राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों “भारत में अक्षय ऊर्जा का महत्व (Importance of Renewable Energy in India.)“ आने वाली भावी पीढयों के लिए अमृत समान है, क्यूंकि हमारे पूर्वजों ने भी हमे अमृत ही प्रदान किया था लेकिन बीते दस दसकों में हम मानवों ने विकास के नाम पर अपने जीवन जीने की शैली में इतने बदलाव कर दियें और करते जा रहें हैं की यह भूल गए हैं की यह आधुनिक जीवन जीने की शैली भविष्य में हमारे पूर्वजों के द्वारा सौपें उस अमृत समान पर्यावरण को हमने जहरीला बना दिया है, जिसे हम तो भुगत ही रहें हैं और आने वाली पीढ़ी भी हमारे द्वारा किये कुकर्मो के फल को भुगतेगी।
इसलिए, केवल एक ही उपाय है इस जहर को फिर से अमृत में परिवर्तित करने का ‘अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy)‘ और आज पूरा विश्व यह चाहता है की वह अक्षय ऊर्जा को स्वीकार कर पुरे पृथ्वी के अस्तित्व को बचा ले।
गैर-अक्षय ऊर्जा जैसे; गैस, कोयला, तेल इन सब की मांग भारत में दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही है, जिसके पीछे बहुत से कारण है। देश की अर्थव्यवस्था ने विकास की सीढ़ी को बहुत तेजी से चढ़ना शुरू कर दिया है और ऊर्जा आज के समय में किसी भी क्षेत्र के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है फिर चाहे वह कृषि, उद्योग, वाणिज्यिक, परिवहन या घरेलु में उपयोग होने वाले ऊर्जा हो।
गैर-अक्षय ऊर्जा (Non-Renewable Energy) में देश की निर्भरता बढ़ने के कारण विश्व भर में गैर अक्षय ऊर्जा संसाधनों में कमी देखने को मिल रही है और साथ-ही-साथ देश भर में जहरीली वायु, प्रदुषण, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन जैसी परेशानियाँ भी बढ़ते जा रही है, जो की एक चिंता का विषय बनते जा रहा है और इसी चिंता को पूरी तरह से दूर करके ऊर्जा की आपूर्ति को हमेशा के लिए कायम और स्थायी बनाने के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है, जहाँ भारत सरकार द्वारा भी बहुत सी रणनीतियों और परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है, जिससे भारत अक्षय ऊर्जा की तरफ लोगों का ध्यान केंद्रित कर सके और भारत सरकार ने अभी हाल ही में ‘संयुक्त राष्ट्र के 26वें जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मलेन (COP-26)’ में भारत के प्रति अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पांच वादें किए हैं:-
- 2070 तक भारत नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन देश बन जायेगा।
- 2030 तक भारत 1बिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कमी करेगा।
- 2030 तक भारत अपने कुल ऊर्जा आवश्यकता का 50% अक्षय ऊर्जा से उत्पादित करेगा।
- 2030 तक भारत गैर-जीवाश्म ऊर्जा के क्षमता को बढ़ा कर 500 गीगावाट कर देगा।
- 2030 तक भारत कार्बन की तीव्रता को 45% कम करेगा।
भारत का मुख्य योगदान संस्थापक सदस्य के रूप में ‘अंतराष्ट्रीय सौर गठबंधन‘ में है, जिसका मुख्यालय भी भारत में स्थित है और संयुक्त राष्ट्र के द्वारा निर्धारित ’17 सतत विकास लक्ष्यों‘ में ‘सतत विकास लक्ष्य-7’ जो की सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा की बात करता है, भारत इस लक्ष्य को भी 2030 तक अक्षय ऊर्जा और गैर-जीवाश्म ऊर्जा के माध्यम से पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
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अक्षय ऊर्जा क्या है?
