राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, अगर किसी छोटे फल के पौधे से हम अपेक्षा करेंगे की वह हमे फल देगा तो यह संभव नहीं है लेकिन अगर हम समय से पहले उस पौधे से फल चाहतें हैं तो हमे उसमे खाद डाल कर जबरदस्ती उस पौधे को फल देने के लिए मजबूर करना होगा और वह फल हमारे लिए नुकसानदेह भी होगा और उसकी वास्तविक स्वाद भी उसमे नहीं होगी, तो कुछ इसी फल के पौधे की तरह हमारे “भारत में बाल मजदूरी की समस्या (Problem of Child Labour in India)” हो गयी है, जहाँ उस छोटे से बच्चे से अपेक्षा की जाती है की वह काम करेगा, पैसे कमा कर लाएगा जबकि यह सब करने के लिए यह उस बच्चे का सही समय नहीं होता है लेकिन फिर भी उसे मज़बूरी या जबरदस्ती में यह सब करना पड़ता है।
बच्चे के द्वारा यह सब तो किसी प्रकार से कर लिया जाता है लेकिन उसी छोटे फल के पौधे के भाँति यहाँ उस बच्चे के किये कार्य में वह वास्तविकता नहीं होती जो वह भविष्य में सही मायने में खुद से करता क्यूंकि वह बच्चा जो अपने माता पिता, समाज और देश के लिए शान होता है, जो भविष्य का उगता हुआ सूरज होता है उसके मूल चेहरे को कुछ लोगों के द्वारा बाल मजदूरी के इस लालच और अपने फायदे के लिए बर्बाद कर दिया जाता है।
“जहाँ उन बच्चों के नाजुक-कोमल हाथ अपने माता-पिता की ऊँगली पकड़ते वहाँ उन बच्चों के हाथ कड़कती नोट पकड़ा दी जाती है।
जहाँ उन बच्चों के छोटे-नन्हे कदम अपने घर से स्कूलों की ओर जाती वहीँ उन बच्चों के कदम अपने घर से कामों के लिए जाती है।
जहाँ उन बच्चों की आँखों में अपने लिए सपने और आशाएँ होनी चाहिए वहीँ उन बच्चों की आँखों में दूसरे की आशाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी आ जाती है।
जहाँ उन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान की लड़ियाँ होनी चाहिए वहीँ उन बच्चों के चेहरे पर उदासी की भूख होती है”
Table of Contents
बाल मजदूरी क्या हैं?
बाल मजदूरी या बाल श्रम (Child Labour) एक ऐसी परिस्तिथि है, जहाँ बच्चे को उसके बचपन के अधिकारों जैसे खेल-कूद, शिक्षा से वंचित कर उसे मजदूरी करने के लिए विवश करना या फिर उसकी मज़बूरी होना, इसे हम बाल मजदूरी कहतें हैं।
बाल मजदूरि की समस्या बच्चों को शारीरिक मानसिक और नैतिक रूप से प्रभावित करती है, जिससे बच्चों के भविष्य की अभिनव विकास पूरी तरह से स्थिर हो जाती है और यह समस्या केवल हमारे भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में है जिसे खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर ’12 जून को बाल मजदूरी के खिलाफ विश्व दिवस‘ का अवलोकन किया जाता है और लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाता है।
भारत में बाल मजदूरी (Child Labour in India) की समस्या एक गंभीर और चिंतित विषय है और कोरोनावायरस महामारी के दौरान भारत में बाल मजदूरी (Child Labour in India) के मामले में बढ़ोतरी देखने को मिली है क्यूंकि “यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेन्स फण्ड और अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन” द्वारा प्रस्तुत किये गए रिपोर्ट में यह बताया गया है की covid-19 के कारण लाखों बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हुएँ हैं। भारत में बाल मजदूरी के मामले 10.1 मिलियन से भी ज्यादा है, जिसमे 5 से लेकर 14 वर्ष वर्ष के आयु के बच्चे कार्यरत देखने को मिलेंगे।
और पढ़ें:- नैतिक शिक्षा का महत्व।
भारत में बाल मजदूरी के कारण।
भारत में बाल मजदूरी (Child Labour in India) के विभिन्न कारण हैं, जो की बच्चो को काम करने के लिए विवश करतें हैं और बहुत से लोग उनकी इस विवशता के लिए उनके नादानियों और मासूमियत का लाभ उठतें हैं, जैसे:-
- गरीबी-> गरीबी एक ऐसी वैश्विक सच्चाई है जो की सभी समस्याओं का कारण होता है, ठीक वैसे ही गरीबी बच्चों को बाल मजदूरी या फिर बच्चों के माता-पिता को बच्चे से कार्य करवाने के लिए विवश कर देती है।
