बाल यौन शोषण। (Child Sexual Abuse.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों, बाल यौन शोषण (Child Sexual Abuse)” हमारे समाज का एक ऐसा घिनौना सच है, जिसके बारे में अक्सर बातें नहीं की जाती है, बच्चे मासूम होतें हैं जो की समाज की बुराइयों से अवगत नहीं होतें हैं, उन्हें गलत चीजों का पता नहीं होता है, जिसके कारण कम उम्र में उनका यौन शोषण करना आसान होता है क्यूंकि बच्चों को पता नहीं होता है की उनका यौन शोषण किया गया है या फिर वह अपने माता-पिता को बताने से डरतें हैं और आज के समय यह कोई जरुरी नहीं है की आपके बच्चे को कोई बाहर का अजनबी ही नुक्सान पहुचायेगा बल्कि कितनी बार ऐसा भी देखा गया है की परिवार और रिश्तेदार के लोग ही आपके बच्चे के साथ गलत काम करतें हैं।

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बाल यौन शोषण के मामले समाज में बड़ी मात्रा में देखने को मिल रही है, ‘अंतराष्ट्रीय पुलिस (INTERPOL)’ द्वारा बताये गए आकड़ों क मुताबिक भारत  में कुल 24 लाख यौन शोषण के मामले 2017 से 2020 तक दर्ज किये गएँ हैं, जो की पुरे विश्व में सभी देशों की तुलना में सबसे अधिक है और इसमें यह भी बताया गया है की इन मामलों में 80% बच्चियां 14 साल या उससे कम उम्र हैं और केवल लडकियां ही इसका शिकार नहीं हुईं हैं बल्कि बहुत से छोटे लड़कों का भी यौन शोषण हुआ है।

यह ऐसे मामले हैं जो की दर्ज करवाएं जातें हैं लेकिन कितने मामले ऐसे भी हैं जिन्हे दर्ज ही नहीं करवाएँ जातें हैं, जो समाज के सामने आते ही नहीं हैं क्यूंकि उससे परिवार की बेइजत्ती होगी और समाज में लोग उसे हिन् भावना से देखेंगे, ऐसा सोच कर बहुत से मामले को घरवालों के द्वारा उजागर ही नहीं होने दिया जाता है।

बाल यौन शोषण क्या है? (What is Child Sexual Abuse?)

समाज में जब किसी व्यक्ति के द्वारा जबरदस्ती या दबाव डाल कर (पुरुष हो या महिला) किसी छोटे बच्चे के साथ जो की किशोरावस्था से कम उम्र का हो (18 साल से कम) अगर उसके साथ किसी भी प्रकार का शारीरिक, मानसिक या संवादी यौन सम्बन्ध का व्यवहार करता है, तो उसे हम ‘बाल यौन शोषण और बाल उत्पीड़न’ भी कहतें हैं।

जब किसी युवा पुरुष और युवा महिला की यौन उत्तेजना बढ़ जाती है, तो समाज में ऐसी घटनाएं सामने निकल कर आती हैं, जो की मानवता को पूरी तरह से शर्मसार कर देती है। हम जिस समाज में रहतें हैं वहां छोटे लड़कों के साथ भी ऐसी यौन घटनाएं होती हैं लेकिन वह छोटी लड़कियों की तुलना में कम हैं। अगर हम भारत में बाल यौन शोषण के भयावह आकड़ों के बारे में बात करें तो हर तीन घंटे 16 साल से कम उम्र के बच्चे का बलात्कार होता है और हर 13वें घंटे में 10 साल से कम उम्र की बच्ची का बलात्कार होता है।

हालाँकि, यह सब बातें और आकड़ें बताने के पीछे यह मकसद है की लोग जान सकें की यह समाज मे अच्छाई का मुखौटा पहने बहुत से लोग असल में भयानक राक्षस प्रवृति के होतें हैं, जिनमे से कुछ तो अपने रिश्तेदार, कुछ स्कूल के शिक्षक, कुछ पडोसी और कुछ अपने जान परिचित वाले ही होतें हैं, जिससे माता-पिता को अपने बच्चों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।

बाल यौन शोषण के प्रकार। (Types of Child Sexual Abuse.)

