भारत में बेरोजगारी।(Unemployment in India.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों “भारत में बेरोजगारी (Unemployment in India)” आज के युवाओं के सामने एक बहुत बड़ी समस्या बनते जा रही है क्यूंकि भारतीय युवा दिन-रात मेहनत करतें हैं ताकि उन्हें अपने देश में काबिलियत और शिक्षा के आधार पर एक अच्छा रोजगार मिल सकें लेकिन ऐसा नहीं देखने को मिलता है जिससे आज भारत में ऐसे करोड़ों युवाएँ और युवतियाँ हैं जिनके पास कोई रोजगार नहीं है।

unemployment in india
Unemployment in India

बेरोजगारी क्या है?

जब कोई व्यक्ति नौकरी की तलाश में है और वह अपने कौशल के अनुसार नौकरी पाने में असमर्थ है और जब अर्थव्यवस्था में नौकरियों की संख्या कम हो लेकिन नौकरी चाहने वालों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से बहुत अधिक हो, तो इसे हम बेरोजगारी (Unemployment) कहतें हैं।

‘भारतीय अर्थव्यवस्था की निगरानी के लिए केंद्र’  रिपोर्ट में यह बताया गया है की भारत की बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी हुई है, जो बढ़ कर 7.9% हो गयी है। बेरोजगार शिक्षित युवा अपनी शिक्षा के मुताबिक रोजगार ना मिलने पर किसी भी प्रकार का रोजगार करने के लिए मजबूर हैं, जहाँ उस युवा की शिक्षा उसके रोजगार की तुलना में सर्वोपरि है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 5 करोड़ 30 लाख युवा ऐसे हैं जो की बेरोजगार हैं और इन आकड़ों की संख्या में महिलायें ज्यादा बेरोजगारी का सामना कर रहीं हैं।

महिलाओं को हर क्षेत्र में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, जैसे बेरोजगारी में भी कुछ कारक हैं जो महिलाओं के बेरोजगार होने का कारण हैं:-

  • काम करने का वातावरण अच्छा नहीं होना
  • महिलाओं की सुरक्षा
  • महिलाओं को मातृत्व लाभ ना प्रदान करना
  • घरेलु समस्याएँ

भारत में बेरोजगारी के प्रकार।

बेरोजगारी को वर्णित करने के लिए इसके विभिन्न प्रकार होतें हैं, जैसे:-

क) प्रच्छन्न बेरोजगारी-> यह बेरोजगारी हमे अक्सर कृषि के क्षेत्र में देखने को मिलती है, जहाँ किसी काम को करने के लिए जरुरत से ज्यादा लोग हों, ऐसे काम में अतरिक्त शामिल लोग बेरोजगारी के कारण ऐसा करने पर मजबूर होतें हैं।

ख) संरचनात्मक बेरोजगारी-> यह बेरोजगारी तब उत्पन्न होती है जब बाजार में उपलब्ध नौकरियों से श्रमिकों के कौशल की मेल नहीं होती है।

ग) मौसमी बेरोजगारी-> यह बेरोजगारी तब प्रकट होती है जब तय होता है की यह विशेष रोजगार केवल इसी मौसम के दौरान किया जा सकता है।

घ) तकनिकी बेरोजगारी-> यह बेरोजगारी तकनिकी उन्नयन के कारण होती है मतलब प्रौधौगिकी में बदलाव होने के कारण बेरोजगारी उत्पन्न होती है।

ङ्ग) चक्रीय बेरोजगारी-> यह बेरोजगारी अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है क्यूंकि आर्थिक मंदी के साथ बेरोजगारी बढ़ती है और आर्थिक विकास के साथ घटती है।

च) घर्षण बेरोजगारी-> हालाँकि, यह बेरोजगारी नौकरी ना होने के कारण नहीं होती है बल्कि तब होती है जब व्यक्ति अपने एक काम को स्वैछिक रूप से छोड़ कर दूसरी अच्छी नौकरी और अवसर की तलाश करता है।

छ) सुभेद्य रोजगार-> यह एक ऐसा बेरोजगार है, जहाँ व्यक्ति काम तो करता है पर अनौपचारिक ढंग से क्यूंकि उनके नाम पर किसी प्रकार का कोई रिकॉर्ड नहीं तैयार किया जाता है और ना ही उसे किसी प्रकार की सुरक्षा प्रदान की जाती है।