अक्षय ऊर्जा(Renewable Energy) ऐसी ऊर्जा है जिसका कोई अंत नहीं है, जो इस सृष्टि के नष्ट होने से ही खत्म हो सकती है, अक्षय ऊर्जा प्रकृति से उत्पन्न हुई ऊर्जा है, जो की हवा, पानी, सूर्य के प्रकाश, ज्वारभाटा, भू-तापीय ताप और बायोमास के प्रक्रियाओं से उपयोग कर उत्पन्न किया जाता है।
अक्षय ऊर्जा का महत्व अमूल्य है और इसका सबसे बड़ा लाभ है की यह सृष्टि को, पर्यावरण को, मानव और जिव-जंतुओं को किसी भी प्रकार से नुक्सान नहीं पहुचायेगी। अक्षय ऊर्जा सभी क्षेत्रों में ऊर्जा के हर छोटे-बड़े काम को करने में सक्षम है और इसलिए भारत अपने ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड‘ के मनसूबे को पुरे विश्व भर में फैलाना चाहता है, जिससे अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत को बढ़ाया जा सके।
अक्षय ऊर्जा के स्त्रोत:-
- सौर ऊर्जा-> सौर ऊर्जा सूर्य की प्रकाश से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा है, जिसकी ऊष्मा ऊर्जा को एकत्रित करके बिजली बनाने में उपयोग किया जाता है।
- पवन ऊर्जा-> पवन ऊर्जा हमे प्राकृतिक रूप से चलने वाली वायु से मिलती है, जो की पवन चक्कियों और पवन टरबाइन के उपयोग से हवा को बिजली उत्पादन करने की अनुमति देती है।
- जलविद्युतीकरण ऊर्जा-> जल के उपयोग से उत्पन्न की जाने वाली ऊर्जा, जहाँ जल के बहते प्रवाह को बाँध या जलाशय का निर्माण करके जल के गति का उपयोग बिजली के उत्पादन करने में किया जाता है। ज्वारीय शक्ति (समुद्र की लहरें) का प्रयोग भी ऊर्जा के लिए किया जाता है।
- भूतापीय ऊर्जा-> पृथ्वी के निचले सतह में जमा हुई गर्म करने वाली ऊर्जा, जैसे; गर्म झरने और ज्वालामुखी के ऊष्मा का उपयोग ऊर्जा के स्त्रोत में किया जाता है।
- जैव ऊर्जा-> जैविक ऊर्जा जीवित जीवों और पौधों क्र सामग्री से प्राप्त की हुई ऊर्जा होती है, जिसे बायोमास के रूप में परिवर्तित करके ईंधन और बिजली उत्पादन में उपयोग किया जाता है, जैसे; एथेनॉल, बायोडीजल और मीथेन गैस।
भारत में अक्षय ऊर्जा का महत्व।
भारत सरकार ने भविष्य में होने वाले गैर-अक्षय ऊर्जा के संकट से बचने के लिए भारत में अक्षय ऊर्जा के महत्व को सर्वोपरि रखा है क्यूंकि अक्षय ऊर्जा पृथ्वी के स्थायी भविष्य के लिए और परोक्ष रूप से प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहतर जीवन चक्र को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। अक्षय ऊर्जा की महत्ता अर्थव्यवस्था के समग्र विकास के लिए अच्छा है, जैसे:-
- ऊर्जा के क्षेत्र में कच्चे तेल की मांग और दूसरे देश पर निर्भरता को कम करना–> भारत वर्त्तमान में अपने ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए कच्चा तेल (पेट्रोल, डीजल) मध्य पूर्वी देशों से आयात करता है, जहाँ भारत अपने 84 फीसदी तेल के जरुरत को आयात करता है। हालाँकि, मध्य पूर्वी देशों में अक्सर अस्थिरता के कारण भारत को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है इसलिए, अक्षय ऊर्जा का विकल्प भारत की निर्भरता को कम करने के साथ बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।
- प्रदुषण को कम करना और हानिकारक जलवायु परिवर्तन गतिविधि को रोकना-> अक्षय ऊर्जा की मदद से पर्यावरण में कार्बन का उत्सर्जन जीरो हो जायेगा, जिससे स्वच्छ और प्रदुषण रहित वातावरण के साथ हानिकारक जलवायु परिवर्तन गतिविधियों को भी रोका जा सकता है।
