जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास में एक काले दिन को रेखांकित करता है, जो की ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन काल के निर्मम और क्रूरता के चित्रण का उदारहण पेश करता है। 13 अप्रैल को उत्तर भारत में बड़े धूम-धाम से बैसाखी का त्यौहार मनाया जाता है और इसी बैसाखी के त्यौहार को ब्रिटिश जनरल रेजीनॉल्ड डायर द्वारा हज़ारों निहत्ते मासूम लोगों को जलियांवाला बाग में मारकर मातम में तब्दिल कर दिया गया, उन मासूम लोगों की स्मृति में पूरा भारत आज भी प्रति वर्ष उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 13 अप्रैल को “जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस (Jallianwala Bagh Massacre Day)” के रूप में शहीदों को स्मरण करने के लिए मनाता है।
13 अप्रैल, 2024 को Jallianwala Bagh Hatyakand Diwas को 105 वें स्मृति दिवस के रूप मनाया जायेगा, अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग को शहीद स्थल के नाम से भी जाना जाता है, जहाँ प्रति वर्ष हज़ारों लोग उन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए जमा होते हैं।
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Jallianwala Bagh Hatyakand Diwas क्यों मनाया जाता है?
Jallianwala Bagh Hatyakand Diwas उन दिनों भारत में हुआ जब ब्रिटिश शासन का आधिपत्य था, 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर, पंजाब के जलियांवाला बाग़ में लोग बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए जमा हुए थे और उसी दौरान ब्रिटिश शासन के द्वारा लागू किये गए रॉलेक्ट एक्ट के विरोध में लोगों ने मिलकर एक सभा का भी आयोजन किया था, जिसका उदेश्य अहिंसात्मक ढंग से अंग्रेज़ों के प्रति अपनी असहमति दर्ज करनी थी और उसी दिन जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने शहर में कर्फ्यू भी लगवा दिया था साथ ही जनरल को जब यह पता चला की बहुत सारे लोग जलियांवाला बाग में इस कानून के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए हैं, तो वह अपने बहुत से हथियार बंध सैनिकों के साथ वहां आकर उस बाग को चारों तरफ से घेरने का आदेश दिया, जब लोगों ने यह सब देखा तो भाषण दे रहे नेताओं ने उन सब से शांति से बैठे रहने का आग्रह किया, उस वक़्त शहीद उधम सिंह भी वहां मौजूद थें और जनरल डायर को यह भी पता चला था की वहां सैफ उद दिन किचलू भी उपस्थित हैं, जिनकी अंग्रेज़ों को बहुत दिनों से तलाश भी थी।
जब नेता बाग की रेढ़ियों पर चढ़ कर भाषण दे रहें थें तभी बिना किसी पूर्व चेतावनी के जनरल डायर ने अपने सैनिकों को खुले आम फायरिंग करने का आदेश दे दिया और देखते-देखते पूरा जलियांवाला बाग की खुशियाँ मातम में बदल गयी। 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गयी, जिसमे कइयों लोग घायल हुए थे और हज़ारों मासूम लोग मारे गएँ थे। लोगों को भागने तक के लिए जगह नहीं थी, उसी बाग़ में एक कुआँ था, जिसमे लोग अपनी जान बचाने के लिए उस कुँए में कूदने लगे और थोड़ी ही देर में वह कुआँ भी लाशों की ढेर से भर गया। यह घटना इस बात का प्रमाण है की अंग्रेज़ों द्वारा भारत के लोगों पर कितने अत्याचार और क्रूरता भरा व्यवहार किया गया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस का महत्व क्या है?
- Jallianwala Bagh Hatyakand Diwas भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अत्यधिक महत्व रखता है और औपनिवेशिक उत्पीड़न और स्वतंत्रता की खोज के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। यह भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया, जिसने बड़े पैमाने पर आक्रोश को बढ़ावा दिया और ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए नए सिरे से दृढ़ संकल्प जगाया।
- नरसंहार की क्रूरता की भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा हुई, जिससे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थन में वृद्धि हुई। इसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की क्रूर प्रकृति को उजागर किया और स्वशासन की मांग में जीवन के सभी क्षेत्रों के भारतीयों को एकजुट किया।
- जलियांवाला बाग में अपनी जान गंवाने वालों की शहादत स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक रैली बन गई और आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखने के लिए प्रेरित किया। हत्याकांड के पीड़ितों द्वारा किया गया बलिदान आज प्राप्त स्वतंत्रता के लिए चुकाई गई कीमत की याद दिलाती है।