प्रौद्योगिकी संसार को तीव्र गति से आगे बढ़ने में मदद कर रही है और साथ ही प्रौद्योगिकी मानव के रोजमर्रा के जीवन में एक बहुत ही अहम् भूमिका निभा रही है, जिसके बिना मानव जीवन अधूरा और गतिहीन है। इसलिए, प्रति वर्ष 11 मई को प्रौद्योगिकी नवाचार को बढ़ावा देने, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए “राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day)” के रूप में मनाया जाता है।
Rashtriya Praudhogiki Diwas 1999 के पोखरण परमाणु परीक्षण की स्मृति में मनाया जाता है, जिसे उस वक़्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी जी के द्वारा ऐलान किया गया था।
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Rashtriya Praudhogiki Diwas 2024 का थीम।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस प्रति वर्ष एक विषय पर आधारित कार्य करता है, जहाँ इस बार 2024 में “स्कूलों से स्टार्टअप तक: नवप्रवर्तन के लिए युवा दिमागों को प्रज्वलित करना (From Schools to Startups: Igniting Young Minds to Innovate)” विषय निर्धारित किया गया है, जो की बच्चों को स्कूली शिक्षा से ही स्वयं के स्टार्टअप्स की शुरुवात करने के लिए प्रेरित करते हैं और भारत को दुनिया में स्टार्टअप्स का केंद्र बनाना चाहतें हैं।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का उद्देश्य क्या है?
Rashtriya Praudhogiki Diwas का मुख्य उदेश्य नूतन तकनीकों को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में युवाओं को प्रोत्साहित करना और वैज्ञानिकों अथवा इंजीनियरों को उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित करने का एक मंच प्रदान करना।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस ख़ास तौर से देश के युवाओं को ‘विज्ञान, प्रौधोगिकी इंजीनियरिंग और गणित’ के प्रति अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करती है।
Rashtriya Praudhogiki Diwas का महत्व।
- Rashtriya Praudhogiki Diwas को दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के जागरूकता, सांस्कृतिक और सम्मान समारोह के कार्यक्रमों को आयोजित करके इसकी महत्ता को उजागर किया जाता है।
- राष्ट्रीय परउधोगिकी दिवस 1998 में पोखरण में भारत के सफल परमाणु परीक्षणों की सालगिरह का प्रतीक है, जिसे ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया था, जिसने रक्षा प्रौद्योगिकी में देश की क्षमताओं को प्रदर्शित किया था।
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने, विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने और राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का इतिहास।
Rashtriya Praudhogiki Diwas की जड़ें 11 मई 1998 में देखी जा सकती हैं, जब भारत ने राजस्थान के रेगिस्तान में भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में सफल परमाणु परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित की थी। उस वक़्त के तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में किए गए इन परीक्षणों ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए और बाहरी खतरों के खिलाफ निवारक के रूप में परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन किया।
इन सफल परीक्षणों के जवाब में, भारत ने उन वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों को मनाने के लिए 11 मई को Rashtriya Praudhogiki Diwas घोषित किया, जिसके कारण परमाणु उपकरणों का सफल विस्फोट हुआ। तब से, यह दिन एयरोस्पेस, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और दूरसंचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत की व्यापक तकनीकी प्रगति के उत्सव के रूप में विकसित हुआ है।