावाद। (Nepotism in India.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, आज के समय अधिकांश युवा पीढ़ी दूसरे के बल पर आगे बढ़ना और नाम कमाना चाहती है और यह चलन भारत में आम तौर पर देखने को मिल जाता है “भारत में भाई-भतीजावाद (Nepotism in India) हमारे देश के हर एक क्षेत्र में शामिल है, फिर क्यों न वह राजनितिक क्षेत्र, फिल्म उद्योग, कॉर्पोरेट्स या आर्थिक क्षेत्र, खेल जगत, धार्मिक क्षेत्र और प्रशासनिक क्षेत्र कुछ भी हो।

इन सभी क्षेत्रों में भाई-भतीजावाद खुलेआम बड़े स्तर पर किया जाता है, जहाँ पक्षपात के रास्ते एक काबिल एवं होनहार व्यक्ति की काबिलियत को दरकिनार करके अपने रिश्तेदारों को उस विशिस्ट क्षेत्र में प्राथमिकता दिया जाता है। इस संसार में हर एक व्यक्ति के अंदर एक विशेष प्रतिभा होती है और भाई-भतीजावाद के इस में चक्कर उस व्यक्ति की योग्यता को मौका ही नहीं दिया जाता, जिसके कारण देश के प्रगतिशील विरासत को और ऊँचे स्तर पर ले जाने के प्रति विराम लग जाता है।

nepotism in india
Nepotism in India

भाई-भतीजावाद क्या है? (What is Nepotism?)

भाई-भतीजावाद जिसे हम नेपोटिस्म कहतें हैं यह एक इटालियन शब्द है, जहाँ नेपोस का मतलब भतीजा होता है भाई-भतीजेवाद का मतलब है पक्षपात की नीति जिसका यह तात्पर्य है की उपरोक्त किसी भी क्षेत्र में व्यक्तिगत रूप से अपनी सत्ता एवं अपने रुतबे को अपने परिवार और रिश्तेदारों के भीतर ही स्थानांतरण करके बरकरार रखना या फिर अपनी सत्ता या पद का गलत उपयोग करके अपने परिवार रिश्तेदारों के प्रति पक्षपात करके उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत एवं नियुक्त करना।

इसकी शुरुवात कैथोलिक बिशप्स एवं पादरियों द्वारा की गयी थी उनके द्वारा विवाह नहीं किया जाता था, जिसके कारण वह अपनी धन संपत्ति और सत्ता को अपने परिवार में भतीजों को दे दिया करतें थें ताकि पादरी अपने परिवार के भीतर ही सत्ता बरकरार रख सके, लेकिन भाई-भतीजेवाद की इस चलन को आज एक गलत अंदाज़ से समाज में पेश किया जाता है, जिसमे लालच, भ्रस्टाचार, कुशासन जैसी नकारात्मक गतिविधियां शामिल है।

ऐतहासिक दृष्टि से, वंशानुगत के आधार पर लोग अपनी प्रतिभा और काबिलियत को और निखारकर अपने आप को उस लायक बनाते थें, ताकि वह अपने परिवार के कार्य को आगे बढ़ाने में निपुण हो जाए, जिसके लिए उसे नियुक्त किया जा रहा है या जिसकी उसे जिम्मेदारी दी जा रही हो और पहले पद एवं सत्ता का स्थानांतरण उस व्यक्ति को किया जाता था जो उसके काबिल हो लेकिन आज पद एवं सत्ता का स्थानांतरण करने के लिए काबिलियत और प्रतिभा की भूख को नज़रअंदाज़ करके केवल भाई-भतीजेवाद एवं परिवारवाद को ही महत्त्व दिया जाता है, जिसके पीछे की मनसा अपने परिवारों और रिश्तेदारों को लाभ पहुँचाना है।

भारत में भाई-भतीजावाद के कारण। (Causes of Nepotism in India.)

भारत जैसी विश्व की सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक देश में भाई-भतीजेवाद की चलन को जनकल्याण के लिए अपनाकर चलना शोभा नहीं देता है क्यूंकि एक लोकतान्त्रिक देश में काबिलियत और कौशलता को अधिक महत्व दिया जाता है। परन्तु यह सब कहने के लिए है क्यूंकि भारत एक विकासशील देश है जहाँ आज भी सुक्ष्म स्तर पर सत्ता का दुरूपयोग, धन-बल और लोगों के बिच पारिवारिक विरासत की स्वीकार्यता की वजह से भाई-भतीजावाद समाज में मौजूद है, जो की लोकतंत्र की गरिमा को खा रही है और इसके लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हैं:- 

  • कार्यपालिका और प्रशासनिक सेवाओं में पदों को भरने के लिए लोगों के द्वारा पैरवी के माध्यम से नियुक्ति की जाती है, जिसमे “भ्रस्टाचार और लालच” जैसे कारक सबसे बड़ी भूमिका निभातें हैं।
  • पितृसत्तातमक प्रवृति, रूढ़िवाद सोच, वंशवादी प्रक्रिया समाज में भाई-भतीजेवाद को और मजबूत बनाने में मदद कर रही है।
  • राजनीति में कई ऐसे क्षेत्रीय दल हैं जो अपनी सत्ता का स्थानांतरण अपने परिवार और रिश्तेदारों के बिच ही करतें हैं, जिसका प्रभाव पार्टी के भीतर लोकतंत्र को खत्म करता है, जो की भाई भतीजेवाद को बढ़ावा देता है।
  • बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स और कम्पनियों में काबिलियत को वरीयता ना देकर अपने बेटे-बेटियों को उच्च पदों पर नियुक्त करतें हैं।
  • फिल्म उद्योग के जगत में भी भाई-भतीजावाद काफी बड़े स्तर पर पनपता है, जहाँ कितने ऐसे प्रोडक्शन हाउस तो परिवारों के द्वारा ही चलाया जाता है और उनका शक्तिसाली गठजोड़ केवल अपने पहचान वाले और परिवार को ही बढ़ावा देतें हैं, जिसके कारण बाहरी प्रतिभागी को वास्तव में कठिन संघर्ष करना पड़ता है और कई बार संघर्ष व्यर्थ भी हो जाता है।
  • नागरिकों के बिच लोकतान्त्रिक संस्कृति के प्रति जानकारी का अभाव होना, जिसके कारण भाई-भतीजावाद व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

