अल्पसंख्यकों पर अत्याचार :- विश्व परिदृश्य।(Attrocities on Minorities :-World Sceneario.)

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राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीअकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों आज मैं आप सब से “अल्पसंख्यकों पर अत्याचार :विश्व परिदृश्य(Attrocities on Minorities: World Sceneario)” के बारे में बताना चाहूँगा, हमे अपने समाज में, देश में और पुरे विश्व में सभी जगह अल्पसंख्यक देखने को मिलते हैं और आज के समय कोई समाज या कोई देश नहीं है, जहाँ ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार’ नहीं होता हो, अधिकतर देशों में अल्पसंख्यक समुदाय को दूसरे समुदायों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है।

attrocities on minorities
Attrocities on Minorities

*अल्पसंख्यक समुदाय कौन है?

अल्पसंख्यक समुदाय वह समुदाय होती है, जिसकी आबादी किसी समाज या देश में बहुसंख्यकों की तुलना में कम होती है और एक ऐसा समुदाय जिसका सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और जिसकी आबादी नगण्य हो।

अल्पसंख्यकों (Minorities) की जनसँख्या लगभग सभी देशों में पाए जातें हैं, अल्पसंख्यक किसी भी देश में कोई भी जाती, धर्म, लिंग, रंग, जाती समूह का हो सकता है, यह कोई जरुरी नहीं है की कोई विशेष समुदाय ही अल्पसंख्यक हो क्यूंकि बहुसंख्यक की आबादी अधिक होने पर कोई भी अल्पसंख्यक हो सकता है।

पुरे विश्व में हमारा भारत भी एक बहुत बड़ा पूर्ण रूप से ‘धर्मनिरपेक्ष’ देश है जहाँ सभी समुदायों का वास है, हालाँकि भारत में भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ कुछ मामले हिंसा और अत्याचार के देखने को मिलते हैं लेकिन हमारे देश का संविधान उन सभी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए अत्याचार को न्याय प्रदान करने में सामर्थ्य है क्यूंकि हमारे देश में संविधान सर्वोपरि हैं।

भारत में राष्ट्रीय स्तर पर कुल छह समुदाय ही पाएं जातें हैं, जिसके विकाश पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयके द्वारा ध्यान रखा जाता है, जिसमे मुस्लिम, सिख, क्रिस्चन, जैन, बुद्धिस्ट, पर्सिस शामिल हैं, जबकि सरकार ने क्षेत्रीय स्तर पर देश में तीन अल्पसंख्यक घोसित कर रखें हैं, जिसमे ‘अनुसूचित जाती, अनुसचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग’ शामिल हैं, फिर भी आज हमारे देश में अल्पसंख्यकों की परिभाषा स्पष्ट नहीं है।  

हमारे देश के संविधान के जनक, स्वयं एक अल्पसंख्यक समुदाय के थें, जिनके द्वारा संविधान में सभी धर्म को स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने का मौलिक अधिकार प्रदान किया है, जो की ‘अनुच्छेद 25 से 28’ में अंकित है और अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकार को भी अलग से दर्शाया गया है, जो की ‘अनुच्छेद 29 और 30’ में अंकित है।

*अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वाले देश।

लेकिन ऐसा हमे सभी देशों में देखने को नहीं मिलता है क्यूंकि उन देशों में या तो तानाशाही या तो धर्म का राज देखने को मिलेगा जैसे; ‘पकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, चीन, नार्थ कोरिया, म्यांमार, बांग्लादेश, बहुत सी अफ्रीकी देश और गल्फ देश भी इसमें शामिल हैं। इन देशों में अल्पसंख्यकों और खुद के लोगो पर भी अत्याचार बहुत बड़े स्तर पर देखने को मिलती है, उन्हें अनेको प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है, जैसे:-

क) चीन:- चीन के सरकार के द्वारा अपने देश के सिनजिआंग वाले क्षेत्र में उइघुर मुसलमानों के साथ कई सालों से अत्याचार किया जा रहा है, चीन के सरकार के द्वारा सिनजिआंग वाले क्षेत्र में बहुत सारे कैम्प्स चलाएं जातें हैं, जिनमे उईघुर्स मुसलमानों को प्रताड़ित किया जाता है और उनको धर्मपरिवर्तन करने के लिए मजबूर किया जाता है।