- मजबूरियां-> हालाँकि यह एक ऐसी स्तिथि है जो बच्चे को किसी भी कार्य को करने के लिए मजबूर करती है क्यूंकि बहुत बच्चों के जीवन में कुछ ऐसी दुर्घटनाएं हो जातीं हैं, जो उसे कमाने के लिए मजबूर कर देती है, जैसे; माता-पिता की मृत्यु, पिता का अपाहिज होना, पारिवारिक स्तिथि खराब होना, चाइल्ड ट्रफिकिंग का शिकार होना।
- बच्चों का अवैध व्यापार-> यह, अवैध अभ्यास बच्चों के बाल मजदूरी को तो बढ़ावा देता ही है साथ-ही-साथ यह बच्चों पर अन्य प्रकार के अत्याचार भी करता है जैसे; भीख मंगवाना, अश्लील कार्य करवाना। बच्चों का अवैध व्यापार बड़े-बड़े व्यापारी और माफियाओं द्वारा उन्हें खरीद-बेच कर किया जाता है।
- निरक्षरता-> निरक्षरता की परिस्तिथि में बच्चों को बाल मजदूरी करवाना हमे अक्सर गाँव के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में देखने को मिलता है, जहाँ बच्चों को स्कूल ना भेज कर घर के कामों और खेती करने में शामिल कर लिया जाता है और यह बहुत बड़े स्तर पर आज भी हमे गाँव में देखने को मिल जातें हैं।
- सरकारी व्यवस्था में खामियां-> सरकारी प्रणालियों में भी बहुत बार खामियां देखने को मिलती है, सरकार के द्वारा बहुत से कानून तो बनाये गए हैं लेकिन उन कानूनों को भी लोगों के द्वारा नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है और कई बार सरकार भी उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करती है क्यूंकि वहां हमे भ्रस्टाचार देखने को मिलता है।
और पढ़ें:- भारत में बाल भिक्षावृति।
भारत में बाल मजदूरी के दुष्परिणाम।
अगर बाल मजदूरी एक समस्या है तो इसके दुष्परिणाम भी समाज में देखने को मिलते हैं, जैसे:-
- बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित होतें हैं-> बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के द्वारा कार्य करते वक़्त अगर कार्य स्थल पर कुछ गलती हो जाती है तो मालिक के द्वारा उस बच्चे को शारीरिक कष्ट पहुँचाया जाता है या फिर मानसिक तौर पर उस बच्चे को भला-बुरा बोला जाता है, जिससे बच्चे के स्वभाव पर बुरा असर पड़ता है।
- बच्चे शिक्षा से वंचित हो जातें हैं-> बाल मजदूरी करने वाले बच्चे हमेशा के लिए शिक्षा से वंचित हो जातें हैं, जिससे वह अपने बचपन के उन लम्हो को स्कूलों में दोस्तों और किताबों के साथ व्यतीत करना जानते ही नहीं हैं और इससे एक मुसीबत और इनके सामने यह आती है की, यह बच्चे अपना पूरा जीवन काम करने में ही बिता देतें हैं।
- बच्चे का यौन शोषण होता है-> दूसरों के घर में काम करते गरीब बच्चे, चाइल्ड ट्रैफिकिंग के शिकार हुए बच्चे जिन्हे काम करने के लिए लेकर आया जाता है या फिर वैश्यावृति में काम करने के लिए लाये गए छोटे उन मासूम और नादान बच्चों को कितनी बार यौन शोषण जैसे घिनौने अपराध उनके साथ किये जातें हैं और कई बार उन बाल मजदूरों को बहुत सी यातनाएँ भी झेलनी पड़ती है, जिसका असर उनके मानसिकता पर ज़िन्दगी भर रहती है।
- बच्चे विभिन्न रोगों से पीड़ित हो जातें हैं-> बाल मजदूरी करने वाले बच्चो को बहुत से रोग भी हो जातें हैं, जो बच्चे कूड़ा-बिन्ते हैं, कल-कारखानों में काम करते हैं, निर्माण स्थल में काम करते हैं, उन्हें अच्छा पोषण ना मिलने की वजह से और गन्दी जगहों में काम करने से उनका शरीर वायरस और बैक्टीरिया से ग्रसित हो जाता है।
- देश को आर्थिक नुक्सान होता है-> ज्यादातर बच्चे अपने पारिवारिक वित्तीय स्तिथि खराब होने की वजह से पढ़-लिख नहीं पातें हैं और इसकी वजह से उन्हें काम करना पड़ता है, जिसकी वजह से वह अच्छी नौकरी नहीं कर पातें हैं और देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान नहीं दे पातें हैं, जिससे देश में आर्थिक पिछड़ापन और मानव विकास में कमी आती है।