‘विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट‘ के अनुसार पृथ्वी के शीर्ष 15 सबसे प्रदूषित स्थानों में 10 भारतीय शहर हैं और भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है।
- भारत में 100% ग्रामीण विद्युतीकरण का कवरेज-> अक्षय ऊर्जा के उत्पादन से हम देश के हर गाँव, कशबे और हर घर तक बिजली पंहुचा सकतें हैं क्यूंकि भारत में आज भी कितने ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहाँ बिजली की पहुँच नहीं है और सरकार ग्रिड कनेक्टिविटी, सौर पैनल के जरिये हर दुर्गम स्थानों पर बिजली उपलब्ध करा सकती है , जो की सिर्फ अक्षय ऊर्जा के माध्यम से ही संभव है।
अगर, हमारे देश के किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में 10% बिजली की पहुँच है तो उस गाँव को 100% विद्युतीकरण वाला गाँव घोषित कर दिया जाता है और यही कारण है की आज भी बिजली की पहुँच से बहुत से ग्रामीण क्षेत्र के लोग अनभिज्ञ हैं।
- बिजली उत्पादन और वितरण में आत्मनिर्भरता-> बिजली उत्पादन और विद्युत् ईंधन में अक्षय ऊर्जा का विकल्प का चुनाव करके भारत ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित कर सकता है और अधिशेष ऊर्जा का निर्यात भी कर सकता है। भारत ने ‘नवीकरणीय ऊर्जा देश आकर्षण सूचकांक‘ में अपने तीसरे स्थान को कायम रखा है, जिसमे पुरे विश्व में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश और अवसर प्रदान करने वाला है।
- भारत में बीमारियों का बोझ कम होगा-> अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश भारत के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी वरदान साबित हो सकता है क्यूंकि जीवाश्म ईंधन के उपयोग के बढ़ते प्रकोप से मानव शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग देखने को मिल रहें हैं और मानव की उम्र सिमा भी दिन-प्रतिदिन कम होते जा रही है। अमेरिकी अनुसंधान समूह के एक रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदुषण भारतियों के जीवन को नौ साल कम कर सकता है।
निष्कर्ष।
भारत सरकार अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अपना पूर्ण योगदान स्थापित कर रहा है और सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में अक्षय ऊर्जा की महत्ता को उजागर कर सभी देशों को इससे जोड़ रहा है। भारत अपने देश के लोगों में अक्षय ऊर्जा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए हर वर्ष ’20 अगस्त को राष्ट्रिय अक्षय ऊर्जा दिवस‘ का अवलोकन करता है, जिससे लोगों को अक्षय ऊर्जा के विकास और उसे अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
भारत में लोगों द्वारा अक्षय ऊर्जा को अधिक अपनाने योग्य बनाने के लिए सरकार को और प्रयास करने की आवश्यकता है, जैसे: –
- सौर पैनल्स पर सरकार को सब्सिडी प्रदान करना चाहिए जिससे आम लोगों के लिए इसे किफायती बनाया जा सके ताकि सभी इसका उपयोग बड़ी मात्रा में कर सके।
- लोगों में अक्षय ऊर्जा के प्रति और अधिक जागरूकता फ़ैलाने की जरुरत है क्यूंकि लोग जीवाश्म ऊर्जा (पेट्रोल, डीजल) उपयोग करने के आदि हो गएँ हैं, अक्षय ऊर्जा की महत्ता और गैर-अक्षय ऊर्जा की नकारात्मक परिणाम के बारे में लोगों को बताना।
- सरकार बिजली से चलने वाले वाहनों को किफायती बनाये और इसके सुचारु कार्य के लिए बिजलीघरों की स्थापना करे।
“अंधकार, प्रदुषण और धूल कल और आज की है हमारी भूल आइये प्रयोग करें अक्षय ऊर्जा ताकि संवर सके हर एक मानव और फूल”