इस समाज में बच्चों का शोषण विभिन्न प्रकार से किया जाता हैं, जिससे उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है:-

  • शारीरिक रूप से शोषण-> इस मामले में अपरधि के द्वारा बच्चे के साथ शारीरिक संपर्क बनायें जातें हैं, जिसमे बच्चे के निजी अंगो को छूना और उनके साथ जबरदस्ती करना शामिल होता है।
  • मानसिक रूप से शोषण-> बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए यह जरुरी नहीं होता है की उनके साथ शारीरिक संपर्क ही बनाये जाएँ बल्कि बच्चे का मानसिक रूप से शोषण कर अपराधी के द्वारा उसे अश्लील वीडियो और फोटो दिखाकर, अश्लीलता भरी बातें करके और अश्लीलता भरे ऑनलाइन वीडियो गेम्स खेलना यह सब भी शामिल हैं।
  • करीबी रिश्तेदार और ज्ञात व्यक्ति के द्वारा शोषण-> हालंकि, यह मामला सबसे अधिक गंभीर हो जाता है क्यूंकि यहाँ बच्चों के साथ यौन सम्बन्ध किसी करीबी रिश्तेदार के द्वारा ही बनाया जाता है (भाई-बहन, करीबी दोस्त) जो कोई भी हो सकता है और इसमें अपराधी पर कोई शक भी नहीं करता है और न ही छोटे बच्चे उनके द्वारा किये गए यौन शोषण के बारे में कुछ बोल पाता हैं क्यूंकि वह अपने ही कोई होतें हैं।   

ज्ञात व्यक्ति कोई भी हो सकता है जो परिवार से अलग हो, जैसे पडोसी, स्कूल टीचर, दोस्तों के घर वाले, ऐसे भी मामले सामने आएं हैं जिनके द्वारा बच्चों के साथ दुर्व्यवहार या उनके साथ यौन शोषण किया गया है।

  • व्यावसायिक रूप से शोषण-> बाल यौन शोषण व्यवसाय के रूप में तब तब्दील हो जाता है, जब एक बच्चे की तस्करी करके उसे यौन वस्तु के रूप में माना जाता है, जहाँ एक वयस्क व्यक्ति अपनी पारिश्रमिक के बदले एक बच्चे का यौन शोषण करता है, जो आगे बाल वैश्यावृति में शामिल हो जाती है।

बाल यौन शोषण होने के कारण। (Causes of Child Sexual Abuse.)

हमारे समाज में ऐसी बहुत सी कमियाँ और ऐसे बहुत से कारण हैं, जिसकी वजह से हमे समाज में आज ऐसी बुराइयाँ देखने को मिल रही है क्यूंकि समय बदल रहा है और समय के साथ समाज भी बदल रहा है, तो हमे भी बदलते समाज को ध्यान में रखते हुए कुछ कार्य करने चाहिए, जैसे आज भी समाज में कुछ ऐसी धारणाएं देखने को मिलती हैं जिसके कारण बच्चे यौन शोषण का शिकार होतें हैं, इसलिए हम सभी को अपने अंदर कुछ धारणाओं को बदलनी होगी:-

क) सेक्स चर्चा को लेकर समाज में नकारात्मकता वाली सोच-> समाज में सेक्स को लेकर और लड़कियों के मासिकचक्र को लेकर आज भी समाज में एक अलग ही मानसिकता देखने को मिलती है, इसके प्रति समाज में लोगों की प्रतिक्रिया नाकारात्मक देखने को मिलती है और यही कारण है की बच्चे यौन शोषण का शिकार होतें हैं क्यूंकि बच्चे इन सब से अवगत नहीं रहतें और स्वास्थ्य के प्रति ज्ञान और शिक्षण में भी अभाव रहता है।

