राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, जैसा की आप सब जानते हैं की ‘आतंकवाद (Terrorism)’ पुरे विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है लेकिन इस लेख में हम यह जानेंगे की कैसे आतंकवाद भारत के लिए एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है, जिसके लिए भारत सबसे अधिक केंद्रित और तत्पर रहता है। “भारत में आतंकवाद (Terrorism in India)” को लोगों ने बहुत ही करीब से देखा है और महसूस किया है क्यूंकि इतिहास में जितने आतंकवादी हमले भारत पर किये गएँ हैं सायद ही किसी देश ने इतने आतंकवादी हमले देखें हो, जैसे; 1991 पंजाब में हत्याएँ, 1993 बॉम्बे में बम विस्फोट, 2002 रफीगंज बिहार में ट्रैन मलबा, 2006 मुंबई ट्रैन बम विस्फोट, 2008 मुंबई आतंकवादी हमला, 2010 माओइस्ट हमला छत्तीसगढ़, 2017 अमरनाथ हमला, 2019 पुलवामा हमला।
यह कुछ आतंकवादी हमले ऐसे हैं जिनमे सबसे अधिक लोगों ने अपनी जान गवाई है, जबकि हमारे देश में 100 से भी ज्यादा आतंकवादी हमले हुएं हैं और इतने आतंकवादी हमलो का मुख्य कारण है हमारा पडोसी देश जहाँ आतंकवादियों को तैयार किया जाता है और जो आतंकवादियों का चयन केंद्र है। पकिस्तान आतंकियों के लिए एक सुरक्षित देश है, जहाँ वह सुरक्षित रहकर बाकि सब देशों में आतंक फैला सकतें हैं इसलिए पकिस्तान को लगातार 2007 से ‘फाइनेंसियल एक्शन टास्क फार्स (ऍफ़ ए टी एफ)‘ के ग्रे लिस्ट में रखा जा रहा है और अभी 2018 से वह ऍफ़ ए टी एफ के ग्रे लिस्ट में बरक़रार है।
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*आतंकवाद क्या है?
आतंकवाद (Terrorism) पूरी दुनिया में एक ऐसा खतरनाक चेहरा है जिसका काम केवल समाज में अस्थिरता को बढ़ावा देना और बर्बादी करना है, जिससे आम जनता और मासूम लोगों के बिच डर पैदा हो और जब किसी व्यक्ति या संगठन की धारणा समाज में हिंसानात्मक गतिविधि कर किसी देश की सम्प्रभुता, सुरक्षा और वहाँ के आम लोगों को नुक्सान पहुंचने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के कार्यवाही को आतंकवाद कहतें हैं।
आतंकवाद से लोगों की व्यक्तिगत जीवन के साथ सामाजिक जीवन पर भी गंभीर असर पड़ता है क्यूंकि आतंकी हमलो में हमेशा केवल बेगुनाहों की जान जाती है लोग अपनों से हमेशा के लिए बिछड़ जातें हैं कितने परिवार बर्बाद हो जातें हैं और जिसे याद करके लोगों की रूह काँप उठती है।
*भारत में आतंकवाद के प्रकार।
भारत में आतंकवाद के कुछ प्रकार देखने को मिलते हैं, जिससे भारत ग्रसित है:-
- राजनितिक आतंकवाद-> अगर किसी व्यक्ति या समूह को राजनीति में प्रवेश करना होता है तो वह समाज के लोगों को जबरदस्ती डरा-धमकाकर अपने अपराध और पैसों के बल पर राजनीति में अपना वर्चस्व बना लेता है, जैसे; समाज में जाती और धर्म के नाम पर दंगे करवाकर, किसी विशेष विचारधारा को बढ़ावा देकर, जिससे समाज में अस्थिरता और हिंसा पैदा होती है।
- वाम-दक्षिणपंथी उग्रवाद-> यह ऐसे आतंकी समूह होतें हैं जो अपनी एक विचारधारा को लेकर आगे बढ़ते हैं और यह अपने देश के ही लोग होतें हैं लेकिन फिर भी अपनी अलग विचारधराओं के कारण यह हमारे देश के सुरक्षा बलों पर घातक हमले करतें हैं जिससे उनकी जान भी चली जाती है।
- साइबर आतंकवाद-> इस आधुनिक युग में साइबर जानकारियों को सुरक्षित रख पाना भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती है क्यूंकि आतंकियों के द्वारा भी साइबर का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया जा रहा है, जैसे; किसी देश के मिसाइल तकनीक को हैक कर लेना, ड्रोन का उपयोग आतंकी हमले में करना।