भारत में बेरोजगारी के कारण।

भारत में बेरोजगारी के अनेकों कारण हैं, जो देश के नौजवान युवक-युवतियों को बेरोजगार बनाता है:-

क) बढ़ती हुई जनसँख्या-> भारत पुरे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसँख्या वाली देश है साथ ही साथ भारत में पुरे विश्व का सबसे अधिक कार्यरत युवा वर्ग है लेकिन सरकार अपने देश में सभी युवाओं को नौकरियाँ के अवसर प्रदान करने में समर्थ नहीं है।

ख) दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली-> भारत के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक स्तर की शिक्षा में बहुत सी खामियाँ देखने को मिलती है उनमे से एक खामी यह भी है की अधिकतर स्कूलों के शिक्षक को खुद पूरा ज्ञान नहीं होता है।

स्नातक स्तर की शिक्षा में भी अगर कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों को छोड़ कर अधिकतर संस्थान केवल स्नातक की डिग्री प्रदान करने हेतु होतीं हैं ऐसे भी हमारे देश में शिक्षा प्रणाली को विकसित बनाने के लिए कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया गया।

ग) उच्च प्रतिस्पर्धा-> भारत में नौकरियों की कमी होने के कारण सरकार कम रिक्तियां निकालती हैं जिसके लिए करोड़ों युवा आवेदन करते हैं और इसलिए छोटी पद की नौकरी के लिए भी सरकार उच्च स्तर की परीक्षा करवाती है।

घ) भ्रस्टाचार-> बेरोजगारी का तो यह एक अहम् मुद्दा है जहाँ बहुत से लोग नौकरी पाने के लिए राजनेताओं और अफसरों को रिश्वत भी देतें हैं, जिससे मेहनत करने वाला पीछे और ना मेहनत करने वाला उस नौकरी का हकदार हो जाता है। अगर किसी को पता भी चल गया तो कोर्ट में मामले दर्ज होंगे, कमिटियां गठित होंगी और फिर कुछ दिनों में मामला शांत हो जायेगा।

ङ्ग) भाई-भतीजावाद-> भारत में यह आम बात है की अगर कोई राजनेता अच्छे पद पर है तो वह अपने शक्ति और पद का प्रयोग करके अपने परिवार के लोगों को सरकारी पद में संलिप्त कर लेता है।

च) आरक्षण-> आरक्षण प्रणाली भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है क्यूंकि नौकरी की पदों में तो बढ़ोतरी देखने को नहीं मिलती है लेकिन दिन-प्रतिदिन आरक्षण में बढ़ोतरी होते ही जा रही है, जो की युवाओं के प्रतिस्पर्धा को और मुश्किल बनाती है।

छ) परीक्षा और परिणाम में देरी-> भारत में सरकारी नौकरी का यह चलन है की आवेदन पत्र जारी करने के बाद भी यह तय नहीं होता की परीक्षा कब होगी और अगर परीक्षा हुई भी तो उसका परिणाम कितने सालों में आएगा यह भी तय नहीं होता, जिसकी वजह से युवाएँ भी अपनी सक्रीय साझेदारी नहीं दिखा पातें हैं और उनका मनोबल भी कम होता है।

ज) पूंजी निर्माण-> बेरोजगारी का एक अहम् कारण है बाजार में पूंजी का निर्माण ना होना क्यूंकि भारत में विदेशी मुद्रा निवेश और देशों की तुलना में कम देखने को मिलती है।

इन सभी कारणों की वजह से हमारे देश में बेरोजगारी की स्तरता बढ़ती जा रही है, जो की चिंता का विषय है और इसके लिए सरकार भी कोई निष्कर्ष नहीं निकाल रही है, इसलिए हमारे देश के नवजवान युवा अपनी काबिलियत का उपयोग करके रोजगार करने दूसरे बड़े देशों में जा रहें हैं और पश्चिमी देश हमारे युवा के काबिलियत को अवसर भी प्रदान कर रहें हैं लेकिन यह बहुत दुर्भाग्य की बात है की हमारे देश के युवा अपना योगदान दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था में दे रहें हैं।

भारत में बेरोजगारी का प्रभाव।

भारत में बेरोजगारी के प्रभाव अन्य प्रकार से सामने निकल कर आ रहें हैं, जिसका प्रभाव सीधा हमारे युवा वर्गों पर हो रहा है:-