इन सभी दुष्परिणामों के अलावा भी कुछ ऐसे दुष्परिणाम हैं जिन्हे हम नज़रअंदाज़ करतें हैं, बहुत से कार्यस्थलों का माहौल अच्छा नहीं होता है, लोगों के द्वारा अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाता है, जिसका सीधा असर काम कर रहे बच्चे पर होता है और वह भी वैसा ही सीखता है और उसका समाज में प्रयोग करता है जो की अच्छे समाज की विकास नहीं कर पाता है और इससे हमारे समाज में अपराध भी बढ़ते हैं।
और पढ़ें:- भारत में सोशल मीडिया का महत्व।
भारत में बाल मजदूरी को रोकने के लिए सरकारी और संवैधानिक प्रावधान।
हमारे देश में बाल मजदूरी (Child Labour) आज़ादी के पहले भी थी इसलिए संविधान निर्माताओं ने संविधान लिखने के वक़्त मौलिक अधिकार ले ‘अनुच्छेद-24 में बच्चों के हित के लिए कारखानों और अन्य कार्यस्थल पर बच्चों के नियोजन को पूरी तरह से निषेध’ बताया है और ‘अन्नुछेद-21(ए) के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया है’। ‘अन्नुछेद-51(ए) के अंतर्गत मौलिक कर्तव्यों में माता-पिता और अभिभावक का यह कर्तव्य बतलाया है की वह अपने 6 से 14 साल की आयु के बच्चे को शिक्षा का अवसर प्रदान करें’।
हालाँकि, संविधान के अनुसार भारत सरकार ने भी बाल मजदूरी को ध्यान में रखकर कुछ ऐसे कानून और अधिनियम बनायें हैं, जो बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने की बात करता है, जैसे:-
- बाल मजदूरी (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986-> इस अधिनियम के तहत सरकार के द्वारा 14 साल से कम आयु के बच्चे से कार्य करवाना या उसे कार्य करने के लिए प्रेरित करना एक दंडनीय अपराध माना गया है।
- बच्चों का किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण)अधिनियम, 2000-> इस कानून के तहत उन बच्चों को न्याय प्रदान की जाएगी जो बाल मजदूरी में संलिप्त हैं और बाल मजदूरी करवाने वाले या फिर करने के लिए मजबूर करने वाले व्यक्ति पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह कानून उन बच्चों की देखभाल और उनके संरक्षण के बारे में भी बात करता है।
- बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009-> यह कानून सभी बच्चों को जो भी 6 से 14 साल की आयु के हैं उन्हें मुफ्त शिक्षा प्रदान करने की घोषणा करता है और उनके शिक्षा को सुनिश्चित करता है।
और पढ़ें:- भारत में आज़ादी का अमृत महोत्सव।
भारत में बाल मजदूरी को समाप्त करने के लिए सुझाव।
भारत में बाल मजदूरी (Child Labour in India) को समाप्त करने के पक्ष में सरकार को शख्त और बड़े कदम लेने होंगे, जिससे भारत के आने वाले भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ करने की सोच भी ना सके और सरकार के इस इरादे के साथ-साथ हमे भी अपनी सोच बदलनी होगी, भारत में बाल मजदूरी की इस समस्या को समाप्त करने में हमे भी सरकार का साथ देना होगा।
- बाल मजदूरी के खिलाफ ग्राम पंचायत और नगरपालिकाओं को सशक्त बनाना क्यूंकि भारत में लगभग 80% बाल मजदूरी ग्रामीण क्षेत्र में होता है और बाल मजदूरी कराने वाले के खिलाफ बताने वाले व्यक्ति को पुरुष्कृत करना, जिससे समाज के हर गली, कस्बों से बाल मजदूरी पूरी तरह से समाप्त हो सके।
- बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना और माता -पिता और अभिभावक को अपने बच्चों के अच्छे और सुदृढ़ भविष्य के लिए समझाना।
- ग्रामीण और छोटे शहरों में आंगनबाड़ियों को सशक्त करना और महिला स्वयं सहायता समूह, आशा वर्कर्स को यह जिम्मेदारी सौपना की वह घर-घर जाकर यह सुनिश्चित करे की कोई भी बच्चा बाल श्रम में ना संलिप्त हो और अगर श्रम करना किसी बच्चे की मज़बूरी हो तो वह ग्राम पंचायत या नगरपालिका को इसके बारे में सूचित करे।
- स्थानीय सरकार समय-समय पर स्थानीय कारखानों, इटें भट्टो, निर्माण स्थल और अन्य कार्यस्थलों पर जहाँ बच्चे मजदूरी कर सकतें हैं वहां का आपातकालीन दौरा करें, जिससे बाल मजदूरी कराने वालों का पता लगाया जा सके।
“बाल मजदूरी करवाकर करो ना अपने देश को शर्मिंदा, आओ हम सब मिलकर करें इस अपराध की कड़ी निंदा”