राधे-राधे, आदाब, सत्यश्रीआकाल, हैलो मेरे प्यारे दोस्तों तो कैसे हो आप सब? मैं आज आपसे बात करने जा रहाँ हूँ हमारे प्रशासन प्रणाली को संभालने वाले उन सेवकों को के बारे में जो हमारे समाज और देश के आंतरिक मामलों को बनाये रखना ही अपना कर्तव्य समझतें हैं और अपना फर्ज भी जिसके लिए उन्हें नियुक्त किया जाता है, जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ “भारतीय पुलिस और प्रशासन (Indian Police and Administration)” के बारे में जो अपने सेवा भाव के लिए जानी जाती है।
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भारतीय पुलिस की क्या भूमिका होती है?
पुलिस बलों (Police force) की प्राथमिक भूमिका कानूनों को बनाए रखना और लागू करना, अपराधों की जांच करना और देश में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। भारत जैसे बड़े और आबादी वाले देश में, पुलिस बलों को अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाने के लिए, कर्मियों, हथियारों, फोरेंसिक, संचार और परिवहन सहायता के मामले में अच्छी तरह से सुसज्जित होने की आवश्यकता है। इसके अलावा, खराब प्रदर्शन या शक्ति के दुरुपयोग के लिए जवाबदेह होने पर, उन्हें पेशेवर रूप से अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए परिचालन स्वतंत्रता और संतोषजनक काम करने की स्थिति (जैसे, विनियमित काम के घंटे और पदोन्नति के अवसर) की आवश्यकता होती है।
संविधान के तहत, पुलिस राज्यों द्वारा शासित एक विषय है। इसलिए, 29 राज्यों में से प्रत्येक के पास अपने स्वयं के पुलिस बल हैं। केंद्र को कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने में राज्यों की सहायता के लिए अपने स्वयं के पुलिस बलों को बनाए रखने की भी अनुमति है।
मैंने अक्सर अपने समाज में यह देखा है की लोग पुलिस से डरतें हैं उनके पास जाना नहीं चाहतें और इस डर के पीछे का कारण हम स्वयं ही है क्यूंकि कोई भी आम इंसान यही समझता है की पुलिस मतलब समस्या को आमंत्रण देना है और इसी डर को हमे दूर करना है क्यूंकि तब जाकर हमारे समाज में जो अपराध होतें हैं, वो अच्छी तरह से सामने आ पाएंगे, हमारे समाज में बहुत से ऐसे अपराध होतें जो की कानून के सामने आतें ही नहीं है उन्हें दबा दिया जाता है (जैसे : ब्लैकमैलिंग, रेप, दहेज़, जातिवाद, बालविवाह, लिंगभेद) और भी ऐसे कई मामलें हैं, हम यह क्यों नहीं समझतें की पुलिस का कर्त्वय ही है समाज के गंदगी को साफ करना, बने हुए कानून की रक्षा करना, गलत काम पर नज़र रखना उनकी लड़ाई समाज के बुराइओं से होती है, अब बुरा के साथ बुरा व्यवहार या सजा तो कानून ही देगी न इसलिए पुलिस और प्रशासन (Police and Administration) उस अपराधी के साथ बुरा व्यवहार करती है तो लोग डरतें हैं।
दोस्तों मै आपसे एक बात पूछता हूँ की क्या पुलिस राह चलते किसी आम आदमी के साथ गलत व्यवहार करती है और करें भी क्यों वो हमारे ‘सेवा और सुरक्षा’ के लिए ही तो होतें हैं।
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दोस्तों मैं यहाँ एक और बात कहना चाहूंगा की अगर आपने कोई गलती न की हो और बने हुए नियम या कानून का उलंघन ना किया हो तो आप बेझिझक अपनी समस्या या फिर अपनी दलील पुलिस प्रशासन (Police administration) के समक्ष रख सकतें हैं और वह भी आपकी सेवा करके ही संतुष्ट होंगे। समाज की जो बुराई है वह उनसे डरती है, हमने और आपने क्या बुरा किया है जो डरने की जरुरत है, दोस्तों हमारे देश के संविधान के ‘अनुच्छेद 21’ भी सभी नागरिक को यह मौलिक अधिकार प्रदान करता है की वह अपनी ज़िन्दगी अपने देश में शान से जिये किसी से डर कर नहीं और शान से जीने का मतलब है की बिना कोई गलत काम किये उन सभी नियम और कानून का पालन करना जो हमारे सुरक्षा के लिए ही बनाई गयी है। हम हमारी गलती के कारण ही पुलिस और प्रशासन (Police and Administration) से डरतें हैं क्यूंकि हमे पता है की हम गलत कर रहें हैं उनके बनाये नियम को न मान कर जैसे मै आपको एक उदाहरण देता हूँ:-