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया द्वारा जारी किये गए एक रिपोर्ट में यह बताया गया की चीन उइघुर मुसलामानों की शरीर के अंग बेच रहा है और अभी चीन में उइघुर मुसलामानों के मस्जिदों के ऊपरी ढाँचे को तुड़वा कर चीन अपनी वास्तुकला के ढाँचे बनवा रहा है।

ख) बांग्लादेश:- बांग्लादेश में भी हिन्दू समुदाय अल्पसंख्यक होने के कारण वहाँ के क्षेत्रीय बहुसंख्यकों के द्वारा उनपर हमला किया जाता है, किसी भी हिन्दू त्यौहार में और हिन्दू मंदिर में बहुसंख्यक अभद्र तरीके से दंगे करतें हैं।

ग) पकिस्तान:- जैसा की आप सब जानते हैं, पकिस्तान में आयेदिन हिन्दू, मुस्लिम, सिख पर अत्याचार होतें हैं, उनपर हमले और दंगे देखने को मिलते हैं, वहां पर कितने मंदिरों, गुरुद्वारों और मूर्तियों को क्षेत्रीय बहुसंख्यक के द्वारा छतिग्रस्त कर दिया जाता है।

घ) अफ़ग़ानिस्तान:- अफ़ग़ानिस्तान में जब से तालिबान पावर में आया है, तब से वहां के सभी अल्संख्यकों पर अत्याचार और उनपर हमले किए जा रहें हैं, अफ़ग़ानिस्तान में यह सब इसलिए देखने को मिल रहा है क्यूंकि अफ़ग़ानिस्तान ने फिर से शरीया कानून लागू कर कर दिया है, जिसकी वजह से लोग वहां से पलायन कर रहें हैं।

ङ्ग) श्रीलंका:- श्रीलंका में भी श्रीलंकन तमिलियन के द्वारा सिन्हाला समुदाय पर अत्याचार किये गएँ है और उनका नरसंहार भी किया गया है, जिसके कारण ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE)’ एक उग्रवादी अलगाववादी समूह का गठन हुआ, जो पूर्वोत्तर श्रीलंका में हिंदू तमिलों के लिए एक स्वतंत्र मातृभूमि के लिए लड़ रहा था।

च) म्यांमार:- म्यांमार में भी लाखों रोहिंग्या मुसलमानों पर वहाँ की सरकार के द्वारा अत्याचार किये गए, उन्हें अपने ही देश से बाहर निकाल दिया गया जिसके कारण उन्हें शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में अपने और अपने परिवार के साथ शरण लेना पड़ा, लेकिन उनमे से कितने शरणार्थी आज भी भटक रहें हैं।

अभी हाल ही में म्यांमार में हमे ‘मिलिट्री कू’ अर्थात तख्ता पलट देखने को मिली जहाँ मिलिट्री के द्वारा सरकार को जबरदस्ती हटा कर अपना शासन लागू कर दिया गया और वहां के मिलिट्री द्वारा अपने ही देश के लोगों पर अत्याचार किये गए और उन्हें मारा भी गया।  

छ) इजराइल:- इजराइल के द्वारा भी फलीस्तीनीओं पर अत्याचार करके उनके देश को ही अपना बना लिया, 1947 से पहले पूरा देश फलीस्तीनी के नाम से जाना जाता था लेकिन 1967 के बाद से वही फलीस्तीन सिमट कर रह गया और एक नए देश का जन्म हुआ ‘इजराइल’, आज भी फलीस्तीन और इजराइल के बिच झड़प देखने को मिलते हैं।

ज) नार्थ कोरिया:- नार्थ कोरिया में तानाशाह का शासन है, जिसके द्वारा अपने लोगों को ही प्रताड़ित किया जाता है, जहाँ की जनता को खुद से कुछ भी करने का कोई हक़ नहीं है, अगर किसी की शादी भी करनी हो तो तानाशाह ‘किम जॉन उन’ से इजाजत लेनी पड़ती है, वहां की जनता की जीवन शैली तानाशाह तय करतें हैं, तो इस बात से आप भी अंदाज़ा लगा सकतें हैं की नार्थ कोरिया कितने अंकुश वाला देश है जहाँ लोगों को यह पता ही है की आज़ादी किसे कहतें हैं।

*अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के कारण।

अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के कारण सभी देशों में विभिन्न हैं, जैसे:-

क) धर्म का कारण-> अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने का यह बहुत बड़ा और गंभीर कारण माना जाता है क्यूंकि विश्व में बहुत से देश ऐसे हैं, जहाँ धार्मिक वर्चस्व ज्यादा देखने को मिलती है, जिसके परिणाम स्वरुप जो धार्मिक अल्पसंख्यक होतें हैं उनपर धार्मिक बहुसंख्यक के द्वारा हिंसा की जाती है।

ख) जातिवाद का कारण-> जातिवाद भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का कारण बनता है, हालाँकि हमे यह समाज में और क्षेत्रीय स्तर पर ज्यादा देखने को मिलता है, जहाँ बड़ी जाती के लोग छोटी जाती पर अत्याचार और यह हमे अपने भारत में बड़े स्तर पर देखने को मिलता है क्यूंकि हमारे देश में आज भी जाती प्रथा के प्रचलन को मानने वाले लोग समाज में हैं।

ग) भाषावाद का कारण-> भाषावाद भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार में एक भूमिका निभाती है क्यूंकि आप जिस क्षेत्र में हो, जिस देश में हो आपको वहां की भाषा सीखनी पड़ती है नहीं तो वहाँ के लोग आपको पसंद नहीं करेंगे और भाषा एक होने से लोगों के बिच ताल-मेल बढ़ती है।

घ) तव्चा के रंग का कारण-> हालाँकि, यह कारण पश्चिमी देशों में अधिकाँश देखने को मिलते हैं क्यूंकि पश्चिमी देशों में गोरे त्वचा के लोग काले त्वचा के लोगों को पसंद नहीं करते जिसके कारण काले त्वचा वाले लोगों को भेद-भाव का सामना करना पड़ता है, जैसे;

अमेरिका में आयदिन ऐसे मामलों के बारे में सुनने को मिलता है, अभी 2014 में ‘एरिक गार्नर’ के मामले में और 2020 में ‘जॉर्ज फ्लॉयड’ के मामले में गोरे त्वचा के पुलिस अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित कर उनकी जान ले ली थी।

ङ्ग) क्षेत्रों के कारण-> अगर किसी क्षेत्र में बहुसंख्यक समुदाय की संख्या अल्पसंख्यक समुदाय से ज्यादा हो जाती है, तो बहुसंख्यकों के द्वारा उनका नरसंहार या उनपर हमला किया जाने लगता है।

आज के समय जिस भी देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होतें हैं, उस देश में अल्पसंख्यक समुदाय हमेशा डर-डर के ज़िन्दगी जिया करती है और वह अल्पसंख्यक समुदाय अपने लिए एक सुरक्षित स्थान और देश का तलाश करती है।

जिस देश में बहुसंख्यक समुदाय के साथ अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी मिल कर रहतें हैं, उस देश को एक श्रेष्ठ लोकतांत्रिक देश कहतें हैं। किसी देश को आगे बढ़ने में भी अल्पसंख्यक समुदाय का बहुत बड़ा महत्व होता है क्यूंकि अल्पसंख्यकों की भागीदारी उस देश के प्रतिभा में होती है, उस देश की कला और संस्कृति में वृद्धि होती है, वह देश एक धर्मनिरपेक्ष देश होता है, जैसे ‘भारत, यूरोपियन देश, अमेरिका,’ इसलिए यह देश विकसित देश हैं या फिर विकसित हो रहें हैं।

*अल्पसंख्यक समुदाय की समस्या।

अल्पसंख्यकों को विभिन्न प्रकार के प्रताड़नों और समस्या का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें उनके ही अधिकार से वंचित रहना पड़ता है और अधिकार तो बहुत दूर की बात है उन्हें तो अपना सामान्य जीवन भी अच्छे से जीने नहीं दिया जाता है:-

क) अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है, उन्हें बराबर का हक़ नहीं दिया जाता है यहाँ तक की उनपर अनेकों प्रकार की पाबंदिया लगा दी जातीं हैं।

ख) अल्पसंख्यकों की संस्कृति, उनके धर्म, उनकी आस्था, उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाया जाता है और उन्हें नष्ट कर दिया जाता है, अधिकाँश मामलों में तो अल्पसंख्यक समुदाय के साथ जबरदस्ती की जाती है।

ग) अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यकों द्वारा जानलेवा हमले किये जातें हैं, बहुत से दंगे भी देखने को मिलते हैं और कई देशों में बहुसंखयकों द्वारा अल्पसंख्यकों का नरसंहार भी किया है।

घ) अल्पसंख्यक समुदाय में सबसे अधिक समस्या और अत्याचार का सामना महिलायें और बच्चें करतें हैं क्यूंकि महिलाओं के साथ छेड़खानी और रेप किये जातें हैं, बच्चों की तस्करी की जाती है, बच्चों के शरीर के अंगो को बेचा जाता है।

ङ्ग) अल्पसंख्यक समुदाय ही आमतौर पर मजबूर होकर शरणार्थी बनते हैं क्यूंकि इतनी समस्याओं और अत्याचार का सामना करने के बाद उनके पास कोई विकल्प नहीं रहता है।

*अल्पसंख्यकों पर वैश्विक पहल।

अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की घोषणा:-

इस घोषणा के लिए राज्यों को अल्पसंख्यकों के अस्तित्व और पहचान की रक्षा करने की आवश्यकता है। यह राज्यों से राष्ट्रीय या जातीय, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई पहचान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने का भी आह्वान करता है।

इस घोषणा के अनुच्छेद 2(1) के तहत, अल्पसंख्यकों को अपने धर्म का पालन करने, अपनी संस्कृति का आनंद लेने और किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना सार्वजनिक और निजी दोनों सेटिंग्स में अपनी भाषा का उपयोग करने का अधिकार होगा।

इस घोषणा का अनुच्छेद 3 अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के व्यक्तिगत रूप से और दूसरों के साथ समुदाय में अपने अधिकारों का प्रयोग करने के अधिकार की गारंटी देता है। इसे 18 दिसंबर 1992 के महासभा संकल्प 47/135 द्वारा अपनाया गया था।

चार्टर में निहित सिद्धांतों की प्राप्ति को बढ़ावा देने के लिए, मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सजा पर कन्वेंशन, नस्लीय भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, अंतर्राष्ट्रीय वाचा नागरिक और राजनीतिक अधिकार, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय वाचा, धर्म या विश्वास के आधार पर सभी प्रकार की असहिष्णुता और भेदभाव के उन्मूलन पर घोषणा, और बाल अधिकारों पर कन्वेंशन, साथ ही साथ अन्य प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय उपकरण जिन्हें सार्वभौमिक या क्षेत्रीय स्तर पर अपनाया गया है और जो संयुक्त राष्ट्र के अलग-अलग राज्यों के सदस्यों के बीच संपन्न हुए हैं।

*निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र को वैश्विक स्तर पर दुनिया भर के अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार और मानव अधिकारों के उलंघन के लिए और शख्त कानून बनाने चाहिए, जिससे अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार पर अंकुश लगाया जा सके।

“वित्तीय कार्रवाई कार्य बल” के द्वारा ‘मनी लॉन्डरिंग, टेरर फाइनेंसिंग’ के साथ-साथ ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार’ को भी अपनी सूचि में शामिल करनी चाहिए, जिससे अल्पसंख्यक पर अत्याचार करने वाले देश पर दबाव बनाया जा सके।

अगर आप अपने समाज और देश के बारे में ऐसे और आर्टिकल्स पढ़ना चाहतें हैं तो यहाँ क्लिक करके पढ़ सकतें हैं।

दोस्तों, आप इस मामले के बारे में क्या सोचतें हैं, आप अपनी राय भी निचे कमेंट करके बता सकतें हैं।


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