ख) माता-पिता का अपने बच्चों को उनके निजी अंगो के बारे जागरूक ना करना-> अभिभावकों के द्वारा अपने बच्चों को शुरुवात से यह नहीं सिखाया या बताया जाता है की ‘अगर कोई उनके निजी अंगो को छूता है या छूने की कोशिश भी करता है तो वह गलत है’।

ग) स्कूलों में शिक्षक द्वारा बच्चों को प्रदान की जाने वाली माध्यमिक शिक्षा की जानकारी का अभाव-> जब बच्चे अपना माध्यमिक शिक्षा ग्रहण कर रहे होतें हैं तब अधिकतरों स्कूलों में शिक्षकों के द्वारा बहुत सी यौन सम्बंधित बातें जो बच्चों को निजी ज़िन्दगी में उसके काम आ सकती है वह नहीं बताये जातें हैं क्यूंकि शिक्षक भी उन सब बातों को बच्चों से बताने में झिझकतें हैं, इसलिए बच्चे इन बातों से अनजान होतें हैं जिसकी वजह से हमे समाज में बाल यौन शोषण जैसे मामले देखने को मिलते हैं।

घ) समाज में लिंग आधारित हिंसा के प्रति सहिष्णुता-> पौराणिक समय से भारतीय समाज में यह अज्ञानता फैला दी गयी और लड़कियों के दिमाग में ऐसा डाल दिया गया है की उन्हें सहनसील होना चाहिए और बच्चों-महिलाओं पर समाज में शोषण का खतरा होता है इसलिए उन्हें अपनी नैतिकता की सिमा पार नहीं करनी चाहिए।

ङ्ग) बच्चों पर बड़ो का विश्वास ना करना-> हमेशा संयुक्त परिवार में यह देखा गया है की बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के मामलों पर विराम लगा दिया जाता है अगर बच्चें बोलतें भी हैं की उनके साथ किसी रिस्तेदार ने गलत किया है तो कोई उस बच्चे की बात को मानाने को तैयार ही नहीं होता।

च) बच्चे को किसी के साथ अकेला छोड़ना-> अभिभावक अपने बच्चे को किसी भी रिश्तेदार या अजनबी के साथ अकेला छोड़ देतें हैं या फिर ट्यूसन के शिक्षक के साथ भी ज्यादा अकेला छोड़ना सही नहीं है, ऐसा करना भी बच्चे के शोषण को बढ़ावा देता है।

इन सभी कारणों की वजह से समाज में बाल यौन शोषण के मामले बड़े स्तर पर देखने को मिल रहें हैं, जिसका अहम् वजह है बच्चों में अज्ञानता और जागरूकता की कमी, जिसे अभिभावक और स्कूल शिक्षकों द्वारा कम किया जा सकता है।

यौन शोषण से पीड़ित बच्चो पर इसका शारीरिक और मानसिक प्रभाव होता है, जो बच्चों के भविष्य को नुक्सान पहुँचाता है, जिससे बच्चों को स्वस्थ होने और उसे भूलने में बहुत समय लग जाता है।

बाल यौन शोषण के खिलाफ सरकार की पहल। (Government initiative against Child Sexual Abuse.)

बाल यौन शोषण को रोकने के लिए सरकार भी अपने तरफ से पूरी कोशिश कर रही है, जिसके लिए सरकार ने राष्ट्रिय स्तर पर कुछ कार्यक्रम बना रखें हैं, जैसे :-

क) यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012-> इस अधिनियम के तहत अपराधी को बच्चे के यौन शोषण के अपराध में कड़े कानूनी प्रावधान बताये गएँ हैं, जिससे अपराधी को दण्डित किया जा सके।

ख) राष्ट्रिय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)-> बाल अधिकार को ध्यान में रखते हुए यह आयोग सुनिश्चित करता है की बनाये गए सभी कानून, नीतियां और कार्यक्रम भारतीय संविधान के अनुरूप कार्य कर रही है।