जिस प्रकार हमारी सुरक्षा के लिए ही कानून और दिशानिर्देश बनायें जातें हैं लेकिन हम क्या करतें हैं की हम उस बनाये नियम और कानून को मानते तो हैं लेकिन यह सोच कर नहीं की हमारी ही सुरक्षा के लिए वह बनाई गयी है बल्कि हम यह सोच कर उसे मानते हैं की कहीं हमे प्रशासन के दंड का भागी ना बनाना पड़े। अगर हम यह सोच कर उस दिशानिर्देश को माने की वह हमारे रक्षा के बारे में सोचतें हैं तभी ऐसा नियम उनके द्वारा सभी नागरिकों के लिए बनाई गयी है। मैं एक सरल वाक्य में आपको बताता हूँ, जैसे पुलिस हमेशा हमारे सुरक्षा के लिए कहती है की हैलमेट या सीट बेल्ट का प्रयोग हमेशा गाडी चलाते वक़्त करें, कभी भी ओवर स्पीडिंग गाडी ना चलाएं, ओवर लोडिंग ना करें लेकिन हमारे द्वारा सिर्फ पुलिस से बचने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है बजाये इसके की इससे हमारी ही रक्षा होगी।
तो दोस्तों अब आप ही बताइए की नियम उन्होंने हमे डराने के मतलब से तो नहीं बनायें लेकिन हमारे द्वारा उस नियम को खुद सिर्फ पुलिस और प्रशासन (Police and Administration) से बचने के लिए उसका पालन करके खुद ही अपने डर का कारण बनते हैं। अगर हम ऐसा ना सोच कर यह सोचें की यह सारे नियम आम नागरिक को ध्यान में रख कर बनायें गएँ हैं और हमे भी इसका पालन करना चाहिए, और इन्ही सब छोटे-छोटे कारणों से लोग अपनी हिम्मत कम कर लेतें हैं जिस कारण वह लोग फिर पुलिस और प्रशासन (Police and Administration) से डरने लगतें हैं।
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आप सब यह तो जरूर सोच रहें होंगे की मैंने आम नागरिकों की गलती और वो क्यों डरतें हैं इस्पे तो अपना प्रकाश डाला लेकिन यह भूल गया की गलती सिर्फ लोगों के द्वारा ही नहीं किया जाता है बल्कि कुछ पोलिसवाले और प्रशासन भी अपने गलत हरकतों से बाज नहीं आतें और उनके द्वारा भी बहुत से निर्दोष लोगों को परेशान किया जाता है, जिन्होंने कोई गलत काम ना किया हो फिर भी उनसे गलत तरीके से, अपने शक्ति का गलत प्रयोग करके पैसे लेते हैं या फिर उन्हें परेशान करतें हैं।
पुलिस की जवाबदेही।
पुलिस बलों को राज्य में कानून लागू करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बल प्रयोग करने का अधिकार है। हालाँकि, इस शक्ति का कई तरह से दुरुपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, भारत में, पुलिस के खिलाफ विभिन्न प्रकार की शिकायतें की जाती हैं, जिनमें अनुचित गिरफ्तारी, गैरकानूनी तलाशी, यातना और हिरासत में बलात्कार की शिकायतें शामिल हैं। सत्ता के इस तरह के दुरुपयोग के खिलाफ जांच करने के लिए, विभिन्न देशों ने अपनाया है सुरक्षा उपाय, जैसे राजनीतिक कार्यपालिका के प्रति पुलिस की जवाबदेही, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के प्रति आंतरिक जवाबदेही, और स्वतंत्र पुलिस निगरानी प्राधिकरण।
अगर पुलिस या प्रशासन (Police and Administration) आपके साथ गलत कर रही है, तो इसका एक ही उपाय है की आप उस गलत का विरोध कीजिये और फिर भी पुलिस प्रशासन नहीं सुनती है तो आप उच्च अधिकारी से उसके बारे में शिकायत कीजिये अगर आप ऐसा नहीं करतें हैं तो आप खुद तो गलत का साथ दे ही रहें है और उनको गलत करने की छूठ “याद रखिये की पुलिस को शक्ति दी गयी है लोगों की सुरक्षा के लिए ना की लोगों का शोषण करने के लिए”।
इन्ही कुछ पुलिस और प्रशासन नौकरशाही के चलते पूरी पुलिस और प्रशासन प्रणाली को बदनाम होना पड़ता है लेकिन वो दोस्तों कहतें हैं न की कीचड़ में ही कमल खिलतें हैं, तो वैसे ही बहुत से पुलिस और प्रशासन नौकरशाही हैं जो अपने कर्तवय को पुरे ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ करतें हैं।
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भारतीय पुलिस से सम्बंधित समस्याएँ।