- धार्मिक आतंकवाद-> जब किसी धार्मिक समूह के द्वारा अपने धर्म के नाम पर आधारित पुरे विश्व में हिंसा करना, मासूम लोगों को मारना, जैसे; इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और सीरिया (आई एस आई एस), लश्कर-ए-तयबा, अल क़ायदा, खालिस्तानी विचारधारा।
- आपराधिक आतंकवाद-> जब किसी आतंकी समूह और व्यक्ति के द्वारा आतंकी गतिविधियों में शामिल होकर आपराधिक लाभ के लिए आतंकवादी हमले करवाना जैसे; ओसामा बिन लादेन, दाऊद इब्राहिम।
भारत में किसी भी प्रकार के आतंकवाद को आतंकवाद ही मानते है जबकि पकिस्तान में आतंकवाद के दो चेहरे हैं, अच्छा आतंकवाद जो दूसरे देशों के प्रति आतंकी गतिविधियां करें और बुरा आतंकवाद जो जो खुद के देश में आतंकी गतिविधियां करे।
*भारत में आतंकवाद के कारण।
आतंकवाद के विस्तार होने के कुछ प्रमुख कारण होतें हैं ,जैसे:-
क) सिमा पार आतंकवाद-> सिमा पार करके आतंकी हमले करना और क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करना, भारत इसका एक सबसे बड़ा उदारहण है क्यूंकि भारत आतंकियों को पनाह देने वाले देश के साथ तीसरा सबसे बड़ा सिमा साझा करता है, जिसके कारण भारत में आयेदिन आतंकी गतिविधियां देखने को मिलती है।
ख) धार्मिक दृष्टिकोण-> धार्मिक दृष्टिकोण के प्रभाव से बहुत से लोग आतंकवाद का सहयोग करने लग जातें हैं और फिर इसी कारण से आतंकियों के द्वारा उनका माइंड वाश कर दिया जाता है, जिससे उनका दिमाग आतंकियों के द्वारा बताये गए बातों को सच समझ कर आतंकवाद करने के लिए तैयार हो जातें हैं।
ग) गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक पिछड़ापन-> जिस क्षेत्र में गरीबी, बेरोजगारी और आर्थिक पिछड़ापन होता है वहां से आतंकवादियों की निकलने की संभावनाएं ज्यादा होती है क्यूंकि आतंकी समूह वहां के युवा को भड़का कर अपनी ओर प्रेरित कर लेते हैं, जो आगे चल कर हमारे देश के लोगों की जान हमारे देश के लोगों के द्वारा ही ले ली जाती है, जैसे; जम्मु-कश्मीर में बहुत से लोगों के द्वारा आतंकियों की सहायता करना, स्लीपर सेल्स तैयार करना, सुसाइड बॉम्बर्स को तैयार करना।
*भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार की पहल।
भारत में आतंकवाद के मुद्दे को सरकार के द्वारा बहुत ही गंभीरता पूर्वक नियंत्रित किया गया है क्यूंकि यह दुनिया भर के देशों में से सबसे अधिक आतंकवाद से प्रभावित देश है, जिसे 2018 में ‘इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस‘ के अनुसार भारत को आतंकवाद से प्रभावित “वैश्विक आतंकवाद सूचकांक” में 7वां सबसे अधिक आतंकवाद से प्रभावित देश बताया था लेकिन वहीँ 2022 के “वैश्विक आतंकवाद सूचकांक” में भारत को 12वां स्थान प्राप्त हुआ है, इसका मतलब भारत में आतंकवाद पहले की तुलना में कम हो गयी है। आतंकवाद के खिलाफ सरकार की पहल:-
- 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के बाद सरकार के द्वारा एक ‘राष्ट्रिय जांच एजेंसी (एन आई ए)‘ का स्थायी तौर पर गठन किया गया, जिसका मुख्य कार्य आतंकवादी संगठनों पर ख़ास नज़र रखना और उनके हर गतिविधि को नाकाम करने के लिए सशक्त रहना।
- 2008 मुंबई आतंकवादी हमले के बाद सर्कार ने अलग से ‘राष्ट्रिय सुरक्षा गार्ड (एन एस जी)‘ का गठन किया, जो एक अर्धसैनिक बल है, जिसका कार्य मुख्य रूप से आतंकवाद से लड़ना और उनके अपहरण अभियानों को नाकामयाब बनाना इनकी जिम्मेदारी है।