क) आर्थिक प्रभाव-> बेरोजगारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर अनेकों प्रकार से असर हो रहा है, जिससे देश की आर्थिक स्तिथि कमजोर होती है, देश में गरीबी बढ़ रही है और प्रतिव्यक्ति आय कम हो रहा है, बेरोजगारी से तंग युवा देश में विरोध प्रदर्शन करतें हैं, सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुचातें हैं।

ख) घरेलु प्रभाव-> बेरोजगारी से पीड़ित व्यक्ति आर्थिक स्तिथि से कमजोर होने लगता है और इसके कारण हमे घरेलु हिंसा में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

ग) व्यक्तिगत प्रभाव-> बेरोजगारी डिप्रेशन, चिंता, नशीली पदार्थों की लत का एक बड़ा कारण है, जो व्यक्ति के मष्तिष्क को बुरी तरह से प्रभावित कर देता है।

घ) आत्महत्या की प्रविर्ती-> भारत में बेरोजगारी के कारण लोगों में आत्महत्या करने की प्रविर्ती उत्पन्न होने लगती है और ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ के अनुसार यह बताया गया है की वर्ष 2020 में बेरोजगारी से सबसे अधिक लोगों (3548) के द्वारा आत्महत्या की गयी है।

ङ्ग) बढ़ती अपराध दर-> बेरोजगारी की मार देश में युवा वर्ग को अपराध करने के प्रति अग्रसर करती है और आर्थिक स्तिथि से कमजोर लोग पैसों के लिए अपराध करने को तैयार हो जातें हैं, जो की अपराध को बढ़ावा देती है।

भारत में बेरोजगारी से निपटने के उपाय।

भारत में बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकार के द्वारा ऐसे बहुत से कदम उठाये गएँ हैं लेकिन उनमे कहीं-ना-कहीं कुछ खामियों के कारण वह नीतियां प्रभावी नहीं बन पा रहीं हैं, इसलिए सरकार उन कमियों पर ध्यान दें और उसके साथ-साथ बताये गए इन उपायों पर भी काम कर सकती है:-

  • शिक्षा प्रणाली में सुधार करना, शिक्षा को बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर उन्हें प्रदान करना, शिक्षा के समय उनके कौशल पर भी ध्यान देना और उसे उसके कौशल के प्रति मार्ग दर्शन कराना, जिससे वह भविष्य में अपनी पहचान आसानी पूर्वक बना सके।
  • युवाओं को शिक्षा संस्थानों में समय-समय पर उनके करियर मार्ग दर्शन से सम्बंधित कॉउन्सिलिंग करानी चाहिए, जिससे वह भविष्य में अपने करियर का चयन कर सकें क्यूंकि अधिकतर युवा यह समझ नहीं पातें हैं की वह अपनी पढाई पूरी करने के बाद किस क्षेत्र में अपना करियर बनायें।
  • अगर कोई व्यक्ति किसी कौशलता में उत्तीर्ण है तो उसे उस आधार पर प्रसिक्षण प्रदान कर उसकी कौशलता को और निखार कर उसके लिए रोजगार सुनिश्चित करें।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम वर्ग के उद्योगों को ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ावा दें जिससे ग्रामीण लोगों को प्रवास करके शहरी क्षेत्रों में नहीं आना पड़ेगा और इससे शहरी क्षेत्र में भी रोजगार का दबाव कम होता हुआ दिखेगा।

इन सब के अलावा युवा वर्ग को भी जागरूक होना पड़ेगा, उन्हें भी यह समझना होगा की राजनितिक दलें चुनाव के समय मंदिर, मस्जिद, जाती, धर्म, लुभावनवाद के मुद्दे को रखकर आपका मत आपसे ले लेती है और हम भी इन सब चीजों के प्रति भावुक होकर अपना मत दे देतें हैं लेकिन इन सभी से देश में रोजगार तो नहीं पैदा होंगे न और कभी किसी राजनितिक दल ने चुनाव के वक़्त अपने घोसणापत्र में रोजगार, अच्छी शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य और पर्यावरण के बारे में उल्लेख नहीं किया है।

हालाँकि, उल्लेख ना करने का कारण भी हम युवा वर्ग ही हैं क्यूंकि देश के युवा अपने जाती, धर्म, समुदाय, को लेकर ज्यादा भावुक रहतें हैं बजाये रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के इसलिए, राजनेता भी अपनी वोट बैंक के लिए इसका ही इस्तेमाल करतें हैं। इसलिए अभी भी समय है अगर देश का युवा वर्ग जागरूक हो जायेगा तो पूरा देश जागरूक हो जायेगा।

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