आज भी पुलिस बल सेना की तरह सुशिक्षित और प्रशिक्षित नहीं है। पुलिस अधिनियम की मूल बातें। जनता का समर्थन करना, अपराध को रोकना, जनता के साथ अच्छे संबंध विकसित करना और जनता की मदद करना होना चाहिए। पुलिस बल का जनता में सम्मान होना चाहिए। उन्हें अच्छी तरह से भुगतान, अच्छी तरह से प्रशिक्षित और आधुनिक राजपत्रों से सुसज्जित होना चाहिए। हालांकि, सच्चाई कोसों दूर है। पुलिस बल भारत में सबसे उपेक्षित संगठन है। आज हमारे देश में पुलिस की एक अलग ही छवि समाज में देखने को मिलती है और इसके पीछे अनेकों कारण हैं, जैसे:-
क) पुलिस बलों की ड्यूटी की कोई समय सिमा ना होना।
ख) पुलिस थानों की स्तिथि का खराब होना।
ग) पुलिस में राजनीतिकरण करना, यह सबसे बड़ी समस्या है जो पुलिस को स्वतंत्र रूप से कार्य करने में बाधा डालती है।
घ) पुलिस में कार्यरथ लोगों को अच्छा वेतन नहीं देना, उन्हें अच्छी सुविधा नहीं देना (मेडिकल सुविधा, घर की सुविधा, शिक्षा की सुविधा)।
ङ्ग) पुलिस कर्मियों को कम वेतन प्रदान करना कहीं न कहीं भ्रस्टाचार को बढ़ावा भी देता है, जो की पुलिस की छवि को समाज के लोगों में ख़राब करती है।
च) पुलिस बलों की राज्यों में ख़राब चयन प्रक्रिया और प्रशिक्षण प्रक्रिया के कारण हमे प्रशासन में स्वस्थ पुलिसकर्मियों की कमी देखने को मिलती है।
छ) पुलिस को प्रदान की जाने वाली डिजिटल उपकरण की कमी, अच्छी संचार सुविधा की कमी।
भारत में पब्लिक वर्सेज पुलिस कर्मियों का अनुपात सबसे कम है। संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक मानदंडों ने कहा कि प्रति 1,00,000 नागरिकों पर लगभग 220-230 पुलिसकर्मी हैं। हालाँकि, भारत में यह अनुपात प्रति 1,00,000 नागरिकों पर 150 पुलिसकर्मियों का है। हमारे देश की पुलिस की तुलना दुनिया के बाकि देशों के पुलिस के संबंध में तुलनीय नहीं है क्यूंकि अच्छी प्रशिक्षण, चयन प्रक्रिया, अपराध को पता लगाने की प्रक्रिया में हमारे देश की पुलिस बलि काफी पीछे है।
कुछ इन्ही सभी समस्यायों की वजह से आज हमारे देश के पुलिस प्रशासन की ऐसी हालत है और मै सरकार से भी यही कहना चहुंगा की वह पुलिस को भी वही सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएं जो हमारे देश के जवानों के लिए हैं क्यूंकि हमारे देश की आतंरिक सुरक्षा का दाइत्व पुलिस के द्वारा ही संभाली जाती है।
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भारतीय पुलिस व्यवस्था में सुधार के लिए सुझाव।
हमारे देश की पुलिस व्यवस्था में सुधार करने की जरुरत है, जिससे राज्यों की पुलिस बल भी हमारे देश की सेना के बराबर हो सके और जिससे प्रशासन की कार्य विधि में भी पारदर्शिता और सुधार हो सके:-
क) पुलिस बलों को राजनीतिकरण से मुक्त रखना चाहिए और राज्य में एक सुरक्षा आयोग का गठन करना चाहिए, जो यह सुनिश्चित करेगा की राजनीति का प्रभाव पुलिस प्रशासन पर ना हो।
ख) राज्य सरकारें अपनी-अपनी पुलिस बलों की ड्यूटी की सिमा रखे और उनके वेतन में इजाफा करे, जिससे उन्हें अपने काम के प्रति संवेदना मिले।
ग) सभी राज्यों में केंद्र के द्वारा एक भ्रस्टाचार आयोग का गठन किया जाना चाहिये, जो राज्य में पुलिस के द्वारा किये गए भ्रस्टाचार पर नज़र रख सके।
घ) पुलिस बलों को डिजिटल उपकरण और अच्छी संचार सुविधा भी प्रदान की जानी चाहिए, जिससे प्रशासन में पारदर्शिता और पुलिस आपराधिक मामलों की जांच जल्दी और बेहतर तरीके से कर पायेगी।
दोस्तों आप हमारे देश के पुलिस और प्रशासन (Police and Administration) प्रणाली के बारे में क्या सोचतें और आपकी उनके प्रति भावना क्या है जरूर बतायें और पुलिस को सशक्त और समाज के प्रति अनुकूल बनाना सही रहेगा जिससे हमे अपने देश में अपराध भी कम होता हुआ नज़र आएगा।
“पुलिस प्रशासन हैं लेतें हमारी जिम्मेदारी, करतें जनता की सेवा भूल कर अपने घर की खुशहाली, ना समझों इन्हे तुम सरकारी नौकर यह हैं असली दण्डाधिकारी”
अपनी पहचान और अपनी ताकत को प्रशासनिक स्तर पर जानने और समझने के लिए ये आर्टिकल एक अच्छी पहल है राधे राधे।