- भारत के पास और खुफियां एजेंसियां हैं जो की आतंकवाद के खिलाफ देश में और देश के बाहर भी आतंकवाद से लड़ने में शामिल है, जैसे; रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आई बी)
- ‘व्यापक एकीकृत सिमा प्रबंधन प्रणाली‘ ख़ास तौर से सिमा पर बाहरी घुसपैठियों, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सिमा पर आतंकवाद पर अपनी नज़र रखता है, जिससे सिमा सुरक्षा बल को भी अपने काम में और अधिक निपुणता और सहायता मिलती है।
- भारत में ‘गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967′ कानून है जो की किसी संदेह पूर्ण व्यक्ति को या फिर संगठन को गैर कानूनी गतिविधि करने से रोकता है और आतंकवादी मामलों से सम्बंधित गतिविधि को होने से पहले उसकी रोकथाम करता ही।
- भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से पेश आता है और इसके लिए भारत ‘जीरो टोलेरेंस की निति‘ को अपनाकर चलता है, जो भारत को पुरे विश्व में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में सशक्त बनाता है।
- भारत एक अंतराष्ट्रीय संगठन ‘फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स (एफ ए टी एफ)‘ का सदस्य भी है, जिसका कार्य मनी लॉन्डरिंग और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए उन देशों पर कड़े प्रतिबन्ध लगाना है, जो आम तौर पर इन दो मामलों में संलिप्त पाए जातें हैं।
- भारत सरकार ने वाम-दक्षिणपंथी उग्रवाद से लड़ने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा ‘ऑपरेशन समाधान‘ को प्रतिपादित किया, जिसका कार्य मुख्य रूप से उग्रवादियों से लड़ना और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए विवश करना।
*भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए सुझाव।
भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार ने सभी महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं, जिसकी वजह से भारत में आतंकवाद के मामले पहले के मुकाबले नियंत्रित हुई है और जम्मू-कश्मीर एक ऐसा राज्य था, जहाँ आयेदिन आतंकी हमले होते ही रहतें थें लेकिन ‘अन्नुछेद-370’ हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर वाले क्षेत्र में भी विकाश हो रहा है, विदेशी मुद्रा निवेश किये जा रहें हैं, क्षेत्र में स्थिरता आ रही है, लोगों के लिए रोजगार पैदा हो रहीं हैं और अगर सरकार इन सारे पहल के साथ इन सुझावों को भी शामिल करके चले तो हम अपने देश में आतंकवाद से लड़ने में और सशक्त हो जायेंगे:-
क) स्थानीय लोगों के आवास के साथ सिमा क्षेत्रों का विकास करना जरुरी है हमारे भारत में बहुत से ऐसे सिमा क्षेत्र हैं, जहाँ स्थानीय लोग नहीं रहतें हैं, जिसके कारण सिमा पार करना आतंकवादियों के लिए आसान हो जाता है।
ख) आतंकवाद के वित्तपोषण के स्त्रोत का पहचान करना जरुरी है, जिससे आतंकवादियों में आतंकी हमले करने की हिम्मत आती है क्यूंकि बिना वित् के सहयोग से वह हमले करने में असमर्थ हैं इसलिए सरकार उन लोगों को ढूंढे जो आतंकवाद का वित्तपोषण करते हैं और उनके कनेक्टिंग लिंक को काट दे।
ग) सिमा में निवास कर रहे स्थानीय लोगों में आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता फैलाना, जिससे स्थानीय लोग भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार का साथ दे सकें।
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