ग) बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ-> इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तीन मंत्रालयों द्वारा काम किया जा रहा है ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय’ जिसका उदेश्य देश की बेटियों को बचाना, उन्हें स्वस्थ और सशक्त बनाना और उनको अच्छी शिक्षा प्रदान करना है।

घ) ऑपरेशन स्माइल-> इसे ऑपरेशन मुस्कान भी कहतें हैं जो की गृह मंत्रालय द्वारा तस्करी किये गए बच्चों को और लापता बच्चों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए है।

बाल यौन शोषण से बचने के उपाय। (Ways to prevent Child Sexual Abuse.)

बच्चे किसी भी देश का भविष्य होतें हैं जो आगे चल कर देश की उन्नति और विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देतें हैं, जिनपर राष्ट्र की भलाई निर्भर करती है, तो हमे ऐसे युवा दिमाग सम्पती की रक्षा और देखभाल करनी होगी उन्हें समाज के शारीरिक यौन शोषण, मानसिक यौन शोषण की बुराईयों से बचाना होगा।

  • एक माता-पिता अपने बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त होतें हैं, इसलिए उन्हें अपने बच्चों को शुरुवात से ही यह बतानी चाहिए की ‘अगर उनके निजी अंगो पर उनके माता-पिता को छोड़ कर कोई भी अन्य व्यक्ति छूता है या छूने की कोशिश भी करता है तो वह अपने माता-पिता से बेझिझक बताये’।
  • माता-पिता अपने बच्चों को समाज की बुराइयों के बारे में बतायें, बच्चों को सकारात्मक तरीके से उनके निजी अंगो के बारे में जानकारी दें की अगर कोई आपके जनानंग को छुए या फिर छाती पर हाथ फेरे तो वह पूरी तरह से गलत कर रहा है।
  • आज के समाज में सभी चीजें ऑनलाइन मोड में देखने को मिलती है, तो इसे ध्यान में रखते हुए अभिभावक अपने बच्चों के मोबाइल की समय-समय पर जांच करतें रहें, जिससे उनका बच्चा किसी ऑनलाइन तरीके से चल रहे यौन शोषण का शिकार ना बन जाये।
  • स्कूलों में शिक्षकों द्वारा बच्चों को माध्यमिक शिक्षा के दौरान यौन सम्बंधित शिक्षा की जानकारी सकारात्मक तरीके से समझाना चाहिए, ताकि बच्चे जागरूक हो सकें उनकी समाज की बुराइयों के प्रति ज्ञान बढ़ सके।
  • अदालतों के बुनयादी ढांचे को मजबूत करने और फ़ास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना करने की जरूरत है, ताकि बाल यौन शोषण मामले के अपराधी को जल्द से सजा दी जा सके और पीड़िता को न्याय। मामले की न्याय प्रक्रिया जल्द होने के कारण बच्चा अपने साथ हुए घटना को जल्दी भूल पायेगा, जो उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

ऐसे कुछ बातों का ध्यान और जागरूकता रखकर हम अपने स्तर से समाज में बच्चों का यौन शोषण होने से रोक सकतें हैं और ऐसा माना जाता है की बच्चे की पहली पाठशाला उसके माता-पिता होतें हैं साथ ही साथ स्कूलों में शिक्षकों से भी यही उम्मीद की जाती है की वह बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण के साथ समाज के दुर्व्यवहार के प्रति भी किसी बच्चे को उसके आधीन नहीं होने दें क्यूंकि हम शुरुवात में जो कुछ भी बच्चे को सिखातें हैं वह उनमे किशोरवस्था तक रहता है।

दोस्तों, आप समाज के इस घिनौने अपराध के बारे में क्या सोचतें हैं या फिर अपनी कोई राय आप निचे कमेंट करके बता सकतें हैं।

“ना करो कुछ ऐसे काज जिससे मानवता का उड़े मजाक क्यूंकि बच्चे होतें है समाज की नाज”        

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