राष्ट्रीय बालिका दिवस। (National Girl Child Day in Hindi.)

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बेटियाँ ईश्वर की एक खूबसूरत रचना है, जो देश-विदेश के सभी क्षेत्रों में अपनी काबिलियत और हिम्मत से अपने देश और समाज का नाम रौशन कर रहीं हैं। आज लड़कियाँ किसी भी क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं है और इसलिए, बालिकाओं को समाज में बराबरी का हक़ दिलाने, उनके अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक करने और उनकी बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लक्ष्यों के प्रति लोगों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए प्रति वर्ष भारत 24 जनवरी को “राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day)” के रूप में मनाता है।

लड़कियों और बालिकाओं को आज भी समाज के कई हिस्सों में आगे बढ़ने से रोका जाता है, महिलाओं के गर्भ में यदि लड़की है तो महिलाओं का गर्भपात करवा दिया जाता है, उन्हें उनकी शिक्षा और अधिकारों से वंचित रखा जाता है। इन सभी सामाजिक कुरीतियों के प्रति वकालत और जागरूकता का कार्य Rashtriya Baalika Diwas के अवसर पर किया जाता है।

rashtriya baalika diwas
Rashtriya Baalika Diwas

राष्ट्रीय बालिका दिवस का उदेश्य।

Rashtriya Baalika Diwas का मुख्य उदेश्य लड़कियों और महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करना है साथ ही उनके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान कर उन्हें सशक्त बनाना है। किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित लड़कियों के पक्ष में वकालत करना भी इस दिवस का उदेश्य है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व।

  • Rashtriya Baalika Diwas के उपलक्ष्य में देश भर में विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित किये जातें हैं।
  • Rashtriya Baalika Diwas देश में लड़कियों और महिलाओं को अपने अंदर की काबिलियत को पहचानने का एक अवसर प्रदान करता है और लैंगिक असमानता को दूर करता है।
  • यह दिवस देश भर में लड़कियों के प्रति होने वाली हिंसा, बाल विवाह और लड़कियों की सुरक्षा के बारे में लोगों का ध्यान केंद्रित करता है।
  • Rashtriya Baalika Diwas के दिन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा भी लड़कियों के हित में विभिन्न प्रकार की शिक्षास्वास्थ्य और बेहतर पोषण सम्बन्धी योजनाओं का क्रियान्यवयन किया जाता है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास।

Rashtriya Baalika Diwas की जड़ें 24 जनवरी, 1966 से जुडी हुई है, जब भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के द्वारा शपथ ली गयी थी। इसी दिन का स्मरण करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2008 में महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए देश में 24 जनवरी को ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के रूप में घोसित किया गया। इसके बाद से इस दिवस को देश भर में राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, जो की नारी सशक्तिकरण में एक क्रांतिकारी बदलाव था।

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