भारत विकसित देशों की सूचि में नहीं आता है इसके पीछे भाई-भतीजावाद एक बहुत बड़ा छिपा सत्य है, जिसके कारण भारत आज़ादी के 75 साल बाद भी एक विकासशील देश है और उपरोक्त कारणों की वजह से ही भाई-भतीजावाद को देश में बढ़ावा मिलता है।

भारत में भाई-भतीजावाद का परिणाम। (Consequences of Nepotism in India.)

भाई-भतीजावाद के इस गंदे चलन का प्रभाव भारत पर नकारात्मक रूप से होता है, जैसे:-

  • भाई-भतीजावाद के कारण हमारे देश के काबिल लोगों को दूसरे विकसित देशों में जाकर अपना योगदान देना पड़ता है क्यूंकि भारत में उनके साथ पक्षपात किया जाता है, उनकी कौशलता को वरीयता नहीं दी जाती है।
  • भाई-भतीजावाद देश को विकसित बनने से रोकतें हैं,  अर्थव्यवस्था को कमजोर बनाते हैं, काबिलियत को अवसर ना प्रदान करके अपने स्वार्थ हित को वरीयता देतें हैं।
  • भाई-भतीजावाद अक्सर देश के संविधान का उलंघन करतें हैं क्यूंकि हर क्षेत्र के अवसर में यह ‘समानता के अधिकार’ को नुक्सान पहुँचाता है।
  • कानून एवं व्यवस्था को देश में भंग करने के प्रति इसकी भूमिका अहम् होती है क्यूंकि सत्ता और ऊँचे पद पर नियुक्त अधिकारी और नेता के बच्चे उसका लाभ अपने स्वार्थ के लिए उठाते हैं।
  • भाई-भतीजावाद और पक्षपात से पीड़ित व्यक्ति प्रतिस्पर्धा में अधिक तनाव का सामना करता है, वह ज्यादातर अपने आप को हारा हुआ महसूस करता है, जबकि असली मेहनत वही कर रहा होता है और इससे जूझते हुए वह अंत में आत्महत्या कर लेता है (सुशांत सिंह राजपूत मामला)।
  • भाई -भतीजावाद शासन प्रणाली को भी हानि पहुँचाता है क्यूंकि गुणवत्ता पूर्ण प्रशासकों के अभाव के कारण सुशासन असंभव हो जाता है, जिससे देश में अस्थिरता का माहौल ज्यादातर देखने को मिलता है।

भारत में भाई-भतीजावाद कैसे समाप्त करें? (How to end Nepotism in India?)

भारत में भाई-भतीजावाद जैसे गंदे चलन को खत्म करना जरुरी है नहीं तो यह लोकतंत्र की व्यवस्था को सभी क्षेत्रों से खा जाएगी फिर चाहे वह राजनितिक, प्रशासनिक, कॉर्पोरेट्स, फिल्म उद्योग, खेल जगत ही क्यों ना हो क्यूंकि भारत को विकसित देश बनाने के लिए भाई-भतीजावाद को दरकिनार करके काबिलियत एवं कौशलता पर केंद्रित करना पड़ेगा।

  • एक ऐसे शख्त कानून व्यवस्था की जरुरत है, जो चुनाव आयोग को यह शक्ति प्रदान करे की वह राजनितिक दल के अंदर भी लोकतंत्र को स्थापित कर सके।
  • वंशवाद राजनीति का अंत तभी होगा जब आम जनता में राजनीति की शिक्षा प्रदान की जाएगी, जिससे उनमे लोकतान्त्रिक मूल्यों का समावेश हो सके।
  • नैतिकता की स्थापना हर क्षेत्र में होनी चाहिए, जिससे हर किसी के काबिलियत को सामान अधिकार मिल सके, पक्षपात को दरकिनार करके लोकतंत्र की स्थापना हो सके और नैतिकता का भाव स्वतः वास्तविक रूप से प्रकट होता है, इसके लिए किसी कानून की जरुरत नहीं है।
  • फिल्म उद्योग के जगत में बदलाव तभी हो सकता है जब दर्शक अपनी भागीदारी से गलत हो रहें चीजों के खिलाफ जाकर उसका बहिस्कार करें क्यूंकि मनोरंजन उद्योग में वास्तविक परिवर्तन करने वाले दर्शक ही हैं, जिनके वित्तीय दबाव मनोरंजन क्षेत्र में पड़ने से फिल्म उद्योग निष्पक्षता को अपनाने के लिए मजबूर हो जाएगी।

दोस्तों, इसके प्रति आपकी राय क्या है, आप इस चलन के बारे में क्या सोचतें हैं, अपनी प्रतिक्रिया निचे कमेंट करके अवश्य बताएं।

दोस्तों, आप अगर अपने समाज और देश से जुड़े ऐसे मामलों के बारे और जानना चाहतें हैं तो यहाँ क्लिक करके पढ़ सकतें हैं।


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